Read this article in Hindi to learn about the considerations to be kept in mind for locating and supporting jigs and fixtures.

जिग्स और फिक्स्चर्स से लोकेटिंग और स्पोर्टिग के लिए निम्नलिखित को ध्यान में रखना चाहिए:

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1. रिफरेंसिंग:

जिग्स और फिक्स्चर्स का प्रयोग करते समय मशीनिंग कार्यक्रिया की परिशुद्धता बनाए रखने के लिए कार्य को टूल से संबंधित सही पोजीशन में बनाए रखने को रिफरेंसिंग कहते हैं ।

2. लोकेटर्स की पोजीशनिंग करना:

जहां तक संभव हो सके लोकेटर्स को सदैव कार्य की मशीन की हुई सरफेस के साथ संपर्क में रखना चाहिए । जहां पर चिप्स वगैरा के कारण लोकेशन में कठिनाई उत्पन्न होती हो तो वहां पर लोकेटर्स की रिलीविंग कर देनी चाहिए ।

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3. टॉलरेंस:

एक साधारण नियमानुसार जिग पर टॉलरेंस पाई? की टॉलरेंस का 20% से 50% के बीच रखनी चाहिए । जैसे किसी पाई पर होल की लोकेशन की टॉलरेंस ±0.05 मि.मी. हो तो जिग पर होल की लोकेशन की टॉलरेंस 0.01 मि.मी. से 0.025 मि.मी. के बीच अवश्य होनी चाहिए ।

लोकेटर्स का डिजाइन ऐसा होना चाहिए कि उसे पाई की लिमिट्‌स के अंतर्गत किसी भी साइज पर फिट किया जा सकता हो । मान लिया पाई का साइज 20 ± 0.1 मि.मी. है तो पार्ट के साइज 19.90 मि.मी. व 20.10 जिग पर लगे लोकेटर्स से आसानी से फिट हो जाने चाहिए ।

4. फूलप्रूफिंग:

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फूलप्रूफिंग करने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि जॉब जिग में बिलकुल सही पोजीशन में सेट हो जाएगा । इसके लिए प्रायः एक फूलप्रूफिंग पिन का प्रयोग किया जाता है । फ्लैंज के एक होल में फूलप्रूफिंग पिन का प्रयोग करके निश्चित स्थान पर सुराख किया जा सकता है । में टेपर सरफेस के साथ फूलप्रूफिंग पिन का प्रयोग करके जॉब पर आवश्यकतानुसार आपरेशन किया जा सकता हैं ।

5. डुप्लिकेट लोकेशन:

जिग्स और फिक्स्चर्स में जॉब की लोकेशन के लिए डुप्लिकेट लोकेशन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे लागत अधिक आती है तथा लोकेशन की परिशुद्धता भी प्रभावित होती है । जैसे किसी फ्लैंज में फ्लैंज की अण्डरसाइड व हब की बाटम साइड दोनों परस्पर समानान्तर रिफरेंस सरफेसें होती हैं जिसके लिए केवल एक ही सरफेस से लोकेशन करनी चाहिए ।

कार्य की लोकेशन:

कार्य की लोकेशन करते समय विभिन्न प्रकार के लोकेर्ट्स व उनके उपयोगों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ।

लोकेशन प्रायः निम्नलिखित विधियां द्वारा की जा सकती है:

(1) फ्लैट सरफेस से लोकेशन करना:

फ्लैट सरफेस से लोकेशन प्रायः निम्नलिखित तीन विधियों द्वारा की जा सकती है:

(क) सॉलिड स्पोर्ट्स द्वारा:

इस प्रकार के स्पोर्ट्स जिग या फिक्स्चर के बेस में मशीनिंग करके या अलग से फिक्स करके प्रयोग में लाए जाते हैं । इन्हें प्रायः तब प्रयोग में लाते हैं जब मशीन की हुई सरफेस लोकेटिंग प्वाइंट की तरह कार्य करती है ।

(ख) एडजस्टेबल स्पोर्ट्स द्वारा:

इन स्पोर्ट्स का प्रयोग प्रायः तब किया जाता है जब जॉब की सरफेस रफ हो अर्थात् जॉब कास्ट ऑयरन वगैरा का बना हो । ये प्रायः कई प्रकार के पाए जाते हैं जैसे थ्रेड टाइप, स्प्रिंग टाइप, पुश टाइप इत्यादि ।

(2) आंतरिक व्यास से लोकेशन करना:

आंतरिक व्यास से लोकेटिंग करने के लिए प्रायः निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं:

(क) शैंक टाइप लोकेटर्स द्वारा:

ये इनटर्नल लोकेटर्स होते हैं जिन को डवल पिन व स्क्रू द्वारा, प्रैस फिट द्वारा तथा थेड द्वारा फिट किया जाता है । परिशुद्धता के लिए थ्रेड की अपेक्षा प्रैस फिट को वरीयता दी जाती है । इन लोकटर्स का प्रयोग प्रायः बड़े व्यास की लोकेशन के लिए करते हैं ।

(ख) पिन टाइप लोकेटर्स द्वारा:

ये इनटर्नल लोकेटर्स है जिनका प्रयोग प्रायः छोटे साइज के सुराखों की लोकेशन के लिए किया जाता है । पिन का प्रयोग अलाइनमेंट तथा लोकेटिंग के लिए किया जाता है । ये इनटर्नल लोकेटर्स है जिनका प्रयोग प्रायः छोटे साइज के सुराखों की लोकेशन के लिए किया जाता है ।

पिन का प्रयोग अलाइनमेंट तथा लोकेटिंग के लिए किया जाता है । लोकेटिंग तथा अलाइनमेंट में प्रयोग होने वाली पिनों में मुख्य अंतर बियरिंग सरफेस का होता है । अलाइनमेंट पिनों का स्पर्श का क्षेत्रफल अपेक्षाकृत अधिक होता है । पिनें कई आकार की पायी जाती हैं जैसे गोल, प्लेन, कोनिकल, बुलेट, डॉवल आदि ।

(3) बाहरी प्रोफाइल से लोकेशन करना:

बाहरी प्रोफाइल लोकेटिंग के लिए प्रायः निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लायी जाती हैं:

(क) नेस्ट लोकेटर्स द्वारा:

बाहरी प्रोफाइल की लोकेशन के लिए यह एक परिशुद्ध लोकेटिंग डिवाइज है जिसमें पार्ट के आकार की एक नेस्ट बनी होती है जिससे पार्ट को सही पोजीशन में लोकेशन मिल जाती है सिलण्ड्रिकल प्रोफाइलों के लिए प्राय: रिंग नेस्ट का प्रयोग किया जाता है । इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रोफाइल के लिए फुल नेस्ट और पार्शियल नेस्ट का भी प्रयोग किया जाता है ।

(ख) ‘वी’ लोकेटर्स द्वारा:

‘वी’ लोकेटर्स का प्रयोग प्रायः गोल आकार के जॉबों के लिए करते हैं । इसके अतिरिक्त इनका प्रयोग राउंड या ऐंगुलर ऐण्ड वाले फ्लैट जॉबों व फ्लैट डिस्क आदि की लोकेशन के लिए भी करते हैं । इनका प्रयोग करने से जॉब सेंटर में स्वयं बना रहता है ।

(ग) फिक्स्ड स्टॉप लोकेटर्स द्वारा:

इस प्रकार के लोकेटर्स या तो बॉडी के साथ मशीनिंग करके बनाए जाते हैं या इन्हें बॉडी पर अलग से स्थापित करते हैं । इन लोकेटर्स का प्रयोग प्रायः उन पार्ट्स पर करते हैं जिन्हें न तो नेस्ट और न ही ‘वी’ लोकेटर्स में लगाया जा सके ।

(घ) एडजस्टेबल स्टॉप लोकेटर्स द्वारा:

इस प्रकार के लोकेटर्स को समायोजित किया जा सकता है जिनका प्रयोग प्राय: वहां पर किया जाता है जहां पर घिसावट या मिसअलाइनमेंट के कारण एडजस्टमेंट की आवश्यकता हो । इन लोकेटर्स का प्रयोग करने से पाई को बिलकुल सही पोजीशन में लोकेशन मिल जाती है तथा उसे कलेम्प भी किया जा सकता है

(ङ) साइट लोकेटर्स द्वारा:

इन लोकेटर्स का प्रयोग प्रायः तब करते हैं जब रफ पाई पर मशीनिंग करनी होती है । इसमें पार्ट की लोकेशन के लिए दो विधियां प्रयोग की जाती हैं- पहली विधि में साइट लाइनों तथा दूसरी विधि में साइट स्लॉट को देख कर पाई को अलाइनमेंट में करके क्लेम्प किया जाता ।

इजेक्टर्स:

जब पाई को फुल नेस्ट या रिंग नेस्ट में लोकेट किया जाता है तो कार्यक्रिया के बाद पाई को बाहर निकालने की आवश्यकता होती है । इस प्रकार पाई को नेस्ट से बाहर निकालने के लिए इजेक्टर्स का प्रयोग किया जाता है ।

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