एससीपी के उत्पादन के लिए प्रयुक्त सब्सट्रेट्स | Read this article in Hindi to learn about the various substrates used for production of single cell proteins.

SCP के Production के लिए सूक्ष्मजीवों (Micro-Organism) के जीवभार उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के सब्स्ट्रेटों का उपयोग करते है ।

जिन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है:

(A) फासिल (Fossil) कार्बन स्त्रोत (Carbon Source)

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(B) नवीकरणी (Renewable) कार्बन स्त्रोत (Carbon Source)

लेकिन मिथेनाल (Methanol) एवं इथेनाल (Ethanol) जैसे कार्बन स्त्रोत फासिल तथा नवीकरणीय दोनों ही कार्बन स्त्रोतों से प्राप्त किए जा सकते है ।

(A) फासिल कार्बन स्त्रोत (Fossil Carbon Source):

फासिल कार्बन समूह के विभिन्न सब्स्ट्रेट (Substrate) निम्नलिखित हैं:

(1) गैसीय हाइड्रोकार्बन (Gaseous Hydrocarbon)

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(2) द्रव हाइड़ोकार्बन (Liquid Hydrocarbon)

(3) मिथेनाल (Methanol)

(4) इथेनाल (Ethanol)

(1) गैसीय हाइड्रोकार्बनों (Gaseous Hydrocarbon):

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C1 से C4 वाले गैसीय हाइड्रोकार्बनों का उपयोग SCP (Single Cell Protein) उत्पादन के लिए किया जा सकता है । मिथेन (Methane, CH4) का उपयोग कई दृष्टियों से वांछनीय है । यह काफी शुद्ध अवस्था में प्राकृतिक गैस के रूप में बहुत कम दाम में उपलब्ध होता है ।

संतत् सक्रियाओं (Continuous Processes) में उच्च उत्पादकता (High Production) मिलता है और जीव भार की प्राप्ति (Recovery) बहुत ही आसान होती है । मिथेन (Methane) का उपयोग की बैक्टीरिया (Bacteria) करते है ।

जैसे स्युडोमोनास मिथैनिका (Pseudomonas Methanica), मिथैनोमोनाज मिथैनिका (Methanomonas) तथा मेथिलोकाकस कैप्सुलेटस (Methylococcus Capsulatus) एवं स्युडोमोनास मिथैनाइट्रिफिकेसं (Pseudomonas Methanitrificans) तथा अंतिम बैक्टीरिया वातावरण से नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Nitrogen Fixation) भी करते है ।

परन्तु मिथेन (Methane) के उपयोग में निम्नलिखित समस्याएँ होती है:

(i) Cells के अन्दर ऑक्सीजन (Oxygen) की उपलब्धि में समस्याएँ

(ii) ऊष्मा उत्पादन जिससे प्रभावी शीतलन की आवश्यकता होती है ।

(iii) रिऐक्टर (Reactor) में 12% से अधिक ऑक्सीजन (Oxygen) की उपस्थिति से विस्फोट का भय रहता है ।

इसी प्रकार अन्य कारणों से मिथेन (Methane) का SCP उत्पादन (Production) के लिए उपयोग आरंभिक पैमाने (Pilot Scale) से आगे नहीं बढ़ सका है ।

(2) द्रव हाइड्रोकार्बन (Liquid Hydrocarbon):

साधारणतया Ca, 1, 8n. ऐल्केन (n-alkanes) का SCP उत्पादन के लिए उपयोग होता है, क्योंकि C5 – C8 n, ऐल्केन (Alkanes) Cells के लिए अविषालु (Non Toxic) होते है । n – एल्केन (Alkanes) त्रध्जु श्रुंखला संतृप्त (Straight Chain Saturated) हाइड्रोकार्बन होते है ।

C9 – C10 ऐल्केन पानी में अघुलनशील (Nonsoluble) होते है । रिऐक्टर (Reacter) में विलोडन (Stirring) तथा सूक्ष्मजीवों (Micro-Organisms) द्वारा उत्पादित पृष्ठ सक्रियकों (Surfactants) के कारण इनसे सूक्ष्म निलंबन (Micro-Organism) बनता है ।

n – ऐल्केनों (Alkanes) का Cells द्वारा ऑक्सीकरण (Oxidation) किया जाता है जिसके लिए बहुत अधिक ऑक्सीजन (Oxygen) की आवश्यकता होती है । कई बैक्टीरिया (Bacteria), ऐक्टीनोमाइसिटीज (Actinomycetes), खमीर (Yeast) एवं फफूँद (Fungi) द्रव Hydrocarbons का उपयोग कर सकते हैं ।

