Read this article in Hindi to learn about:- 1. भारत का  आकार एवं अवस्थिति (Size and Location of India) 2. भारत के भौगोलिक प्रदेश (Physiographic Divisions of India) 3. भारत की मुख्य पर्वत श्रेणियाँ तथा उनके सबसे ऊँचे शिखर (Mountain Ranges and Highest Peaks of India).

भारत का  आकार एवं अवस्थिति (Size and Location of India):

क्षेत्रफल में भारत विश्व का सातवां तथा जनसंख्या में चीन के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा देश है । मानव सभ्यता का साक्षी, भारतवर्ष हिमालय की बर्फ से ढ़की चोटियों से लेकर अंडमान-निकोबार के दक्षिणी छोर इंदिरा प्वाइंट तक फैला हुआ है । पूर्व में अरुणाचल प्रदेश एवं ब्रह्यपुत्र की उपजाऊ घाटी से लेकर पश्चिम में थार के बंजर मरुस्थल तक व्याप्त है ।

भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है । भारत का अक्षांशीय विस्तार 84´N से 376´N तथा 687′ पूर्व से लेकर 9725′ पूर्व तक है । इसकी उत्तर से दक्षिण की लम्बाई 3214 किलोमीटर, तथा पश्चिम से पूर्व की लम्बाई 2933 किलोमीटर है ।

भारत के सीमान्त की लम्बाई लगभग 15,000 किलोमीटर है तथा मुख्य भू-भाग (Mainland) के तट की लम्बाई द्वीप की तटीय लम्बाई को मिलाकर 7517 किलोमीटर है ।

ADVERTISEMENTS:

भारत के राज्यों तथा संघशासित (Union Territories) राज्यों की सूची तालिका 10.1 में दी गई है:

भारत की सीमा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार तथा बंग्लादेश से मिलती है । दक्षिण में पाक-जल डमरूमध्य (Palk-Strait) भारत को श्रीलंका से अलग करती है । निकटवर्ती देशों के साथ भारत की सीमा की लम्बाई तालिका 10.2 में दिखाई गई है ।

भारत की सीमा, पड़ोसी देशों के साथ:

ADVERTISEMENTS:

1. अफ्‌गानिस्तान- जम्मू-कश्मीर ।

2. बंग्लादेश- असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, तथा प. बंगाल ।

3. भूटान- अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम तथा प. बंगाल ।

ADVERTISEMENTS:

4. चीन- अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम तथा उत्तराखण्ड ।

5. म्यांमार- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम तथा नागालैंड ।

6. नेपाल- बिहार, सिक्किम, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश तथा प. बंगाल ।

7. पाकिस्तान- गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पंजाब तथा राजस्थान ।

भारत के भौगोलिक अतिरेक (India’s Geographical Extremes):

अधिकतम तापमान वाला स्थान- बरियावाली, जिला बिकानेर, 56C, 5 जून, 1991

सबसे ठंडा (Coldest) स्थान- दराज-लद्दाख (जम्मू-कश्मीर) -45

सबसे अधिक वर्षा का स्थान- मासिनराम (Mawsynram)- मेघालय, औसत वार्षिक वर्षा लगभग 11875 मिलीमीटर ।

सबसे ऊँचा शिखर- K2, जम्मू-कश्मीर ।

सबसे लम्बी नदी- गंगा 2510 किलोमीटर, बेसिन 861,400 वर्ग किलोमीटर ।

सबसे बड़ा नदीय द्वीप- माजुली (Majuli)- ब्रह्मपुत्र नदी में । इस द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 1500 वर्ग किलोमीटर ।

भारत का सबसे बडा मरुस्थल- थार का मरुस्थल, क्षेत्रफल लगभग 259,000 वर्ग कि.मी.

