Read this article in Hindi to learn about:- 1. माँस का दूषित होना (Contamination of Meat) 2. सड़न के सामान्य सिद्धांत (General Principles of Meat Spoilage) 3. माँस में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि (Growth of Micro-Organisms in Meat) 4. माँस सड़न के सामान्य प्रकार (General Types of Spoilage of Meats) 5. विभिन्न प्रकार के माँस की सड़न (Spoilage of Different Kinds of Meats).

Contents:

  1. माँस का दूषित होना (Contamination of Meat)
  2. माँस सड़न के सामान्य सिद्धांत (General Principles of Meat Spoilage)
  3. माँस में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि (Growth of Micro-Organisms in Meat)
  4. माँस सड़न के सामान्य प्रकार (General Types of Spoilage of Meats)
  5. विभिन्न प्रकार के माँस की सड़न (Spoilage of Different Kinds of Meats)


1. माँस का दूषित होना (Contamination of Meat):

माँस (Meats) का अन्दर का भाग Microbial Contaminations दूषित से सुरक्षित रहता है । Slaughtered House जहाँ माँस कटता है, तक जन्तु स्वस्थ (Healthy Animal) आते है । माँस के कटते ही तुरंत दूषित (Contaminated) होना शुरू हो जाता है ।

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ये Micro Organism Globes Hands आदि से माँस काटते समय प्रभाव डालते है । इसके अतिरिक्त, बाल (Hairs), आंत (Intestine) और Slaughter House के आसपास उपस्थित हवा से भी सूक्ष्मजीव (Micro Organism) प्रवेश कर जाते है ।

माँस कटने के बाद सतह पर Micro Organisms ऊतक (Tissue) पर प्रभाव डालते है । बहुत से सामान्य Micro Organism ताजे माँस पर पाए जाते हैं । बैक्टीरिया (Bacteria) और मोल्डस (Molds) दोनों ही Bacterial Species, B. Clostridium, Escherichia, Pseudomonas, Lactobacillus, Micrococcus, Streptococcus, Sarcina, Salmonella पाए जाते है । Molds में Cladosporium, Yeast, Geotrichum, Mucor, Penicillium, Sporotrichum आदि कम मात्रा में पाए जाते है ।

कच्चा माँस भोज्य पदार्थ एन्जाइम (Enzyme) एवं सूक्ष्मजीवों (Micro Organisms) की क्रिया के फलस्वरूप माँस में उपस्थित वसा (Fats) रासायनिक दृष्टि से आक्सीकृत हो जाता है और एजिंग के दौरान इसकी औसत मात्रा गौमाँस और हाथीदाँत के रूप में बदल जाती है जो वास्तविक माँस के रूप में नहीं होता है क्योंकि माँस अ आटोलाइसिस (Autolysis) होने से माँस की माँसपेशियों और संयोजी ऊतक (Connective Tissues) में उपस्थित वसा प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा बदल जाता है ।

इस प्रक्रिया को खट्टापन या कड़वापन कहते है । सड़ने के फलस्वरूप विभिन्न प्रकार का बदबूदार गंध उत्पन्न होती है । यह गंध सूक्ष्मजीवों की आक्सीकरण (Oxidation) क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होती है जिसे पहचानना व अलग करना सम्भव नहीं होता है साथ ही सूक्ष्मजीव (Micro Organisms) माँस में उपस्थित नाइट्रोजनी (Nitrogenous) यौगिकों पर पूर्ण रूप से आक्रमण नहीं कर पाते हैं ।


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2. माँस सड़न के सामान्य सिद्धांत (General Principles of Meat Spoilage):

सामान्यतः सूक्ष्मजीव (Micro Organism) ड्रेसिंग (Dressing) या कटिंग (Cutting) के दौरान प्रयोग होने वाले बाह्य उपकरणों जैसे- कपड़ा वायु उपकरण व कर्मचारियों के संक्रमण से प्रवेश कर अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करते रहते है ।

ऊतकों पर सूक्ष्मजीवों का आक्रमण (Invasion of Tissues by Micro Organisms):

जन्तुओं के Tissues पर सूक्ष्मजीव के आक्रमण से माँस दूषित होता है तथा कुछ Factors इसको प्रभावित करते है ।

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(1) जन्तु की Guts में अधिक Load होने से Tissues पर आक्रमण होता है । ये Slaughter के 24hrs. घंटे के बाद होता है क्योंकि ऊतकों में भोज्य पदार्थों की अधिक मात्रा संचित हो जाने पर 24 घंटे के अंदर भूख का पुन: अभ्यास होने लगता है ।

