भारत के महत्वपूर्ण औद्योगिक राज्य | Important Industrial States of India. Read this article in Hindi to learn about two important industrial states of India. The states are: 1. Chota Nagpur Industrial State 2. Jamshedpur Industrial Package.

1. छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश (Chota Nagpur Industrial State):

यह भारत के ‘रूर प्रदेश’ में स्थित है, जहाँ विभिन्न खनिज संसाधनों के विशाल भंडार हैं । लोहा, कोयला, मैंगनीज, तांबा, बॉक्साइट, यूरेनियम आदि खनिज यहाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, जो यहाँ के खनिज आधारित उद्योगों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुलभ कराते हैं ।

यही कारण है कि इन प्रदेशों में खनिज आधारित उद्योगों के विभिन्न संकुलों का विकास हो सका है । इस प्रदेश में छोटानागपुर पठार की जनजातियों व आसपास के मैदानी भागों से पर्याप्त मात्रा में सस्ते व कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं । दामोदर घाटी परियोजना, स्वर्णरेखा घाटी परियोजना आदि से इस क्षेत्र में ताप विद्युत व जल विद्युत की आपूर्ति होती है ।

ये नदियाँ अपनी सहायक नदियों के साथ इन क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूर्ति में सहायक हैं, जो औद्योगिक विकास हेतु आवश्यक है । चूँकि स्वतंत्रता के बाद यहाँ सरकारी व निजी प्रयास हुए हैं, इसीलिए इस प्रदेश में पूँजी व तकनीक का निवेश हुआ है एवं आधारभूत संरचना के विकास में प्रगति भी हुई है ।

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कोलकाता महानगरीय प्रदेश एवं आसपास के प्रदेश इस क्षेत्र से रेल व सड़क मार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं, जिससे छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश के लिए सहजता से आंतरिक बाजार उपलब्ध होता है । कोलकाता पत्तन विदेशों में निर्यात हेतु परिवहन सुविधा भी उपलब्ध करा रहा है, इस प्रकार इसे बाह्य बाजार भी सुलभ हैं ।

यही कारण है कि यहाँ अनेक औद्योगिक केन्द्रों का विकास हुआ है । इनमें राँची (भारी इंजीनियरिंग), बोकारो व जमशेदपुर (लोहा-इस्पात), चाइबासा (सीमेंट)?, सिंदरी (सीमेंट व उर्वरक), धनबाद व झरिया (कोयला खनन व संबंधित उद्योग), हजारीबाग व कोडरमा (अभ्रक खनन), जादूगोडा (यूरेनियम खनन), घाटशिला (तांबा प्रगलन) आदि प्रमुख हैं ।

इस औद्योगिक प्रदेश की मुख्य समस्या समय पर व पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल व विद्युत की आपूर्ति का नहीं होना है । यही कारण है कि यहाँ के उद्योग अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं ।

परंतु यह एक विकासशील औद्योगिक प्रदेश है जहाँ औद्योगिक स्थानीकरण के कारक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं । यह प्रदेश विकास की असीम संभावना रखता है तथा यहाँ खनिज व वन आधारित अनेक नए उद्योग लगाए जा सकते हैं ।

2. जमशेदपुर संकुल (Jamshedpur Industrial Package):

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इस औद्योगिक संकुल का विकास निजी पूँजी एवं टाटा प्रबंधन के निजी प्रयासों से साकची नामक गाँव में शुरू हुआ । यहाँ लौह इस्पात उद्योग 1907 ई. में स्थापित हुआ तथा 1911 ई. से यहाँ लोहा एवं 1913 ई. से लौह-इस्पात का उत्पादन शुरू हो गया ।

इस संकुल के विकास के निम्न प्रमुख कारक रहे हैं:

1. यहाँ पर्याप्त पठारी भूमि उपलब्ध थी, जो भूगर्भिक रूप से स्थिर थी ।

2. स्वर्णरेखा व खरखई नदियों से आसपास के निर्माण कार्यों के लिए बालू, रेत तथा जल की उपलब्धता थी ।

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3. स्वर्णघाटी परियोजना एवं दामोदर घाटी निगम से पर्याप्त विद्युत की आपूर्ति होने से यह अधिक तेजी से विकास की ओर अग्रसर हुआ । आस-पास के प्रदेशों में कोयले की उपलब्धता के कारण ताप-विद्युत की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में थी ।

4. भारत के रूर प्रदेश में बसा होने के कारण इसे उद्योग-धंधों के विकास हेतु आवश्यक सभी प्रकार के खनिज-संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे । उदाहरण के लिए TISCO को बोकारो से कोयला एवं सिंहभूम क्षेत्र से लौह अयस्क की प्राप्ति हो रही है, जो इसके लिए आधारभूत खनिज संसाधन है ।

