स्क्रीन प्रिंटिंग केंद्र कैसे सेट करें? | Are you planning to set up a screen printing unit? Read this article in Hindi to learn about how to set up and establish a screen printing unit.

पिछले एक दशक में मुद्रण तकनीकी में अनेकों नवीनताएं तथा विविधतायें प्रस्तुत हुई हैं, जिससे प्रिंटिंग के क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन हुए है । आज बाजार में विभिन्न प्रिंटिंग कार्यों हेतु विभिन्न लागात, क्षमता तथा गुणवत्ता की मशीनें/तकनीकें उपलब्ध है ।

इसी संदर्भ में जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे कस्बों हेतु तथा जहाँ कम मात्रा में प्रिंटिंग कार्य किया जाना हो, ट्रेडल प्रेस उपयुक्त हैं, वहीं अधिक मात्रा के तथा बहुरंगीय प्रिंटिंग कार्य हेतु आधुनिकतम मल्टी कलर ऑफसेट मशीनें उपलब्ध हैं । कम्पोजिंग का कार्य भी अब हाथ से करने के बजाए कम्प्यूटर से किया जा रहा है ।

प्रिंटिंग की इन विभिन्न तकनीकों के बीच स्क्रीन प्रिंटिंग तकनीकी न केवल शहरों के लिए बल्कि छोटे कस्वो तथा ग्रामों के लिये भी उपयुक्त सिद्ध हुई है । इस विधि द्वारा न केवल बहुरंगीय छपाई संभव है बल्कि यदि किसी प्रिंटिंग कार्य में कम दामों में कलात्मकता तथा सुन्दरता लाना हो तो सर्वाधिक उपयुक्त विधि स्क्रीन प्रिंटिंग ही है ।

स्क्रीन प्रिंटिंग विधि की प्रमुख विशेषताओं (Features of Screen Printing Process):

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स्क्रीन प्रिंटिंग विधि/तकनीकी की प्रमुख विशेषताओं को निम्नानुसार देखा जा सकता है:

1. स्क्रीन प्रिंटिंग की इकाई की स्थापना हेतु अत्यधिक कम पूंजी निवेश की आवश्यकता (Need for Very Low Capital Investment to set up a Screen Printing Unit):

स्क्रीन प्रिंटिंग की इकाई की स्थापना हेतु अपेक्षाकृत अत्यधिक कम पूजी निवेश की आवश्यकता होती है । यदि यह इकाई बिल्कुल छोटे स्तर पर स्थापित करना हो तो 5000 रु. का पूंजी निवेश भी इस इकाई की स्थापना हेतु पर्याप्त है ।

2. कम मात्रा के प्रिंटिंग कार्यों के लिये सर्वाधिक उपयुक्त (Most Suitable for Low Volume Printing Jobs):

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स्क्रीन प्रिंटिंग विधि से रंगों (मल्टी कलर्स) में प्रिंटिंग कार्य किया जा सकता है तथा यह काफी उच्च गुणवत्ता का होता है । (ऑफसेट से की जाने वाली प्रिंटिंग की तुलना का तथा कई बार तो उससे भी ज्यादा उत्तम) ।

यह सही है कि यदि ज्यादा मात्रा में कोई प्रिंटिंग कार्य (1000 प्रतियों से अधिक) करवाना हो तो ऑफसेट पद्धति उपयुक्त रहेगी, परन्तु यदि 200-500 प्रतियों में प्रिंटिंग कार्य करवाना हो तो स्क्रीन प्रिंटिंग ही सर्वोत्तम माध्यम है क्योंकि इससे कार्य उच्च गुणवत्ता का तो होगा ही साथ ही लागत भी कम आयेगा ।

3. सभी प्रकार की वस्तुओं/सतहों पर प्रिंटिंग करना संभव (It is Possible to Print all Types of Objects/Surfaces):

स्क्रीन प्रिंटिंग पद्धति की एक अन्य प्रमुख विशेषता जो कि प्रिंटिंग तकनीकी को किसी दूसरी पद्धति में नहीं है वह यह है कि इस पद्धति से लगभग सभी वस्तुओं/सतहों पर प्रिंटिंग की जा सकती है अर्थात् प्रिंटिंग की जाने वाली सतह चाहे गोल हो अथवा समतल घुमावदार हो अथवा असमतल टेढ़ी मेढ़ी हो अथवा किसी भी अन्य प्रकार की स्क्रीन प्रिंटिंग पद्धति से सभी प्रकार की सतहों पर प्रिंटिंग की जा सकती है ।

