रोशनी माइक्रोस्कोप: प्रकार, सेटिंग और उपयोग | Read this article in Hindi to learn about:- 1. प्रकाश सूक्ष्मदर्शी के प्रकार (Types of Light Microscope) 2. सूक्ष्मदर्शी को व्यवस्थित करना (Setting of Microscope) 3. प्रयोग (Uses) 4. सावधानियाँ (Precautions).

प्रकाश सूक्ष्मदर्शी के प्रकार (Types of Light Microscope):

(A) साधारण विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी (Simple Dissecting Microscope):

इसका आविष्कार सन् 1950 में Jansses ने किया । यह सरलतम रचना वाला माइक्रोस्कोप है । सभी जीव-वैज्ञानिक इस माइक्रोस्कोप का प्रयोग करके ही अध्ययन प्रारंभ करते हैं ।

समय-समय पर प्रयोग में आने वाली प्रकाश की मात्रा तथा स्वभाव में परिवर्तन करके इस माइक्रोस्कोप में रूपान्तरण किये गये हैं । प्रकाश सूक्ष्मदर्शी के मुख्य घटक लेन्स (Lenses) हैं । ये लेन्स एक प्रकार का सिस्टम बनाते हैं, जिसे लेंस सिस्टम (Lens System) कहते हैं ।

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यह निम्न से मिलकर बना है:

(i) कन्डेन्सर (Condenser)- जो वस्तु (Object) पर प्रकाश को एकत्रित एवं फोकस करता है ।

(ii) ऑब्जेक्टिव लेंस (Objective Lens)- जो प्रतिबिम्ब बनाता है तथा उसे मेग्नीफाई करता है ।

(iii) ऑक्यूलर लैंस (Occular Lens)- इन्हें आई-पीस लैंस (Eye-Piece Lens) भी कहते हैं, जो प्रतिबिम्ब (Image) का प्रतिबिम्ब (Image) बनाते हैं ।

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अत: इसे फिर से मेग्नीफाई करते हैं । अविपथी लैंस संग्राही (Aplanatic Condensers), एपोक्रोमेटिक ऑब्जेक्टिव (Apochromatic Objectives) तथा कम्पेन्सेटिंग ऑक्यूलर्स (Compensating Occulars) की सहायता से वर्तमान प्रमाण सूक्ष्मदर्शी अध्ययन के लिए काफी उपयोगी हो गया है ।

लेकिन इसकी विभेदन क्षमता में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है जो कि प्रयोग में आने वाली प्रकाश तथा प्रकाश की तरंगदैर्ध्यों (Wave Lengths) को संग्रहित करने की क्षमता पर निर्भर करता है । प्रकाश के दूसरे स्रोतों द्वारा छोटी तरंगदैर्ध्यों (Wave Length) वाला प्रकाश प्राप्त कर माइक्रोस्कोप की विभेदक क्षमता को और अधिक आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है ।

यह एक उत्तल लेन्स (Convex Lens) का बना होता है । इससे प्रतिबिम्ब उल्टा तथा आवर्धित बनता है । इसका प्रयोग छोटे आकार के सम्पूर्ण जन्तुओं, विच्छेदन तथा कभी-कभी स्लाइड्‌स देखने में किया जाता है ।

इसके मुख्यतः दो भाग होते हैं:

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(a) प्रकाशकीय भाग (Optical Part):

यह निम्नलिखित भागों से मिलकर बनता है:

 

(i) नेत्रक लेन्स (Eye Piece)- यह एक उत्तल लेंस (Convex Lens) का बना होता है तथा एक स्टेण्ड में लगा रहता है । इसी लेन्स से वस्तु का उल्टा एवं आवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है । इसके ऊपर आँख रखकर वस्तु को देखते हैं ।

(ii) परावर्ती दर्पण (Reflecting Mirror) अथवा परावर्तक (Reflector)- यह वृत्ताकार समतल दर्पण होता है तथा मंच के नीचे एक भुजा पर लगा होता है । यह ही प्रकाश की किरणों को देखने वाली वस्तु पर परावर्तित करता है ।

(b) यान्त्रिकीय भाग (Mechanical Part):

इस भाग के अन्तर्गत निम्नलिखित भाग आते हैं:

