मिश्रित अर्थव्यवस्था पर निबंध | Here is an essay on ‘Mixed Economy’ for class 8, 9, 10, 11, and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Mixed Economy’ especially written for school and college students in Hindi language.

Essay # 1. मिश्रित अर्थव्यवस्था से अभिप्राय (Meaning of Mixed Economy):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में दो प्रणालियों-पूंजीवाद (Capitalism), एवं समाजवाद (Socialism) का समावेश होता है । युद्धोतर काल में अर्थ- व्यवस्थाओं के विकास के लिए मिश्रित आर्थिक प्रणाली को अपनाया गया मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद एवं समाजवाद दोनों प्रणालियों की विशेषताओं का सह-अस्तित्व (Co-Existence) होने के कारण मिश्रित अर्थव्यवस्था को पूंजीवाद एवं समाजवाद का एक मध्यम मार्ग कहा जा सकता है ।

पूंजीवाद एवं समाजवाद दोनों ही प्रणालियों में दोष विद्यमान हैं । पूंजीवाद में कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं की नीति के कारण व्यापार चक्र, प्रतियोगिता अपव्यय, आर्थिक अस्थिरता, वर्ग-संघर्ष, शोषण जैसी समस्याएँ उपस्थित होती है । जबकि समाजवाद में ठीक इसके विपरीत आर्थिक स्वतंत्रताओं की समाप्ति, नौकरशाही प्रेरणा का अभाव, आदि दोष उपस्थित थे ।

दोनों ही प्रणालियों के दोषपूर्ण होने के कारण युद्धोतर काल में यह आवश्यकता समझा गया कि अर्थव्यवस्था के सर्वागीण विकास के लिए तथा सामाजिक एवं आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ऐसी प्रणाली क्रियान्वित की जाए जिसमें पूंजीवाद की स्वतंत्रता तो हो, किन्तु वह स्वतंत्रता सरकार की नीतियों द्वारा संचालित एवं नियंत्रित हो तथा साथ ही साथ सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector), अर्थव्यवस्था को एक समाजवादी आधार दे सके ।

ADVERTISEMENTS:

इस विचारधारा के परिणामस्वरूप मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) का विचार अस्तित्व में आया । मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र (Private Sector) तथा सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) दोनों का सह-अस्तित्व होता है ।

प्रो.जे.डब्लू. ग्रोव के शब्दों में, मिश्रित अर्थव्यवस्था की अनेक पूर्व-मान्यताओं में से एक यह है कि उत्पादन एवं उपभोग संबंधी निर्णयों को प्रभावित करने में निजी क्षेत्र को स्वतंत्र पूंजीवादी व्यवस्था के अन्तर्गत जितनी स्वतंत्रता प्राप्त होती है, मिश्रित अर्थव्यवस्था में उससे कम स्वतंत्रता प्राप्त होती है, तथा सार्वजनिक क्षेत्र पर सरकारी नियंत्रण उतना कठोर नहीं होता जितना केन्द्रीकृत समाजवादी अर्थव्यवस्था में पाया जाता है ।

भारतीय योजना आयोग के अनुसार, मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र घनिष्ठ रूप से संबंधित होते हैं तथा दोनों एक इकाई के दो घटकों के रूप में कार्य करते है ।

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र एक साथ पूरक घटकों के रूप में कार्य करते हैं दोनों क्षेत्रों का कार्य क्षेत्र सरकार निर्धारित कर दिया जाता है । सामाजिक हित में सरकार निजी क्षेत्र की क्रियाओं में भी प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करती है ।

ADVERTISEMENTS:

इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र सरकार की नीतियों द्वारा नियंत्रित होता है । इसलिए प्रो. ए.पी.लर्नर मिश्रित अर्थव्यवस्था को नियंत्रित अर्थव्यवस्था (Controlled Economy) कहकर पुकारते हैं ।

Essay # 2. मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं (Features of Mixed Economy):

मिश्रित अर्थ व्यवस्था में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं:

1. निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह अस्तित्व (Co-Existence of Public and Private Sector):

मिश्रित-अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद एवं समाजवाद दोनों प्रणालियों की विशेषताओं को सम्मिलित करके अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए एक मध्य मार्ग अपनाया जाता है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र दोनों अपने निर्धारित कार्यों को सरकारी निर्देशन में करते है ।

ADVERTISEMENTS:

मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवादी विचार के आधार पर श्रमिकों, व्यक्तिगत सम्पत्ति, व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता, प्रोत्साहन, आदि के अधिकार दिए जाते हैं । तथा समाजवादी विचार के आधार पर आर्थिक नियोजन, सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति, राष्ट्रीय हित के लिए आवश्यक कार्यों एवं संसाधनों पर सरकारी नियंत्रण, आदि विशेषताएं पाई जाती हैं ।

सरकार अपने निर्देशन द्वारा निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के लिए कार्य क्षेत्र निर्धारित करती है । निजी क्षेत्र में उद्योगों का स्वामित्व एवं प्रबन्ध निजी उद्यमियों के हाथों में होता है, किन्तु इन निजी उद्यमियों की क्रियाओं को सरकार अपनी नीतियों द्वारा आवश्यकतानुसार नियंत्रित करती है ।

सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार स्वयं उद्यमी के रूप में कार्य करके इस क्षेत्र की क्रियाओं का संचालन करती है । इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र में जहाँ सरकार का अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप होता है, वहीं निजी क्षेत्र में सरकार का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप होता है ।

आधुनिक समय में मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक क्षेत्रों के अतिरिक्त संयुक्त क्षेत्र (Joint Sector) तथा सहकारी क्षेत्र (Co-Operative Sector) का भी समावेश हुआ है । जिसमें व्यक्तिगत उद्यमी एवं सरकार दोनों सह-उद्यमियों के रूप में क्रियाओं का संचालन करते हैं ।

2. लोकतान्त्रिक व्यवस्था (Democratic System):

मिश्रित अर्थव्यवस्था लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर आधारित होती है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में विभाजन नीतियों का निर्धारण, लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का निर्धारण, संसाधनों का आबंटन आदि सभी की स्वीकृति जन प्रतिनिधियों द्वारा भारत में संसद एवं विधान सभाओं द्वारा की जाती है । इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था का संचालन लोकतान्त्रिक पद्धति पर किया जाता है और एकाधिकारी एवं तानाशाही प्रवृत्तियों के उदय की कोई सम्भावना नहीं रहती ।

3. आर्थिक नियोजन (Economic Planning):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार आर्थिक क्रियाओं का क्रियान्वयन आर्थिक नियोजन के माध्यम से करती है, अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सरकार केन्द्रीकृत नियोजन सत्ता (Central Planning Authority) के माध्यम से निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के लिए भौतिक एवं वित्तीय (Physical and Financial) लक्ष्य निर्धारित करती है ।

दोनों ही क्षेत्र सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों के अन्तर्गत अपने लिए आबंटित भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्य करते हैं । आर्थिक नियोजन की सफलता के लिए क्षेत्रों का नियमन सरकार राजकोषीय एवं भौतिक नीतियों (Fiscal and Monetary Policies) द्वारा करती है ।

भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पद्धति के अन्तर्गत आर्थिक नियोजन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । भारत में भारतीय योजना आयोग पंचवर्षीय योजनाएं बनाकर राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) से उसका अनुमोदन लेकर निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है ।

4. आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Freedom):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रताओं की समाजवाद की भांति पूर्ण अनुपस्थिति नहीं होती । मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रताएं तो होती हैं, किन्तु पूंजीवाद की तुलना में कम होती है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में सामाजिक हित एवं कल्याण को ध्यान में रखकर व्यक्तिगत उद्यमियों को सीमित आर्थिक स्वतंत्रताएं प्रदान की जाती है ।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद की भांति उपभोक्ता की प्रभुसत्ता तो नहीं होती फिर भी जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यों आर्थिक नियोजन का प्रारूप स्वीकृत होने के कारण व्यक्तिगत स्वतंत्रता पूर्णत: समाप्त नहीं हो पाती ।

5. कीमत एवं संयन्त्र संचालन पर नियंत्रण (Control on the Working of Price Mechanism):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र के संचालन को सरकार सामाजिक हित की दृष्टि से अपनी कीमत (Price Policy) द्वारा नियन्त्रित करती है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र को उस सीमा तक कार्य करने दिया जाता है, जब तक उसका सामाजिक कल्याण के उद्देश्य एवं आर्थिक विकास की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े ।