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यह सुविधा प्रिंटिंग की अन्य पद्धतियों में नहीं है । उदाहरणार्थ स्क्रीन प्रिंटिंग पद्धति से जूता, ड्रम, कपड़ा, थैली पुस्तक आदि एक ही तरीके से प्रिंट किये जा सकते हैं जबकि प्रिंटिंग की अन्य पद्धतियों में यह संभव नहीं है ।

इसके अतिरिक्त भी अनेकों अन्य विशेषतायें हैं जो स्क्रीन प्रिंटिंग पद्धति को प्रिंटिंग की अन्य पद्धतियों से ज्यादा महत्व दिलवाती है । यही कारण है कि आज स्क्रीन प्रिंटिंग कार्य को अत्यधिक महत्व प्राप्त हो रहा है तथा अनेकों युवा इस कार्य को अपनी जीविका का साधन बनाने हेतु आगे आ रहे हैं ।

मुख्यतया स्क्रीन प्रिंटिंग पद्धति निम्नलिखित कार्यों हेतु ज्यादा उपयोगी सिद्ध हो सकती है:

स्क्रीन प्रिंटिंग के विविध उपयोग (Miscellaneous Uses of Screen Printing):

 

जिन विविध कार्यों हेतु स्क्रीन प्रिंटिंग इकाई को व्यवसाय/कार्य/ग्राहक/मिल सकते हैं वे निम्नानुसार हैं:

1. स्टेशनरी वस्तुओं से संबंधित (Related to Stationery Items):

लैटर पैडस, बिल बुक, सर्टिफिकेटस, ऑफिस फाईलें, शादी के कार्डस, आमंत्रण पत्र, लीफलैट्स, रेस्टारेन्टस/होटलों के मूल्य सूची पत्र (टेरिफ कार्दस) तथा मीनूकार्ड, नैपकिन्स, पेपर प्लेट्‌स, पैन, पैंसिल, पुटठे आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

2. प्लास्टिक से संबंधित (Plastic Related):

प्लास्टिक के फोल्डर्स, फाईल कवर्स, डायरियों के कवर्स, बैठकों की पास बुकें, पहचान पत्र, ग्लो साईन बोर्डस, पौलीथीन की थैलियाँ, विभिन्न प्रकार के उत्पादों से संबंधित डिब्बे जैसे परफ्यूरी के डिब्बे, कम्पास बाक्स आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

3. चीनी मिट्‌टी अथवा सिरेमिक्स के क्षेत्र से संबंधित (Ceramic):

क्रॉकरी, टाईलें, वाश बेसिन आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

4. इलैक्ट्रॉनिक्स तथा इलेक्ट्रिकल से संबंधित (Electronics and Electrical):

प्रिंटेड सर्किट बोर्डस, डैश बोर्डस, चोक, स्टार्टस, इलेक्ट्रिक मोटर्स, तथा अन्य इन्स्टूमेंटस पर प्रिंटिंग कार्य ।

5. टैक्सटाईल्स के क्षेत्र से संबंधित (Field of Textiles):

बैनर्स, जूट बैग्स, टी शर्टस, रूमाल बैड शीट्स, टोपी, चुन्नी, साड़ी, तौलिए, जुरावे, टेलर्स लेबल आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

6. रेग्जीन तथा फोम से संबंधित वस्तुऐं (Reggae and Foam Related Items):

पर्स, जूते, डैकोरेटिव तथा गिफ्ट आईटम्स, स्कूली बस्ते, सीटकवर्स, सामान्य बैग्स, बीड़ियों को लाने-ले-जाने वाले झोलों आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

7. टीन के क्षेत्र से संबंधित (Tidal):

टीन के पीपे तथा उनके ढक्कन, कूलर्स, विभिन्न साईन बोर्डस जैसे- सावधान/एस. टी. डी. पी. सी. ओ. आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

8. कांच से संबंधित (Vitreous):

बोतलों (जैसे थम्स अप, लिम्का आदि), विभिन्न होटलों/रेस्टारेन्टस में प्रयुक्त किये जाने वाले गिलासों, दर्पण, चश्में, टयूबलाईट/बल्व आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

9. अन्य क्षेत्रों से संबंधित (Other Areas):

विभिन्न गिफ्ट आईटम्स, कैलेंडर्स, पैन-स्टेन्डम, की-रिग्स, गिफ्ट बाक्सेज, जूते, स्टिकर्स आदि पर प्रिंटिंग कार्य ।