(i) आधार (Food) अथवा आधार (Base)- यह मोटे लोहे का बना हुआ अंग्रेजी भाषा के अक्षर ‘Y’ के आकार का होता है तथा पूरे उपकरण को साधना (To-Balance) ही इसका कार्य है ।

(ii) स्टैण्ड (Stand)- यह आधार से जुड़ी हुई ऊर्ध्व, मजबूत लोहे की बनी रचना है । इसके निचले सिरे पर एक छोटी-सी छड़ पर परावर्तक लगा रहता है ।

(iii) मंच (Stage)- यह काँच का बना होता है तथा स्टैण्ड के ऊपर लगा रहा है । वस्तु को इसके ऊपर रखकर अवलोकन करते हैं ।

(iv) क्लिप (Clip)- मंच के दोनों पिछले कोनों पर एक-एक क्लिप लगा रहता है, जो देखने वाली वस्तु को दबाने के काम आता है ।

(v) ऊर्ध्व भुजा (Vertical Arm)- यह बेलनाकार मजबूत लोहे की ट्यूब होती है, जो स्टैण्ड के ऊपर स्थित होती है ।

(vi) एडजस्टमेण्ट पेंच (Adjustment Screw)- ऊर्ध्व भुजा के निचले सिरे के पास एक एडजस्टमेण्ट पेंच लगा रहता है । इस पेंच के चलाने से ऊर्ध्व भुजा खिसकती है तथा इस प्रकार यह वस्तु को फोकस करने में मदद करता है ।

(vii) मुड़ने एवं घूमने वाली भुजा (Folded and Moving Arm)- ऊर्ध्व भुजा के ऊपरी सिरे पर एक मुड़ने एवं घूमने वाली भुजा लगी रहती है । इस भुजा के स्वतंत्र सिरे पर ही लेन्स लगा होता है ।

सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी की प्रयोग विधि (Method of Using Simple Dissecting Microscope):

जिस वस्तु का अवलोकन करना होता है, उसे स्टेज पर रखकर उस पर क्लिप लगा देते हैं । आँख को लेन्स के ऊपर रखकर एडजस्टमेण्ट पेंच के द्वारा फोकस करते हैं ।

(B) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscopes):

इस सूक्ष्मदर्शी में दो लेन्सों का संयोग होता है, जो लेन्स वस्तु के पास होता है, उसे अभिदृश्यक लेन्स (Objective Lens) तथा जो आँख के पास होता है, उसे नेत्रक लेंस (Eye Piece) कहते हैं । दोनों लेन्स एक ऊर्ध्व नलिका में एक निश्चित दूरी पर स्थित रहते हैं, ताकि एक लेन्स से बनने वाला प्रतिबिम्ब पुन: दूसरे लेन्स से आवर्धित हो सके ।

इस प्रकार जो प्रतिबिम्ब होता है । इससे वस्तु का 400-600 गुना आवर्धन (Magnification) प्राप्त होता है । इसका उपयोग सूक्ष्म जीवों को देखने में, विभिन्न कांटों के अध्ययन में तथा ऊतकीय संरचनाएँ जानने के लिए किया जाता है ।

इसके मुख्यतः दो भाग होते हैं:

(a) यान्त्रिकीय भाग (Mechanical Part):

इस भाग में निम्नलिखित अंग हैं:

(i) फुट (Foot) अथवा आधार (Base)- यह घोड़े के नाल के आकार की लोहे की बनी हुई ठोस, मजबूत संरचना है, जिसका कार्य सूक्ष्मदर्शी को सहारा देना है ।

(ii) नमन जोड़ (Inclination Joint)- यह भुजा तथा आधार को जोड़ता है । इसी स्थान से सूक्ष्मदर्शी को अपनी ओर झुका सकते हैं ।

(iii) भुजा (Arm)- यह लोहे का बना हुआ मजबूत अंग्रेजी भाषा के अक्षर “C” के आकर का होता है । यह आधार और बॉडी ट्यूब को जोड़ता है । इसे पकड़कर ही सूक्ष्मदर्शी को उठाते हैं ।

(iv) बॉडी ट्यूब (Body Tube)- भुजा के ऊपरी सिरे पर बॉडी ट्यूब लगी रहती है । बॉडी ट्यूब के ऊपरी भाग में अन्तर नली (Draw Tube) तथा नेत्रक (Eye Piece) तथा निचले भाग में दो या तीन अभिदृश्यक (Objective) लगे रहते हैं । इसे ऊपर-नीचे खिसका सकते हैं ।

