ऑस्ट्रेलिया पर निबंध | Australia Par Nibandh | Essay on Australia in Hindi!

आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड एवं आस-पास के द्वीपों को संयुक्त रूप से ‘आस्ट्रेलेशिया’ कहा जाता है । इसका विस्तार 2815′ दक्षिणी अक्षांश से 5430′ दक्षिणी अक्षांश तक है, जबकि देशांतरीय विस्तार 1129′ से 10912′ पूर्वी देशांतर तक है । आस्ट्रेलिया विश्व का सबसे छोटा महाद्वीप है, अतः इसे ‘द्वीपीय महाद्वीप’ भी कहते हैं ।

क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से आस्ट्रेलिया भारत से दोगुना बड़ा है तथा क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का छठा बड़ा देश है । इसकी खोज सन् 1770 में सर्वप्रथम ‘जेम्स कुक’ नामक एक अंग्रेज नाविक ने की थी । वह सिडनी पोताश्रय के निकट उतरा था । यह महाद्वीप पूरी तरह दक्षिणी गोलार्द्ध में है । मकर वृत्त इसके मध्य से गुजरता है ।

आस्ट्रेलिया का दो तिहाई भाग पश्चिमी पठार के रूप में पहचाना जाता है, जिस पर वर्षा के अभाव में मरूस्थल का विकास हुआ है । भारत में दक्कन के पठार की भांति यह पठार भी पुरानी चट्‌टानों से बना है । यह पठार अनेक खनिजों से भरा है, जिसमें लौह अयस्क और सोना महत्वपूर्ण है ।

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आस्ट्रेलिया के पूर्वी भाग में उच्च भूमि मिलती है, जो पूर्वी तट के समानान्तर फैली हैं । यह उत्तर में यार्क अंतरीप से लेकर दक्षिण में तस्मानिया द्वीप तक विस्तृत है । ऊँचे-ऊँचे पठारों की यह पट्‌टी ‘ग्रेट डिवाइडिंग रेंज’ कहलाती है ।

उत्तर में ये चौड़ी व कम ऊँची हैं, किन्तु दक्षिण में ये सँकरी और ऊँची हैं । कोशियुस्को (ऊँचाई-2230 मी.) आस्ट्रेलिया का सबसे ऊँचा शिखर है, जो इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है ।

जाड़े में यह हिमाच्छादित रहता है । आस्ट्रेलिया में महाद्वीपीय ज्वालामुखियों की शृंखला ‘कोस्ग्रोव हॉट स्पॉट’ की खोज की गई है । पश्चिमी पठार और पूर्वी उच्च भूमि के मध्य आस्ट्रेलिया की निम्नभूमि है, जिसे ‘मध्यवर्ती निम्न भूमि’ कहते हैं । यह मैदान उत्तर में कार्पेन्ट्रिया की खाड़ी से लेकर दक्षिणी तट तक विस्तृत है ।

कभी यह समुद्र के गर्भ में था तथा इसके कुछ भाग अब भी समुद्र तल से नीचे हैं, जैसे- ‘आयर झील’ के निकट की भूमि समुद्र तल से 12 मीटर नीचे है । यह झील अन्तःप्रवाह का क्षेत्र है । दक्षिण की ओर मर्रे और डार्लिंग दो महत्वपूर्ण नदियाँ मिलती हैं । मरे-डार्लिंग की घाटी आस्ट्रेलिया का सबसे प्रमुख कृषि क्षेत्र है ।

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यह उपजाऊ भूमि ‘रेवेरिना’ कहलाती है । वर्षा की कमी के कारण मध्यवर्ती निम्न भूमि में असंख्य गहरे कुएँ खोदे गए हैं, जिनसे अपने आप बड़े वेग से पानी ऊपर निकलता रहता है । ये ‘उत्स्रुत कूप’ (Artesian Wells) कहलाते हैं । इन कूपों का विस्तृत क्षेत्र ‘ग्रेट आर्टीजन बेसिन’ कहलाता है ।

आस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैण्ड राज्य के उत्तर-पूर्वी तट के साथ-साथ समुद्र में एक प्रवालभित्ति है, जिसे ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ कहते हैं । इसकी लम्बाई 1,900 किमी. से भी अधिक है । इस प्रवालभित्ति (Coral Reef) का निर्माण प्रवाल नामक अत्यन्त छोटे-छोटे जीवों के अस्थि-पंजरों (Coral Polypes) के लगातार जमाव से हुआ है ।

इस विशाल प्रवालभित्ति से पूर्वी तट के उत्तरी भाग में जहाजों को हमेशा खतरा बना रहता है । आस्ट्रेलिया में महाद्वीपीय ज्वालामुखियों की शृंखला ‘कोस्ग्रोव’ व ‘हॉट स्पॉट’ की खोज की गई ।