इस प्रकार देखा जा सकता है कि स्क्रीन प्रिंटिंग कार्य के लिये व्यापक बाजार उपलब्ध है तथा लगभग ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ से इस प्रकार की इकाई को कार्य प्राप्त न होता हो । अतः यदि कोई युवा स्क्रीन प्रिंटिंग में प्रशिक्षण प्राप्त कर यदि इस प्रकार की इकाई स्थापित करता है तो उसकी सफलता की पर्याप्त संभावनाये हो सकती है ।

स्क्रीन प्रिंटिंग कार्य में उत्पादन/निर्माण/कार्य करने की प्रक्रिया (Process of Production/Construction/Working in Screen Printing Work):

स्क्रीन प्रिंटिंग का कार्य यद्यपि काफी आसान कार्य है परन्तु यदि इस कार्य में अनुभव/प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया जाए तो यह कार्य व्यवसायिक (प्रोफेशनल) तरीके से करने में आसानी हो जाती है ।

स्क्रीन प्रिंटिंग की प्रक्रिया में मुख्यतया निम्नलिखित चरण महत्वपूर्ण है:

 

(क) डिजाईन तैयार करना (Designing):

सर्वप्रथम जो वस्तु अथवा चित्र प्रिंट करना हो उसका आर्टवर्क अथवा डिजाईन तैयार किया जाता है । उद्यमी यह कार्य स्वयं अपनी इकाई में भी कर सकता है । अथवा इसके लिये कर्मशियल आर्टिस्ट की सेवाऐं भी ली जा सकती हैं । यदि उद्यमी को यह कार्य अपनी स्वयं की इकाई में भी करना हो तो इसके लिये लगने वाले प्रमुख उपकरण हैं- ड्राईंग बोर्ड, टी-स्क्वायर, सैट-स्क्वायर, स्केल, रोटरी पैन, वाटरपुफ इंक, पोस्टर कलर्स, कैंची, चाकू, कटर्स, ब्लेड, सैलो टेप, रबर सोल्युशन फोटो एचिंग सोल्युशन आदि ।

(ख) मैटर डी. टी. पी. से कम्पोज करवाना (Comparing Matter with DTP):

विभिन्न चित्रों/स्कैचेज/डिजाइनों के अतिरिक्त जो मैटर (हिंदी/अंग्रेजी/उर्दू/पंजाबी आदि के शब्द) प्रिंट करना होता है उसकी सर्वप्रथम डैस्क टॉप पब्लिशिंग (डी. टी. पी.) विधि से कम्पोजिंग करवाई जाती है । डी. टी. पी. कार्य हेतु विभिन्न शहरों में अनेकों इकाइयाँ कार्यरत है जो उद्यमी के लिए इस प्रकार का गुणवत्तापूर्ण कार्य (जॉब वर्क आधार पर) कर सकते हैं ।

(ग) आटवर्क/डिजाईन तथा कम्पोज किए गए मैटर की नेगेटिव/पाजिटिव बनाना (Making/Negative/Positive of Design and Composed Matter):

उपरोक्तानुसार बिन्दु क्र. ”क तथा ख” के अंतर्गत तैयार किए गए डिजाईन/आटवर्क अथवा मैटर का पाजिटिव/नैगिटिव/बनाया जाता है । इसके लिये एक 4×4 वर्गफीट साईज के एक डार्क रूम की आवश्यकता होती है ।

इस स्तर पर जिन प्रमुख उपकरणों-साधनों अथवा अन्य कच्चे माल की आवश्यकता होती है, वे हैं-एनलार्जर, फिल्म मेकिंग बोर्ड, एनलार्जर बल्व, डिवेल्पिंग ट्रे, पानी की बाल्टी आदि । यह काम उद्यमी स्वयं भी कर सकता है अथवा बाहर से भी करवा सकता है ।

(घ) स्क्रीन पर फिल्म स्थानांतरित करना

(ड.) आवश्यकता के अनुसार प्रिंट की जाने वाली (कागज अथवा कार्ड) वस्तु को निर्धारित साईज में काटना ।

(च) प्रिंटिंग प्रारंभ करना (Start Printing):

