Read this article in Hindi to learn about biodiversity conservation and its strategies.

जैविक विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation):

विकासशील तथा विकसित देशों में जैविक विविधता ह्रास एक भारी प्रश्न के रूप में उभरी है । वर्ष 1992 में आयोजित अर्थ सम्मेलन (Earth Summit) के पश्चात विश्व के सभी देश पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।

इस विश्व शिखर सम्मेलन में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि विकसित देश, विकासशील देशों के संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे इसलिये उनकी जिम्मेदारी बनती है कि विकसित देश, विकासशील देशों को बायो-टेक्नोलॉजी (Biotechnology) को मुफ्त में उपलब्ध करायें ।

जैविक विविधता संरक्षण के लिये विश्व शिखर सम्मेलन (Earth Summit) में निम्न बातों पर सहमति प्रकट की गई जिसके लिये नीचे दी गई योजनायें तैयार की गई हैं:

ADVERTISEMENTS:

1. जैविक विविधता को संरक्षण प्रदान किया जाये ।

2. जैविक विविधता को स्वास्थ्य एवं टिकाऊ बनाया जाये ।

3. जैविक विविधता का लाभ समाज के सभी वर्गों को विवेकतापूर्ण ढंग से पहुंचना चाहिये ।

विश्व सम्मेलन (Earth Summit) पर इस मुद्दे पर सहमति हुई कि अपने संसाधनों पर प्रत्येक देश का पूर्ण नियन्त्रण होना चाहिये । यदि कोई देश किसी दूसरे देश के जैविक संसाधनों का इस्तेमाल कर रहा है तो उनके बीच होने वाले लाभ के बारे में संधि होनी चाहिये । यह कार्यक्रम 1993 में लागू किया गया ।

जैविक संरक्षण रणनीति (Strategies for Biodiversity Conservation):

ADVERTISEMENTS:

जैविक विविधता के संरक्षण के लिये निम्न दो प्रकार की योजनायों पर काम किया जा सकता है:

1. स्वस्थाने (In-Situ Conservation):

जैविक विविधता को स्वस्थाने संरक्षण प्रदान करने के लिये सरकार को बायोस्फियर रिजर्व (Biosphere Reserves) राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) शरण्य (Sanctuaries) सुरक्षित क्षेत्र (Protected Areas) तथा आर्द्र-स्थलों (Wetlands) का सीमांकन करना चाहिये ।

(i) बायोस्फियर रिजर्व (Biosphere Reserves):

ADVERTISEMENTS:

बायोस्फियरों का सीमांकन करना, जैविक विविधता को संरक्षण प्रदान करने का एक प्रभावशाली तरीका है । बायोस्फियर रिजर्व के अंतर्गत, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, लघु प्राणियों तथा जलाश्यों एवं सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण प्रदान किया जाता है ।

इनका सीमांकन यूनेस्को (UNESCO) के Man and Biosphere (MAB-1968) में दिये गये सिद्धान्तों के अनुसार किया जाता है । भारत में इनका सीमांकन केन्द्रीय सरकार के द्वारा किया जाता है ।

मैन एण्ड बायोस्फियर (Man and Biosphere-MAB) के अनुसार बायोस्फियर मूलभूत सुविधाएं प्रदान करता हैं भारत में वर्ष 2014 तक 18 बायोस्फियर रिर्जब्स हैं, जिनके नाम निम्न प्रकार हैं:

1. अगस्था मलाय (Agasthamalai),

2. अचानकमार-अमरकंटक (Achanakmar-Amarkantak),

3. शीत मरुस्थल (Cold Desert),

4. दिहांग-दिबांग (Dehang-Debang),

5. डिब्रू-शिखोबा (Dibru-Saikhowa),

6. ग्रेट-निकोबार (Great Nicobar),

7. मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar),

8. कच्छ (Kachchh),

9. कंचनजंगा (Kanchanjunga),

10. मानस (Manas),

11. नन्दा देवी (Nanda-Devi),

12. नीलगिरि (Nilgiri),

13. नोकरेक (Nokrek),

14. पचमढ़ी (Panchmadhi),

15. पन्ना (Panna),

16. सीशाचलम (Seshachalam),

17. सिमलीपाल (Simlipal) तथा

18. सुन्दरवन (Sundarban) ।

उपरोक्त 18 बायोस्फियर रिजर्व में से केवल सात ही विश्व-नेटवर्क बायोस्फियर रिजर्व में सम्मिलित हैं, जिनके नाम निम्न प्रकार हैं:

1. सुन्दरवन (Sundarban),

2. मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar),

3 नीलगिरि (Nilgiri),

4. नन्दा देवी (Nanda-Devi),

5. पचमढ़ी (Panchmadhi),

6. सिमलीपाल (Simlipal) तथा

7. नोकरेक-मेघालय (Nokrek Meghalaya) ।

(ii) राष्ट्रीय उद्यान (National Park):

