दसवीं शताब्दी के भारतीय राज्य | List of Indian Ancient States during the 10th Century in Hindi.

1. मुल्तान तथा सिन्ध (Multan and Sindh):

इन दोनों ही प्रदेशों में अरबों ने अपने राज्य स्थापित कर लिये थे । आठवीं शती के प्रारम्भ में मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में जो अरब-आक्रमण हुआ उसी के परिणामस्वरूप ये दोनों राज्य अरब-सत्ता के अधीन आये । नवीं शताब्दी के अन्त में मुल्तान शासक फतेह दाऊद था । सिन्ध में अब भी अरब लोग शासन कर रहे थे । ये लोग स्थानीय जनता को इस्लाम मत में परिवर्तित करने का कार्य निरन्तर करते जा रहे थे ।

2. काबुल तथा पंजाब का शाही राज्य (Royal Kingdom of Kabul and Punjab):

उत्तरी-पश्चिमी भाग में यह भारत का पहला महत्वपूर्ण हिन्दू राज्य था जो चिनाब से लेकर हिन्दूकुश तक फैला हुआ था । शाहीवंश ने दो सदियों तक सफलतापूर्वक अरबों का प्रतिरोध किया था । शाहीवंश का अन्तिम शासक लघुतुरमान हुआ जिसके समय में उसके ब्राह्मण सचिव कल्लर ने राजसत्ता पर अधिकार कर लिया ।

मुस्लिम आक्रमण के पूर्व यहाँ जयपाल शासन कर रहा था । वह एक वीर योद्धा तथा कुशल शासक था । उसकी राजधानी उदभाण्डपुर (सिन्ध के दक्षिण किनारे पर स्थित) में थी । यह राज्य मुस्लिम आक्रमण का प्रथम शिकार हुआ ।

3. कश्मीर का राज्य (State of Kashmir):

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नवीं तथा दसवीं शताब्दी में कश्मीर में उत्पल राजवंश का शासन था । इस वंश के शक्तिशाली नरेश शंकरवर्मा ने अपने साम्राज्य को दूर-दूर तक विस्तृत किया । उसकी मृत्यु के बाद कश्मीर घाटी में घोर अव्यवस्था फैल गयी जिसका लाभ उठाकर 939 ईस्वी में यशस्कर ने ब्राह्मणों की सहायता से राजगद्दी प्राप्त की । उसका शासन-काल शान्ति एवं समृद्धि के लिये प्रसिद्ध है ।

उसके बाद पर्वगुप्त तथा फिर क्षेमगुप्त राजा हुआ । अन्तिम शासक के काल में (980 ईस्वी) उसकी पत्नी दिद्दा वास्तविक शासिका थी । अन्ततोगत्वा उसने राजगद्दी हथिया ली तथा 1003 ईस्वी तक शासन किया । दिद्दा की मृत्यु के बाद उसके भतीजे संग्रामराज ने कश्मीर में लोहारवंश की स्थापना की । इस प्रकार मुस्लिम आक्रमण के समय कश्मीर का राज्य अव्यवस्था एवं अराजकता के दौर से गुजर रहा धा ।

4. कन्नौज का प्रतिहार-राज्य (Kannauj’s Pratihar State):

नवीं शताब्दी (836 ईस्वी के लगभग) में कन्नौज में प्रतिहार राजवंश की स्थापना हुई । इस वंश के शक्तिशाली शासक वत्सराज तथा उसका पुत्र नागभट्ट द्वितीय थे । इस वंश का दक्षिण के राष्ट्रकूट तथा बंगाल के पाल राजवशों के साथ दीर्घकालीन संघर्ष चलता रहा । कालान्तर में प्रतिहारों की शक्ति क्षीण हो गयी । इस वंश के अन्तिम शासक राज्यपाल के समय में (1018 ईस्वी) महमूद गजनवी ने कन्नौज के ऊपर आक्रमण किया था ।

5. मालवा का परमार राजवंश (Parmar Dynasty of Malwa):

दसवीं शताब्दी (972 ईस्वी) के अंतिम चरण में सीयक नामक व्यक्ति ने मालवा में स्वतन्त्र परमारवंश की स्थापना की थी । पहले इस वंश के शासक राष्ट्रकूटों की अधीनता स्वीकार करते थे । इस वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा मुन्जा (937-995 ईस्वी) हुआ । वह महान् विजेता तथा साम्राज्य-निर्माता था । उसके बाद सिन्धुराज तथा फिर भोज शासक हुए । भोज ने 1060 ईस्वी तक शासन किया । वह महमूद गजनवी का समकालीन था ।