(v) नोज पीस (Nose Piece)- यह गोल प्लेट जैसी संरचना होती है तथा बॉडी ट्यूब के निचले सिरे पर लगी रहती है, जिसमें अभिदृश्यक लगे रहते हैं । इस प्लेट से ही हाई पॉवर (High Power) तथा लॉ पावर (Low Power) के अभिदृश्यक बदले जाते हैं ।

(vi) मंच (Stage)- यह भुजा के निचले सिरे से जुड़ा रहता है तथा चौकोर एवं चपटा होता है । इस पर स्लाइड रखकर देखते हैं ।

(vii) मंच क्लिप (Stage Clip)- मंच के भीतरी कोनों पर एक-एक क्लिप लगा रहता है जिनके द्वारा स्लाइड को दबाकर रखा जाता है ।

(viii) कोर्स एडजस्टमेण्ट (Coarse Adjustment)- यह भुजा के ऊपरी सिरे पर स्थित होता है तथा इसका संबंध बॉडी ट्यूब से होता है । इसके चलाने से बॉडी ट्यूब ज्यादा ऊपर-नीचे चलती है ।

(ix) फाइन एडजस्टमेण्ट (Fine Adjustment)- यह भी भुजा के ऊपरी सिरे पर किन्तु कोर्स एडजस्टमेण्ट के नीचे स्थित होता है । इसके चलाने से बॉडी ट्यूब ज्यादा ऊपर-नीचे चलती है ।

(b) प्रकाशकीय भाग (Optical Parts):

इस भाग में निम्नलिखित अंग आते हैं:

(i) नेत्रक (Eye Piece)- यह अन्तर नली के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है । इस पर आँख लगाकर वस्तु का अध्ययन करते हैं ।

(ii) अभिदृश्यक (Objective)- ये बॉडी ट्यूब के निचले सिरे पर लगे हुए नोज पीस में लगे रहते हैं । ये अवतल ताल (Concave Lens) होते हैं । इनकी संख्या दो या तीन होती है । हाई पावर के अभिदृश्यक से अधिक एवं लो पावर के अभिदृश्यक से कम आवर्धन होता है ।

(iii) कण्डेन्सर (Condenser)- यह मंच के छिद्र के नीचे स्थित होता है । इससे स्लाइड पर प्रकाश फोकस किया जाता है ।

(iv) आइरिस डायफ्राम (Iris Diaphragm)- यह कण्डेन्सर के नीचे लगा रहता है । इससे प्रकाश मार्ग को समायोजित करते हैं ।

(v) दर्पण (Mirror) या परावर्तक (Reflector)- यह आधार से थोड़ा ऊपर भुजा से जुड़ा हुआ अवतल दर्पण (Concave Mirror) होता है, जिसका कार्य प्रकाश को परावर्तित कर स्लाइड पर भेजना होता है ।

प्रकाश सूक्ष्मदर्शी को व्यवस्थित करना (Setting of Light Microscope):

(i) सूक्ष्मदर्शी को बॉक्स से निकालकर मेज पर इस प्रकार रखिए जिससे भुजा आपकी ओर और मंच आपके विपरीत दिशा में रहे । सूक्ष्मदर्शी का आधार भी किनारे से थोड़ा दूर होना चाहिए, ताकि कभी झटका अथवा टक्कर लगने पर सूक्ष्मदर्शी जमीन पर न गिरने पाये ।

(ii) सभी अंगों को ध्यान से देखिए और यह सुनिश्चित कीजिए कि सभी अंग यथास्थान है तथा कोई भी अंग टूटा-फूटा नहीं है ।

(iii) सूक्ष्मदर्शी की बॉडी को कपड़े से तथा लेन्स को लेन्स पेपर से पोंछिये ।

(iv) कोर्स एडजस्टमेण्ट द्वारा बॉडी ट्यूब को मंच से लगभग एक इंच ऊपर उठाइए ।

(v) नोज पीस को घुमाकर अभिदृश्यक को बॉडी ट्यूब की सीध में लाइए ।

(vi) डायफ्राम पूरा खोलिए ।

(vii) बायीं आँख को नेत्रक पर लगाकर परावर्तक को इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए, ताकि सूक्ष्मदर्शी के अन्दर वृत्ताकर क्षेत्र को समान रूप से अधिकतम प्रकाश मिल सके, दायीं आँख भी खुली रखिए ।

