भारत में मेट्रो परियोजनाएं | Metro Projects in India in Hindi.

तेजी से बढ़ती जनसंख्या, अत्यधिक भीड़-भाड़, वाहनों की बढ़ती सघनता, सड़क दुर्घटना में वृद्धि, ईंधन की खराबी एवं पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने की दृष्टि से निजी वाहनों को हतोत्साहित करने तथा सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए भारत में विभिन्न मेट्रो प्रोजेक्ट प्रारंभ किए गए हैं ।

वर्तमान समय में कोलकाता व दिल्ली में परिवहन का यह प्रभावी साधन बन गया है । मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरु व जयपुर में भी मेट्रो प्रोजेक्ट की दिशा में कार्य किया जा रहा है ।

कोलकाता मेट्रो रेल सेवा (Kolkata Metro Rail Service):

ADVERTISEMENTS:

1972 ई. में बनी यह योजना 1975 ई. से अमल में आई । दमदम से टॉलीगंज के लिए शुरू की गई । इस भूमिगत रेलमार्ग की वर्तमान लंबाई 25 किमी. है । इसमें 23 स्टेशन है । यह कोलकाता के भीड़-भाड़ वाले इलाकों को जोड़ती है । हावड़ा से कोलकाता को जोड़ने वाले ‘अंडरवाटर मेट्रो लाइन’ का निर्माण भी किया जा रहा है ।

भारत के सर्वाधिक पुराने इस नगरीय मेट्रो को भारतीय रेलवे का 17वाँ जोन बनाया गया है । भूमि बेचने के इच्छुक भूमि स्वामियों से भूमि खरीद कर सिंगूर (पश्चिम बंगाल) अथवा निकटवर्ती स्थान पोल्बा में एक मेट्रो सवारी डिब्बा कारखाने की स्थापना का भी प्रस्ताव है ।

दिल्ली मेट्रो रेलवे (Delhi Metro Rail Service):

यह परियोजना जापान व कोरिया की कंपनियों के सहयोग से बनाई गई है । इसके अंतर्गत सबसे पहली रेल सेवा 25 दिसम्बर, 2002 को तीस हजारी से शाहदरा के बीच चलाई गई । उसके बाद से दिल्ली मेट्रो का अत्यधिक विस्तार हुआ है । अब यह नोएडा, गाजियाबाद व गुड़गाँव तक भी पहुंच गया है । वर्तमान समय में दिल्ली मेट्रो रेलवे में कुल 142 स्टेशन हैं तथा कुल परिवहन दूरी 189.6 किमी. की है ।

ADVERTISEMENTS:

आधुनिकता की दृष्टि से यह न्यूयार्क मेट्रो के पश्चात् विश्व की दूसरी मेट्रो रेल है । इस रेलगाड़ी में कई नवीनतम विशेषताएँ है । यह पूर्णतः स्वाचालित है, माइक्रोप्रोसेसर ब्रेक, हल्के वजन के इस्पात निर्मित वातानुकूलित डिब्बे, ऊर्जा की दृष्टि से अति दक्ष होना आदि इसकी अन्य विशेषताएँ हैं । इसकी क्षमता 80 किमी. प्रति घंटा है ।

दिल्ली मेट्रो विश्व का पहला ऐसा रेलवे नेटवर्क है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के लिए सितम्बर, 2011 में ‘कार्बन क्रेडिट’ प्रदान किया है । संयुक्त राष्ट्र के ‘स्वच्छ विकास तंत्र’ (CMD) योजना के अंतर्गत कार्बन क्रेडिट दिया जाता है । न्यूयार्क मेट्रो के पश्चात् दिल्ली मेट्रो ISO-14001 प्रमाणन प्राप्त करने वाली विश्व की दूसरी मेट्रो रेल सेवा है ।

