कूलर कैसे बनाएं? | Are you planning to manufacture coolers? Read this article in Hindi to learn about how to manufacture and produce coolers.

लगभग एक दशक पूर्व तक आराम तथा सुख सुविधा की वस्तु समझे जाने वाले कूलर्स आज प्रत्येक कार्यालय’दुकान के लिये अनिवार्य आवश्यकता की वस्तु बन चुके हैं । देश के इस भाग (मध्य प्रदेश) में गर्मी का मौसम काफी लंबा (फरवरी से सितंबर-अक्टूबर तक) होने की वजह से तथा अप्रैल से जून के मध्य तक अत्यधिक गर्मी पड़ने की वजह से कूलर्स का उपयोग तीव्र गति से बढ़ा है ।

यद्यपि प्रारंभ में मध्य प्रदेश के अधिकतर उद्यमी कूलर के विभिन्न पार्टस दिल्ली से लाकर उन्हें यहाँ असेम्बल कर विक्रय करने का कार्य करते थे परन्तु कूलर्स की उत्तरोत्तर मांग बढ़ने उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न विशिष्टियों के कूलर्स की मांग करने तथा स्थानीय रूप से कूलर्स उत्पादित करना ज्यादा लाभकारी प्रतीत होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से कूलर्स के निर्माण की अनेकों इकाइयां मध्य-प्रदेश में स्थापित हुई हैं ।

यद्यपि किन्हीं उच्च स्तरीय परिवारों द्वारा ऊंची क्वालिटी के तथा महंगे कूलर्स का उपयोग किया जाता है, परन्तु प्रायः सामान्य जनता द्वारा स्थानीय तौर पर उत्पादित कूलर्स का उपयोग ही किया जाता है । यद्यपि इस इकाई को ”सीजनल” कहा जाता है परन्तु फिर भी उद्यमी को इन उत्पादों हेतु मार्च से लेकर सितम्बर-अक्टूबर तक पर्याप्त बाजार प्राप्त हो सकता है जो अप्रैल के महीने में अपनी चरम सीमा पर होता है ।

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इस प्रकार इस इकाई में अक्टूबर से ही कार्य करना (कूलर निर्मित करना) प्रारंभ हो जाता है (ताकि उद्यमी इन्हें मार्च तथा अप्रैल तक बाजार में प्रस्तुत कर सके) तथापि यह जून तक चलता रहता है । शेष समय (ऑफ सीजन) में उद्यमी इन मशीनों से शीट मैटल से संबंधित अन्य कार्य भी कर सकता है ।

खुले बाजार के साथ-साथ शासकीय खरीद कार्यक्रम के अंतर्गत मध्य-प्रदेश लघु उद्योग निगम के माध्यम से भी प्रतिवर्ष काफी मात्रा में कूलर्स का क्रय किया जाता है । निःसदेह यदि उद्यमी उच्च गुणवत्तापूर्ण कूलर्स का उत्पादन करें, कूलर्स के निमार्ण में अच्छे किट्स (पंप आदि) का उपयोग करे तथा बिक्री उपरांत अच्छी तथा निरंतर सेवा का आश्वासन दे तो इसे इस उत्पाद हेतु काफी अच्छा बाजार प्राप्त हो सकता है ।

यदि कोई उद्यमी इस उद्योग की स्थापना करना चाहता है तो उसे भोपाल स्थित कबाड़खाना क्षेत्र का भ्रमण कर सम्बन्धित सभी जानकारी यहाँ से प्राप्त करनी चाहिये । यहाँ पर बहुत सारी इकाई कूलर असेम्बालंग का कार्य करती हैं ।

कूलर निर्माण के उत्पादन लक्ष्य (Production Target for Manufacturing Coolers):

इस इकाई में प्रतिवर्ष 300 कूलर्स बनाने का लक्ष्य रखा गया है ।

कूलर उत्पादन/निर्माण की प्रक्रिया/विधि (Cooler Production / Construction Process / Method):

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कूलर्स के निर्माण की प्रक्रिया में सर्वप्रथम स्टील की स्टील की निश्चित साईजों में कटिंग की जाती है । इसके उपरांत इस शीट की जाली कटिंग मशीन से बनाई जाती है । इसके उपरांत शीट को मोड़कर तथा बैन्ड करके कूलर की बाडी बनाई जाती है ।

इस कूलर बॉडी में पंखा, खस तथा पंप फिट कर दिया जाता है । इस निर्मित उत्पाद का फिर परीक्षण किया जाता है तथा अंततः इसे स्प्रे पेंटिंग करके विपणन हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है ।

कूलर निर्माण इकाई के वित्तीय पहलू (Financial Aspects of the Cooler Manufacturing Entity):

1. कार्यस्थल/भवन की आवश्यकता (Workplace / Building Requirement):

इस इकाई की स्थापना हेतु लगभग 200 वर्गफीट खुला क्षेत्र वांछित होगा । प्रस्तुत परियोजना में ऐसा स्थान किराये पर लिया जाना प्रस्तावित है जिसका किराया लगभग 2000 रु. प्रतिमाह होगा ।

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2. इकाई में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी/उपकरण (Machinery / Equipment used in Unit):

प्रस्तुत इकाई में उत्पादन कार्य हेतु मुख्यतया निम्नलिखित मशीनरी/उपकरण आवश्यक होंगे, तथा इन पर अनुमानित व्यय निम्नानुसार होगा:

 


3. कच्चे माल की आवश्यकता (प्रतिमाह) (Need of Raw Material (Per Month)):

इस इकाई में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख कच्चे माल का विवरण निम्नानुसार है:

4. उपयोगिताओं पर व्यय (प्रतिमाह) (Expenditure on Utilities (Per Month)):

इस इकाई में लगने वाली प्रमुख उपयोगिता विद्युत तथा गैस की है । 5 हा. पा. का विद्युत कनेक्शन इस इकाई के संचालन के लिए आवश्यक होगा जिस पर प्रतिमाह 3000 रु. का व्यय होना अनुमानित है । इसी प्रकार गैस पर प्रतिमाह 500 रु. का व्यय होना अनुमानित है । कुल मिलाकर उपयोगिताओं के लिए प्रतिमाह 3500 रु. के व्यय का प्रावधान इस इकाई में किया गया है ।

5. कर्मचारियों/श्रमिकों के देय वेतन/पारिश्रमिक (प्रतिमाह) (Salary/Remuneration Due to Employees/Workers (Per Month)):

 

इस इकाई के संचालन हेतु आवश्यक कर्मचारियों/श्रमिकों का विवरण तथा उन्हें प्रतिमाह देय वितन/पारिश्रमिक का अनुमान निम्नानुसार है:

6. विविध खर्चे (प्रतिमाह):

इकाई से संबंधित मरम्मत/रखरखाव, बीमा आदि पर प्रतिमाह लगभग 3000 रु. का प्रावधान विविध खर्च हेतु भी इस इकाई से किया गया है ।

11. कुल वार्षिक प्राप्तियां:

प्रति कूलर 2400 रु. की दर से बिक्री से, 300 कूलर्स की बिक्री से वर्ष में कुलर्स 720000 रु. की प्राप्तियां होगी ।

12. इकाई की लाभप्रदता:

लाभ प्रतिवर्ष = रु. 313243/-

लाभ प्रतिमाह = रु. 26103/-

13. कच्चे माल के प्रदायकर्ता:

कच्चा माल जैसे जी.आई. शीट्स, पंप, एम्जास्ट फैन, पाईप आदि स्थानीय बाजार से प्राप्त किए जा सकते हैं ।