ब्रिटिश पेट्रोलियम कम्पनी के द्वार गैस तेल (Gas Oil) एवं अमोनिया (Ammonia) के मिश्रण (Mixture) में Candida खमीर (Yeast) का उत्पादन किया जाता था । लेकिन इसे मुख्य रूप से जीव भार (Biomass) की प्राप्ति (Recovery) से संबंधित समस्याओं के कारण उपयोग में नहीं लाया गया ।

कम्पनी द्वारा C10 – C23 अमोनिया एवं खनिज n – Alkanes (797.5% Pure), अमोनिया एवं खनिज (Minerals) के मिश्रण में कैडीडा लिपोलिटिका (Candida Lipolytica) का उत्पादन किया जाता था और इससे प्राप्त 60 प्रतिशत अशेषित (Crude) प्रोटीन (Protein) वाले SCP का टोप्रिना (Tropina) नाम से विपणन (Marketing) किया जाता था ।

यह SCP गुणवत्ता में सोयाबीन मील (Soyabean Meal) एवं मत्स्य मील (Soyabean Meal) एवं मत्स्य मील (Fish Meal) के समान था लेकिन इसका उत्पादन मुख्य रूप से कुछ अड़चनों के कारण बद करना पडा ।

(3) मिथेनाल (Methanol):

मिथेनाल का उत्पादन (Production) मिथेन (Methane) कोयला (Coal) गैस तेल (Gas Oil) लकडी (Wood) नैप्था (Naptha) आदि से किया जा सकता है । मिथेन से इसका उत्पादन (Production) रासायनिक विधि (Chemical Method) से बहुत ही दक्ष (Efficient) विधि से किया जाता है ।

मिथेनाल (Methanol) जल में पूर्ण रूप से घुलनशील है और कई बैक्टीरिया (Bacteria) इसका उपयोग करते है । इंपीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज (Imperial Chemical Industries) द्वारा मेथिलोफिलस मेथिलोट्राफस (Methylophilus Methylotrophus) को 35-40C पर सतत संक्रिया (Continuous Process) में मिथेनाल (Methanol) पर उगाते हैं ।

इसके लिए एक विशेष प्रकार के रिएक्टर (Reacter) का उपयोग किया जाता है । Cells को पोष पदार्थ से Flocculation एवं (Methanol) विधि से विलग (अलग) करने पर 10% ठोस पदार्थ वाला उत्पाद (Product) मिलता है । इसमें से जल निकालने के लिए पहले अपकेंद्रण (Centrifugation) फिर वायु शुष्कन (Air Drying) करते है ।

इस SCP में 71 प्रतिशत प्रोटीन (Protein) होता है । इसे प्रोटीन (Protein) के नाम से Marketing किया जाता है । Cattle के छोटे बच्चों के लिए इसे आहार के स्थान पर उपयोग करते हैं ।

(4) इथेनाल (Ethanol):

इथेनाल (Ethanol) का उत्पादन (Production) एथिलीन (Ethylene) से अथवा कार्बनिक सबस्ट्रेटों (Organic Substrates) के ऐल्कोहली किण्वन (Alcoholic Fermmentations) द्वारा करते है । कई बैक्टीरिया (Bacteria) खमीर (Yeast) एवं तंतुमयी फफूँद (Filamentous Fungi) इथेनाल (Ethanol) का उपयोग करते है । ऐम्को फूडस मानव आहार में उपयोग के लिए SCP का उत्पादन (Production) करता है । इसे टोरूला खमीर (Candida Utilis) को उगाया जाता है ।

(B) नवीकरणीय कार्बन स्त्रोत (Renewable Carbon Sources):

ये स्त्रोत निम्नलिखित प्रकार के होते है:

(1) कार्बन डाइ ऑक्साइड (Carbon Dioxide)

(2) शीरा (Molasses)

(3) छेने का पानी (Whey)

(4) सेल्युलोज (Cellulose)

(5) स्टार्च जल अपघटनी (Starch Hydrolysate)

(6) औद्योगिक वहिः स्त्राव (Industrial Effluents)

(7) सेल्युलोसी अवशिष्ट (Cellulose Waste)

(1) कार्बन डाइ ऑक्साक्त (Carbon Dioxide):

शैवाल (Algae) Co2 (Carbon Dioxide) का उपयोग करते है । सोसा टेक्सकोको कंपनी (Sosa Texcoco.co), स्पाइरूलीना (Spirulina) जीव भार (Biomass) का प्रतिदिन 3 टन से उत्पादन करती है । यह शैवाल 1 Meter गहरे तालों में उगाया जाता है और छानकर अलग किया जाता है ।