देश की प्रथम स्वनिर्मित मेट्रो ट्रेन ‘मोविया’ का निर्माण गुजरात का बड़ोदरा स्थित बंबार्दियर कारखाने में हुआ है । इसका उपयोग दिल्ली मेट्रो रेल के दूसरे चरण के लिए किया जाएगा । दक्षिण एशिया का पहला नवीनतम मेट्रो संग्रहालय नई दिल्ली में खोला गया है ।

बंगलुरु में मेट्रो रेल सेवा (Metro Rail Service in Bangalore):

ADVERTISEMENTS:

इसकी शुरूआत 20 अक्टूबर, 2011 से शुरू हुई । ‘नम्मा’ मेट्रो रेल से संचालित दक्षिणी भारत के पहली मेट्रो रेल की सेवा के लिए ढाँचागत सुविधाओं का विकास जापान के सहयोग से किया गया है ।

मुंबई मेट्रो रेल (Mumbai Metro Rail):

8 जून, 2014 को मुंबई में वरसोवा-अंधेरी-घाटकोपर के मध्य 11.4 किमी. रेल लाइन पर मेट्रो रेल सेवा का परिचालन प्रारंभ हुआ । मुंबई मेट्रो रेल का संचालन मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA), रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और वेओलिया ट्रांसपोर्ट के सयुक्त उपक्रम ‘मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) के तहत किया जा रहा है ।

यह भारत की पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली मेट्रो परियोजना है, जिसमें निर्माण, संचालन और रख-रखाव अर्थात् तीनों चरणों की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को दी गई है ।

जयपुर एवं चेन्नई मेट्रो का शुभारम्भ (Jaipur and Chennai Metro Launched):

3 जून, 2015 को राजस्थान के मानसरोवर (जयपुर) मेट्रो स्टेशन से जयपुर मेट्रो ट्रेन का शुभारम्भ किया गया वहीं 29 जून, 2015 को चेन्नई मेट्रो के प्रथम चरण के शुभारम्भ के साथ मेट्रो रेल सुविधा प्रदान करने वाला चेन्नई भारत का सातवाँ शहर बन गया । जयपुर एवं चेन्नई मेट्रो रेल प्रणाली कोलकाता, दिल्ली, एनसीआर, बंगलुरु, गुडगांव और मुम्बई के बाद भारत की कक्रमशः छठीं एवं सातवीं संचालित मेट्रो रेल प्रणाली बनी है ।

मुम्बई मोनोरेल (Mumbai Monorail):

1 फरवरी, 2014 को भारत की बहुप्रतीक्षित मुम्बई मोनोरेल का उद्‌घाटन किया गया । मुम्बई मोनोरेल भारतीय महानगर मुम्बई आधारित मोनोरेल है जो नगर में सार्वजनिक परिवहन के विस्तार के लिए बनाया गया है । यह स्वतंत्र भारत की प्रथम मोनोरेल परियोजना है । इसके पूर्व कुण्डाला वैली रेलवे और पटियाला स्टेट मोनोरेल ट्रेनवेज 1920 ई. में बन्द हो गई थी ।

नोएडा से आगरा मोनो रेल (Noida to Agra Monorail):

नोएडा से आगरा की यात्रा सुगम बनाने हेतु दोनों शहरों को जोड़ने के लिए सिडनी (आस्ट्रेलिया) की तर्ज पर मोनो रेल चलाने की तैयारी है । मोनो रेल का ट्रैक यमुना नदी के पूर्वी तट से होकर बिछाया जाएगा, जो 200 किमी. का होगा । 19 नवम्बर, 2014 को लखनऊ में बोर्ड की बैठक के बाद हाई पॉवर कमेटी की बैठक में स्वीकृति दी गई ।

फ्रेट कॉरिडोर परियोजना (Freight Corridor Project):

सितम्बर, 2006 में प्रारंभ की गई भारतीय रेलवे की यह अब तक सबसे बड़ी व महत्वाकांक्षी परियोजना है । इसके तहत देश के चार महानगरों (दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता व चेन्नई) को जोड़ने वाली ऐसी अलग रेल लाइनें बिछाई जाएंगी जिन पर केवल द्रुतगामी मालगाड़ियों का परिचालन किया जाएगा ।