राष्ट्रीय उद्यान केन्द्रीय सरकार के द्वारा सीमांकित एक ऐसे विस्तृत क्षेत्र को कहते हैं कई पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco Systems) पाये जाते हैं । राष्ट्रीय उद्यान में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, भू-आकृतियों को संरक्षण प्रदान किया जाता है तथा जहाँ शिक्षा एवं शोध कार्य की सुविधा होती है ।

वर्ष 2014 के आँकड़ों के अनुसार भारत में सौ (100) राष्ट्रीय उद्यान हैं । भारत में वन प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार राष्ट्रीय उद्यान का सीमांकन किया जाता है ।

राष्ट्रीय पार्कों में निम्न: क्रिया-कलापों (Activities) पर प्रतिबंध होता है:

i. पशु-पक्षियों का शिकार करने, पकड़ने, चुराने (Poaching) मछली मारने पर प्रतिबंध,

ii. किसी भी जंगली जानवर के प्राकृतिक आवास को नष्ट करने पर प्रतिबंध होता है,

iii. राष्ट्रीय उद्यान में हथियारों का प्रयोग नहीं किया जा सकता,

iv. पशुचारण पर प्रतिबंध होता है तथा

v. राष्ट्रीय पार्क की सीमाओं को बदला नहीं जा सकता ।

(iii) अभयारण्य (Sanctuaries):

भारत में अभयारण्य (Sanctuaries) का सीमांकन राज्य सरकारों के द्वारा किया जाता है । राज्य सरकार भी पारिस्थितिकी महत्व के क्षेत्र को अभयारण्य (Sanctuary) घोषित करके उसका सीमांकन कर सकता है ।

किसी भी शरण्य में पारिस्थितिकी के विशेष पशु-पक्षी, अथवा पेड़-पौधों को संरक्षण प्रदान करना होता है । भारत में 2012 के आंकड़ों के अनुसार 514 अभयारण्य हैं, जिनमें से 39 बाघ-अभयारण्य (Tiger Sanctuaries) तथा 21 पक्षी-अभयारण्य हैं ।

2. अस्वस्थाने संरक्षण (Ex-Situ Conservation):

यदि पशु-पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट अथवा बरबाद हो जायें तो उनको अस्वस्थाने (Ex-Situ) संरक्षण प्रदान किया जाता है । अस्वस्थाने संरक्षण में मानव द्वारा संकटमय जीव-प्रजातियों (Endangered Species) के लिये प्राकृतिक आवास दूर ऐसी जीव-प्रजातियों को कृत्रिम आवास में रखा जाता है ।

इस प्रकार के संरक्षण के लिये चिड़िया घर (Zoological Parks) वनस्पति उद्यान (Botanical Gardens), बीज-बैंक (Seed Bank), आदि का निर्माण किया जाता है ।

संकटमय (Endangered Species) को संरक्षण प्रदान करने के लिये बहुत-से स्थानों पर पुनर्वास केन्द्र (Rehabilitation Centers) स्थापित किये जाते हैं । भारतवर्ष में ऐसे पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना राष्ट्रीय योजना 1983 (National Action Plan, 1983) के अंतर्गत की जाती है ।

इन पुनर्वास केन्द्रों (Rehabilitation Centers) के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं:

(i) जिन संकटमय जीव-प्रजातियों को संरक्षण प्रदान देना हैं उनकी शिनाख्त (Identification) करना । जो जीव-प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर हैं या संकटमय हैं उनको इन पुनर्वास केन्द्रों पर संरक्षण दिया जाता है ।

(ii) कुछ विशेष जीव-प्रजातियों, जो वास्तव में गम्भीर रूप से संकटमय हैं, को पकड़ कर पुनर्वास केन्द्रों पर लाना और संरक्षण देना ।

(iii) जिन जीव-प्रजातियों (Species) को पुनर्वास में, पकड़कर लाया जाये उनको खान-पान (Feeding), प्रजनन (Breeding) तथा बीमारियों (Pathology) का अध्ययन किया जाये ।

(iv) पुनर्वास केन्द्रों में रखे गये पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना तथा उनके प्रजनन का प्रबन्ध करना ।

(v) पुनर्वास में शरण दिये गये पशु-पक्षियों के बच्चों को एक विशेष आयु के पश्चात, प्राकृतिक-आवासों (Natural Habitats) में छोड़ना ।

(vi) पुनर्वास केन्द्रों में रखी गई जीव-प्रजातियों का बीजारोपण, गर्भाधान, वीर्य-सेचन (Artificial Insemination) का प्रबंध करना ।

(vii) चिड़ियाघर (Zoological Parks), वनस्पति उद्यान (Botanical Gardens), बीज-बैंक (Seeds Bank) की स्थापना करना ।

उपरोक्त उपायों के अतिरिक्त लुप्त प्राणियों, संकटमय दुर्लभ जीव-प्रजातियों की सम्पूर्ण सूची तैयार करना । यदि उपरोक्त योजनाओं पर गम्भीरता से काम किया जाये तो बहुत अच्छे एवं सकारात्मक नतीजे निकल सकते हैं ।

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