संत माधवचार्य की जीवनी | Biography of Saint Madhvacharya in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय व उनके कार्य ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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श्री माधावाचार्यजी आध्यात्मिक चेतना की जागृति लाने वाले ऐसे सन्त थे, जिन्होंने कर्म को मानव जीवन का मूलभूत अंग तथा सिद्धान्त माना है । कर्म की श्रेष्ठता से मानव पुनर्जन्म के कष्टों से मुक्ति पा सकता है, उनका यह कहना था । वे अद्वैतवाद के विरोधी और द्वैतवाद के समर्थक थे ।

2. जन्म परिचय व उनके कार्य:

माधवाचार्यजी का जन्म दक्षिण भारत के बेलग्राम में 1285 को माघ शुक्ल सप्तमी को हुआ था । बचपन में उन्हें वासुदेव कहा जाता था । उनके पिता भट्टनारायण तथा माता वेदन्ती थीं । 11 वर्ष की अवस्था में अच्छत पक्षाचार्यजी से संन्यास की दीक्षा ग्रहण कर वेदान्त का अध्ययन किया ।

उनके  गुरु ने उन्हें दिग्विजय हेतु जाने के लिए रोकने हेतु गंगा को सामने के सरोवर में प्रकट किया । उत्तर भारत की यात्रा करते हुए वे बद्रीकाश्रम गये । वहां शालिग्राम की तीन मूर्तियां वेदव्यास से प्राप्त कीं । उन्होंने 8 मन्दिरों का निर्माण करते हुए वैष्णव भक्ति का प्रचार किया । भगवान् विष्णु सर्वोच्च तत्त्व हैं ।

जीव उनके ही अधीन रहकर कार्य करता है और मोक्ष को प्राप्त कर सकता है । वेद का समस्त तात्पर्य विष्णु है । माधवाचार्य ने द्वारिकाधीश की आज्ञानुसार समुद्र से भगवान कृष्ण की मूर्ति निकालकर उडुपी में प्रतिष्ठित की । इस स्थान को परमतीर्थ मानकर अनुयायी यहीं मोक्ष प्राप्ति हेतु आते है । यहीं से माधवाचार्य परमधाम की यात्रा को चले गये ।

3. उपसंहार:

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अद्वैतवाद के विरोधी और द्वैतवाद, अर्थात् आत्मा और परमात्मा के अलग-अलग अस्तित्व पर विश्वास रखने वाले माधवाचार्य वैष्णव थे । उनके द्वारा स्थापित सम्प्रदाय को ब्रह्म सम्प्रदाय कहा जाता है । उनके अनुयायी आज भी पूरे भारत में मिलते हैं ।

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