पूर्वी फ्रेट कॉरिडोर पंजाब के लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दनकोनी से जोड़ेगा तथा इसकी कुल लम्बाई लगभग 1,806 किमी. होगी । इससे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के कुछ हिस्सों में कोयले, स्टील, खाद्यान्न, सीमेन्ट, उर्वरक व चूना पत्थर का परिवहन किया जाएगा ।

पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर मुंबई के जवाहर लाल नेहरू बन्दरगाह से प्रारंभ होकर बड़ोदरा, अहमदाबाद, पालनपुर, रेवाड़ी और तुगलकाबाद होते हुए दादरी (उत्तर प्रदेश) तक जाएगी । इसकी कुल लम्बाई 1,483 किमी. होगी । इस परियोजना का कार्यान्वयन एक स्पेशल पर्पज ह्वीकल (SPV) के जरिए होगा ।

पूर्वोत्तर में फास्ट ट्रैक रेल लाइंस (Fast-Track Rail Lines in the Northeast):

11वीं पंचवर्षीय योजना में इटानगर और अगरतला को तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना में आईजॉल, इंफाल और कोहिमा को जोड़े जाने की योजना थी । शिलांग और गंगटोक 13वीं योजना के दौरान रेल संपर्क से जुड़ जाएगा । अभी इस समूचे क्षेत्र में रेल नेटवर्क केवल 2,447 किमी. में है । यह राष्ट्रीय नेटवर्क का केवल 4% है । इस क्षेत्र के कुल रेलवे नेटवर्क का लगभग 97% त्रिपुरा में है ।

ऐसे में पूर्वोत्तर में आर्थिक विकास की संभावनाओं को साकार करने के लिए वहाँ बहुत तेज कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है । आगामी 10 वर्षों में पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क का 6% करने की मांग है । भारत अगरतला-अखौरा (बांग्लादेश) लाइन का निर्माण करने जा रहा है । यह त्रिपुरा को बांग्लादेश के रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगी । इस लाइन में पूर्वोत्तर के परिवहन ढाँचे को बदल देने की संभावना है ।

राष्ट्रीय परियोजना के रूप में बनाई गई इन परियोजनाओं को केन्द्र 75:25 के अनुपात में समर्थन देगा । इसमें 25% योगदान रेलवे के कुल बजट समर्थन से होगा तथा 75% योगदान भारत सरकार की ओर से दिया जाएगा । इस क्षेत्र में रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एक फंड बनाने का निर्णय हुआ है ।

सबअर्बन रेलवे, मेट्रो रेल एवं अन्य रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को एक प्रणाली के अंतर्गत एक साथ लाकर बड़े नगरों जैसे मुम्बई में इंटीग्रेटेड सब-अर्बन रेलवे नेटवर्क के विकास का प्रस्ताव है, जिससे नागरिकों को तीव्र, कुशल, सस्ती व आरामदेह परिवहन सेवा मुहैया होगी ।

शुरू में इस परिकल्पना को उन नगरों में आरंभ करने की योजना है, जहाँ सब-अर्बन सिस्टम मौजूद है, जैसे- हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता और चेन्नई ।

कटरा-उधमपुर रेल लिंक (Katra-Udhampur Rail Link):

उधमपुर-कटरा नई रेल लाइन की शुरुआत 4 जुला, 2014 को हुई । वैष्णो देवी तीर्थस्थल के आधार शिविर कटरा से यह ट्रेन चलाई गई, जिसका नाम ‘श्री शक्ति एक्सप्रेस’ रखा गया है । यह उत्तर रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसकी लम्बाई 326 किमी. है। यह उधमपुर-कटरा-काजीगुंड-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन परियोजना का हिस्सा है ।