(2) किसी जीव के उत्तेजित होने, बुखार (Fever) से ग्रसित होने पर उत्पन्न माँसपेशियों (Muscles) के तन्तुओं (Fibre) की प्रोटीन (Protein) में जैव रासायनिक परिवर्तन होने से ऊर्जा की कमी होती है और थकान उत्पन्न हो जाती है ।

इस विघटन (Decomposition) या कमी का मुख्य कारण जीवाणुओं का संक्रमण होता है । इस ऊर्जा की कमी को प्रोटीन (Protein) ग्लाइकोजन (Glycogen) में विघटित होकर पूर्ण करती है क्योंकि Glycogen Fatigued में उपयोग किया जाता है तो pH 7.5 से 5.7 तक ही रहता है जो कि Normal होता है ।

(3) जितनी अधिक अच्छी Bleeding होगी उतनी ही माँस की गुणवत्ता अच्छी होगी । मनुष्य के द्वारा कुछ विधियाँ जो Sanitary दृष्टि से उचित होती है । अपनाई जाती है जिससे Meat की Quality का पता चलता है ।  Electrically Stunned Animals से Pork और Bacan में अधिक हरापन (Greening) पाया जाता है जिससे वो हरापन दिखता है परन्तु कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के कारण वो सूक्ष्मजीव खत्म हो जाते है ।

(4) जल्दी वाली ठंडाई (Cooling) से Micro-Organism के द्वारा Tissues के Invasion की दर कम हो जाती है । मीट (Meat) में Micro Organisms Blood और Lymph Vessels Connective Tissues में फैलते हैं ।


3. माँस में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि (Growth of Micro-Organisms in Meat):

माँस (Meat) किसी सूक्ष्मजीव की वृद्धि के लिए उत्तम व आदर्श संवर्धन माध्यम से होता है क्योंकि इसमें अनुकूल कारक जैसे नमी नाइट्रोजनी भोज्य पदार्थ, लवण (Salts) सहायक वृद्धि कारक और अनुकूल pH पाया जाता है । कुछ कारक (Factors) सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के प्रभावित करते हैं जो सड़न की क्रिया विधि की दर (Rate) को कम कर देते है ।

जो निम्नलिखित हैं:

(1) विभिन्न प्रकार के कन्टामिनेट (Contamination) और उनकी अधिकता की उपस्थिति में सूक्ष्मजीवों (Micro Organisms) की वृद्धि प्रभावित देती है । जैसे- साइकोट्राफ सूक्ष्मजीव (Psychrotrophic Organisms) कम ताप या ठंडे में अधिक वृद्धि करते है । उदाहरण- माँस (Meat) में इस प्रकार की क्रिया देखने को मिलती है ।

(2) मांस की भौतिक विशेषताएँ:

माँस (Meat) की भौतिक (Physical) रासायनिक (Chemical) गुणवत्ता व ऊतकों (Tissues) की बाह्य सतह (Outer Surface) भी सूक्ष्मजीवों (Micro Organisms) की वृद्धि को प्रभावित करती है ।

बाहरी सतह (Outer Surface) के Tissue में Enzymes की अधिकता होने पर सूक्ष्मजीवों (Organisms) में वृद्धि अधिक होती है जबकि एन्जाइमों (Enzymes) की कमी होने पर वृद्धि कम होती है जिससे सड़न की क्रिया प्रभावित होती है ।

(3) माँस की रासायनिक विशेषताएँ:

माँस की बाहरी सतह (Outer Surface) के ऊतकों (Tissues) की सतह सूखी होने पर जीवाणुओं (Bacteria) की वृद्धि अवरूद्ध हो जाती है किन्तु कुछ मात्रा में नमी प्रदाय करने पर अनुकूल परिस्थिति निर्मित होने पर आसानी से वृद्धि करते है साथ ही 5.7 से 7.2pH और नाइट्रोजन (Nitrogen), कार्बन (Carbon) ऊर्जा की उपस्थिति में इनकी वृद्धि और तीव्र हो जाती है जो सड़न क्रिया की दर को बढ़ा देते है ।

(4) ऑक्सीजन की उपलब्धता:

ऑक्सीजन (Oxygen) की उपलब्धता में ऐरोबिक Aerobic Bacteria और यीस्ट (Yeast) ऊर्जा प्राप्त कर तीव्र गति से वृद्धि करते है ।