भारत का सबसे बडा पठार- दक्कन का पठार क्षेत्रफल- 1,00,000 वर्ग किलोमीटर ।

सबसे ऊँचा जल-प्रपात- शरावती नदी पर अवस्थित जोग (Jog) जल-प्रपात, जिसका जल 253 मीटर की ऊँचाई से गिरता है ।

सबसे लम्बी तटीय रेखा का राज्य- गुजराज, तट की लम्बाई 1600 किलोमीटर ।

सबसे लम्बा समुद्र तट (Beach)- मैरिना बीच (Marina-Beach)- चेन्नई के इस बीच की लम्बाई लगभग 13 किलोमीटर है । यह विश्व के सबसे लम्बे बीचों में से एक है ।

सबसे बड़ी खारे (लवणीय) जल की झील (Brakish Water Lake)- ओडीशा की चिल्का झील, जिसका क्षेत्रफल लगभग 916 वर्ग किलोमीटर है ।

सबसे लम्बी सुरंग- खरबूडे सुरंग, जिसकी लम्बाई 6.45 किलोमीटर है । यह सुरंग मुम्बई से गोवा जाने वाले रेल मार्ग पर है ।

सबसे लम्बी नहर- इंदिरा गांधी नहर, जिसकी लम्बाई 682 किलोमीटर है ।

सबसे ऊँचा बाँध- भाखड़ा बांध सतलज नदी पर बनाये गये इस बाँध की ऊँचाई 226 मीटर है ।

पूर्ण रूप से हिमालय पर्वत में अवस्थित राज्य- हिमाचल प्रदेश तथा सिक्किम ।

आंशिक रूप से हिमालय पर्वत में अवस्थित राज्य- असम, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तराखण्ड |

भारत तथा पाकिस्तान की सीमा का नाम- रैडक्लिफ रेखा (Red Cliff Line) |

पाकिस्तान एवं अफ्‌गानिस्तान की सीमा का नाम- ड़ूरण्ड रेखा (Durand Line) |

टैन डिग्री चैनल (Ten Degree Channel)- यह जलसंधि अण्डमान द्वीप समूह को निकोबार द्वीप समूह से अलग करती है ।

ग्रेट-चैनल- यह लघु-अण्डमान को दक्षिण अण्डमान से अलग करता है ।

भारत के भौगोलिक प्रदेश (Physiographic Divisions of India):

भू-आकृतियों एवं उच्चावच के आधार पर, भारत को निम्नलिखित प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है:

1. हिमालय का पर्वतीय प्रदेश उत्तरी

2. उत्तरी भारत का मैदान

3. प्रायद्वीप का पठार

4. तटीय मैदान

5. भारत के द्वीप समूह

हिमालय अथवा हिमाद्री (Himalayas or Himadri):

हिमालय पर्वत विश्व के सबसे ऊँचे, तरुण अवस्था के पर्वत हैं । सिन्धु नदी की घाटी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी (Gorge) हिमालय पर्वत की लम्बाई लगभग 2400 किलोमीटर है । जम्मू-कश्मीर में इनकी चौड़ाई 500 किलोमीटर तथा अरुणाचल प्रदेश में हिमालय की चौड़ाई लगभग 200 किलोमीटर है ।

हिमालय के दक्षिणी छोर पर शिवालिक तथा उत्तरी भारत का मैदान फैले हुये हैं |

हिमालय पर्वत में 8000 मीटर से ऊँचे शिखरों की संख्या 21 है तथा 7500 मीटर से अधिक ऊँचे शिखरों की संख्या 40 है ।

हिमालय पर्वत के सबसे ऊँचे शिखरों को Fig. 10.2 में दिखाया गया है तथा उनकी ऊंचाई तालिका 10.4 में दी गई हैं ।

हिमालय पर्वत के भाग:

हिमालय पर्वत को निम्न चार समानान्तर भागों में विभाजित किया जा सकता है:

1. टैथीज़/ तिब्बती अथवा पार हिमालय – इस भाग में कराकोरम, लद्दाख तथा जास्कर पर्वत मालायें सम्मलित हैं ।

2. दीर्घ अथवा वृहद् हिमालय (Higher or Greater Himalaya)

3. लघु हिमालय (Lesser Himalaya)

4. बाह्य-हिमालय अथवा शिवालिक (Shiwaliks)

1. टैथीज/तिब्बती अथवा पार-हिमालय:

दीर्घ हिमालय पार इन पर्वत मालाओं की चौड़ाई लगभग 40 किलोमीटर है । इसकी ऊँचाई 3000 मीटर से लेकर 4000 मीटर तक है । इनकी चट्‌टानें जीवाश्मी हैं, जो कैम्ब्रियन (Cambrian) युग से लेकर इयोसीन (Eocene) युग की बनी हुई हैं ।

2. आन्तरिक/दीर्घ अथवा वृहद् हिमालय (Higher or Greater Himalaya) :

