Read this article in Hindi to learn about the methods of asepsis.

आपूतिता वह प्रक्रिया है, जिसमें सडन रोकने के लिए क्या-क्या प्रक्रिया की जाती है, जिससे कि किसी भोज्य पदार्थ से सूक्ष्मजीव को अलग किया जा सके । इसमें फलों और Vegetables Harvesting और अन्य किसी Process में Microbes न हो । ये सूक्ष्मजीव प्रवेश कर सडन की शुरूआत कर देते है और इस सड़न को रोकने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जाते है, ताकि खाने योग्य वस्तुएँ Safe रहें ।

इसके लिए कई विधियाँ सभी प्रकार के खाने की वस्तुएँ फलों सब्जियों पर भी लाए होती है, क्योंकि सड़न रोकने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाई जाती है । ताकि खाने की वस्तुएँ सुरक्षित रहें और ये विधियाँ सभी प्रकार के खाने की वस्तुएँ, फलों सब्जियों पर भी लागू होती है, क्योंकि सड्‌न रोकने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाई जाती है ।

किसी भी वस्तु के आंतरिक भाग जीवाणु मुक्त होते हैं और ये भाग स्वस्थ होते है । कुछ वस्तुओं पर कठोर परत होती है जिससे अन्दर के भाग सुरक्षित रहते है । परन्तु फिर भी सूक्ष्मजीव उत्पन्न हो जाते है । जैसे अण्डे, फलो के छिलके और सब्जियाँ बाहरी विघटन की क्रिया शुरू कर देते है । सूक्ष्मजीवों की संख्या एक महत्वपूर्ण कार्य अर्थात् खराब होने की क्रिया शुरू का देते है । जिससे भोजन को बचाना कठिन होता है । इसके अतिरिक्त विभिन्न रोगजनक भी प्रभाव डालते हैं ।

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आपूतिता (Asepsis) का सिद्धांत सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) को उन स्थानों में घुसने से रोकना है । जहाँ पर वे सामान्तया नहीं पाए जाते हैं । या उन्हें बाहर के स्त्रोतों से सामान्य अनिर्जीवाणुक क्षेत्रों में घुसने से रोकना होता है । उसे Asepsis कहते है ।

सूक्ष्मजीवों को रोकना:

सूक्ष्मजीव अन्दर प्रवेश न करें न ही उत्पन्न हो सके इसके लिए निम्न विधियाँ अपनाई जाती हैं:

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(1) सेनीटेशन (Sanitation)

(2) छानना (Filtration)

(3) सेन्ट्रीफ्यूगेशन (Centrifugation)

(4) धोना (Washing)

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(5) छांटना (Trimming)

(6) आटोक्लेव (Autoclaving)

(7) गरम करना (Heating)

(8) विकिरण (Radiation)

(9) पाश्चुराइजेशन (Pasteurization)

(10) रासायनिकों का उपयोग (Uses of Chemicals)

(1) सेनीटेशन (Sanitation):

स्वच्छता प्रबंध में व्यक्तिगत स्वच्छता तथा वातावरणीय स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है । स्वच्छता अधिक आवश्यक होती है । उदाहरण के लिए भोजन, जल दूध और बर्फ सभी से Staphylococci जीवाणुओं (Bacteria) के तथा Salmonella या Shigella वंश के बैक्टीरिया द्वारा भोजन में विषाक्तता हो सकती है और इससे विभिन्न रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं ।

(2) छानना (Filtration):

छन्तियाँ सामग्री और डिजाइन में कई प्रकार की होती है इसमें रूई के गुच्छे से लेकर उच्च कार्य क्षमता वाले भिन्न परमाणु वायु छन्ने (Particulate Air Filters) तक विविध प्रकार के हो सकते है । जिसमें प्रोर्सलीन फिल्टर प्रिटेड ग्लास फिल्टर्स, ऐसबेस्टस फिल्टर्स तथा अल्ट्राफिल्टर्स आदि शामिल है । यदि सूक्ष्मदर्शी से जाँच की जाती है, तो पता चलेगा कि तंतुओं के बीच के छिद्र और स्थान छानने वाले कणों से काफी बडे दिखाई देते है ।

छन्नों से गुजरने वाली वायु धनात्मक स्थिर आवेश तंतुओं में पैदा कर देती है । जिसकी ओर धनात्मक स्थिर आवेश तंतुओ (Filament) में पैदा कर देती है । जिसकी ओर कण आकर्षित होते है और रुक जाते है । यदि तंतु गीले हों तो आवेश भूमिगत (Earthed) हो जाता है तथा कण निकल आते जाते हैं । इसका अर्थ है कि गीला छन्ना जीवाणुओं (Bacteria) को उसमें से निकल जाने देता है ।

इसके अतिरिक्त सीट्जफिल्टर (Seitz Filter) Chaberland Pasteur Filter, Berkefeld or Mandler Filter, Membrane or Molecular Filter आदि का उपयोग किया जाता है ।

