कंप्यूटर पर निबंध | Kampyootar Par Nibandh | Short Essay on Computer in Hindi

कम्प्यूटर इस शताब्दी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आविष्कारों में से एक है । आज कम्प्यूटर हिसाब-किताब एवं सोच-विचार के वे सभी कार्य करने लगा है जो कभी मानव-मस्तिष्क ही किया करता था । इसी कारण कम्प्यूटर को ‘मशीनी मस्तिष्क’ कहा जाने लगा है । इसके विकास का कार्य काफी समय से चला आ रहा है और आज भी वैज्ञानिक इससे कार्य लेने की कोशिश में है जो मानव के बूते के बाहर है ।

कम्प्यूटर को आज प्रत्येक क्षेत्र की प्रगति एवं द्रुत विकास के लिए आवश्यक माना जाने लगा है । शिक्षा, व्यवसाय, शासन-प्रशासन सभी में आज कम्प्यूटर प्रणाली की आवश्यकता ही अनुभव नहीं की जा रही है बल्कि उसे यथासम्भव अपनाया भी जा रहा है ।

मानव-मस्तिष्क से भी बढ़कर तीव्रगति से कार्य करने वाला कम्प्यूटर वास्तव में अंकगणित पद्धति के विकास की एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक देन है । आज अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, हालैंड, स्वीडन, ब्रिटेन आदि देशों में इसे मानव-मस्तिष्क का दर्जा मिल चुका है ।

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भारत में कम्प्यूटर विज्ञान का तीव्रता से विकास हो रहा है तथा हर क्षेत्र में उसकी सहायता लेकर कार्यक्षमता को बढ़ाया जा रहा है । हमारे देश में सबसे पहला कम्प्यूटर सन् 1961 ई॰ में आया था । तब से आज तक दूसरे देशों से बहुत-से कम्प्यूटर हमारे देश में आ चुके हैं । अब तो कम्प्यूटर यहाँ भी बनाए जाने लगे हैं ।

आज सरकारी, गैर-सरकारी प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाने लगा है । इसका उपयोग कारखानों में कल-पुर्जे बनाने, डाक छाँटने, रेल मार्ग संचालन करने, टिकट बाँटने, शिक्षा, मौसम की जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अन्तरिक्ष विज्ञान, परिवहन व्यवस्था, विमान परिवहन, व्यापार, चिकित्सा, वीडियो खेल, मुद्रण कला, लेखा-जोखा, परिणति का हाल जानने आदि के लिए इसका प्रयोग होने लगा है ।

बिजली के बिल बनाने व भेजने में इनका उपयोग किया जा रहा है, बैंकों में हिसाब-किताब रखने, पर्चों को जाँचने में भी इनका प्रयोग हो रहा है । इसकी सहायता से पुस्तकें महीनों के स्थान पर दिनों में तैयार हो जाती हैं । समाचार पत्रों के प्रकाशान और समूचे क्रिया-कलापों का आधार तो कम्प्यूटर बन ही चुका है ।

आज के युग में कम्प्यूटर लगभग सभी क्षेत्रों में हमारी सहायता कर रहा है । इसके इस महत्त्व को देखते हुए विद्यालयों में सभी विद्यार्थियों को इसका शिक्षण दिया जा रहा है । इससे कई बार इतनी बड़ी-बड़ी गलतियाँ हो जाती हैं जिस कारण इस पर मानव-मस्तिष्क जैसा विश्वास तो नहीं किया जा सकता है परन्तु फिर भी यह मानव जीवन के लिए सबसे अधिक उपादेय है ।

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