गन्ना की गुणवत्ता का परीक्षण कैसे करें? Read this article in Hindi to learn about how to test the quality of sugarcane.

उन्नत कृषि विधिओं द्वारा तैयार गन्ने की फसल से सर्वोत्तम गन्ना उपज तथा चीनी का परता प्राप्त करने के लिए इसकी कटाई यथा संभव पूर्ण परिपक्वता की अवस्था में ही करनी चाहिए । इस अवस्था में गन्ना पौधे में शर्करा (सुक्रोज) का प्रतिशत अपने चरम बिंदु के निकटतम होता है ।

इसके पूर्व की अवस्था में ग्लूकोज तथा परिपक्वता प्राप्त करने के बाद भी काफी समय तक गन्ना खेत में खडा रहने पर प्रहसन शर्करा की मात्रा क्रमशः अधिक होती है जिससे वांछित चीनी परता तथा संतोषप्रद उपज नहीं प्राप्त हो पाती । इस प्रकार उन्नत विधा/तकनीक अपनाने के बावजूद, उत्पादन लागत व तकनीक का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है ।

इसलिए गन्ना उत्पादकों एवं चीनी मिलों दोनों के हित में फसल की कटाई इसकी पूर्ण परिपक्वता की जाचोंपरांत ही करना चाहिए । कटाई करने का उचित समय परिपक्वता की परख के बाद तय करके फसल कटने के बाद शीघ्रातिशीघ्र चीनी मिलों में पहुँचाना चाहिए, जिससे शर्करा की अधिकतम उपज प्राप्ति का लक्ष्य हासिल हो सके ।

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गन्ने की परिपक्वता का आंकलन करना, अनाज वाली फसलों की अपेक्षा कठिन साध्य है क्योंकि इन फसलों में यदि दानों का पूर्ण विकास होने के बाद उसका वजन बढना बंद हो जाये एवं दाने सख्त हो जाएँ तो फसल कटने के लिए तैयार मानी जाती है ।

इसके विपरीत गन्ने का उपयोगी भाग इसके तने में मौजूद शर्करा होती है इसलिए फसल को सिर्फ देखकर या छूकर परिपक्वता का सही-सही पता लगा लेना कठिन है । गन्ना में शर्करा की सान्द्रता जब 16 प्रतिशत से अधिक एवं इसके रस की शुद्धता 85 प्रतिशत से अधिक पहुच जाये तब समझना चाहिए कि फसल परिपक्व हो गयी है ।

परिपक्वता का निर्धारण:

गन्ना पौधे की परिपक्वता सन्निकट आने पर सुक्रोज की मात्रा में बढोत्तरी एवं प्रहसन शर्करा (ग्लूकोज एवं फ्रक्टोज) में कमी आने लगती है ।

परिपक्व एवं अपरिपक्व गन्ने के रस का रासायनिक संघटन (रचना) इस प्रकार है:

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पानी – 77-88 प्रतिशत

सुक्रीज (शर्करा) – 8-22 प्रतिशत

प्रहसन शर्करा – 0.3-3.0 प्रतिशत

कार्बनिक गैर-शर्करा – 0.5-1.0 प्रतिशत

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अकार्बनिक गैर-शर्करा – 0.3 -0.8 प्रतिशत

फसल जैसे-जैसे परिपक्वता की ओर बढती है, इसमें पानी की मात्रा में कमी, सुक्रीज में बढोत्तरी तथा प्रहसन शर्करा में कमी आने के अतिरिक्त कार्बनिक व अकार्बनिक गैर शर्करा घटकों में कमी आ जाती है । परिपक्वता अपने चरम बिंदु में पहुँचने पर शर्करा की मात्रा अधिकतम एवं अन्य घटकों की मात्रा न्यूनतम बिंदु पर होती है ।

रिफ्रेक्टोमीटर की सहायता से परिपक्वता की जांच:

यह एक वैज्ञानिक उपकरण है । इसकी सहायता से गन्ने को बिना काटे खेत पर ही परिपक्वता की जाँच अत्यंत सुविधाजनक तरीके से की जा सकती है । इस विधि में पौधे के मध्य भाग से एक विशेष निडिल द्वारा 3-4 बूंद रस निकाल कर रिफ्रेक्टोमीटर के शीशे वाले भाग के तल पर रखते हैं तत्पश्चात् उसे ढक कर निर्धारित आई पीस द्वारा स्केल पर रीडिंग ज्ञात कर लेते हैं ।

इस प्रकार खेत के चारों ओर से संपूर्ण फसल की एकरूपता प्रदर्शित करने वाले कई पौधों की जाँच पूरी करने के पश्चात प्राप्त हुई रीडिंग का औसत निकाल लेते हैं । प्राप्त रीडिंग ब्रिक्स कहलाती है । इससे निम्नलिखित सूत्र की सहायता से शर्करा की मात्रा की गणना कर लेते हैं । जिसमें आर. बी. – रिफ्रेक्टोमीटर की ब्रिक्स रीडिंग दर्शाता है ।

सावधानियाँ:

(अ) प्रत्येक पौधे के निरीक्षण के पश्चात उपकरण एवं निडिल को आसुत जल या वर्षाजल से धोकर साफ तौलिये से पोछ कर सुखा लें अन्यथा अगली रीडिंग वास्तविक नहीं आयेगा और इस प्रकार गणना के गलत होने से जांच सही नहीं हो पायेगी ।

(ब) गन्ना रस निकालने के पश्चात इसे शीघ्रातिशीघ्र उपकरण में रखकर रीडिंग प्रान्त करना आवश्यक है क्योंकि ज्यों ही रस सूखना प्रारंभ होगा शर्करा तत्वों का सांद्रण घनीभूत होना प्रारंभ हो जायेगा और उपकरण में ली गई रीडिंग वास्तविकता से दूर होगी ।

आई.आई.एस.आर.जूस सैम्पलर का प्रयोग:

आई.आई.एस.आर.जूस सैम्पलर की सहायता से उपकरण को बार-बार धोना, पोंछना एवं गणनाओं की पेचीदगी से बचा जा सकता है । इस संस्थान द्वारा विकसित इस यंत्र में 20-30 गन्ना पौधों को एक के बाद एक छिद्रित (पंक्चर) करके इसमें लगे फायल में गन्नों का संयुक्त/मिश्रित रस एकत्रित कर लेते हैं ।

इससे सुविधानुसार खेत पर, पेराई के स्थान पर या फिर चीनी मिल में रिफ्रेक्टोमीटर की सहायता से रीडिंग देख लेते हैं । इस यंत्र की सहायता से जाँच के दौरान रस के वाष्पोत्सर्जन द्वारा होने वाली त्रुटि नगण्य हो जाती है साथ ही समय की बचत होती है ।

गणितीय पेचीदगियों से भी यह विधि मुक्त है । इस यंत्र की एक फायल 1/5 हैक्टर के लिए पर्याप्त होती है । इसके अतिरिक्त प्रायः यह देखा जाता है कि गन्ना उत्पादक अपनी फसल की परिपक्वता की जाँच विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित विधाओं/अनुभव के आधार पर करते हैं ।

खडी फसल देखकर:

गन्ने की फसल ज्यों-ज्यों परिपक्वता के नजदीक आती है, उसमें रूखापन दिखाई देने लगता है और वह पूर्व की बढवार अवस्था जेसी हरी-भरी नहीं दिखती । पौधे की निचली पत्तियाँ धीरे-धीरे झडने लगती है । यहाँ तक कि ऊपरी सिरे की भी कुछ पत्तियाँ जो हरी शेष रह जाती है उनकी भी अपनी आशूनता (टर्जिडिटी) एवं चमक खत्म हो जाती है । पकी फसल का ऐसा दिखावा, असिंचित गन्ने की फसल में आये पत्तियों के मुरझायेपन से अलग तरह का दिखता है ।

गन्ना फाडकर देखना:

गन्ने को एक तेज धार चाकू द्वारा मध्य भाग से थोडा ऊपर तक फाड करके इसका कटा हुआ भाग सूर्य की रोशनी को परावर्तित करने के इरादे से देखने पर अंतिम सिरा यदि द्रवित (पानी जैसा) दिखाई पड़े तो गन्ने के पकने में अभी समय शेष है । यदि उक्त भाग चमकदार दिखाई दे तो फसल परिपक्व समझी जा सकती है ।

गुड बनाकर:

यह विधि विशेष रूप से ग्रामीण एवं सुदूर अंचलों में जहां गन्ना मुख्यतः गुड व राब के लिए प्रयुक्त होता है प्रचलन में है । इसमें गन्ने के रस से बनाया गया गुड यदि संतोषजनक कडापन, रंग एवं रचना आदि प्राप्त कर लेता है तो इसे परिपक्व समझ लिया जाता है । अन्यथा कुछ दिन और इंतजार करने के बाद यह विधि पुनः दोहराते है । उत्तम गुड बन जाने की पहचान को परिपक्व गन्ने की पहचान मान लिया जाता है ।

निचले भाग एवं शीर्ष भाग में आनुपातिक शर्करा की मात्रा देखकर भी गन्ना परिपक्वता का पता लगाया जा सकता है । यदि शीर्ष के एक तिहाई एवं निचले भाग के एक तिहाई भाग शर्करा का अनुपात 1 (एक) से बहुत कम है तो गन्ना अभी पका नहीं है । यह अनुपात एक के नजदीक या एक होने पर गन्ने को पका हुआ समझ लेना चाहिए ।

प्रहसन शर्करा की मात्रा ज्ञात करके:

गन्ने के रस में प्रहसन शर्करा की मात्रा यदि 0.1 प्रतिशत या इससे कम है तो गन्ना कटाई हेतु पूर्ण परिपक्व समझा जाना चाहिए । इस जाँच विधि को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए इसके सबसे ऊपरी भाग में प्रहसन शर्करा की मात्रा यदि 3 प्रतिशत या इससे कम है तो यह इस बात का द्योतक है कि फसल पक गई है ।

परिपक्वता के अनुसार कटाई से लाभ:

1. अधिक गन्ना उपज:

अनुसंधानों से यह ज्ञात हुआ है कि यदि अपरिपक्व गन्ने को खेत पर छोड दिया जाये एवं इसकी पूर्ण परिपक्वता पर ही कटाई की जाये तो गन्ना उपज में लगभग 10-20 प्रतिशत की बढोत्तरी हो सकती है ।

2. लम्बा पेराई सत्र:

अधिकांश चीनी मिलें कम परता के भय से गन्ने की पेराई देर से प्रारंभ करती हैं और इस दरम्यान गन्ने का काफी भाग गुड के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है । परिपक्वता के सर्वेक्षण से इस तथ्य की सही स्थिति पता करके क्षेत्र में परिपक्व गन्ने की उपलब्धता (स्थिति) स्पष्ट कर लेने से चीनी मिलों को पेराई की शुरूआत (आर्थिक दृष्टि से लाभकारी होने पर) शीघ्र हो सकती है, जिससे संपूर्ण गन्ना पेराई सत्र काफी बढ जाता है ।

3. गन्ना उत्पादकों को प्रोत्साहन:

गन्ना उत्पादकों को परिपक्वता के आधार पर कटाई करके गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहन का भी अवसर मिलता है । परिपक्वता के अनुसार कटाई करने पर खेत जल्द खाली हो जाता है और उसमें अन्य फसलें बोई जा सकती हैं ।

4. चीनी मिलों में अधिक परता:

चीनी मिलों को परिपक्व गन्ना उपलब्ध होने पर चीनी का परता स्वतः बढ जाता है । एक आकलन के अनुसार परिपक्वता के आधार पर गन्ने की कटाई से 0.5-1.20 प्रतिशत चीनी परता में सुधार आ सकता है । इस प्रकार चीनी परता (न्यूनतम 0.5 लेने पर) एक चीनी मिल को 10,000 क्विंटल परिपक्व गन्ना पेराई से 50 क्विंटल अतिरिक्त चीनी प्राप्त हो सकती है ।

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