6. लाभ उद्देश्य (Controlled Profit Motive):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता का संचालन लाभ उद्देश्य की भावना से किया जाता है । अर्थव्यवस्था में साधनों का आबंटन (Allocation of Resources) इसी लाभ उद्देश्य के आधार पर किया जाता है । किन्तु लाभ उद्देश्य को इस अर्थव्यवस्था में पूर्ण रूपेण स्वतंत्र नहीं छोड़ दिया जाता ।

व्यक्तिगत व्यवसायियों एवं व्यक्तियों को उस सीमा तक धन कमाने की स्वतंत्रता होती है । जब तक उसका सामाजिक समानता एवं न्याय के उद्देश्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े ।

7. आर्थिक समानता एवं सामाजिक न्याय (Economic Equality and Social Justice):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में यद्यपि, निजी सम्पत्ति, उत्तराधिकार का नियम तथा आर्थिक स्वतंत्रताएं पायी जाती है । फिर भी समाज में आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए सरकार आर्थिक एवं राजकोषीय नीतियों द्वारा धनी व्यक्तियों की बढ़ती सम्पत्ति के आकार को नियमित करती है ।

तथा साथ ही सरकार कर (Tax) आदि द्वारा धनी व्यक्तियों से आय अर्जित करके गरीब वर्ग के लिए आवश्यक सुविधाएँ समाज में उत्पन्न करती है । इस क्रिया द्वारा मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार जहां एक ओर समाज में आय की असमानताओं को कम करती है, वही गरीब वर्ग को सुविधाएँ देकर सामाजिक न्याय की भावना के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करती है ।

8. सामाजिक सुरक्षा (Social Security):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार सामाजिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान देती है । वृद्धावस्था पेन्शन, बेरोजगारी भत्ता, दुर्घटना एवं मृत्यु बीमा आदि के द्वारा सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है ।

Essay # 3. मिश्रित अर्थव्यवस्था का लाभ (Merits of Mixed Economy):

मिश्रित अर्थव्यवस्था का उदय पूंजीवाद एवं समाजवाद के दोषों को दूर करने वाली एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में हुआ था । इस प्रणाली के रूप में दोनों प्रणालियों-समाजवाद एवं पूंजीवाद के गुणों का समावेश उपस्थित रहता है । दूसरे शब्दों में इस प्रणाली में दोनों ही प्रणालियों के लाभ दृष्टिगोचर होते है ।

इसमें पूंजीवादी शक्तियों को नियंत्रित करके समाजवादी शक्तियों को देश की आवश्यकतानुसार प्रोत्साहित किया जाता है । मिश्रित अर्थव्यवस्था एक लचीली अर्थव्यवस्था (Flexible Economy) है जिसमें पूंजीवाद एवं समाजवाद के गुणों को अर्थव्यवस्था के उचित संचालन में आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है ।

मिश्रित अर्थव्यवस्था के मुख्य लाभ निम्नवत हैं:

1. आर्थिक विकास की तीव्र गति (Rapid Economy Development):

आधुनिक समय में मिश्रित अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास की तीव्र गति के लिए आवश्यक प्रणाली बन गई है । इस प्रणाली में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र दोनों परस्पर एक साथ कार्य करके अर्थव्यवस्था में विकास की दर में वृद्धि के लिए आर्थिक एवं सामाजिक उपरि ढांचे (Economic and Social Overhead Infra-Structure) की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा की जाती है ।

अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन (Economic Planning) अपनाकर साधनों का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूलतम आबंटन (Optimum Allocation) किया जाता है । अर्थव्यवस्था के संसाधनों का कुशलतम प्रयोग आर्थिक विकास की तीव्र दर को सुनिश्चित करता है ।

2. आर्थिक शक्ति के केन्द्रीकरण एवं एकाधिकारी शक्ति पर रोक (Elimination of Centralization of Income and Monopoly Tendencies):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार का निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण होता है । सरकार अपनी विभिन्न नीतियों द्वारा निजी क्षेत्र की क्रियाओं को सामाजिक हित के उद्देश्य को ध्यान में नियन्त्रित करके समाजवादी शक्तियों को देश की आर्थिक शक्ति का कुछ व्यक्तियों के हाथों में केन्द्रीकरण नहीं हो पाता तथा साथ ही अर्थव्यवस्था में एकधिकारी प्रवृत्तियां उपस्थित नहीं हो पाती ।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार जनहित के लिए आवश्यक क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation) करके आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण को समाप्त करती है ।

