बाबी फिशर की जीवनी । Biography of James Robert Fisher in Hindi Language! 

1. प्रस्तावना ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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बाबी फिशर का शतरंज के इतिहास गे अपना एक अलग मुकाम है । वे विश्व के महानतम ग्राण्ड मास्टरों गे से एक हैं । उनके रिकॉर्ड की समता आज भी शतरंज का कोई खिलाड़ी नहीं कर सका है । बाबी का नाम अमेरिका शतरंज के खेल-इतिहास में इसलिए भी अमर है; क्योंकि उन्होंने शतरंज के बादशाह माने जाने वाले रूसी खिलाड़ी ”बोरिस स्पास्की” को हराकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्धियां:

बाबी फिशर का पूरा नाम जेम्स रॉबर्ट फिशर था । उनका जन्म 9 मार्च, 1943 को शिकागो में हुआ था । उनके पिता खेलों के विशेष शौकीन थे । कुछ दिनों बाद उनका परिवार न्यूयार्क चला गया । बाबी का प्रारम्भिक जीवन यहीं बीता । एक दिन बाजार से उनके घर पर शतरंज की पुस्तक लाई गयी थी, जिसे देख-पढ़कर बाबी ने खेलना शुरू कर दिया ।

इसमें उनकी ऐसी रुचि जमी कि वे अकेले ही अपनी चालें कुछ चलते । खाना-पीना छोड्‌कर बस शतरंज ही शतरंज खेलना उनका स्वभाव बन गया था । यहां तक की हाई स्कूल की पढ़ाई भी उन्होंने अधूरी छोड़ दी थी । 13 वर्ष की अवस्था में वे अमेरिका के चैम्पियन खिलाड़ी बन गये थे ।

1972 में विश्व चैम्पियन ‘वोरिस स्पास्की’ और बाबी के बीच 22 जून को बेलग्रेद में शतरंज प्रतियोगिता होनी थी, किन्तु बाबी के सनकीपन के कारण उसे टालना पडा ।  2 जुलाई से रिकजेविक आइसलैण्ड में प्रतियोगिता तय हुई ।  स्पस्की दो हफते पहले ही पहुंचकर खेलने का अभ्यास कर रहे थे । बाबी न्यूयार्क में ही बने रहे । मैच की व्यवरथा से वे रूठ गये ।

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उनकी ऐसी सनक से रयास्की बहुत दुखी हुए । अन्त में बाबी को स्पास्की से लिखित माफी मांगनी पड़ी । 11 जुलाई से तयशुदा कार्यक्रम के तहत मैच शुरू हुआ । पहली चाल  स्पस्की के पक्ष में रही । कभी उसे कुर्सी पसन्द नहीं आती, तो कभी खेल की व्यवस्था । न्यूयार्क से कुर्सी मंगवाई गयी । दर्शक और टेलीविजुन के कैमरों की स्थिति में थी बदलाव किया गया । आखिरकार मैच शुरू हुआ ।

2 घर प्यादे को  स्पस्की ने आगे बढ़ाया था कि बाबी बाहर चले गये । वे 7 मिनट बाद लौटे । पुन: खेल शुरू हुआ, स्पस्की ने पहली बाजी जीती । इस पर बाबी सनक गये । वे अपने होटल के भीतर ऐसे .घुसे कि रैफरी की बार-बार चेतावनी के बाद भी बाहर नहीं आये ।

दूसरी बाजी  स्पस्की को मिल गयी । 24 बाजियों के इस मैच में 21 बाजियों में ही फैसला हो गया 1 स्पस्की ने अपनी हार मान ली । बाबी विश्व चैम्पियन हो गये । इसके पहले 5 बार के मुकाबले में स्पस्की 3 बार जीता था, लेकिन इस बार की विजय से बाबी शतरंज के बादशाह बन गये ।

बाबी को 1 लाख 56 हजार डॉलर का  पुरस्कार मिला और साथ में अमेरिकावासियों का ढेर सारा प्यार । बाबी अपने तुनकमिजाजी और सनकीपन के कारण भी काफी विवादों में रहे । फिशर कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याओं में भी घिर गये थे । उन्हें कभी इस बात का डर सताता रहा कि रूसी खुफिया एजेंसी के॰जी॰बी॰ उनकी हत्या कर देगी ।

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वे वेश बदलकर घूमते रहते । जासूसी और डरावने उपन्यास पढ़-पढ़कर उन्होंने अपने आपको एक सीमित दायरे में  कैद कर लिया था । प्रशंसकों के चाहने पर भी वे अन्तर्राष्ट्रीय शतरज प्रतियोगिताओं गे भाग लेने से इनकार करते रहे ।

3. उपसंहार:

बाबी फिशर का व्यक्तित्व यद्यपि कुछ असागान्य स्थितियों से घिरा हुआ था, किन्तु उनकी प्रतिभा का लोहा सारी दुनिया आज भी मानती है । वे अमेरिका के प्रतिष्ठित शतरंज चैम्पियन थे तथा एक नये युग के प्रवर्तक भी थे । उनकी मृत्यु 17 जनवरी 2008 को हुई ।

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