उत्पादन की हिक्स तटस्थ तकनीकी प्रगति | Read this article in Hindi to learn about Hicks neutral technical progress of production.

प्रो॰ जे॰ आर॰ हिक्स ने अपनी पुस्तक Theory of Wages में निष्क्रिय तकनीकी प्रगति की परिभाषा दी । हिक्स के अनुसार एक निष्क्रिय नवप्रवर्तक वह है, यदि उत्पादन के दो साधनों की निश्चित मात्राएँ उत्पादन के एक दिए हुए स्तर को उत्पादित करने में प्रयुक्त होती हैं तब नवप्रवर्तन के द्वारा दोनों साधनों की सीमान्त उत्पादकताएँ समान अनुपात में बढ़ेगी ।

हिक्स के निष्क्रिय नवप्रवर्तन को एक उत्पादन फलन की सहायता से समझाया जा सकता है । माना उत्पादन के दो साधन पूंजी (K) तथा श्रम (L) है अतः उत्पादन फलन Y = F (K, L) ।

यदि प्रति व्यक्ति उत्पादन y तथा प्रति व्यक्ति पूंजी k हो तो-

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y = Y/L

तथा

k = Y/L

k का मूल्य जितना अधिक होगा, उत्पादन उतना ही अधिक पूंजी गहन होगा तथा यदि उत्पादन फलन प्रथम श्रेणी का समरूप के साथ धनात्मक लेकिन दोनों साधनों के गिरती हुई सीमान्त उत्पादकताओं वाला हो तब एक उत्पादन की एक अधिक पूंजी गहन विधि उच्च पूंजी उत्पादन अनुपात (K/Y) को तथा एक उच्च प्रति व्यक्ति उत्पादन (y = Y/L) को सूचित करेगी ।

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अब माना तकनीकी प्रगति होती है जिससे उत्पादन फलन बदलता है । हिक्स के अनुसार K के दिये होने पर उत्पादन फलन में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन में (δ Y/ δK)/(δY/δL) स्थिर रहेगा, अर्थात्-

(पूँजी की सीमान्त उत्पादकता/श्रम की सीमान्त उत्पादकता) स्थिर होगी ।

उपर्युक्त से अभिप्राय है कि सम उत्पाद रेखा का आकार अपरिवर्तित रहेगा । इसे चित्र 69.1 से प्रदर्शित किया गया है ।

जहाँ t1 एवं t2 तकनीकी प्रगति के बाद भी दशा को प्रदर्शित करता है ।

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पूंजी बचत नवप्रवर्तन (Capital Saving Innovation):

उपर्युक्त व्याख्या की सहायता से पूंजी बचत एवं श्रम बचत नवप्रवर्तन की दशा को समझा जा सकता है । एक पूंजी बचत नवप्रवर्तन से दिये हुए K पर उत्पादन फलन में होने वाला परिवर्तन (δ Y/ δK)/(δY/δL) में कमी की सूचना देगा ।

यह दशा तब सम्भव होगी जब दोनों साधनों की मात्रा के दिए होने पर नवप्रवर्तन पूंजी की अपेक्षा श्रम की सीमान्त उत्पादकता में अधिक आनुपातिक वृद्धि करेगा । इससे अभिप्राय यह है कि उत्पादन के एक दिए हुए स्तर को श्रम के सापेक्ष कम पूंजी से उत्पादित किया जा सकेगा अर्थात् तकनीकी प्रगति के परिणामस्वरूप उत्पादन की पूंजी गहनता कम होगी ।

यदि नवप्रवर्तन के परिणामस्वरूप पूंजी की आदा में एक निरपेक्ष कमी हो तथा श्रम की आदा में वृद्धि हो तब नवप्रवर्तन को निरपेक्ष रूप से श्रम उपयोग एवं पूंजी की बचत वाला कहा जाएगा । दूसरी तरफ यदि नवप्रवर्तन के परिणामस्वरूप दोनों आदाओं की मात्रा में कमी आए लेकिन श्रम आदा में होने वाली कमी पूंजी के सापेक्ष अल्प हो तो नवप्रवर्तन सापेक्षिक रूप से पूजी बचत वाला होगा ।

श्रम बचत नवप्रवर्तन (Labour Saving Innovation):

एक श्रम बचत नवप्रवर्तन वह है जहाँ K के दिए होने पर उत्पादन फलन इस प्रकार खिसके कि (δ Y/ δK)/(δY/δL) बढ़े, अर्थात्-

