नई औद्योगिक नीति पर निबंध | Essay on New Industrial Policy in Hindi.

स्वतंत्रता के बाद से ही भारतीय आर्थिक रणनीति का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय के साथ त्वरित आर्थिक वृद्धि रहा है । इस हेतु औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना की गई । लाइसेंसिंग व्यवस्था का प्रावधान किया गया, लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन दिया गया । विभिन्न प्रकार के निवेश के साथ-साथ राजकोषीय सहायता भी दी गई ।

आधारभूत संरचना के विकास का प्रयास किया गया । परन्तु 1990 ई. तक यह स्पष्ट हो गया कि भारत में औद्योगिक विकास के प्रयास अभी भी अपर्याप्त रहे हैं एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अपेक्षा पर पूरी तरह से खरे नहीं उतरे हैं ।

साथ ही यह भी अनुभव किया गया कि निजी क्षेत्र कुछ सामरिक क्षेत्रों को छोड़कर औद्योगिक विकास में कहीं अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं । इसके अलावा विदेशी निवेश पूँजी-निर्माण व नई तकनीक में सहायक हो सकते हैं । इसीलिए 1991 ई. में नई औद्योगिक नीति का सूत्रपात हुआ ।

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1991 ई. की तत्कालीन परिस्थितियाँ जैसे खाड़ी-युद्ध, विदेशी मुद्रा भंडार का संकट, रुपए का निरन्तर अवमूल्यन, राजनीतिक-अस्थिरता एवं राव-मनमोहन सरकार का गठन आदि इसके मुख्य कारण थे । जुलाई 1991 में घोषित इस नीति में उदारीकरण, निजीकरण व भूमंडलीकरण (LPG) का नारा दिया गया ।

इस नीति में निम्न प्रमुख मुद्दे थे:

i. औद्योगिक अर्थव्यवस्था को नियंत्रण-मुक्त करना ताकि विभिन्न उद्योग प्रतिस्पर्धी रह सकें । उनमें रोजगार व उत्पादकता में वृद्धि हो सके एवं वे उत्पादों की गुणवत्ता में विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें अर्थात् पूर्ववर्ती लाभ बने रहें एवं आर्थिक विकृतियों में सुधार हो ।

ii. लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया गया यद्यपि सुरक्षा, सामाजिक हित, पर्यावरण संरक्षण तथा घातक उद्योगों से जुड़े कुछ उद्योग इसके अपवाद थे ।

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iii. सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका में कटौती की गई । उनके शेयरों को खुले बाजार में जारी किया गया एवं इस प्रकार विनिवेश की प्रक्रिया प्रारंभ की गई । रुग्ण इकाइयों के पुनर्निर्माण एवं पुनर्संरचना हेतु ‘औद्योगिक व वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड’ (BIFR) का गठन किया गया ।

iv. MRTP सीमा में कटौती की गई । अब मुख्य जोर पक्षपातपूर्ण, प्रतिबंधात्मक व एकाधिकारवादी व्यापारिक गतिविधियों के नियंत्रण पर दिया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं को अनिवार्य सुरक्षा दी जा सके ।

v. औद्योगिक अवस्थिति के संबंध में उदारीकरण किए गए । अब 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों से दूर स्थापित किए जाने वाले उद्योगों को केन्द्र की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी । प्रदूषण उत्पन्न करने वाले उद्योगों को भी इन शहरों के 25 किमी. की परिधि से बाहर स्थापित किया जाएगा ।

vi. विदेशी निवेश व तकनीक के मुक्त प्रवाह को अनुमति दी गई एवं उसमें स्वतः अनुमोदन के विभिन्न प्रावधान किए गए ताकि उनमें अनावश्यक विलम्ब न हो । आर्थिक विकास में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की भूमिका को स्वीकार करते हुए आधारभूत संरचना में इन्हें अधिक प्रोत्साहित किया गया ।

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साथ ही मिश्रित अंशधारिता, विदेशी विनिमय तटस्थता व निर्यात बाध्यता संबंधी उपाय भी किए गए ताकि घरेलू उद्योगों को कुछ हद तक संरक्षित किया जा सके ।

इस प्रकार नई औद्योगिक नीति प्रक्रिया के सरलीकरण, निजी व विदेशी पूँजी निवेश एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा के जरिए आर्थिक विकास को गति देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था । बीते लगभग दो दशकों में इसके परिणाम प्रायः सकारात्मक रहे हैं ।

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