Read this article in Hindi to learn about the ten main causes of flood. The causes are: 1. वर्षण (Precipitation) 2. भूस्खलन के कारण नदियों के रास्ते में बाँध बन जाने के कारण (Draining of Ice Dammed Lake) 3. दीर्घ ज्वार-भाटा (High Tide) 4. सागरीय तरंगीयता (Sea Surge) and a Few Others.

नदी का जल अपने किनारों को पार करके आस-पास के क्षेत्रों में फैल जाये या सागर का जल तट के निचलें भागों को जलमग्न कर दे उसको बाद कहते हैं ।

नदियों में बाढ प्रायः कारणों से आती है:

Cause # 1. वर्षण (Precipitation):

अत्यधिक वर्षा होने पर जल की मात्रा नदी के जलमार्ग की जल अपवाह क्षमता अधिक हो जाती है जिसके कारण नदी का जल किनारों को पार करके आसपास क्षेत्रों में फैल जाता है और बाढ़ लेता है । इस प्रकार की भयानक बाढ़ से असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात राजस्थान, तटीय ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में प्रायः आती रहती है ।

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बादलों के विस्फोट होने पर भी इस प्रकार की बाढ़ आती जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है । वर्ष 2013 की 16 जून को मेघ-विस्फोट से मंदाकनी नदी में भयंकर बाढ़ आई थी जिससे बहुत-से लोगों की जानें गई और पिघलने से भी बाद आई थी । ग्रीष्म ऋतु में पर्वतों के बर्फ के पिघलने से भी बाढ की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है ।

Cause # 2. भूस्खलन के कारण नदियों के रास्ते में बाँध बन जाने के कारण (Draining of Ice Dammed Lake):

नदी के पर्वतीय भाग में कभी-कभी, भूस्खलन के कारण नदी के जलमार्ग में एक बाँध-सा बन जाता है जिसके कारण भारी मात्रा में जल संचय होता है । ऐसे जल रोधक बाँध कुछ समय के पश्चात टूट जाते हैं जिसके कारण निचले भागों में भारी बाढ आ जाती है । इस प्रकार की बाढ़ आइसलैंड, नार्वे, स्वीडन आदि में प्रायः आती है ।

Cause # 3. दीर्घ ज्वार-भाटा (High Tide):

दीर्घ ज्वार के समय यदि अधिक वर्षा हो रही हो तो जल का निकास कम हो जाता है और नदियों का जल आस-पास फैल जता है जिसके फलस्वरूप बाढ़ उत्पन्न हो जाती है । वर्ष 2005 की जुलाई के महीने में इस प्रकार की बाद से मुंबई नगर का लगभग आधा भाग बाढ़ग्रस्त हो गया था ।

Cause # 4. सागरीय तरंगीयता (Sea Surge):

ऊष्ण-चक्रवात (तूफानों) के समय सागर का जल तटीय निचले भागों में फैल कर बाद का रूप धारण कर लेता है ।

Cause # 5. वनों को काटना (Deforestation):

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बड़े पैमाने पर जंगलों को काटना बाद आने का एक बहुत बड़ा मानवीय कारण है । कश्मीर-घाटी, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश बिहार, असम पश्चिम बंगाल, मणिपुर इत्यादि में बाद की अधिक बारंबारता का मुख्य कारण यही है ।

Cause # 6. अनियोजित नगरीकरण (Unplanned Urbanization):

भारत में नगरी का आकार तीव्र गति से बड़ा हो रहा है । नगरीय नदी-नालों के रास्तों में घर बनाकर जल-अपवाह के जलमार्गों की चौडाई को मानव ने कम कर दिया है, इसलिये जब भी अधिक एवं निरंतर वर्षा होती है, जल का विकास नहीं हो पाता । नगरीय क्षेत्रों में अधिक पक्की सड़कों तथा चबूतरों के कारण जल का भूमि में रिसाव भी कम होता है, जिससे भूमिगत जल भी प्रभावित होता है ।

Cause # 7. पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि अधिकरण (Agricultural Encroachment in Hilly Areas):

बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिये जंगलों को काटकर पर्वतीय ढलानों पर भी खेती की जा रही है, जिसके कारण मृदा-अपरदन बढ़ रहा है । अपरदित मिट्टी नदियों के जलमार्गों का उथला कर देती है, जिसके प्रभाव के कारण जल-निकास नहीं हो पाता और नदी के आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है ।

Cause # 8. झूमिंग प्रकार की खेती (Shifting Cultivation):

झूमिंग कृषि प्रायः ऐसे पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ प्रायः वर्षा अधिक होती है । इस प्रकार की खेती जंगलों को काटकर तथा जला कर की जाती है । फसल काटने के बाद खेत को खाली छोड़ दिया जाता है । फलस्वरूप ढलानदार खेतों से मृदा अपरदन अधिक होता हैं अपरदित मिट्टी नदियों के रास्ते को उथला बनाती है, जिससे बाद आने की संभावना बढ़ जाती है ।

Cause # 9. भूस्खलन के कारण नदियों के रास्तों में रुकावट (Landslides and Blocking of River Channels):

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भू-स्खलन एवं हिमस्खलन के कारण पर्वतीय भागों में नदियों के रास्ते में रुकावट आ जाती है । कुछ समय के पश्चात जब यह रोधक बाँध टूट जाते हैं तो नदी के निचले भाग में भारी बाढ आ जाती है ।

Cause # 10. भूमि दुरुपयोग (Mismanagement of Land Resources):

बहुत-से उपजाऊ क्षेत्रों में भूमि का दुरुपयोग किया जा रहा है । उदाहरण के लिये पंजाब में धान और गेहूँ को एक वर्ष में उगाना । यह दोनों फसले मृदा की उर्वरकता को कम करते हैं । ऐसे फसल चक्रों में परिवर्तन की आवश्यकता है जिससे मृदा अपरदन रोका जा सके जो नदियों के रास्तों को उथला कर देते हैं और बाढ की संभावना को बढाते हैं ।

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