दीर्घ हिमालय में विश्व का सबसे ऊँचा शिखर सम्मलित है । इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर से अधिक ऊँचे है । हिमालय का यह भाग ग्रेनाइट एवं नीस (Granite and Gneisses) का बना हुआ है । इसकी चौड़ाई लगभग 50 किलोमीटर है ।

3. लघु हिमालय (Lesser Himalaya) :

दीर्घ हिमालय के दक्षिण में लघु हिमालय शृंखला व्याप्त है । इनमें बहुत-सी जटिल तथा पेचीदा श्रेणियाँ हुई हैं, जिनमें पीरपंजाल (Pir-Panjal) तथा धौलाधर (Dhauladhar) श्रेणियाँ सम्मिलित हैं । लघु-हिमालय की चौड़ाई लगभग 80 किलोमीटर है । इनकी चट्‌टानों में जीवाश्म नहीं पाये जाते ।

4. बाह्य हिमालय अथवा शिवालिक (Shiwaliks):

लघु हिमालय के दक्षिण में शिवालिक पर्वत फैले हुये हैं । यह पर्वत माला टर्शियरी (Tertiary) युग की चट्‌टानों से बनी हुई है । पश्चिम से पूर्व की ओर 2400 किलोमीटर लम्बाई तक फैले शिवालिक की चौड़ाई 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर तथा ऊँचाई 1300 मीटर के आस-पास है ।

हिमालय पर्वत का समाज पर प्रभाव:

हिमालय पर्वत का भारत की जलवायु तथा समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।

भारत के लिये हिमालय का महत्व निम्न प्रकार है:

i. जलवायु:

भारत की जलवायु पर हिमालय पर्वत का भारी प्रभाव पड़ा है । बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से आने वाली मानसूनी हवाओं के रास्ते में हिमालय पर्वत एक रोधक का काम करते हैं तथा ये हवायें भारत में अधिक वर्षा देती हैं । साईबेरिया से आने वाले अति ठंडी हवाओं को भारत में आने से रोकता है । कहा जाता है कि यदि हिमालय पर्वत न होता तो उत्तरी भारत के मैदान में भारी हिमपात होता तथा इसकी फसलों के प्रतिरूपों एवं जनसंख्या घनत्व पर भारी प्रभाव पड़ता ।

ii. सदानीरा नदियों का उद्‌गम:

भारत में अधि कतर सदानीर नदियाँ हिमालय के ग्लेशियरों (Glaciars) से निकलती हैं, जिनमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज आदि मुख्य हैं ।

iii. उपजाऊ भूमि:

उत्तरी भारत की बड़ी तथा उनकी सहायक नदियाँ हर साल मैदानी भाग में भारी मात्रा में उपजाऊ अवसाद एकत्रित करती हैं, जिससे मिट्‌टी की उर्वकता बनी रहती है ।

iv. वन सम्पदा:

हिमालय पर्वत विभिन्न प्रकार के घने जंगलों से ढके हुये हैं, जिनमें बहुत-सी जड़ी-बूटियाँ भी पाई जाती हैं ।

v. पन-बिजली:

हिमालय पर्वत में बहने वाली नदियों पर बाँध बनाकर पन-बिजली का उत्पादन किया जा रहा है । चिनाब नदी पर दूलहस्ती, बगलिहार तथा सलाल, सतलज नदी पर भाखड़ा, बाँध, भागीरथी नदी पर टिहरी बांध ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं ।

vi. सुरक्षा:

हिमालय पर्वत ने एक सुरक्षक एवं संतरी का काम किया है । 1962 के चीन के आक्रमण को छोड्‌कर भारत पर कभी भी उत्तर की ओर से आक्रमण नहीं हुआ है ।

vii. खनिज सम्पदा:

हिमालय पर्वत में बहुत-से खनिज पाये जाते हैं, जिनमें ताँबा, सीसा, जस्ता, निकिल, कोबाल्ट, टंगस्टन, सोना, चान्दी, बहुमूल्य पत्थर जिप्सम, चूने का पत्थर, संगमरमर तथा इमारती पत्थर सम्मिलित हैं ।

viii. पर्यटन:

हिमालय पर्वत के सुन्दर एवं प्राकृतिक दृश्य बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं ।

गुलमर्ग, सोवर्मग, पहलगाम, यूसमर्ग, श्रीनगर (कश्मीर), डलहौजी, धर्मशाला, चम्बा, शिमला, कुल्लू, मनाली, मसूरी, नैनीताल, देहरादून, रानीखेत, बागेश्वर, अल्मोड़ा, दार्जिलिंग, गंगटोक तथा ईटानगर विश्व प्रसिद्ध पयर्टक केन्द्र हैं ।

ix. धार्मिक स्थल:

हिमालय पर्वत में बहुत-से धार्मिक तथा सांस्कृतिक स्थल स्थित हैं जिनमें अमरनाथ, वैष्णों देवी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, ज्वालाजी, उत्तर काशी, हरिद्वार तथा यमुनोत्री उल्लेखनीय हैं ।

x. अल्पाईन-चारागाह:

हिमालय पर्वत की ऊँचाइयों पर बहुत-से घास के मैदान हैं जो शीत ऋतु में बर्फ में दब जाते हैं तथा ग्रीष्म काल में बक्करवाल, गुज्जर, भूटिया आदि अपने पशुओं को इन चारागाहों में चराते हैं ।

xi. अनूसूचित जनजातियों की संस्कृति का गवाह:

हिमालय पर्वत में बहुत-सी अनुसूचित जनजातियां रहती हैं । उनकी जीवन शैली तथा संस्कृति इन्हीं पर्वतों में सुरक्षित हैं ।

भारत की मुख्य पर्वत श्रेणियाँ तथा उनके सबसे ऊँचे शिखर (Mountain Ranges and Highest Peaks of India):

1. भारत का सबसे ऊँचा शिखर- K2 (गॉडविन) 8611 मीटर ।

2. अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी- गुरु-शिखर (माउंट आबू) 1722 मीटर  ।

3. सतपुडा का सबसे ऊँचा शिखर- धूपगढ़ (महादेव पहाडी में) 1350 मीटर  ।

4. पश्चिमी घाट का सबसे ऊँचा शिखर तथा दक्षिण के प्रायद्वीप का सबसे ऊँचा शिखर- अनाईमुदी (Anaimudi) यह अन्नामलाई की पहाडियों में अवस्थित है, जिसकी ऊँचाई 2695 मीटर है  ।

5. पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर- देवडी-मुण्डा (ओडीशा) 1598 मीटर है  ।

6. नीलगिरि पर्वत का सबसे ऊँचा शिखर- डोड. T-बेटा- 2636 मीटर है  ।

7. अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह का सबसे ऊँचा शिखर- सैडिल-पीक 737 मीटर  ।

8. अरुणाचल प्रदेश का सबसे ऊँचा शिखर- कांगटो (Kangto) 4740 मीटर (भूटान के निकट)  ।

9. गुजरात का सबसे ऊँचा शिखर- गिर-पहाड़ियों में सरकाला शिखर 643 मीटर ।

10. झारखण्ड का सबसे ऊँचा शिखर- पारसनाथ- 1366 मीटर  ।

11. महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा शिखर- कलसुबाई- 1646 मीटर  ।

12. मिजोरम का सबसे ऊँचा शिखर- ब्लू-माऊंटेन (Blue-Mountain) 2157 मीटर  ।

13. नागालैंड का सबसे ऊँचा शिखर- सरामती शिखर 3826 मीटर  ।

14. प. बंगाल का सबसे ऊँचा शिखर- टाइगर हिल (Tiger Hill) 2590 मीटर  ।

15. उत्तराखण्ड का सबसे ऊँचा शिखर- नन्दा देवी 7817 मीटर  ।

शृंखला तथा भ्रंश (Series and Faults):

किसी निकाय (System) की क्रमिक अस्थिति को शृंखला (Series) कहते हैं । किसी शैल-तन्त्र में बहुत-सी सीरीज होती हैं ।

आर्थिक दृष्टि से भारत की कुछ महत्वपूर्ण सीरीजों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है:

1. बिज्वार सीरीज (Bijwar Series):

बिज्वार-सीरीज विंध्यन पर्वतमाला की एक सीरीज है । विंध्यन की इस संरचना में बहुमूल्य पत्थर तथा हीरे (Diamonds) पाये जाते हैं ।

2. चम्पानेर सीरीज (Champanar Series):

वडोदरा के निकट अरावली पर्वत की एक भुजा में चम्पानेर शृंखला स्थित है । इस सीरीज में संगमरमर तथा स्लेट का पत्थर पाया जाता है ।

3. चैम्पियन सीरीज (Champion Series):