स्क्रीन पर फिल्म स्थानांतरित हो जाने के उपरान्त इसकी प्रिंटिंग प्रारंभ की जाती है । प्रिंटिंग कार्य प्रारंभ करने के लिये मुख्यतया जिन चीजों की आवश्यकता होती है वे हैं- मशीन (यदि समतल सतह के अतिरिक्त किसी दूसरी सतह पर प्रिंट करना हो तो मशीन जरूरी है) इसके अतिरिक्त जिन अन्य साधनों/उपकरणों/कच्चे माल की आवश्यकता होती है वे हैं- बोल्टिंग क्लॉथ, थिनर, स्कवीजर (रबर) कोटिंग सोल्युशन (पी. वी. ए. पावडर तथा लिक्विड), सैंसीटाईजर, प्रिंटिंग टेबल लकड़ी अथवा एल्युमिनियम के फ्रेम, एक्सपोजिंग बाक्स, सुखाने के लिये ट्रे अथवा रैक्स, पोस्टिंग फिल्म, कटर, चाकू, इंक, मिक्सिंग नाइफ स्प्रेगन, ट्रांसपैरेंट सैलो टेप, टाईप 2” कीलें, डोरी, स्याही, गोन्द, कलैम्प स्टिकर एड़ीसिव वैक्स अथवा रिलीज पेपर, मैटेलिक पावडर (गोल्ड सिल्वर अथवा कॉपर) तथा वस्तु जिस पर प्रिंटिंग की जाना हो अर्थात् कागज, पासबुक, विजिटिंग कार्ड, स्टिकर आदि ।

इसके अतिरिक्त इस कार्य हेतु कुर्सी, टेबल, काँच, कलर, पेस्ट, हाट एयर ब्लोअर अथवा हीटर, ब्रश कॉटन वेस्ट, अल्मारी, स्टेशनरी आदि साधनों की आवश्यकता भी पड़ती है ।

छपाई में प्रयुक्त किए जाने वाले विभिन्न कच्चे मालों की विशेषताएँ:

क. छपाई हेतु लगने वाली स्याही (Printing Ink):

स्क्रीन प्रिंटिंग हेतु अनेकों प्रकार की स्याही प्रयोग में लाई जाती है, जिनमें कुछ प्रमुख स्याहियाँ तथा उनकी विशेषताएँ निम्नानुसार हैं:

1. पी. वी. सी. इंक-यह इंक जल्दी सूखती है तथा थिनर के साथ चलती है ।

2. ग्लास इंक-इसमें चमक होती है तथा इससे की जाने वाली छपाई में उभार होता है । इसकी अच्छी पकड़ होती है परन्तु यह सूखने में काफी समय लेती है (जल्दी सुखाने के लिये दायर का इस्तेमाल करना पड़ता है) । यह कैरोसीन से चल सकती है ।

3. स्पेशल ग्लॉस इंक-इसमें काफी चमक होती है तथा इससे छपाई में काफी उभार आ जाता है । यह 2-3 घंटे में सूखती है तथा कैरोसीन एवं थिनर दोनों से चलती है ।

4. पी. वी. सी. ग्लॉस इंक-यह पारदर्शी (ट्राँसपेरेंट) तथा ओपेक दोनों विविधताओं में मिलती है । इसमें भी काफी चमक होती है तथा यह जल्दी सूखती है । यह थिनर से चलती है ।

5. फ्लूरोसैंट इंक-यह मैटल फिलिश फिनिश की परफामेंस देती है तथा काफी विविध एवं कन्ट्रास्ट शेडस में मिलती है ।

6. स्पार्कल इंक-यह मैटल फिनिश की परफामेंस देती है थिनर बेस्ट होती है तथा झिल-मिल करती है ।

7. पर्ल इक-यह पर्ल ईफैक्ट देती है तथा मैटल फिनिश एवं थिनर बेस्ट होती है ।

8. मैटल इंक-ये मैटल फिनिश तथा केरोसीन बेस्ट होती है ।

9. पी. सी. बी. इंक-ये इंक्स पी. बी. सी. पर प्रिंटिंग के लिये उपयुक्त होती है ।

इसी प्रकार रबर इक पौलीथीन इंक्स, चार रंगीय इक टैक्सटाईल इक आदि पर उपलब्ध है जो किन्हीं विशिष्ट प्रकार की प्रिंटिंग के लिए विशेषकर उपयुक्त होती है ।

ख. छपाई के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला कपड़ा (Textile):

स्क्रीन प्रिंटिंग कार्य में प्रयुक्त किए जाने वाले कपड़े का चयन आवश्यकतानुसार किया जाता है जो कि न. पर आधारित होता है । उद्यमी कार्य की आवश्यकतानुसार उपयुक्त नम्बर अर्थात 12, 16, 18, 20, 25, 30, 35, 40, 100, 110, 120, 130, 140, या किसी अन्य नंबर के कपड़े का चयन तथा उपयोग कर सकते हैं ।

