Read this article in Hindi to learn about the eight types of alloy steel.

स्टील में इच्छानुसार गुण लाने के लिए कार्बन के अतिरिक्त कुछ दूसरे मिश्रण तत्व भी मिलाये जाते हैं । इनके मिलाने से कई प्रकार की एलॉय स्टील बनती है जिनका उपयोग कार्य के अनुसार किया जाता है ।

प्राय: निम्नलिखित प्रकार की एलॉय स्टील पाई जाती हैं:

1. निकल स्टील (Nickel Steel):

स्टील और निकल के मिश्रण से निकल स्टील बनती है । इसमें निकल ही मुख्य मिश्रण तत्व होता है । निकल मिलाने से स्टील की हार्डनैस और स्ट्रेंथ बढ़ जाती है । 5% वाली निकल स्टील में हार्डनैस और इलास्टिाईसिटी होती है ।

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स्टील में यदि निकल 27% से अधिक मिला दी जाए तो वह नॉन-मैगनेटिक हो जाती है । 36% निकल वाली स्टील को इनवर स्टील कहते हैं । निकल स्टील में कार्बन की मात्रा 0.2% से 0.7% तक होती है । निकल स्टील का अधिकतर प्रयोग सूक्ष्ममापी यंत्र बनाने के लिए किया जाता है ।

2. क्रोमियम स्टील (Chromium Steel):

क्रोमियम मिलाने से स्टील की हार्डनैस बढ़ जाती है । इससे स्टील की स्ट्रेंग्थ और टफनैस भी बढ़ती है । जिस स्टील में 6% निकल और 12% क्रोमियम होती है वह नॉन-मैगनेटिक होती है जिसको स्टेनलैस स्टील के नाम से जाना जाता है । 2% कार्बन, 8% क्रोमियम और 3.2% निकल वाली स्टील से प्रायः गियर और टूल बनाये जाते हैं । क्रोमियम स्टील का अधिकतर प्रयोग स्टेनलैस स्टील और साइंटिफिक इंस्ट्रूमैंट्‌स बनाने के लिए किया जाता है ।

3. वेनेडियम स्टील (Vanadium Steel):

यदि कार्बन स्टील में वेनेडियम मिला दिया जाये तो उसकी टफनैस बढ़ जाती है । वेनेडियम प्रायः हाई स्पीड स्टील में मिलाया जाता है जिससे उसके कटिंग ऐज अधिक समय तक टिकाऊ बने रहते हैं । वेनेडियम स्टील का प्रयोग मेनर बनाने के लिए भी किया जाता है ।

4. कोबाल्ट स्टील (Cobalt Steel):

कोबाल्ट प्रायः हाई स्पीड कटिंग स्टील में मिश्रित किया जाता है जिससे उनके कटिंग ऐज अधिक समय तक टिकाऊ बने रह सकते हैं । यदि हाई कार्बन स्टील में ३२५ से अधिक कोबाल्ट मिला दी जाए तो वह स्थाई चुम्बक बन जाती है और उसमें ऐअर हार्डनिंग का गुण आ जाता है ।

5. टंगस्टन स्टील (Tungsten Steel):

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कार्बन स्टील में यदि टंगस्टन मिला दिया जाए तो उसमें हार्डनैस बढ़ जाती है । टंगस्टन की अधिक मात्रा उन कटरों या औजारों में रखी जाती है जिनको हाई स्पीड पर चलाना होता है । टंगस्टन प्रायः स्टील में 20% तक मिलाया जाता है । इसका अधिकतर प्रयोग हाई स्पीड स्टील कटिंग टूल बनाने के लिए किया जाता है ।

6. स्प्रिंग स्टील (Spring Steel):

इसमें 0.3% से 0.4% वाली कार्बन स्टील में 8% क्रोमियम, 7% मैंगनीज और 2% सिलिकन मिलाया जाता है । इसका अधिकतर प्रयोग विभिन्न साइजों और डिजाइनों के स्प्रिंग बनाने के लिए किया जाता है ।

7. मैंगनीज स्टील (Manganese Steel):

यदि स्टील में मैंगनीज मिला दी जाए तो उसकी हार्डनैस बहुत बढ़ जाती है । इस स्टील के अधिकतर बड़े साइज के कटिंग टूल्स बनाये जाते हैं । यदि स्टील में 15% मैंगनीज मिला दी जाती है तो वह इतनी हार्ड हो जाती है कि उस पर मशीनिंग की कार्यक्रियायें नहीं की जा सकती ह ।

8. हाई स्पीड स्टील (High Speed Steel):

कार्बन स्टील के टूल्स या कटरों को यदि अधिक स्पीड पर चलाया जाये तो उनके कटिंग ऐज जल्दी घिस जाते हैं । इससे उन्हें बार-बार ग्राइडिंग करने की आवश्यकता होती है और कटिंग ऐज का टेम्पर जल्दी उतर जाता है और वे कार्य करने के योग्य नहीं रहते हैं । इस कमी को दूर करने के लिये हाई स्पीड स्टील को बनाया गया है जिसमें कार्बन के अतिरिक्त कुछ अन्य मिश्रण तत्व भी मिलाये जाते हैं । जैसे टंगस्टन, क्रोमियम और वेनेडियम आदि ।

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हाई स्पीड स्टील में लगभग 0.7% कार्बन, 18% टंगस्टन, 4% क्रोमियम और 1% वेनेडियम मिलाया जाता है । इस कम्पोजीशन वाली हाई स्पीड स्टील प्रायः लेथ, शेपर और जेनर आदि के टूल्स, ड्रिल्स और कटर्स आदि बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है । कभी-कभी इसमें 4% तक कोबाल्ट भी मिलाया जाता है जिससे इसकी हाई स्पीड क्वालिटी में सुधार हो जाता है ।

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