(3) सेन्ट्रीफ्यूगेशन (Centrifugation):

सेन्ट्रीफ्यूगेशन अधिक प्रभावित नहीं होता है । इससे कुछ ही सूक्ष्मजीव अलग होते है । पूरी तौर अलग नहीं होते है । सेन्ट्रीफ्यूगेशन का उपयोग केवल दूध (Milk) से Bacteria या Spores को अलग करने के लिए किया जाता है ।

(4) धोना (Washing):

कच्चे भोजन को धोना अति आवश्यक होता है क्योंकि यदि इसे धोया (Wash) नहीं जाता है तो ये हानिकारक होता है । उदाहरण Cabbage या Cucumbers या Picklet आदि को बनाने से पहले धोना अतिआवश्यक है क्योंकि मृदा के सूक्ष्मजीव इनकी बाहरी सतह (Outer Surface) पर चिपके होते हैं जो कि धोने से खत्म हो जाते है ।

इसी प्रकार ताजे फलों और सब्जियों से भी मृदा-जीवाणु को अलग किया जाता है । इसी प्रकार Apparatus को भी धोना आवश्यक होता है । फलों और सब्जियों का बिना धोय उपयोग करना हानिकारक होता है ।

(5) छाटना (Trimming):

यह वह प्रक्रिया है जिसमें भोजन के खराब भाग को निकलना होता है और जिन फलों पर दाग होते है उन्हें अलग करना अति आवश्यक है ।

(6) आटोक्लेव (Autoclaving):

यह मजबूत धातु का बना पात्र होता है जिसके द्वारा निर्जिमी करने की विधि सार्वाधिक रूप से प्रयोग में लाई जाती है । इसमें निर्जमीकरण करने के लिए भाप (Steam) का प्रयोग किया जाता है जिससे वस्तुओं के सभी सूक्ष्मजीव मर जाते हैं और वे निर्जीवणुकृत हो जाते है ।

इसके द्वारा बहुत सी वस्तुओं जैसे सिरिजों कांच के पात्रों तथा संवर्धन माध्यमों आदि का निर्जिमीकरण किया जाता है । आटोक्लेव का दरवाजा वायु रूद्ध (Air Tight) बद हो जाता है, इसमें सुरक्षा वाल्व होता है । वांछित दाब पर पहुँच जाने पर सेफ्टी वाल्व से होकर वायु बाहर निकल जाती है ।

(7) गरम करना (Heating):

सूक्ष्मजीव की वृद्धि को हटाने के लिए विभिन्न उत्पादों को गरम किया जाता है, जिन्हें अलग-अलग तापमान पर गरम किया जाता है जैसे शुष्क ऊष्मा (Dry Heat) ,गर्म हवा (Hot Air), लौ (Flaming) में नम ऊष्मा (Moist Heat) भाप में तथा उबालना (Boiling) और एक अन्य प्रकार टिन्डलाईजेशन (Tyndalization) द्वारा सूक्ष्मजीवों को अलग करने के लिए निर्जमीक्वण किया जाता है । यह क्रिया 3-4 दिनों तक बार-बार की जाती है, जिससे सूक्ष्मजीवों को हटाया जा सकता हैं ।

(8) विकिरण (Radiation):

विकिरण (Radiation) में विकसित ऊर्जा (Radiant Energy) जैसा पराबैंगनी प्रकाश (Ultraviolet Light) एक्स किरणों (X-rays) आदि द्रव सोख लिए जाते हैं और इनका उन पर घातक प्रभाव पड़ता है ।

अधिक तेजी से गुणन क्रिया (Multiplication) करने वाली सूक्ष्म जीवों (Micro-Organisms) की Cells पर Radiation का अधिक प्रभाव पड़ता है । जब Micro-Organisms परिपक्व (Mature) हो जाते हैं तो उनमें वृद्धि तेजी से नहीं होती है ।

कुछ Micro Organisms में बीजाणु (Endospore) पाए जाते है । यदि इनको घटो पानी में उबाले तो ये नष्ट नहीं होते है । परन्तु विकिरण द्वारा शीघ्र नष्ट हो जाते है । विकिरण में एक्स किरणों (X-Rays) और गामा किरणों का उपभोग किया जाता है ।

(9) पाश्चुरीकरण (Pasteurization):

इस विधि में विसंक्रमित किए जाने वाले द्रव पदार्थ को मामूली तापमान पर एक निश्चित समयावधि तक गर्म किया जाता है जिससे हानिकारक जीवाणु (Bacteria) नष्ट हो जाते है और द्रव पदार्थ के रासायनिक संगठन में कोई परिवर्तन भी नहीं होता है ।

इसकी तीन विधियों का उपयोग किया जाता है:

(a) होल्डर विधि,

(b) H.T.S.T. Method,

(c) U.H.T. विधि आदि ।

(10) रसायनों का उपयोग (Uses of Chemicals):

रासायनिक Preservative का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों को नष्ट किया जाता है ।