Read this article in Hindi to learn about the effects of ocean tides.

ज्वार-भाटा का प्रभाव पर्यावरण पर ही नहीं बल्कि मानव पर भी पड़ता है जो तटवर्ती क्षेत्र समुद्र के किनारे होते हैं । अत: अधिक मात्रा में ज्वार-भाटे से प्रभावित होते हैं । ज्वार-भाटा समुद्री यातायात को सर्वाधिक प्रभावित करता है इसी कारण ज्वार-भाटे के समय और उनसे उत्पन्न लहरों की ऊँचाइयों का पूर्वानुमान अत्यन्त आवश्यक माना जाता है ।

नौका संचालन के अतिरिक्त ज्वार-भाटे का अन्य क्षेत्रों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है । समुद्रों के तट पर स्थित महासागरों से निकलने वाले कचरे को प्राय: सागर-जल में डाल दिया जाता है जिससे पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है ।

ज्वार-भाटा के द्वारा इन कचरों को बहाकर दूर समुद्र में पहुंचा दिया जाता है । अत: ज्वार-भाटा पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी सहायक है । ज्वारीय तरंगों से बन्दरगाहों में जमा होने वाले मलवे की सफाई होती रहती है ।

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ज्वार-भाटे के द्वारा तलहट का स्थानान्तरण होने से जल की गहराई बनी रहती है । किन्तु कहीं-कहीं ज्वारीय तरंगों के द्वारा पोताश्रयों एवं पत्तनों में भारी मात्रा में मलवे एकत्र हो जाते हैं जिसे साफ करने के लिये अत्यधिक धन का व्यय होता है ।

मत्स्य उद्योग के विकास में भी ज्वार-भाटे का विशेष योगदान है । ज्वारीय तरंगें विभिन्न प्रकार के प्लैंक्टनों के वितरण द्वारा मछलियों के लिये भोजन प्रदान करती हैं जिनसे उनकी संख्या में वृद्धि होती है ।

अनेक तटों पर ज्वार-भाटे के फलस्वरूप विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे समुद्री जीव तथा शंख, सीप, मोती तथा अनेक ऐसे पदार्थ एकट होते हैं जिनके द्वारा लोग अपना जीविकोपार्जन करते हैं ।

ज्वार-भाटे से सर्वाधिक लाभ संसार के उन बड़े-बड़े बन्दरगाहों को होता है जिनका निर्माण समुद्र से कुछ दूर नदियों के किनारे किया गया हैं । कलकत्ता, लन्दन एवं अन्य ऐसे बन्दरगाहों तक बड़े मालवाही पोतों को ज्वार के समय जल-स्तर ऊँचा होने पर पहुंचाया जाता है ।

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ज्वारों की कमी के कारण ऐसे जहाजों को दूर समुद्र में खड़ा रहना पड़ता तथा माल की ढुलाई में काफी धन खर्च करना पड़ता था । वर्तमान तकनीकियों का प्रयोग करते हुए ज्वारीय तरंगों की ऊंचाई द्वारा विद्युत-उजादन किया जा सकता है ।

संक्षेप में ज्वार-भाटा औद्योगिक तथा संरचनात्मक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है । वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयासरत हैं । संभावना है कि भविष्य में बड़ी मात्रा में विद्युत का उत्पादन इन तरंगों द्वारा किया जायेगा ।

ज्वार-भाटा का तटों के आकार-प्रकार पर भी प्रभाव पड़ता है । ज्वारीय धाराएं एवं तरंगें अपरदन, परिवहन तथा निक्षेपण की क्रियाओं द्वारा तटों के स्वरूप परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं । ज्वार-भाटे का अध्ययन समुद्रीय विज्ञान का एक विशेष अध्याय बन गया है ।

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