5. छोटानागपुर प्रदेश के जनजातियों एवं बिहार-ओडिशा के मैदानों से यहाँ आए प्रवासियों के कारण पर्याप्त मात्रा में सस्ता श्रम उपलब्ध है ।

6. यह मुंबई-कोलकाता रेलमार्ग पर अवस्थित है, जो कि इसको बड़ा बाजार उपलब्ध कराता है एवं इन्हें बंदरगाहों से निर्यात की सुविधा के कारण विदेशी बाजार भी उपलब्ध है ।

7. यह निरंतर विकासशील औद्योगिक संकुल है । आठवीं पंचवर्षीय योजना में यहाँ TISCO के धातुमल (स्लैग) के आधार पर सीमेंट उद्योग लगाया गया । चूँकि इस क्षेत्र में खनिज संसाधनों एवं सस्ते श्रम की कमी नहीं है तथा निजी संरक्षण में होने के कारण पूँजी का जोखिम वहन करने की भी इसमें पर्याप्त क्षमता है । इसलिए इसके विकास की और भी संभावना है ।

वर्तमान समय में इस संकुल की मुख्य समस्या उद्योगों का अत्यधिक केन्द्रीकरण व उपभोक्ता उद्योगों की बढ़ती संख्या है । इससे यहाँ जमीन की कीमत बढ़ी है व प्रदूषण की समस्या गंभीर हुई है, जिसके समाधान के लिए पहल की आवश्यकता है ।

इस विकासशील औद्योगिक संकुल में अभी भी औद्योगिक संतृप्तावस्था नहीं आई है परंतु यहाँ औद्योगिक विकास को नियोजित करने की आवश्यकता है ।

औद्योगिक संकुल के कुछ अन्य प्रमुख स्थान (Some Other Prominent Industrial Packages):

बरौनी, हल्दिया, गुडगाँव, फरीदाबाद, बड़ोदरा, इंदौर, कोयम्बटूर, विशाखापत्तनम, कोचीन, अल्वाय (केरल), बंगलुरु, चेन्नई, डिब्रूगढ़, सिंदरी आदि ।

औद्योगिक पिछड़ा प्रदेश (Industrially Backward States):

हिमालय व पूर्वोत्तर भारत के पर्वतीय प्रदेश, पूर्वी भारत के जनसंख्या दबाव के क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान, तेलंगाना एवं रायलसीमा का पठार, दक्षिणी-पश्चिमी केरल, ओडिशा, पूर्वी तटीय भाग, मध्य पठारी भाग व द्वीपीय क्षेत्र ।

बी.डी. पांडेय कमेटी के अनुसार औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए प्रदेश संसाधनों के मामले में अत्यधिक समृद्ध हैं, परंतु आधारभूत संरचना के पर्याप्त विकास न होने के कारण वहाँ पर पिछड़ापन है । यदि इन प्रदेशों में आधारभूत संरचना का विकास कर लिया जाए एवं पर्याप्त प्रोत्साहन दिए जाएँ तो इन क्षेत्रों में भी औद्योगीकरण संभव है ।

वांचू कमेटी ने इसके लिए कुछ आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करने हेतु कुछ आधार तय किए हैं । उन्होंने इसके लिए 3 से 5 वर्षों के लिए कर में छूट देने का सुझाव दिया है । यह छूट उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क व बिक्री कर में दिया जाना है । इसी प्रकार परिवहन व्यय में आर्थिक राजकीय सहायता (Subsidy) दिए जाने के संबंध में भी सुझाव दिया गया है ।

शुक्ला कमेटी ने पूर्वोतर राज्यों के संदर्भ में इस छूट को 7-10 वर्ष तक करने का सुझाव दिया है । विस्तुतः जहाँ पहले से ही आधारभूत संरचना विकसित है वहाँ काफी बड़ी मात्रा में निवेश हुआ है ।

उदाहरण के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में उदारीकरण की प्रक्रिया के पश्चात् 1 लाख करोड़ रूपए से भी अधिक का निवेश हुआ है, जबकि अधिकतर पिछड़े राज्यों में 7,000 करोड़ रुपए से भी कम का निवेश हुआ ।

तात्पर्य यह है कि आधारभूत संरचना निवेश किसी प्रदेश में पूंजी को आकर्षित करते हैं । अतः इसका निर्माण कर पिछड़े प्रदेशों में संसाधनों के आधार पर औद्योगिक विकास किए जा सकते हैं ।

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