(5) तापमान:

कमरे के ताप (Room Temperature) या कम ताप पर जीवाणुओं (Bacteria) की वृद्धि के लिए अनुकूल होता है । इस ताप पर कोली फार्म जीवाणु बैसीलस क्लास्ट्रीडियम आदि प्रजातियाँ बहुगुणन द्वारा विभाजित होकर वृद्धि करती है और पेप्टाइड (Peptides) को अमीनो अम्लों (Amino Acids) में बदल देती है जिससे भोज्य पदार्थों (माँस) का विघटन होता है । साथ ही गंध के साथ सड़न क्रिया भी सम्पन्न होती है ।


4. माँस सड़न के सामान्य प्रकार (General Types of Spoilage of Meats):

मांस सड़न के सामान्य दो प्रकार होते हैं जो Bacteria, Yeasts या Molds से होते है ।

(A) वायुवीय परिस्थितियों में सड़न (Spoilage under Aerobic Condition),

(B) अवायवीय परिस्थितियों में सड़न (Spoilage under Anaerobic Condition) ।

(A) वायुवीय परिस्थितियों में सड़न (Spoilage under Aerobic Condition):

ऑक्सीजन की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर कुछ जीवाणु (Bacteria) प्रजातियाँ जैसे स्युडोमोनास (Pseudomonas), एल्केलीजन्स (Alcaligenes), स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus), ल्यूकोनास्टॉक (Leuconostoc), बेसीलस (Bacillus) और माइक्रोकोकस (Micrococcus) आदि माँस ऊतकों की सतह पर नमी या लसलसा पदार्थ उत्पन्न कर देते है ।

इस पदार्थ की उपस्थिति में Proteins प्रोटीन्स (Protein) एन्जाइम (Enzymes) सक्रिय होकर प्रोटीन (Protein) पदार्थों को अमीनो अम्ल (Amino Acids) में विघटित कर देते है और सड़न क्रिया उत्पन्न कर देते हैं ।

(1) Changes in Colour of Meat Pigments:

लेक्टोबैसीलस (Lacto Bacillus) और ल्यूकोनास्टाक (Leuco Nostoc) जीवाणु पर आक्साइड या हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे आक्सीकृत यौगिक उत्पन्न कर देते हैं जो माँस ऊतकों के वर्णकों (Pigments) को बदल देते है जिससे माँस का रंग हर, भूरा या ग्रे हो जाता है ।

(2) Changes in Fats:

लाइपोलाइटिक बैक्टीरिया लियोलाइसिस द्वारा असंतृप्त (Unsaturated) वसा को वसीय अम्लों में बदल देते हैं और ऊतकों (Tissues) का सरलीकरण होने से सड़न क्रिया सम्पन्न होती है ।

परन्तु बहुत से Animal के Fats में Oxidative Rancidity उत्पन्न होती है जब ये ऑक्सीडाइज्ड (Oxidized) होते हैं तो इनमें Off-Orders आती है जो Aldehydes के कारण होती है ये Rancidity Fats की Lipolytic Species Pseudomonas और Achromobacter या Yeasts के कारण होती है ।

(3) Phosphorescence:

फोटो बैक्टीरिया (Photobacteria), Luminous Bacteria प्रतिदीप्ति व स्कुरदीप्ति क्रिया सम्पन्न कर सड़न प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं ।

(4) Various Surface Colour Bacteria with Red Pigments:

Pigment Bacteria, लाल स्पांट (Serratia Marcescens) Pseudomonas स्यूडो मोनाज नीला, माइक्रोकोकस (Micro Coccus) Flavobacterium फ्लेवो बैक्टीरियम प्रजाति पीला रंग Chromobacterium Liridum, Green Colour उत्पन्न कर सड़न प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं जिससे सड़न के दौरान रंगकहीनता होने से माँस तथा ऊतक रंगहीन हो जाते है ।

(5) Off Odours and Off Tastes:

जीवाणुओं (Bacteria) की वृद्धि से माँस (Meat) या ऊतकों (Tissues) में वोलेटाइल-अम्ल (Volatile Acids) फार्मिक अम्ल (Formic Acids) Butyric Acid और Propionic Acid बन जाता है, जिससे माँस की गंध व स्वाद बदल जाता है, जिससे माँस कड़वा तथा स्वादहीन हो जाता है जो सड़न प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है । इसके अतिरिक्त Actinomycetes भी Musty या Earthy Flavor उत्पन्न करते हैं ।