(viii) सूर्य का सीधा प्रकाश परावर्तक पर मत आने दीजिए । प्राकृतिक दिन के प्रकाश के लिए सादा दर्पण एक कृत्रिम प्रकाश के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग कीजिए ।

(ix) सूक्ष्मदर्शी को हमेशा अपने दायीं ओर रखिए ।

(x) जब सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग न हो रहा हो तो उसे बॉक्स में रखिए ।

प्रकाश सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग (Uses of Light Microscope):

(i) स्लाइड को मंच के मध्य में इस प्रकार रखिए कि अवलोकन किया जाने वाला हिस्सा मंच छिद्र के बिल्कुल बीच में रहे ।

(ii) स्लाइड को क्लिप के द्वारा दबाइए ।

(iii) यदि वस्तु को लो पावर में देखना है, तो कोर्स एडजस्टमेण्ट द्वारा बॉडी को ऊपर-नीचे करके वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त कीजिए । स्पष्ट प्रतिबिम्ब पाने के लिए फाइन एडजस्टमेण्ट से और अच्छा फोकस प्राप्त कीजिए ।

(iv) यदि वस्तु का हाई पावर में अध्ययन करना है, तो सीधे हाई पावर में मत देखिए, बल्कि पहले इसे लो पावर में फोकस कीजिए तथा फिर नोज पीस द्वारा लो पावर अभिदृश्यक को बदलकर उसके स्थान पर हाई पावर अभिदृश्यक ले

आइए । अधिक स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए फाइन एडजस्टमेण्ट का प्रयोग कीजिए । हाई पावर में फोकस करते समय कोर्स एडजस्टमेण्ट का प्रयोग कभी मत कीजिए ।

प्रकाश सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग करते समय सावधानियाँ (Precautions at the Time of Using Microscope):

सूक्ष्मदर्शी एक नाजुक उपकरण है । अत: इसका प्रयोग बहुत ही हिफाजत एवं सावधानीपूर्वक करना चाहिए ।

कुछ आवश्यक सावधानियाँ निम्नलिखित हैं:

(i) सूक्ष्मदर्शी को प्रयोग करते समय ही बॉक्स से बाहर निकालना चाहिए अन्यथा बॉक्स में ही रखा रहना चाहिए ।

(ii) बॉक्स से निकालते समय एक हाथ से सूक्ष्मदर्शी की भुजा पकड़कर उठाना चाहिए तथा दूसरे हाथ से उसके आधार को साधना चाहिए । लापरवाहीपूर्वक एक हाथ से सूक्ष्मदर्शी कभी नहीं उठाना चाहिए ।

(iii) मंच हमेशा सूखा एवं साफ होना चाहिए ।

(iv) कभी भी गीली स्लाइड मंच पर नहीं रखनी चाहिए ।

(v) कभी भी सूखे तथा खुले हुए पदार्थ को सूक्ष्मदर्शी में नहीं देखना चाहिए ।

(vi) देखे जाने वाले पदार्थ की भली-भाँति स्लाइड बनी होनी चाहिए तथा कवर स्लिप से ढका होना चाहिए ।

(vii) अभिदृश्यक कभी भी कवर ग्लास से नहीं छूना चाहिए ।

(viii) फाइन एडजस्टमेण्ट द्वारा बॉडी को धीरे-धीरे चलाना चाहिए अन्यथा अभिदृश्यक कवर ग्लास को तोड़ देगा तथा स्लाइड टूट सकती है ।

(ix) प्रयोग के बाद अभिदृश्यक को जाइलॉल (Xylol) से साफ करना चाहिए ।

(x) प्रयोग के बाद नोज पीस से दोनों अभिदृश्यक निकलकर अलग रख देने चाहिए तथा सूक्ष्मदर्शी को बॉक्स में रखना चाहिए ।

(xi) सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग लगातार लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए । कार्य के बीच में थोड़ा विश्राम करना चाहिए ।

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