Read this article in Hindi to learn about air pressure in the atmosphere and its distribution on earth.

विश्व वायु दाब वितरण में भारी विविधता पाई जाती है । विश्व में वायु दाब की सात पेटियाँ हैं ।

उत्पत्ति के आधार पर वायु दाब की पेटियाँ को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं:

(i) कम वायु दाब की पेटियाँ, तथा;

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(ii) अधिक वायु दाब की पेटियाँ ।

वायु दाब पेटियों का संक्षिप्त वर्णन निम्न में दिया गया है:

1. विषुवत रेखीय कम वायु-दाब की पेटी (Equatorial Law Pressure Belt):

कम वायु दाब की यह पेटी, विषुवत रेखा के दोनों ओर 5°C में फैली हुई है । कम वायु दाब की इस पेटी को डोलड्रम भी कहते हैं । मौसम के अनुसार यह पेटी उत्तर तथा दक्षिण की ओर खिसकती रहती है  ।

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2. उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब की पेटी (Sub-Tropical High Pressure Belt):

लगभग 30° से 35° के बीच दोनों गोलाद्धों में उच्च दाब की पेटियाँ पाई जाती हैं । भूमध्य रेखा पर ऊपर उठी हुई हवा लगभग 30°-35° अक्षांशों के पास नीचे उतरती है, जिस कारण उसका दाब बढ़ जाता है । इस कारण यहाँ पर प्रतिचक्रवात की दिशायें स्थापित हो जाती हैं, जिससे वायु मण्डल में स्थिरता उत्पन्न हो जाती है ।

इस प्रकार यहाँ पर पवन संचार बहुत कम हो जाता है । इस शांत पवन वाले भाग में आने पर प्राचीन काल में घोड़ों से लदे जहाजों के संचालन में कठिनाई होती थी । जहाजों को हल्का करने के लिय इन आक्षांशों में घोड़ों को रस्सों से बाँध कर सागर में छोड़ देते थे इसलिए इन अक्षांशों को अश्व अक्षांश (Horse Latitudes) भी कहते हैं ।

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3. उप-ध्रुवीय कम वायु दाब की पेटी (Sub-Polar Low Pressure Belt):

लगभग 60°-65° उत्तर तथा दक्षिण में कम वायु दाब की पेटियाँ पाई जाती हैं । ध्रुवीय क्षेत्रों से घूमती पृथ्वी पर, हल्की हवा दूर जाती है जिस कारण उपरोक्त अक्षांशों में कम वायु दाब की पेटियाँ विकसित हो जाती हैं । उत्तरी गोलार्द्ध में कम वायु दाब की ये पेटियाँ एलुशियन तथा ग्रीनलैंड के निकट अधिक प्रमुखता से देखी जा सकती हैं (Fig. 3.15) ।

4. ध्रुवीय उच्च वायु दाब की पेटी (Polar High Pressure Belt):

दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों में नीचे तापमान के कारण अधिक वायु दाब की पेटियाँ विकसित होती हैं । ध्रुवीय ऊँचे भार के कारण इन क्षेत्रों में हवा शुष्क और हल्की गति से चलती है । यहाँ चलने वाली पवनों को ध्रुवीय पुर्वा कहते है ।

भारत एवं विश्व का भूगोल वायु दाब की पेटियों का खिसकना (Shifting of Pressure Belts):

पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण, उसकी सूर्य से संबधित स्थिति में परिवर्तन होता रहता है । 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत होता है, जिस कारण सभी वायु दाब की पेटियाँ उत्तर दिशा में खिसक जाती हैं । भूमध्य रेखीय निम्न वायु दाब 0° तथा 10° अक्षाशों के बीच उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब 30° – 40° के बीच हो जाता है ।

21 जून के पश्चात् 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं, जिस कारण वायु पेटियाँ अपनी यथावत स्थिति में आ जाती हैं । 23 दिसम्बर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्बवत पड़ती हैं । इस प्रकार शीत ऋतु में वायु दाब की सभी पेटियाँ दक्षिण की ओर खिसक जाती हैं ।

वायु दाब की पेटियों के खिसकने का मौसम तथा जलवायु पर भारी परिवर्तन पड़ता है ।

वायु दाब का मौसमी वितरण:

वायु दाब के जुलाई एवं जनवरी के महीनों का वायु भार का वितरण 3.17A तथा 3.17B में दिखाया गया है । जुलाई के महीने में मध्य एशिया तथा उत्तरी अटलांटिक महासागर में उच्च वायु दाब रहता है । जनवरी के महीने में उत्तरी गोलार्द्ध के साइबेरिया तथा उत्तरी अमेरिका के मध्य कैनाडा में अधिक वायु दाब विकसित होता है । इसके विपरीत महासागरों पर कम वायु दाब विकसित होता है (Fig. 3.17-B) ।

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