कर्नाटक राज्य में, बंगलुरु के पूर्व में अवस्थित चैम्पियन सीरीज सोने की खानों के लिये प्रसिद्ध है । भारत का लगभग 60 प्रतिशत सोना इसी सीरीज से प्राप्त किया जाता है । एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक टन चट्‌टान में 55 ग्राम सोना पाया जाता है ।

4. चिल्पी सीरीज (Chilpi Series):

यह शृंखला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा एवं बालाघाट जिलों में फैली हुई हैं । इस सीरीज में ताँबा, हरा-पत्थर तथा मैगनीज पाया जाता है ।

इस सीरीज के खनिज भिलाई एवं मलंजखण्ड को भेजे जाते हैं ।

5. क्लोजपेट सीरीज (Closepet Series):

यह सीरीज बालाघाट एवं छिंदवाडा जिलों में फैली हुई हैं । धारवाड़ युग की बनी इन चट्‌टानों में ताँबा-खनिज पाया जाता है ।

6. दामुदा-सीरीन्तु (Damuda Series):

झारखण्ड, प. बंगाल में फैली हुई इस सीरीज में कोयले एवं लोहे के भंडार पाये जाते हैं । रानीगंज, झरिया, बोकारो, धनबाद कार्णपुर एवं डाल्टनगंज की मुख्य कोयले की खानें इसी सीरीज में अवस्थित हैं ।

7. आयरन सीरीज (Iron Series):

झारखण्ड एवं ओडीशा की सीमा पर अवस्थित इस सीरीज में लोहे के बड़े भंडार हैं । यहाँ से लौह-खनिज जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो एवं दुर्गापुर के कारखानों को भेजा जाता है ।

8. कल्डागी सीरीज (Kaldagi Series):

कर्नाटक राज्य के रायचूर जिले में फैली कल्डागी सीरीज सोने-चान्दी एवं बहुमूल्य पत्थर के लिये प्रसिद्ध है ।

9. खोण्डोलाईट सीरीज (Khondolite Series):

ओडीशा एवं आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में अवस्थित, इमारती पत्थर, चार्कोनाईट (Charkonite) के लिये प्रसिद्ध है ।

10. पंचेट सीरीज (Panchat Series):

झारखण्ड तथा (प. बंगाल) की सीमा पर अवस्थित पंचेट सीरीज में उत्तम प्रकार का कोयला पाया जाता है ।

11. रियालो-सीरीज (Rialo Series):

इसको दिल्ली सीरीज के नाम से भी जाना जाता है । दिल्ली से अलवर तक फैली इस सीरीज में उत्तम प्रकार का संगमरमर पाया जाता है । मकराना की प्रसिद्ध संगमरमर की खानें इसी सीरीज में अवस्थित हैं ।

12. सकोली सीरीज (Sakoli Series):

मध्य प्रदेश के जबलपुर तथा रीवा जिलों में फैली इस सीरीज में डोलोमाईट, शिस्ट तथा संगमरमर पाया जाता है ।

13. सासर सीरीज (Sausar Series):

यह सीरीज नागपुर एवं भंडारा जिलों में फैली हुई हैं । इस सीरीज में अभ्रक तथा संगमरमर पाया जाता है ।

14. तलचर सीरीज (Talchar Series):

ओडीशा में अवस्थित इस सीरीज में कोयले के भारी भंडार पाये जाते हैं ।

भ्रंश (Fault):

यदि चट्‌टानों की परतों में दरारें पड़ जायें या टूट जायें तो उसको भ्रंश कहते हैं ।

भारत के कुछ मुख्य भ्रंश निम्न हैं:

1. मुख्य मध्य थ्रस्ट (Main Central Thrust):

यह भ्रंश दीर्घ हिमालय को लघु हिमालय से अलग करता है  ।

2. मुख्य सीमा भ्रंश (Main Boundary Fault):

यह भ्रंश लघु हिमालय को शिवालिक से अलग करता है  ।

3. हिमालियन बाह्य अंश (Himalayan Front Fault):

यह भ्रंश शिवालिक को उत्तरी भारत के मैदान से अलग करता है ।

4. ग्रेट बाउंडरी भ्रंश (Great Boundary Fault):

यह भ्रंश अरावली पर्वत को विंध्यन पर्वत से अलग करता है ।

5. डॉकी भ्रंश (Dauki Fault):

यह भ्रंश मेघालय के पठार को बंग्लादेश के मैदान से अलग करता है ।

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