आस्ट्रेलिया का आधा उत्तरी भाग उष्ण कटिबंध में स्थित है तथा आधा दक्षिणी भाग शीतोष्ण कटिबंध में । उष्ण कटिबंध में पूर्व की ओर से और शीतोष्ण कटिबंध में पश्चिम की ओर से हवाएँ चला करती हैं । पूर्वी उच्चभूमि समुद्र से आने वाली हवाओं को रोककर वहीं वर्षा करा देती है, जिससे पश्चिम का विस्तृत भू-भाग शुष्क रह जाता है ।

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अतः वहाँ उष्ण मरूस्थलीय जलवायु पाई जाती है । उत्तरी तट पर मानसूनी जलवायु मिलती है, जिसमें मानसून पवनों से ग्रीष्मकालीन वर्षा होती है । आस्ट्रेलिया में आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को ‘विली-विली’ कहा जाता है ।

20 जनवरी, 2015 को दो उष्णकटिबंधीय चक्रवात (मर्सिया और लाम) एक साथ आए । ऐसा पहली बार हुआ है कि जब दो तूफान एक साथ आस्ट्रेलिया में एक ही समय पर आए ।

आस्ट्रेलिया के दक्षिणी तट की जलवायु भूमध्यसागरीय है, क्योंकि वहाँ केवल जाड़े में वर्षा होती है । तस्मानिया द्वीप की जलवायु पर समुद्र का प्रभाव पूरे वर्ष रहता है, अतः यहाँ वर्षा सालोंभर होती है । आस्ट्रेलिया को ‘प्यासी भूमि का देश’ कहते हैं, क्योंकि इसके बहुत बड़े भाग में बहुत कम वर्षा होती है । आस्ट्रेलिया की केवल 4% भूमि में खेती होती है ।

यहाँ की वनस्पति मुख्यतः वर्षा की मात्रा द्वारा नियंत्रित होती है । पूर्वी तटीय क्षेत्र में जहाँ भारी वर्षा होती है, वन पाए जाते हैं । शुष्क भीतरी भागों में घास और झाड़ियाँ ही उगती हैं । उष्ण तटीय वनों में ताड़, बाँस, बर्च और देवदार वृक्ष बहुतायत में मिलते हैं । शीतोष्ण वन के मुख्य वृक्ष यूकेलिप्टस हैं ।

शुष्क भागों में उगने वाली घास के दो प्रकार हैं- उष्ण कटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंधीय । ये क्रमशः ‘सवाना’ और ‘डाउन्स’ कहलाती हैं । सवाना में साल्ट ब्रुश और मुल्गा झाड़ियाँ उगा करती हैं । डाउन्स में जहाँ-तहाँ यूकेलिप्टस के पेड़ उग आते हैं तथा यह ‘आस्ट्रेलिया की पार्कभूमि’ (The Parkland of Australia) के नाम से प्रसिद्ध है ।

कंगारू और वेल्लाबी धानी वर्ग (मार्सुपियल्स) के प्रमुख जानवर हैं । इन जंतुओं के पेट के पास खाल की थैली जैसी बनी रहती है, जिसमें ये अपने बच्चों को आसानी से उठाए घूमते हैं । कंगारू आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया है ।

कोआला धानी वर्ग का दूसरा जानवर है । प्लैटीपस यहाँ का विचित्र जन्तु है जो दौड़ता है, जमीन में सुरंग बनाता है तथा पानी में तैरता भी है । चार पैरों वाला यह जीव अंडे देता है ।

इस प्रकार, यह पशु और पक्षी दोनों श्रेणियों में आता है । ‘एमू’ यहाँ का विचित्र पक्षी है, जिसकी टांगें लंबी होती है । पंखहीन होने के कारण यह उड़ नहीं सकता, लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह खूब तेज दौड़ता है । कोकाबर्रा और लायर बर्ड भी यहाँ के अनोखे पक्षी हैं । जहाँ पहला विचित्र हँसी वाला है, वहीं दूसरा नकलची ।

कोकाबर्रा को ‘लाफिंग जैकास’ भी कहते हैं । डिंगो जंगली प्रजाति का कुत्ता है । कृषकों के फसलों को हानि पहुँचाने वाले जानवरों का शिकार करता है । ककाडू नेशनल पार्क, उलुरू आयर रॉक, गोल्ड कोस्ट व ग्रेट बैरियर रीफ आस्ट्रेलिया के प्रमुख पर्यटन केन्द्र हैं ।

