कर्णम मल्लेश्वरी की जीवनी | Karnam Malleswari Kee Jeevanee | Biography of Karnam Malleswari in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. प्रारम्भिक जीवन एवं उपलब्दियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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आज भारतीय महिलाएं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों एवं क्षमता का परचम लहरा रही हैं, फिर खेल हो या विज्ञान या राजनीति । अपनी प्रतिभा व योग्यता से सबको आश्चर्य में डाल देने वाली भारतीय महिलाओं में कल्पना चावला का नाम विशेष तौर पर उल्लेखनीय है ।

इसी तरह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम भारोत्तोलन के क्षेत्र में रोशन करने वाली भारतीय महिलाओं में कर्णम मल्लेश्वरी का नाम विशेष रूप से लिया जाता है ।

2. प्रारम्भिक जीवन व उपलब्धियां:

कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म दक्षिण भारत में कुडापाह जिले  में जन्म सन् 1975 को हुआ था । बाल्यावस्था से ही इनकी रुचि भारोत्तोलन में रही । जब इनकी अवस्था मात्र 15 वर्ष की थी, तब इन्होंने 50 किलोग्राम वर्ग में 140 किलोग्राम भार उठाकर 3 राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किये । इन्होंने 1991, 1992, 1993 में राष्ट्रीय एवं एशियाई भारोत्तोलन प्रतियोगिताओं में 4 रजत पदक प्राप्त किये ।

सन् 1994 में विश्व भारोत्तोलन प्रतियोगिता में 54 किलोग्राम श्रेणी में 2 स्वर्ण, 1 कांस्य तथा इसी श्रेणी में एशियाई रजत पदक प्राप्त कर भारत का मान बढ़ाया । दिसम्बर 1998 में इन्होंने रजत पदक अपनी झोली में डाला । इन उपलब्धियों को प्राप्त कर एक बार फिर अपनी क्षमता को साबित किया ।

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कर्णम मल्लेश्वरी ने ऑलम्पिक खेलों में पहली महिला पदक विजेता बनकर देश के खेल इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया । सुश्री कर्णम मल्लेश्वरी ने सन् 1994 और 1995 में विश्व चैम्पियन शिप में 110 किलो क्लीन एवं जर्क में 130 किलो तथा कुल 240 किलोग्राम वजन उठाकर चीन की प्रतिद्वन्दी को पछाड़कर अपनी सम्भावनाओं को बरकरार रखा ।

मल्लेश्वरी ने सिडनी ऑलम्पिक में जैसे ही कांस्य पदक जीता, वह ऑलम्पिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गयीं । इस ऐतिहासिक सफलता के बाद इस बात की सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि अब वह नहीं खेलना चाहेंगी ।

पी॰टी॰ उषा 1984 की ऑलम्पिक प्रतियोगिता में सैकण्ड के सौंवे हिस्से में कांस्य पदक जीतने का अवसर आ गयी थी । यदि ऐसा नहीं होता, तो पी॰टी॰ उषा ऑलम्पिक का कांस्य पदक जीत चुकी होती । ऑलम्पिक में पदक के करीब पहुंचने वाली महिला खिलाड़ी पी॰टी॰ उषा थीं । ऑलम्पिक में व्यक्तिगत पदक जीतने वालों में मल्लेश्वरी तीसरी भारतीय हैं । उससे पहले लिएण्डर पेस ने 1996 के अटलान्टा ऑलम्पिक में टेनिस का कांस्य पदक जीता था ।

3. उपसंहार:

भारोत्तोलन के क्षेत्र में ऑलम्पिक में कांस्य विजेता बनकर ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली कर्णम मल्लेश्वरी को सफलता पर हर भारतीय को गर्व होगा कि एक महिला होते हुए भी मल्लेश्वरी ने भारत का नाम खेलों की श्रेणी में अमर कर दिया ।

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