(पूंजी की सीमान्त उत्पादकता/ श्रम की सीमान्त उत्पादकता)में वृद्धि हो ।

हिक्स की निष्क्रिय तकनीकी प्रगति का ज्यामितीय निर्वचन (Geometrical Interpretation of Hicks Neutral Technical Progress):

हिक्स की निष्क्रिय तकनीकी प्रगति को चित्र 69.2 की सहायता से प्रदर्शित किया गया है । चित्र में प्रति व्यक्ति पूंजी को X-अक्ष में मूलबिन्दु से दाई और तथा प्रतिव्यक्ति उत्पादन (y) को Y-अक्ष द्वारा मापा जाता है ।

तकनीकी प्रगति से पूर्व उत्पादन फलन को (y,K) धरातल पर t1 वक्र के द्वारा प्रदर्शित किया गया है । जब तकनीकी प्रगति सम्पन्न होती है तो यह वक्र ऊपर की ओर बढ्‌कर t2 हो जाता है । माना उत्पादन फलन में सन्तुलन का मूल बिन्दु B है ।

WB रेखा का ढाल, उत्पादन फलन Ot1 के बिन्दु स पर स्पर्श करता है जो B बिन्दु पर पूंजी के सीमान्त उत्पाद को सूचित करता है । यदि हम स्पर्श रेखा को Y-अक्ष के पीछे की ओर विस्तृत करें तो OW भाग मजदूरी अर्थात् बिन्दु B पर श्रम के सीमान्त उत्पाद का प्रदर्शन करेगा ।

हम यह भी प्रदर्शित कर सकते है कि OD, सन्तुलन दशा B पर श्रम के सीमान्त उत्पाद एवं पूंजी के सीमान्त उत्पाद के अनुपात का मापन करेगा । यह प्रदर्शित करने के लिए हम OWD त्रिभुज पर ध्यान देते है ।

चूंकि WD का ढाल, पूंजी का सीमान्त उत्पाद (Y) है इसलिये-

Y = OW/OD

इस समीकरण को हम निम्न प्रकार भी लिख सकते हैं:

OD = OW/Y = श्रम का सीमान्त उत्पाद/पूँजी का सीमान्त उत्पाद इस प्रकार OD सन्तुलन बिन्दु पर श्रम के सीमान्त उत्पाद एवं पूंजी के सीमान्त उत्पाद के मध्य अनुपात का प्रदर्शन होगा ।

हम यह जानते है कि हिक्स की निष्क्रिय तकनीकी प्रगति हेतु श्रम के सीमान्त उत्पाद एवं पूंजी के सीमान्त उत्पाद के मध्य अनुपात स्थिर होना चाहिए । चित्र में यह अनुपात OD से दिखाया गया है ।

यदि तकनीकी प्रगति से Ot1 रेखा बदल कर Ot2 दशा में आ जाये तब भी एक निश्चित साधन अनुपात माना K = K के लिए पूंजी के सीमान्त उत्पाद के मध्य का अनुपात स्थिर रहता है ।

चित्र के सन्दर्भ में हम स्पष्ट कर सकते हैं कि X-अक्ष के अनुरूप कोई भी उध्र्व रेखा जैसे कि AC रेखा पर दोनों सीमान्त उत्पादों का अनुपात स्थिर रहेगा । इससे तात्पर्य यह है कि यदि तकनीकी प्रगति के उपरान्त नई उत्पाद फलन रेखा Ot2 पर सन्तुलन बिन्दु C है तब C बिन्दु से गुजरने वाला लम्ब D बिन्दु से जाएगा; जैसे कि बिन्दु B से खींचा गया लम्ब भी बिन्दु D तक पहुँच रहा है ।

चित्र 69.2 में यह केवल उस दशा में सम्भव होगा जब दोनों सीमान्त उत्पादों के अनुपात तकनीकी प्रगति के पहले तथा बाद में समान होंगे अर्थात् नई दर OW1/Y1 ठीक बराबर होगा मूल दर OW/Y के ।

इसी दशा में दिए हुए साधन अनुपात K पर हिक्स की निष्क्रिय तकनीकी प्रगति की दर को डट रेखा पर Ot1 एवं Ot2 उत्पादन फलन हेतु देख सकते हैं । अतः हिक्स के अनुसार तकनीकी प्रगति का निष्क्रिय होने का स्वर्ण नियम यह है कि एक ऊर्ध्व रेखा जैसे AC4 से उत्पादन फलन में खींची गई स्पर्श रेखाएँ अवश्य ही D बिन्दु से जाएँ ।

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