(B) अवायवीय आक्सीकरण सड़न (Spoilage under an Aerobic Condition):

एनएरोबिक बैक्टीरिया, एनएरोबिक स्थिति में माँस पर उत्पन्न होते हैं और सड़न (Spoilage) उत्पन्न करते है । इस सड़न से खट्टापन, putrefaction और धब्बे (Taint) के नाम से जाने जाते हैं ।

(1) खट्टापन (Souring):

अवायवीय जीवाणु एन्जाइमों की उपस्थिति में किण्वन क्रिया (Fermentation) के फलस्वरूप Protein वसीय पदार्थों को क्रमशः फार्मिक अम्ल (Formic Acid) एसिटिक अम्ल (Acetic Acid), प्रोपोइयोनिक अम्ल (Propionic Butyric Acid Lactic or Succinic Acid) में बदल देते हैं जिससे माँस में खट्टापन उत्पन्न हो जाता है जिसे स्टिंकिग खट्टापन कहने हैं ।

(2) सड़न-अवस्था (Putrefaction):

अवायवीय जीवाण्विक विघटन से हाइड्रोजन सल्फाइड (Hydrogen Sulphide) मारकेण्टान, इंडोल, अमोनिया, एमीन आदि पदार्थों या यौगिकों का निर्माण माँस में क्लस्ट्रीडियम (Clostridium) जीवाणुओं के द्वारा किया जाता है जो सड़न उत्पन्न करते है । इसके अतिरिक्त Pseudomonas और Alcaligens भी माँस (Meat) में सड़न उत्पन्न करते हैं ।

(3) धब्बे (Taint):

माँस या उसके ऊतकों (Tissues) में अवायवीय जीवाणु आक्सीकरण (Oxidation) के फलस्वरूप जगह-जगह पर रंजकहीनता होने से धब्बे बन जाते हैं जो सड़न को प्रदर्शित करते हैं ।

यीस्ट के द्वारा सड़न (Spoilage by Yeast):

एरोबिक स्थिति में यीष्ट माँस (Meat) की सतह पर उग आती है, जिसके कारण Sliminess, Lipolysis, off Odors और विभिन्न स्वाद, रंगहीन, सफेद, Cream, Pink या Brown Patches उत्पन्न हो जाते है । जो माँस को खराब करते है ।

एरोबिक स्थिति में Molds के कारण उत्पन्न परिवर्तन निम्न होते है:

(1) चिपचिपापन (Stickiness)- Mold की Incipient Growth माँस की सतह (Surface) चिपचिपी हो जाती है जो सड़न का एक कारण है ।

(2) गुच्छा (Whiskers)- जब माँस (Meat) को ठंडे ताप पर रखा जाता है तो Mycelium की वृद्धि बिना Sporulation के होती है। ये सफेद तथा Fuzzy Growth Molds के विभिन्न Species के कारण होती है । जैसे Fungus उदाहरण Thamnidium Chaetocladioides, Telegans, Mucor M. Racemosus Rhizopus और दूसरी Species है । इसमें Thamnidium Species Beef Flavor को अधिक करती है ।

(3) काले धब्बे (Black Spot)- माँस पर काले धब्बे सामान्यतः (Cladosporium Herbarum) के द्वारा होता है । इसके अतिरिक्त कुछ Molds काले धब्बों के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

(4) सफेद धब्बे (White Spot)- सफेद धब्बे (White Spot) का अहम करण है । Sporo Tricnum Carnis कई Molds गीले फफूँद की वजह से सफेद स्पाट हो जाते हैं ।

(5) ग्रीन धब्बे (Green Patches)- हरे धब्बे Penicillum जाति व इसकी विभिन्न जातियों के Green Spore के कारण होते है जिससे हरे धब्बे उत्पन्न होते है ।

(6) Decomposition of Fats- Fats का टूटना बहुत सारे Molds व Lipase होते है जिससे Fats का Hydrolysis होता है तथा Fats के Oxidation में Molds मिल जाते हैं ।

(7) Off Odors and Pastes- विभिन्न प्रकार के Molds के करण Musty Flavor Vicinity उत्पन्न होती है और Thamnidium के कारण धब्बे (Taint) उत्पन्न हो जाते हैं ।


5. विभिन्न प्रकार के माँस की सड़न (Spoilage of Different Kinds of Meats):

माँस के विभिन्न प्रकारों में Microbial Spoilage होते हैं जो निम्न है:

(1) ताजे माँस की सड़न (Spoilage of Fresh Meats):

Lactic Acid Bacteria जिसमें मुख्य Lactobacillus, Leuconostoc, Streptococcus, Pediococcus सामान्यतः माँस में पाए जाते है जो ताजे व दही वाला माँस होता है या फ्रिज के तापमान पर रखा हो । कुछ प्रकार के सासेंज (Sausage) जैसे- Salams, Lebanon और Thuringer जो Lactic Fermentation से खराबी उत्पन्न होती है ।

जबकि Lactic Acid Bacteria तीन प्रकार की खराबी के लिए Responsible है:

(i) माँस की सतह पर Slime बनाते है जो Sucrose की उपस्थिति में बनता है ।

(ii) हरे रंग का उत्पन्न होना,

(iii) खट्टापन उत्पन्न होना जो Lactic Acid के करण होता है ।

(2) ताजी बीफ (Fresh Beef):

माँस से बने बीफ में कुछ Changes आते है ।

(i) इससे हीमोग्लोबिन और मायोग्लोबिन में परिवर्तन आते है । खून और Muscles में Red Pigment में Changes होते है । Bloom के करण इसमें Reddish Brown Methemoglobin और Met Myoglobin Green Gray Brown होते हैं जो Micro Organism और Oxygen के Action के द्वार (Oxidation of Pigments) के करण होता है ।

(ii) सफेद (White), हरा (Green), पीला (Yellow) Greenish Blue से Brown Black Spots होते है जो कुछ Purple होते है । यह Micro Organisms की Presence से Pigmentation बदल जाता है ।

(iii) Phosphorescence बैक्टीरिया के द्वारा ।

(iv) कई Bacteria, Yeasts और Molds के द्वार भी धब्बे (Spots) पड़ते है । बीफ की सतह Sliminess होती है जो बैक्टीरिया या यीस्ट (Yeast) के द्वारा होती है । Mold के द्वारा सतह Stickness होती है ।

कुछ Molds के Mycelial Growth से भी धब्बे पड़ते है जिससे खट्टापन और Putrefaction भी बैक्टीरिया (Pseudomonas) के द्वारा होता है । बीफ को 10°C या कम पर रखते हैं । 15°C पर Micrococci उत्पन्न हो जाते हैं ।

(3) हैम बर्गर (Hamburger):

हैम बर्गर के कमरे के तापमान पर रखते हैं परन्तु तापमान Freezing के पास हो तो Odor में खट्टापन आ जाता है । कम तापमान पर खट्टापन Pseudomonas के Species के द्वारा होता है जो कि Lactic Acid Bacteria से सहायता के साथ उत्पन्न होता है । Alcaligenes Micrococcus और Flavobacterium जाति कुछ Samples में पायी जाती है ।

उच्च ताप पर कई प्रकार के Micro Organism पाये जाते हैं । जैसे Bacillus Clostridium Escherichia, Enterobacter, Pseudomonas, Lactobacillus, Streptococcus, Micrococcus और Sarcina है । इसके अतिरिक्त Penicillium और Mucor भी है तथा कुछ Yeast की भी जाति है जो Hamburger को प्रभावित करती है ।

(4) ताजी पोर्क सॉसेज (Fresh Park Sausage):

ताजे Sausage में Salt और Spices मिलाए जाते है । Pork Sausage एक Perishable Food है । इसे Refrigeration में रखने पर कुछ समय के लिए Spoilage नहीं होता है फिर इसमें खट्टापन आने लगता है ।

ये Lactobacilli और Leuconostocs के द्वारा Acid का Production होने से होता है तथा उच्च ताप पर Microbacterium और Micrococcus के द्वारा Spoilage होता है तथा कभी-कभी रंगीन धब्बे (Spots) दिखाई देते हैं, जो Mold Growth के द्वारा होते हैं ।

(5) दही माँस की सड़न (Spoilage of Cured Meats):

कर्ड मीट (Cured Meats) में Nitrates के प्रभाव अधिक होते हैं ये Anaerobic Condition में अधिक होते है । Gram, Positive Bacteria, Yeasts और Molds के द्वार भी Spoil Meats होता है तथा विभिन्न प्रकार के Micro Organisms के द्वार भी माँस Spoiled होता है । दही में उपस्थित Bacteria से कभी भी Meat Spoiled नहीं होता है परन्तु Molds, Yeats और Bacteria भी दूसरी Species से Spoiled होता है ।