6. बुन्देलखण्ड का चन्देलवंश (Chandelvan of Bundelkhand):

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बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में स्वतन्त्र चन्देल राजवंश की स्थापना करने वाला शासक हर्ष (900-925 ईस्वी) था । उसके पूर्वज गुर्जर-प्रतिहारों की अधीनता स्वीकार करते थे । दसवीं शताब्दी में बुन्देलखण्ड एक अत्यन्त शक्तिशाली राज्य बन गया । धन्ग, गण्ड तथा विद्याधर चन्देलवंश के प्रमुख शासक थे ।

विद्याधर (1019-1029 ईस्वी) के समय में महमूद गजनवी ने चन्देल राज्य पर आक्रमण किया था । विद्याधर ने बड़ी वीरता तथा कुशलता के साथ उसका सामना किया तथा महमूद को विवश होकर उससे सन्धि करनी पड़ी थी । विद्याधर अकेला ऐसा हिन्दू शासक था जिसने मुसलमानों का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया । मुस्लिम लेखकों ने उसे तत्कालीन भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया है ।

7. त्रिपुरी का कलचुरि-चेदिवशं (Kalchuri-Chedi Dynasty of Tripuri):

चन्देल राज्य के दक्षिण में यह राज्य स्थित था जिसकी राजधानी त्रिपुरी (जबलपुर, म. प्र.) में थीं । इस वंश की स्थापना कोक्कल नामक एक महान सेनानायक ने की थी । उसने प्रतिहारों तथा राष्ट्रकूटों को पराजित किया था ।

कोक्कल ने दक्षिण-पूर्व की ओर अरबों के प्रसार को भी रोके रखा । उसके उत्तराधिकारियों ने तेरहवीं शती के अन्त तक महाकोशल क्षेत्र में शासन किया । मुस्लिम आक्रमण के समय यह मध्य भारत का एक शक्तिशाली राज्य था ।

8. शाकम्भरी का चौहानवंश (Chauhanwani of Shakambar):

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चौहान राज्य अजमेर के उत्तर में स्थित था जिसकी राजधानी साम्भर (शाकम्भरी) थी । दसवीं शती के मध्य इस वंश के सिंहराज ने प्रतिहारों के विरुद्ध अपनी स्वतन्त्रता घोषित कर दी । उसके उत्तराधिकारी विग्रहराज द्वितीय ने गुजरात के चालुक्यों की विजय की तथा अपने राज्य का विस्तार नर्मदा तक किया । दसवीं शती के अन्त में यह एक शक्तिशाली राज्य था ।

9. गुजरात का चालुक्य राजवंश (Chalukya Dynasty of Gujarat):

इस वंश का संस्थापक मूलराज प्रथम (974-995 ईस्वी) था । उसने गुजरात तथा सुराष्ट्र की विजय की । उसका उत्तराधिकारी चामुण्डराज (995-1022 ईस्वी) था जिसने धारा के परमार नरेश सिन्धुराज को पराजित किया था । वह महमूद का समकालीन था । चालुक्य राजाओं के समय में ही महमूद गजनवी ने सोमनाथ के प्रसिद्ध मन्दिर को लूटा था ।

10. बंगाल का पाल-राज्य (Sultanate of Bengal):

आठवीं शती के द्वितीयार्द्ध में बंड्गाल के पालों ने एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की थी । इस वंश के प्रसिद्ध शासक धर्मपाल तथा देवपाल हुए । उनका प्रतिहारों तथा राष्ट्रकूटों के साथ दीर्घकालीन संघर्ष चलता रहा । ग्यारहवीं शती के प्रथम चरण में बंगाल का पालवंशी शासक महीपाल प्रथम था । इसी समय महमूद पश्चिमी भारत के राज्यों को जीतने में संलग्न था ।

उपर्युक्त प्रमुख राज्यों के अतिरिक्त मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तरी भारत में अन्य अनेक छोटे-छोटे राज्य थे । विन्ध्यपर्वत के दक्षिण का भाग भी अनेक राज्यों में विभाजित था जिनमें कल्याणी के चालुक्य तथा तंजौर के चोल शक्तिशाली थे ।

जिस समय चोल तथा चालुक्य दक्षिण में परस्पर संघर्षरत थे, उसी समय उत्तरी भारत के राज्य महमूद गजनवी के आक्रमणों का शिकार हो रहे थे । विभाजन तथा पारस्परिक संघर्ष की इस स्थिति ने तुर्क आक्रमणकारियों का कार्य सुगम कर दिया ।

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