इस रेलवे नेटवर्क के माध्यम से जम्मू से कटरा के बीच रेलवे यातायात सुगम हो जाएगा । यहीं झज्जर नदी पर भारत का सबसे लम्बा इस्पात पुल बनाया गया है । कश्मीर घाटी के अंतर्गत 119 किमी. लम्बी रेल लाईन बिछाई गई है, जिसकी शुरुआत 2009 में हुई थी । यह रेल लाइन कश्मीर घाटी के पश्चिमी हिस्से में स्थित बारामूला घाटी को काजीगुंड से जोड़ती है ।

हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना (High Speed ​​Rail Corridor Project):

देश की महत्वाकांक्षी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना में तेजी लाने के उद्देश्य से सरकार ने एक निगम की स्थापना का निर्णय 29 जुलाई, 2012 को लिया गया । आगामी 8 हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में से मुंबई-अहमदाबाद को प्राथमिकता में ऊपर रखा गया है ।

इसके अलावा 7 अन्य हाई स्पीड कॉरिडोर को सैद्धांतिक स्वीकृति मिली है (7 Other High-Speed Corridor has accepted in Principle):

1. दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर,

2. पुणे-मुंबई-अहमदाबाद

3. हैदराबाद-दोरनकाल-विजयवाड़ा-चेन्नई

4. हावड़ा हल्दिया

5. चेन्नई-बंग्लुरू-कोयंबटूर-तिरूवनंतपुरम्

6. दिल्ली-आगरा-लखनऊ-इलाहाबाद-पटना

7. दिल्ली-जयपुर-अजमेर-जोधपुर शामिल है ।

दिल्ली-अमृतसर व दिल्ली-जोधपुर कॉरिडोर के लिए औपचारिक अध्ययन करा लिया गया हैं ।

कोंकण रेलवे (Konkan Railway):

कोंकण रेलवे मुम्बई के निकट रोहा से मंगलौर (कर्नाटक) के बीच बनाई गई है । यह 760 किमी. लम्बी है तथा इसे बनाने में 3,500 करोड़ रूपये की लागत आई है । इस रेल नेटवर्क का मुख्यालय ‘नवी मुंबई’ में है । कोंकण रेलवे की सर्वाधिक लम्बाई महाराष्ट्र में मिलती है, उसके बाद कर्नाटक व गोआ का स्थान आता है ।

इस रेलमार्ग पर छोटे-बड़े सैकड़ों पुल बनाए गए हैं । ‘होनावर’ के निकट शरावती नदी पर इसका सबसे बड़ा पुल बनाया गया है, जिसकी लम्बाई लगभग 2 किमी. है । रत्नगिरी के निकट ‘पनवल’ नदी पर इसका सबसे ऊँचा पुल निर्मित है । कोंकण रेल मार्ग अनेक सुरंगों से गुजरती है, जिसकी कथल लम्बाई 84 किमी. है । सबसे लम्बी सुरंग (6.5 किमी.) ‘कारबुडे’ के निकट मिलती है ।

कोंकण रेल परियोजना 1990 ई. में प्रारंभ हुई तथा 26 जनवरी, 1998 को संपूर्ण रेलमार्ग पर यातायात आरंभ कर दी गई । इस रेलमार्ग की गति क्षमता 160 किमी. प्रति घंटा निर्धारित की गई है । रेलगाड़ियों की टक्कर को रोकने के लिए इस रेल नेटवर्क में जगह-जगह पर एडवांस्ट कंट्रोल डिवाइस (ACD) लगाए गए हैं ।

यह ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के अनुसार कार्य करता है । इस प्रणाली में यदि दो रेलगाड़ियाँ 3 किमी. के दूरी पर टक्कर वाले रास्ते पर हो तो ऑटोमैटिक ब्रेक से दोनों ट्रेनें रूक जाती हैं । दुनिया में अपनी तरह की यह पहली प्रणाली है । कोंकण रेलवे में इसकी सफलता को देखते हुए अब मिस्र ने भी इसका अनुसरण किया है ।

Home››India››Railways››