विभिन्न देशों (जापान व ताहवान) में कुल 1,500 टन प्रतिवर्ष क्लोरेला जीव भार (Biomass) का उत्पादन किया जाता है ।

वैसे शैवालों (Algae) के उपयोग के निम्न लाभ होते है:

(i) पूरे वर्ष उत्पादन होता है ।

(ii) सूर्य के प्रकाश का अधिक दक्ष उपयोग

(iii) खनिज पोषकों का अधिकतम उपयोग

(iv) समुद्री पानी एवं क्षारीय झीलों में भी उत्पादन

(v) उच्च उपज जैसे स्पाइरूलीना से टन 50 प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष जीव भार की प्राप्ति ।

परन्तु Algae के उपयोग में निम्न समस्याएं भी आती है:

(i) जलवायु पर निर्भरता

(ii) काफी अधिक क्षेत्रफल की आवश्यकता

(iii) जानवरों, खरपतवारों और रोगजनकों द्वारा शैवालों (Algae) की क्षति Spirulina का अधिक महत्व माना जाता है । 1982 में न्यूटैस्युटिकल फूड (Neutraceutical Food) नाम से बिस्कुट आये थे । जिनमें बहुत सारा Spirulina Maxima पाया जाता है ।

इसे L.Texcoco से इकट्ठा किया गया था जापान, यूनाइटेड स्टेटस (Japan, United States) और बहुत से European देशों में स्पायरूलिंग पाउडर (Spirulina Powder) उपलब्ध करवाती थी । इस पाउडर से प्रचुर प्रोटीन (Protein) वाले बिस्कुट और अन्य खाद्य सामग्री बनाई जाती थी ।

(2) शीरा (Molasses):

इस सब्स्ट्रेट (Substrate) से किण्वन (Fermentation) द्वारा इथेनाल (Ethonal) बनाया जाता है । इस सब्स्ट्रेट (Substrate) का सैकरोमाइसीज सेरेविसिई एवं टोरूला खमीर (Candida Utilis) उगाने के लिए उपयोग करते है । इथेनाल (Ethonal) किण्वन (Fermentation) से सेरेविसिई का प्रतिवर्ष 2,00,000 टन शुष्क भार उपउत्पाद (By Products) के रूप में मिलता है जिसके अधिकांश भाग का बेकरी में गुँधे आटे के किण्वन (Fermenter) के लिए उपयोग होता है ।

(3) छेने का पानी (Whey):

पनीर उत्पादन के दौरान दूध से दही (Curd) को अलग करने पर शेष बचे द्रव को छने का पानी (Whey) कहते है इसमें शुष्क भार के आधार पर 70% लैक्टोज (Lactose), 9-14% Protein एवं 9% भस्म (Ash) होता है । प्रतिवर्ष 7.5 करोड़ टन छेने का पानी उत्पादित होता है जिसका लगभग प्रतिशत अपशिष्ट के रूप में वहिः स्त्राव (Effluent) में प्रवाहित कर दिया जाता है ।

प्रदूषण कम करने कमे लिए इस वहिः स्त्राव (Effluent) का उपचार जरूरी होता है । छेने का पानी से SCP उत्पादन के लिए क्लूएवेरोमाइसीज फ्रेजिलिस एवं कैडीडा क्रुसेई खमीरों (Yeast) को लैक्टोबैसिलस बुल्गैरिकस एवं कैंडीडा इंटर मीडिया के साथ औद्योगिक स्तर पर उगते है ।

फ्रोमेजेरिस-ले-बेल (Fromagerics Le Bel) फ्रांस प्रतिवर्ष क्लू फ्रैजिलिस का लगभग 2,300 टन जीवभार (Biomass) उत्पादित करता है जो कि लगभग दो दशकों से मानव आहार संपूरक के रूप में उपयोग किया जाता है ।

(4) सेल्युलोस जल अपघटनी (Starch Hydrolysate):

फफूँदों (Fungi) से प्राप्त सेल्युलोज (Cellulose) का उपयोग सेल्यूलोस (Cellulose) से ग्लुकोस (Glucose) के उत्पादन (Production) के लिए किया जा सकता है । इस संक्रिया (Process) की सबसे बड़ी अच्छाई यह है कि इसके लिए बडी मात्रा में सस्ता सब्स्ट्रेट (Substrate) उपलब्ध होता है ।

इसकी प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित है:

(i) लग्नो सेल्युलोस का पूर्ण जल अपघटन कठिन होता है तथा खर्चीला अधिक होता है ।

(ii) पूर्व उपचार का आवश्यक होना ।

(iii) सेल्युलोस (Cellulose) का रासायनिक जल अपघटन (Chemically Hydrolysed) के दौरान Sugar नष्ट होना और अपउत्पादों का बनना अभी तक सेल्युलोसी सब्स्ट्रेटों (Cellulose Substrates) का सर्वोन्तम उपयोग छत्रक उत्पादन (Mushroom) एवं अर्ध ठोस (Semisolid Methods) से ही है ।

(5) स्टार्च जल अपघटनी (Starch Hydrolysate):

इस महँगे सबस्ट्रेट (Substrate) का उपयोग मरियम ग्रैमिनिएम (Fusarium Graminearum) द्वारा SCP उत्पादन (Production) के लिए किया जाता है । इस SCP का गठन माँस (Meat) की तरह रेशेदार होता है । बाहर (ब्रिटेन) मैं इसका Marketing माइक्रो प्रोटीन Mycoprotein के नाम से किया जाता है जो मानव आहार के लिए मान्यता प्राप्त है ।

यह फफूँद 30C पर उगाया जाता है । यह विभिन्न एकल (Single) एवं स्वल्पशर्कराइजें का उपयोग करता है एवं इसे छानकर विलग किया जाता है । ताजे जीवभार (Biomass) को 20 मिनिट तक 60C पर रखते हैं जिससे RNA अंश 10% से घटकर केवल 1% रह जाते है ।

(6) औद्योगिक वहिः स्त्राव (Industrial Effluents):

कई उद्योगों (Industrial) जैसे मध (Bear), आसवन (Distillation) मिष्ठान्न उद्योग, आलू एवं डिब्बा बंदी (Canning) उद्योग काष्ट लुगदी मिलों से प्राप्त सल्फाइट द्रव (Sulphite Liquid) आदि के वहिः स्त्रावों (Effluent) में उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य काबर्निक पदार्थ (Organic Substance) होते है जिनका उपयोग SCP उत्पादन के लिए किया जाता है ।

बैसेट लि॰ (Basett Ltd.) प्रतिदिन मिष्ठान्न उद्योग के 1,40,000 Effluent का उपचार Candida Utilis द्वारा करती है जिससे प्रतिदिन 1.5 टन शुष्क खमीर प्राप्त होता है । इसके साथ ही उपचारित वहिः स्त्राव (Effluent) की जैव रासायनिक ऑक्सीजन आवश्यकता (Biochemical Oxygen Demand BOD) में 81% की कमी होती है ।

Foreign Country जैसे यूरोप (Europe), उत्तरी अमेरिका (North Americal) में सल्फाइट द्रव (Sulphite Liquid) का SCP उत्पादन के लिए व्यापक उपयोग किया जाता है । इस द्रव से SO2 का निष्कासन करने के बाद pH4.5 पर समायोजित (Adjust) करते है ।

फिर इसमें चुने गए सूक्ष्मजीव का संरोपण (Inoculation of Micro Organisms) करते है । फफूँद पेंटोसों (Fungi Pentosae) एवं हेक्सोसो (Hexosose) तथा द्रव में उपस्थित एसिटिक अम्ल (Acetic Acid) का उपयोग करता है । इसका SCP 52-57 प्रतिशत अशोषित प्रोटीन (Prootein) युक्त होता है और पशु आहार में उपयोग होता है ।

(7) सेल्यूलोसी अवशिष्ट (Cellulose Waste):

कृषि (Agriculture) एवं वनों (Forest) से प्राप्त सेल्युलोसी (Cellulose) अवशिष्टों के उपयोग के लिए एक अर्ध ठोस (Semi Solid) किण्वन विधि (Fermentation) विकास किया जा रहा है । सेल्युलोसी (Cellulose) पदार्थ जैसे पुआल, लकडी क बुरादा, खोई (Bagasse) आदि का उपयुक्त तापीय एवं रासायनिक उपचार (Chemical Treatment) करते है ।

फिर इसका फफूँद (Fungi) कीटोनियम सेल्युलोलाइटिकम (Chaetonium Cellulotyticum) द्वारा किण्वन करते है । यह फफूँद (Fungi) सेल्युलोसी अवशिष्टों का अतिशीघ्र (4 घंटे में) विघटन करने में सक्षम बताया जाता है । इस सक्रिया द्वारा सेल्यूलोसी अवशिष्टों का उपयोग उत्पादन के लिए किया जा सकेगा ऐसी संभावना है ।

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