3. स्वतंत्रता एवं प्रेरणा की उपस्थिति (Presence of Freedom and Incentives):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत लाभ एवं स्वामित्व का अधिकार होने के कारण उत्पादकों के लिए पर्याप्त प्रेरणा उपस्थित रहती है । उपभोक्ता की स्वतंत्रता भी समाजवाद की भांति पूर्ण प्रतिबन्धित नहीं होती ।

उपभोक्ता को अपनी आय को अपनी पसंद के अनुसार व्यय करने की पर्याप्त स्वतंत्रता मिश्रित अर्थव्यवस्था में होती है । इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों को ही पर्याप्त स्वतंत्रता एवं प्रेरणाएं प्राप्त होती है । (यद्यपि ये स्वतंत्रताएं पूंजीवाद की तुलना में सीमित होती है ।)

4. सामाजिक कल्याण में वृद्धि (Increase in Social Welfare):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में संपूर्ण अर्थव्यवस्था का नियंत्रण एवं संचालन सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया जाता है । सरकार व्यक्तिगत क्षेत्र का विभिन्न नीतियों द्वारा नियमन करके समाज में व्यक्ति द्वारा व्यक्ति के शोषण की सम्भावना को समाप्त करती है । साथ ही सरकार सामाजिक कल्याण की दृष्टि से अनेक आर्थिक, औद्योगिक, वित्तीय नीतियों का निर्धारण करती है ।

5. आर्थिक विषमताओं में कमी (Reduction in Economic Disparities):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में यद्यपि निजी सम्पत्ति, उतराधिकार के नियम तथा आर्थिक स्वतंत्रताएं पायी जाती है, फिर भी समाज की आर्थिक विषमताओं में कमी के लिए, सरकार आर्थिक एवं राजकोषीय नीतियों द्वारा धनी व्यक्तियों की बढ़ती सम्पत्ति के आकार को नियन्त्रित करती है ।

साथ ही सरकार कर (Tax) आदि के द्वारा धनी व्यक्तियों की अतिरिक्त आय का एक भाग छीन कर गरीब वर्ग के लिए आवश्यक सुविधाएं समाज में उत्पन्न कराती है ।

इस क्रिया द्वारा मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार जहां एक ओर समाज में आय की विषमताओं को कम करती है वहीं गरीब वर्ग को सुविधाएं देकर सामाजिक न्याय की भावना सुनिश्चित करती है ।

6. औद्योगिक शान्ति एवं सामाजिक सुरक्षा (Industrial Peace and Social Security):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र सरकार द्वारा नियंत्रित होने के कारण इस प्रणाली में व्यक्तिगत उद्यमियों द्वारा श्रमिकों का आर्थिक शोषण नहीं हो पाता । सरकार श्रमिकों के हितों को सर्वोपरि मानकर उनके कल्याण के लिए अनेक कानून बनाती है, जिसके कारण मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद की भाँति हड़ताल, कामबन्दी, तालेबन्दी आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न नहीं हो पाती ।

श्रमिकों के हितों की गारण्टी के कारण अर्थव्यवस्था में औद्योगिक शान्ति बनी रहती है । इसके अतिरिक्त सरकार श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करती है । वृद्धावस्था पेंशन, दुर्घटना एवं जीवन बीमा, बेरोजगारी भत्ता, देकर सरकार श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करती है ।

7. मानव संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Optimum Use of Human Resources):

मिश्रित अर्थव्यवस्था का आधार आर्थिक नियोजन है, जिसमें देश के मानव संसाधनों की पूर्ति को ध्यान में रखकर उत्पादन पद्धति का चुनाव किया जाता है । मिश्रित अर्थव्यवस्था में मानव पूंजी निर्माण (Human Capital Formation) द्वारा अर्थात् मानव की दक्षता, योग्यता एवं शिक्षा में सुधार करके एवं प्रशिक्षित करके मानव संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सुनिश्चित किया जाता है ।

उपर्युक्त लाभों के आधार पर कहा जा सकता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था देश के सन्तुलित एवं तीव्र विकास के लिए आवश्यक है । मिश्रित अर्थव्यवस्था द्वारा सीमित संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग सम्भव हो पाता है तथा अर्थव्यवस्था आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर आर्थिक विकास की तीव्र गति प्राप्त करती है ।

