जलविद्युत पर अनुच्छेद | Paragraph on Hydropower in Hindi!

नदियों के बहते जल को प्राचीन काल से ही मानव उपयोग करता आया है । पुराने समय से ही पवन-चक्की के द्वारा आटा पीसने का काम किया जाता है । हाइड्रो टर्बाइन के आविष्कार के पश्चात पन-बिजली उत्पादन में भारी वृद्धि हुर्ह ।

पन-बिजली के लिए निम्न भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है:

(i) जल-अपवाह की भारी मात्रा,

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(ii) नदी में जल का निरंतर एवं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना,

(iii) किसी संकरी खाडी अथवा गाज का पर्वतीय क्षेत्र में होना जहाँ बाँध बनाया जा सके,

(iv) बड़ा बाजार, अर्थात् बिजली की माँग,

(v) जल-संचय के लिए जलाशय की जगह,

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(vi) बाँध निर्माण के लिए पर्याप्त धन ।

उपरोक्त परिस्थितियाँ पर्वतीय भागों में पाई जाती हैं ।

वास्तव में पन-बिजली उत्पादन के प्रमुख निर्धारक निम्न हैं:

1. पर्वतीय प्रदेश (Mountainous Region):

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हिमनद प्रभावित पर्वतीय प्रदेशों में बाँध बनाने में सुविधा होती है । पर्वतों में पाई जाने वाली खाड़ी घाटी बाँध के लिए उपयुक्त स्थान होते हैं ।

2. जलवायु (Climate):

ऊष्ण-आर्द्र जलवायु तथा शीतोष्ण कटिबंधीय वर्षा के प्रदेश पन-बिजली के लिए उपयुक्त हैं ।

3. ऐसे प्रदेश जहाँ बिजली की माँग अधिक हो (Region with Large Demand of Electricity):

जिन प्रदेशों में खनिज संपत्ति पाई जाती है अथवा औद्योगिकरण हो वहाँ बिजली की अधिक माँग होती है ।

विश्व में पन-बिजली का विकास समान रूप से नहीं हो सका जिसके बहुत-से कारण हैं । उदाहरण के लिए स्विट्‌जरलैंड, नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड, रूस, यू॰ के॰, चीन, भारत, ब्राजील, कांगो-रिपब्लिक, मिस्र, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, न्यूजीलैंड आदि में पन-बिजली परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है ।

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