आस्ट्रेलिया एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ कृषि के सर्वप्रमुख क्षेत्र दो हैं- मर्रे डार्लिंग का मैदान और दक्षिण व पूर्व के तटीय प्रदेश । गेहूँ आस्ट्रेलिया की सर्वप्रमुख खाद्यान्न फसल है, जिसके सर्वाधिक उत्पादक राज्य न्यू साउथवेल्स व पश्चिमी आस्ट्रेलिया हैं । यहाँ से बड़ी मात्रा में गेहूँ निर्यात किया जाता है । गन्ना, तंबाकू और कपास मुख्यतः क्वींसलैंड में पैदा होते हैं ।

यहाँ फलोत्पादन भी होता है, जैसे- अनन्नास, केला, पपीता (उष्ण क्षेत्रों में) अंगूर, सेब, संतरा आदि (शीतोष्ण क्षेत्र में) । विश्व की एक तिहाई भेड़ आस्ट्रेलिया में मिलती है, जो संसार में सर्वाधिक है । मर्रे-डार्लिंग का क्षेत्र भेड़पालन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है ।

यहाँ ‘मेरिनो’ किस्म की भेड़ें पाली जाती हैं, जो सबसे अच्छी नस्ल की होती हैं । इन भेड़ों से सबसे अच्छी ऊन मिलती है । क्वींसलैंड और न्यू साउथवेल्स भेड़पालन के प्रमुख राज्य हैं । भेड़पालन केन्द्रों पर काम करने वाले मजदूरों को ‘जेकारू’ कहते हैं । आस्ट्रेलिया विश्व का एक तिहाई ऊन उत्पन्न करता है ।

क्वींसलैंड मांस का सर्वाधिक उत्पादक और निर्यातक राज्य है । आस्ट्रेलिया दुग्ध पदार्थों का भी निर्यात करता है । आस्ट्रेलिया खनिज संसाधनों में धनी है । यहाँ पश्चिमी आस्ट्रेलिया और विक्टोरिया में सोने की खाने हैं । कालगूर्ली और कूलगार्डी ‘स्वर्ण नगरी’ के रूप में प्रसिद्ध है ।

आस्ट्रेलिया में कोयला, लोहा, बॉक्साइट, मैंगनीज और टिन के भी बड़े-बड़े भंडार हैं । न्यू साउथवेल्स में कोयले व पिलबरा में लौह-अयस्क का उत्पादन होता है । ब्रोकेन हिल व माउंट ईसा लेड व जिंक के लिए विख्यात है । एलिस स्प्रिंग में तेल व प्राकृतिक गैस के विशाल संचित भंडार हैं ।

संसार में बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक आस्ट्रेलिया है । यहाँ केपयार्क प्रायद्वीप का वाइपा क्षेत्र बॉक्साइट के कारण विश्व प्रसिद्ध है । आस्ट्रेलिया यूरेनियम का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है । यह यूरेनियम, लौह अयस्क, टिन और मैंगनीज का भारी मात्रा में निर्यात करता है । इस देश के अधिकतर उद्योग विक्टोरिया एवं न्यू साउथ वेल्स राज्यों में है ।

यहाँ के मूल निवासी ‘एबोरीजिनल’ कहलाते हैं । देश के भीतरी भागों में जनसंख्या का वितरण बहुत ही असमान है । भीतरी भागों में शुष्कता के कारण अत्यल्प जनसंख्या मिलती है । घनी जनसंख्या के क्षेत्र पूर्वी तटीय निम्नभूमि और दक्षिणी-पूर्वी भाग हैं, जहाँ उद्योग विकसित हैं तथा जलवायु शीतल एवं स्वास्थ्यकर है ।

कृषि प्रधान देश होते हुए भी 60% जनसंख्या केवल 8 नगरों में रहती है, जो इस देश के विभिन्न राज्यों की राजधानियाँ हैं । न्यूकैसल, सिडनी, मेलबोर्न एडिलेड, पर्थ आदि प्रमुख नगर और पत्तन हैं । आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा है, परंतु सबसे बड़ा नगर सिडनी है । सिडनी का पोताश्रय ‘पर्ल हार्बर’ विश्वविख्यात पत्तन है । आस्ट्रेलिया विश्व में ऊन का सबसे बड़ा निर्यातक है ।

आस्ट्रेलिया में यातायात का मुख्य साधन रेलमार्ग है । आस्ट्रेलिया का एकमात्र पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग 4,000 किमी. लंबा है, जो सिडनी से पर्थ को जाता है । इसके सभी राजधानी नगर व प्रमुख खनन केन्द्र रेलमार्गों और सड़कों से जोड़ दिए गए हैं । आस्ट्रेलिया में प्रमुख सड़कों को ‘कॉमनवेल्थ महामार्ग’ कहते हैं ।

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