Essay # 4. मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष (Demerits of Mixed Economy):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में उपस्थित होने वाले दोष अग्रलिखित है:

1. व्यावहारिकता में निर्बल एवं अंकुश प्रणाली (Weak and Inefficient System in Practice):

मिश्रित अर्थव्यवस्था की सफलता पर आलोचकों द्वारा प्रश्न चिन्ह इस आधार पर लगाया जाता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था का सैद्धान्तिक पक्ष चाहे कितना मजबूत क्यों न हो व्यावहारिकता में यह एक निर्बल आर्थिक नीति है ।

व्यवहार में नीजि क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र पूर्णत: विपरीत पद्धति से कार्य करने वाले क्षेत्र है, जिनमें आर्थिक नीतियों के द्वारा भी उचित सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता । इसके अतिरिक्त मिश्रित अर्थव्यवस्था में विभिन्न निर्णयों में अनेक कठिनाइयां आती हैं ।

क्योंकि मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र न तो पूंजीवाद की भांति पूर्णरूपेण क्रियान्वित हो पाता है, और न ही समाजवाद की भांति पूर्ण अनुपस्थित परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का कुशल संचालन नहीं हो पाता और निजी क्षेत्र में कीमत संयन्त्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र के नियोजन के बीच सामंजस्य का अभाव उपस्थित हो जाता है और दोनों क्षेत्र पूरक न बनकर प्रतिस्पर्धी बन जाते हैं ।

2. राष्ट्रीयकरण का भय (Fear of Nationalisation):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को सरकारी राष्ट्रीयकरण का भय सदैव बना रहता है । इस भय के कारण व्यक्तिगत उद्यमी में व्यावहारिक रूप से विनियोग के प्रति विशेष रुचि एवं प्रेरणा उत्पन्न नहीं हो पाती ।

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीयकरण का भय विदेशी उद्यमियों को भी अपनी पूंजी विनियोग करने से रोकता है और परिणामस्वरूप देश की आर्थिक विकास प्रक्रिया तीव्र नहीं हो पाती ।

3. अस्थिरता (Instability):

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकारी नीतियां अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती है । सरकारी नीतियां स्थायी नहीं होती और सरकार समय-समय पर औद्योगिक नीति द्वारा निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र का विभाजन परिवर्तित करती रहती है । जिसके कारण अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का वातावरण बना रहता है ।

4. लालफीताशाही को बढ़ावा (Increase in Red Tapism):

मिश्रित अर्थव्यवस्था का संचालन सरकार एवं उसके प्रशासन तंत्र द्वारा किया जाता है । प्रशासन तंत्र की लालफीताशाही व्यक्तियों की स्वतंत्रता एवं प्रेरणा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है । लालफीताशाही एवं अफसरशाही से अनेक बार अच्छी योजनाओं का उचित एवं समयबद्ध क्रियान्वयन नहीं हो पाता । लालफीताशाही भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देती है ।

5. लोकतंत्र को खतरा (Danger to Democracy):

मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोनों क्षेत्र में सरकारी नियमन होने के कारण समाजवादी शक्तियों को प्रबल होने का खतरा अर्थव्यवस्था में सदैव बना रहता है । निजी क्षेत्र को नियन्त्रणों द्वारा कस कर उसकी समाप्ति एवं समस्त अर्थव्यवस्था पर सरकार के स्वामित्व का सन्देह मिश्रित अर्थव्यवस्था में सदैव बना रहता है । इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में लोकतंत्र सदैव चिरस्थायी रहेगा, आलोचक इस पर संदेह प्रकट करते हैं ।

मिश्रित अर्थव्यवस्था के उपर्युक्त दोषों का यदि विश्लेषण किया जाये तो यह स्पष्ट होता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था के ये दोष इस प्रणाली की व्यवस्था के कारण नहीं है बल्कि मिश्रित प्रणाली की नीतियों को ठीक प्रकार से क्रियान्वयन न किए जाने के कारण उत्पन्न होते हैं ।

इन दोषों का निवारण असम्भव नहीं यदि अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन एवं उसकी नीतियों का सतर्कतापूर्वक क्रियान्वयन किया जाए तो मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोषों को समाप्त किया जा सकता है तथा साथ ही निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में सामंजस्य स्थापित करके आर्थिक विकास दर में वृद्धि की जा सकती है ।

Home››Essay››Mixed Economy››