जीन के कार्य | Functions of Gene in Hindi!

(1) विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं, ऊतकों तथा अंगों का शरीर के विभिन्न भागों में विभेदीकरण या निर्माण का नियंत्रण कुछ जीनों की अभिव्यक्ति तथा अन्यों के अभिव्यक्ति न होने का कारण होता है ।

(2) जीवन-चक्र की विभिन्न अवस्थाओं के विकास या उत्पादन को जीनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।

(3) क्रासिंग ओवर के कारण विभिन्न सहलग्नताएँ उत्पन्न होती हैं ।

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(4) लैंगिक-प्रजनन के समय जीनों के स्थान परिवर्तन से भिन्नताएं उत्पन्न होती हैं ।

(5) नए जीन तथा परिणामस्वरूप नए लक्षण एक्जानों तथा इन्ट्रॉनों के स्थान परिवर्तन के करण विकसित होते हैं ।

(6) जीन आनुवांशिक-पदार्थ के घटक होते हैं, अत: वे वंशागति की इकाई होते हैं ।

(7) कोशिका-विभाजन के लिए जीनों म द्विगुणन आवश्यक है ।

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(8) जीन आनुवांशिक-सूचना को एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में ले जाते हैं ।

(9) वे शरीर की संरचना तथा उपापचय का नियंत्रण करते हैं ।

(10) जीन उनके प्रभाव को स्थिति-प्रभाव तथा ट्रांसपोसोनों के कारण परिवर्तित करते हैं ।

(11) वे जीवों की बाह्य आकारिकी अथवा फीनोटाइप का नियंत्रण करते हैं ।

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(12) जीनों में उत्परिवर्तन होता है, जो उनके प्रभाव को परिवर्तित करता है ।

प्रत्येक जीव में कई जीन्स होती हैं, जो विभिन्न प्रोटीनों के संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाले विशिष्ट एन्जाइमों उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी होती हैं । किसी भी जीव में सभी प्रोटीनों की आवश्यकता एक ही समय में नहीं होती, ऐसी बल्कि समय-समय पर अलग-अलग विशेष एन्जाइम आवश्यक होते हैं ।

अत: जीवों की कोशिकाओं में एक ऐसी क्रियाविधि का होना आवश्यक है, जो केवल उपयुक्त जीनों को ही क्रियाशील होने दे व अवांछनीय जीनों को निष्क्रिय कर दे । इस प्रक्रिया को जीन क्रिया का नियमन या प्रोटीन संश्लेषण का नियमन कहा जाता है । इसका विस्तृत अध्ययन जीवाणुओं में किया जा चुका है । यूकैरियोट्‌स में भी जीन नियमन की पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो चुकी है ।

यहाँ यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि ऐसा किस प्रकार होता है ? जीन्स की अभिव्यक्ति (Expression of Genes) किन प्रक्रियाओं द्वारा नियंत्रित होती है ?

हमें ज्ञात है कि किसी प्रोटीन (एंजाइम) में अमीनो अम्लों (Amino Acids) का क्रम जीन अर्थात् डी. एन. ए. में उपस्थित नाइट्रोजन युक्त क्षारकों (Nitrogenous Bases) के क्रम द्वार निर्धारित होता है ।

एक जीन की अभिव्यक्ति तभी संभव हो सकती है, जब वह m-RNA में अनुलेखित (Transcribed) हो जाय, m-RNA में अनुलेखित सूचना का प्रोटीन के रूप में अनुवाद (Translation) हो जाये तथा यह प्रोटीन-एंजाइम किसी रासायनिक क्रिया विशेष को उत्प्रेरित (Catalyse) कर दे ।

स्पष्ट है कि जीन की अभिव्यक्ति विभिन्न प्रक्रियाओं के एक विशिष्ट क्रम के फलस्वरूप होती है । इनमें से प्रत्येक प्रक्रिया को अनेक प्रकार से नियमित किया जा सकता है । इस नियमन व नियन्त्रण (Regulation and Control) के लिए सूचना विभिन्न प्रकार के संकेतों (Signals) से प्राप्त हो सकती है ।

कुछ संकेत (Signals) कोशिका के अन्दर ही उत्पन्न होते हैं, जिन्हें अंतर्जात संकेत (Endogenous Signals) कहते हैं, जबकि कुछ संकेत बाहरी पर्यावरण (Environment) से प्राप्त होते हैं, इन्हें बहिर्जात संकेत (Exogenous Signal) कहते हैं । बाहरी संकेत डी. एन. ए. एवं आर. एन. ए. या प्रोटीन से अन्योन्य क्रिया (Interaction) कर विविध प्रकार से जीन अभिव्यक्ति का नियमन करते हैं ।

विभिन्न जीवधारियों में जीन अभिव्यक्ति के नियमन के लिए निम्न को नियंत्रित किया जाता है:

(i) m-RNA की उपलब्ध मात्रा ।

(ii) m-RNA के प्रोटीन में अनुवाद (Translation) की दर ।

(iii) प्रोटीन उत्पाद की क्रिया ।

परन्तु एक-सी आनुवंशिक सूचना (Genetic Information) होने के बावजूद वह सब कोशिकाएँ संरचना व आण्विक संघटन (Molecular Composition) में समान क्यों नहीं होती ? स्पष्ट है कि सभी कोशिकाएं हर समय सम्पूर्ण आनुवंशिक सूचना क उपयोग नही करतीं ।

किसी एक समय में कुल आनुवंशिक सूचना के केवल एक भाग का ही उपयोग किया जाता है । इसे हम इस प्रकार भी कह सकते हैं जीन्स का नियमन (Regulation) होता है और जीनोम की कुछ जीन्स (Genes) में निहित आनुवंशिक सूचना की ही, किसी समय विशेष पर अभिव्यक्ति होती है ।

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