Read this article in Hindi to learn about:- 1. ज्वालामुखी उद्‌गारों के प्रकार (Types of Volcanic Eruptions) 2. ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes) 3. विश्व में ज्वालामुखियों का वितरण (Distributions of Volcanoes in the World).

ज्वालामुखी उद्‌गारों के प्रकार (Types of Volcanic Eruptions):

(i) हवाई प्रकार के उदगार (Hawaiian Eruption):

इस प्रकार के ज्वालामुखी उद्‌गार में बहुत तरल लावा निकलता है, जो धरातल पर तेजी से फैल कर ठंडा होता है । इस प्रकार के उद्‌गार में काई धमाका नहीं होता ।

(ii) स्ट्राम्बोलियन उद्गार (Strambolian Eruption):

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इस प्रकार के उद्‌गार में लावा हवाई-उद्‌गार की तुलना में गाढ़ा होता है । गाढ़े लावे के कारण इसमें प्राय: धमाकेदार उद्‌गार होते हैं । सिसली द्वीप पर स्थित स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी के नाम पर इसका नाम पड़ा है  ।

(iii) वल्केनियन उद्गार (Vulcanian Eruption):

वल्केनियन प्रकार के उद्‌गार में लावा बहुत अधिक गाढ़ा होता है जो धरातल पर पहुँचते ही कठोर होकर जम जाता है । यदि लावा ज्वालामुखी के रास्ते में जम जाये तो विस्फोटक उद्‌गार होता है, जिसके साथ भारी मात्रा में राख, झावे, चट्‌टानें आदि निकलते हैं  ।

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(iv) पीलियन उद्गार (Pelean Eruption):

इस के उद्‌गार में भी लावा बहुत गाढ़ा होता है । पीलियन उद्‌गार की एक मुख्य विशेषता यह है कि इसमें धुएँ के साथ आग की लपटें भी उठती हुई नजर आती हैं, जिसको न्यू-आर्डेंटे (Nuee Ardentes) कहते हैं ।

ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcanoes):

ज्वालामुखियों को उनके उद्‌गार की अवधि के आधार पर निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

1. जागृत ज्वालामुखी (Active Volcano):

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जिन ज्वालामुखियों से लावा, गैस, राख तथा अन्य पदार्थ सदैव निकलते रहते हैं जागृत ज्वालामुखी कहलाते हैं । वर्तमान समय में जागृत ज्वालामुखियों की संख्या लगभग 600 है । इटली में एटना, सिसली में स्ट्राम्बोली, आइसलैंड, एल्यूशियन द्वीप समूह के ज्वालामुखी इस वर्ग में सम्मिलित हैं ।

2. प्रसुप्त अथवा सोये हुये ज्वालामुखी (Dormant Volcano):

बहुत-से ज्वालामुखी उद्‌गार के पश्चात् शांत पड़ जाते हैं तथा उनसे उद्‌गार के लक्षण दिखाई नहीं देते । ऐसे ज्वालामुखियों को सोये हुये ज्वालामुखी कहते हैं । इटली का विसुवियस ज्वालामुखी इसका एक उदाहरण है । इस ज्वालामुखी में 79 ई. में उद्‌गार हुआ था । उसके पश्चात 1631, 1803, 1872, 1906, 1927, 1928, 1929 में उद्‌गार हुये । तंजानिया का किलिमंजारों भी एक ऐसा ही ज्वालामुखी है ।

3. शांत ज्वालामुखी (Extinct Volcano):

जिन ज्वालामुखियों का उद्‌गार पूर्ण रूप से शांत हो जाता है उनको शान्त ज्वालामुखी कहते हैं । ईरान के कोह-सुलेमान, एवं दमेबन्द इस वर्ग में सम्मिलित हैं  ।

विश्व में ज्वालामुखियों का वितरण (Distributions of Volcanoes in the World):

भू-पटल की प्लेटों के किनारों तथा ज्वालामुखियों के वितरण में घनिष्ठ सम्बन्ध है । अधिकतर ज्वालामुखी प्लेटों के किनारों पर पाये जाते हैं ।

विश्व के अधिकांश ज्वालामुखी निम्नलिखित पेटियों में पाये जाते हैं:

1. विनाशी प्लेटों के किनारे:

प्रशान्त महासागर के चारों ओर तथा ज्वाला वृत्त (Ring of Fire) में विश्व के लगभग दो-तिहाई ज्वालामुखी फैले हुये हैं । जापान, फिलीपीन्स एवं अमेरिका के प्रशान्त महासागरीय तटों के ज्वालामुखी इसी पेटी में आते हैं ।

2. महासागरी कटकों की पेटी:

विश्व के सभी महासागरों में कटक पाये जाते हैं । ये कटक रचनात्मक किनारे कहलाते हैं । इन कटकों पर विश्व के बहुत से ज्वालामुखी फैले हुये हैं ।

3. पृथ्वी के भूपटल के गर्म बिन्दु (Hot Spots):

हवाई द्वीप समूह के ज्वालामुखी इसी वर्ग में आते है।

ज्वालामुखियों का समाज पर प्रभाव:

ज्वालामुखी प्रकृति की अद्‌भुत लीलाओं में से एक है । मानव जीवन सदैव इनसे प्रभावित रहा हैं । जहाँ ज्वालामुखी विनाशकारी माने जाते हैं वहीं इन से बहुत-से लाभ भी हैं । ज्वालामुखियों के लावा द्वारा ही लोहा ताँबा मैंगनीज सोना चाँदी जस्ता इत्यादि की रचना एवं उत्पत्ति होती है ।

बहुमूल्य पत्थर हीरे-जवाहरात बनते हैं । आइसलैंड के लाकी, कतला एवं इयाफोयल ज्वालामुखी सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते हैं । जापान का फूजीयामा, तंजानिया का किलिमंजारो तथा बोलीविया-पेरू सीमा पर स्थित टीटीकाका झील के सुन्दर दृश्य ज्वालामुखियों की देन है ।

ज्वालामुखी द्वारा निर्मित मुख्य भू-आकृतियों में लावा डाट (Lava Plug), क्रेटर (Crater), काल्डेरा (Caldera), शंकु (Cone), ज्वालामुखी ग्रीवा (Volcanic Neck) आदि सम्मिलित है ।

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