भारतीय जनजातियों की सूची | List of Indian Tribes in Hindi

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जनजातियाँ (Tribes of Uttar Pradesh and Uttarakhand):

यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ भोटिया, थारू, बुक्सा, जौनसारी, राजी, शौका, खरवार और माहीगीर हैं । उत्तराखंड के नैनीताल में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है । उसके बाद देहरादून का स्थान आता है ।

1. थारू (Tharu):

ये नैनीताल से लेकर गोरखपुर एवं तराई क्षेत्र में रहती है तथा किरात वश की है । इनमें ‘संयुक्त परिवार’ प्रथा है । कई परिवार ऐसे भी हैं, जिनमें सदस्यों की संख्या पाँच सौ तक है ।

2. बुक्सा (Buksa):

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उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी, गढ़वाल, देहरादून जिलों में ये पाए जाते हैं । इनका सम्बंध पतवार राजपूत घराने से माना जाता है । ये हिंदी भाषा बोलते हैं । हिन्दुओं की तरह इनमें भी ‘अनुलोम’ व ‘प्रतिलोम’ विवाह प्रचलित है ।

3. राजी अथवा बनरौत (Raji Tribe):

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद में पाई जाने वाली कोल-किरात जातियाँ हैं । ये हिन्दू हैं तथा ‘सूमिंग प्रथा’ से कृषि करते हैं ।

4. खरवार (Kharwar):

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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में निवास करने वाली यह खूंखार व बलिष्ठ जनजाति है ।

5. जौनसारी (Jaunsari):

ये उत्तराखंड के देहरादून, टेहरी-गढ़वाल, उत्तरकाशी क्षेत्र में मिलते हैं । ये भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से सम्बंधित हैं । इनमें ‘बहुपति विवाह प्रथा’ पाई जाती है ।

6. भोटिया (Bhotia):

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उत्तराखंड के अल्मोढ़ा, चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी क्षेत्रों में पाई जाने वाली ये जनजाति मंगोल प्रजाति की है तथा ‘ऋतु-प्रवास’ करती है ।

मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ (Tribes of Madhya Pradesh and Chhattisgarh):

गोंड, मुंडा, कोरकू, कोरबा, कोल, सहरिया, हल्वा, मारिया, बिरहोर, भूमियाँ, ओराँव, मीना आदि यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ हैं । छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला कुल जनजाति जनसंख्या की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । झाबुआ जिला जनजातीय जनसंख्या प्रतिशत के अनुसार सर्वोपरि है ।

1. गोंड:

भारत की जनजातियों में गोंड जनजाति सबसे बड़ी है । ये प्राक्-द्रविड़ प्रजाति की है । इनकी त्वचा का रंग काला, बाल काले, होंठ मोटे, नाक बड़ी व फैली हुई होती है । ये मुख्यतः छत्तीसगढ़ के बस्तर, चांदा, दुर्ग जिलों में मिलती हैं । आंध्र प्रदेश व ओडिशा में भी इनकी कुछ जनसंख्या है ।

2. मारिया:

मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के छिंदवाड़ा, जबलपुर और बिलासपुर जिलों में रहने वाली इस जनजाति की शरीर रचना गांड जनजाति के समान है ।

3. कोल:

मध्य प्रदेश के रीवा सम्भाग और जबलपुर जिले में निवास करने वाली इस जनजाति का मुख्य पेशा ‘कृषि’ है ।

4. कोरबा:

छतीसगढ़ के बिलासपुर, सरगुजा और रायगढ़ जिले में निवास करने वाली जनजाति है । झारखंड राज्य के पलामू जिले में भी ये मिलती हैं । ये मुख्यतः जंगली कंद-मूल एवं शिकार पर निर्भर हैं । कुछ कोरबा कृषक भी हैं । कोरबा जनजाति का मुख्य त्योहार ‘करमा’ है । इनमें सर्प पूजा की प्रथा भी प्रचलित है ।

5. सहरिया:

मध्य प्रदेश के गुना, शिवपुरी व मुरैना जिलों में निवास करने वाली ये जनजातियाँ कदंमूल व शहद संग्रह कर जीविका निर्वाह करती हैं ।

6. हल्वा:

छत्तीसगढ़ के रायपुर व बस्तर जिलों में निवास करने वाली जनजाति । इनकी बोली में मराठी भाषा के शब्दों का अधिक प्रयोग होता है । ये लोग कृषक हैं ।

7. कोरकू:

यह भी मुंडा या कोलेरियन जनजाति की शाखा है तथा मध्य प्रदेश के निमाड़, होशंगाबाद, बैतूल, छिंदवाड़ा जिलों में निवास करती है । ये कृषक हैं ।

राजस्थान की जनजातियाँ (Tribes of Rajasthan):

राजस्थान के दक्षिण-पूर्व व दक्षिणी क्षेत्र में यहाँ की अधिकांश जनजातीय आबादी निवास करती है । यहाँ की जनजातियों में भील, मीणा, सहरिया, गरासिया, दमोर, सांसी आदि प्रमुख हैं ।

1. मीणा:

राजस्थान में इस जनजाति की सर्वाधिक संख्या पाई जाती है । ये मुख्यतः जयपुर, सवाई माधोपुर, उदयपुर, अलवर, छितौड़गढ़, कोटा, बूंदी व डुंगरपुर जिलों में रहते हैं । पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इस जनजाति का सम्बंध भगवान मत्स्यावतार से है । मीणा जनजाति शिव व शक्ति के उपासक हैं ।

2. भील:

ये राजस्थान की द्वितीय प्रमुख जनजाति है तथा बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, सिरोही, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिलों में निवास करती हैं । भील का अर्थ है ‘धनुषधारी’ । ये स्वयं को महादेव की संतान मानती हैं ।

भील जनजाति प्रोटो-आस्ट्रेलायड प्रजाति की हैं । इनका कद छोटा व मध्यम, आँखें लाल, बाल रूखे व जबड़ा कुछ बाहर निकला हुआ होता है । भीलों में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है । ये सामान्यतः ‘कृषक’ हैं ।

3. गरासिया:

मीणा व भील के बाद राजस्थान की तीसरी प्रमुख जनजाति है । ये मुख्यतः दक्षिणी राजस्थान में रहते हैं । ये चौहान राजपूतों के वंशज हैं परंतु अब भीलों के समान आदिम प्रकार का जीवन व्यतीत करने लगे हैं । इनमें ‘मोर बंधिया’, ‘पहरावना’ व ‘ताणना’ तीन प्रकार के विवाह प्रचलित हैं ।

4. साँसी:

यह राजस्थान के भरतपुर जिले में रहने वाली खानाबदोश जनजाति है । यह जनजाति स्वयं को बाल्मिकियों से भी नीचा मानती है ।

झारखंड की जनजातियाँ (Tribes of Jharkhand):

राँची, संथाल परगना व सिंहभूम जिलों में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है । देवघर, गिरिडीह, पलामू, गोड्‌डा, हजारीबाग, धनबाद आदि भी जनजातीय आबादी की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है । झारखंड की जनजातियों में संथाल सबसे प्रमुख है । उराँव, मुंडा, हो, भूमिज, खड़िया, सौरिया, पहाड़ियाँ, बिरहोर, कोरबा, खोंड, खरवार, असुर, बैगा आदि अन्य प्रमुख जनजातियाँ हैं ।

1. संथाल:

यह भारत की एक प्रमुख जनजाति व झारखंड की सर्वप्रमुख जनजाति है । यह बंगाल, ओडिशा व असम राज्यों में भी पाई जाती है । ये झारखंड में मुख्यतः संथाल परगना, राँची, सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद आदि जिलों में रहते हैं । संथाल आस्ट्रेलॉयड और द्रविड़ प्रजाति के होते हैं । ये ‘मुंडा’ भाषा बोलते हैं व प्रकृतिपूजक हैं । इनका मुख्य व्यवसाय आखेट, कंदमूल संग्रह व कृषि है । ‘ब्राह्मण, सोहरई व सकरात’ इनके मुख्य पर्व है ।

2. कोरबा:

ये झारखंड के पलामू जिले में पाई जाती हैं । मध्य प्रदेश में भी ये निवास कर रहे हैं । यह जनजाति कोलेरियन जनजाति से सम्बंध रखती है ।

3. उराँव:

यह भी झारखंड की प्रमुख जनजातियों में है । इनका सम्बंध प्रोटो-आस्ट्रेलायड प्रजाति से है । ये ‘कुरूख’ भाषा बोलते हैं, जो मुंडा भाषा से मिलती-जुलती है । ये मुख्यतः संथाल परगना व रोहतास जिलों में रहते हैं । शिकार, मछली मारना व कृषि इनका व्यवसाय है ।

4. असुर:

ये मुख्यतः सिंहभूम जिले में रहते हैं । ये भी प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड प्रजाति से सम्बंधित हैं । ये मुंडा वर्ग की ‘मालेटा’ भाषा बोलते हैं । लोहा गलाना, शिकार, मछली मारना, खाद्य संग्रह व कृषि इनका मुख्य व्यवसाय है ।

5. सौरिया पहाड़िया:

संथाल परगना, गोड्डा, राजमहल आदि जिलों में निवास करने वाली ये कृषक जनजाति हैं ।

6. पहाड़ी खड़िया:

सिंहभूम जिले की पहाड़ियों में निवास करने वाली यह जनजाति खाद्य संग्रह, बागवानी व कृषि पर निर्भर है ।

7. खरवार:

यह लड़ाकू व वीर जनजाति है तथा झारखंड के पलामू व हजारीबाग जिले में मिलती है ।

8. मुंडा:

यह भी झारखंड की प्रमुख जातियों में से है । इनकी अनेक उपजातियाँ हैं ।

भारत की अन्य जनजातियाँ (Other Tribes of India):

1. नागा:

ये नागालैंड, मणिपुर व अरूणाचल प्रदेश की जनजाति है तथा इंडो-मंगोलायड प्रजाति से सम्बंध रखती है । ये अधिकांशतः नग्नावस्था में घूमते हैं । कृषि, पशुपालन व मुर्गीपालन इनका मुख्य व्यवसाय है । ये ‘झूमिंग कृषि’ करते हैं ।

2. टोडा:

ये तमिलनाडु की नीलगिरि व उटकमंडक पहाड़ियों में निवास करने वाली जनजाति है । इनका सम्बंध ‘भूमध्यसागरीय प्रजाति’ से है । ये हृष्ट-पुष्ट, सुंदर व गोरी होती है । इनका मुख्य व्यवसाय पशुचारण है । टोडा जनजाति में ‘बहुपति विवाह प्रथा’ प्रचलित है ।

3. शोम्पेन, सेंटीनली, ओंगे व जारवा जनजाति:

ये अंडमान निकोबार की विलुप्त होती जा रही जनजातियाँ हैं । ये नीग्रिटो प्रजाति से सम्बंधित हैं ।

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