ग. एक्सपोजिंग के माध्यम (Medium of Exposure):

एक्सपोजिग कार्य हेतु उद्यमी विभिन्न उपलब्ध माध्यमों में से कोई भी उपयुक्त माध्यम अपना सकता है, जैसे- हैलोजन, एक्सपोजिंग बॉक्स, अथवा टयूब लाईट । यह कार्य सुविधानुसार (यदि मौसम सही हो तो) सूर्य की रोशनी से भी किया जा सकता है ।

 

घ. एक्सपोजिंग फिल्म (Exposing Film):

इसमें भी सुविधानुसार पिगमैंट, स्टेसिल पेपर, फाईव स्टार, आटोलाईन, क्रेमलिन आदि का उपयोग किया जा सकता है ।

ड. स्क्रीन प्रिंटिंग हेतु मशीनें (Machines for Screen Printing):

स्क्रीन प्रिंटिग हेतु विभिन्न रेंज की मशीनें भी उपलब्ध है जिनका चयन मुख्यतया इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का प्रिंटिंग कार्य किया जाना प्रस्तावित है । यद्यपि समतल सतह पर प्रिंटिंग करने के लिये किया जाना प्रस्तावित है । यद्यपि समतल सतह पर प्रिंटिंग करने के लिये मशीन की आवश्यकता नहीं है परन्तु अन्य प्रकार की सतहों?वस्तुओं पर प्रिंटिंग करने के लिए मशीन की आवश्यकता हो सकती है । मशीन होने से कार्य काफी स्पीड में भी किया जा सकता है ।

स्क्रीन प्रिंटिग की इकाई का उत्पादन लक्ष्य (Production Target of Screen Printing Unit):

प्रस्तुत इकाई में 2000 छाप प्रतिदिन की दर से वर्ष में कुल 6 लाख छाप (प्रिंटस) निकालने का प्रस्ताव है ।

स्क्रीन प्रिंटिग की इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Screen Printing Entity):

 

1. कार्यस्थल/भवन की आवश्यकता (Workplace/Building Requirement):

इस इकाई की स्थापना हेतु लगभग 500 वर्गफीट का कार्यस्थल पर्याप्त होगा ।

चूंकि इस इकाई हेतु ज्यादा विद्युत की आवश्यकता नहीं तथा न ही इसमें किसी प्रकार का खतरनाक प्रदूषण होता है, अतः इसके लिये उद्यमी का निवास स्थल ही उपयुक्त होगा । फिर भी इस इकाई में प्रतिमाह 1000 रू. का प्रावधान कार्यस्थल के किराए हेतु किया गया है ।

मशीनरी/उपकरणों की आवश्यकता (Machinery/Equipment Requirement):

इस इकाई के लिए आवश्यक प्रमुख मशीनरी/उपकरणों की आवश्यकता तथा उन पर होने वाला अनुमानित व्यय निम्नानुसार होगा:

3. इकाई के लिये आवश्यक कच्चा माल (प्रतिमाह):

इस इकाई के लिए आवश्यक कच्चे माल की आवश्यकता तथा उस पर होने वाले अनुमानित व्यय का विवरण निम्नानुसार है:

 

4. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह):

इस इकाई में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख उपयोगिताएं विद्युत एवं पानी की हैं जिन पर प्रतिमाह लगभग 1000 रु. का व्यय होना अनुमानित है ।

5. कर्मचारियों एवं श्रमिकों को देय वेतन-पारिश्रमिक (प्रतिमाह):

इस इकाई के संचालन एवं प्रबंधन कार्य हेतु आवश्यक कर्मचारियों एवं श्रमिकों को निम्नानुसार वेतन/पारिश्रमिक देय होगा । यद्यपि पार्टटाइम आधार पर ठेक पर भी यह कार्य कराया जाता है यहाँ गणना की सुविधा के लिये मासिक वेतन के आधार पर गणना की गयी है ।

6. विविध खर्चे (प्रतिमाह):

उपरोक्त के अतिरिक्त इस इकाई में निम्नानुसार विविध खर्च होना भी अनुमानित है:

11. इकाई में कुल वार्षिक प्राप्तियाँ:

इकाई में किए जाने वाले उत्पादन/सेवा कार्य (कुल लाख छाप) की 1.55 प्रति छाप (औसतन) की दर से बिक्री से वर्ष में कुल 930000 रु. की प्राप्तियान होंगी ।

12. इकाई की लाभप्रदता:

क. लाभ प्रतिवर्ष – रु. 84451

ख. मासिक लाभ – रु. 7037

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