मृदा और उनके प्रभाव में रसायन का उपयोग करें | Read this article in Hindi to learn about the use of chemicals in soil and their effects.

मृदा में रसायनों का उपयोग  (Use of Chemicals in Soil):

पृथ्वी की सतह पर मृदा की परत होती है जिस पर मनुष्य पूर्ण से निर्भर है । पृथ्वी पर विभिन्न परत पायी जाती है । इनमें से कुछ अच्छी या बुरी परत होते हैं जो गहराई, रंग और Composition के अनुसार अलग-अलग होते है । मृदा का उपयोग खेती, बागानों व दूसरे कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है ।

परन्तु मृदा की Surface Layer अधिक महत्वपूर्ण है । इस परत की उर्वरकता भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस Fertility पर खेती निर्भर रहती है । Fertility का स्तर कृषि के लिए महत्वपूर्ण है । ये उर्वरकता Inorganic और Organic Substances की उपस्थिति के कारण होते है ।

इसके अतिरिक्त सूक्ष्मजीव की उपस्थिति के कारण होती है । Organic Matters से Human Formation होता है । इसके अतिरिक्त मृदा (Soil) की उर्वरता के लिए कृत्रिम उर्वरकों का उपयोग किया जाता है तथा फसलों को बचाने के लिए कीटनाशी, पीड़कनाशी, खरपतवारनाशी और दूसरे रसायनों का प्रयोग किया जाता है कुछ कीटनाशी और पीड़कनाशी Cyclic Hydrocarbon होते है जिनमें Chlorine Component होते है ।

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ये तत्व Oxidation Ring को अवरूद्ध कर देते है । जैविक अपघटन के प्रतिरोधी होने के कारण इनकी उपस्थिति दीर्घकाल तक परिवेश में विद्यमान रहता है । ऐसे पदार्थों का Concentration वर्ष दर वर्ष बढ़ता रहता है । ये पदार्थ मिट्टी में जमा होते चले जाते है ।

यहाँ से इनका प्रवेश Food Chain में Producer के माध्यम से होता है जब शाकाहारी जीव इन उत्पादकों को ग्रहण करते हैं तो यह हानिकारक तत्व इन जीवों के शरीर के Tissues में जमा हो जाते है और यहाँ इनका Concentration उत्पादकों की अपेक्षा कुछ अधिक हो जाता है ।

इसके अतिरिक्त जो भी रसायन उपयोग में आते है । उनमें Phosphate, Chlorine, Organic, Inorganic सभी प्रकार के समूह होते है । इनके प्रभाव से मृदा की उर्वरकता पर प्रभाव पड़ता है ।

किसी रसायन की अधिकता होने से या कमी होने से उर्वरकता प्रभावित होती है जैसे Inorganic Fertilizers से मृदा पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है जिससे उर्वरकता प्रभावित होती है और मृदा के दूसरे Parameters भी प्रभावित होते है ।

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रसायनों के उपयोग के उद्देश्य (Aims of Chemical Uses in Soil):

रसायनों के उपयोग के उद्देश्य निम्न है:

(1) परपोषी सतह या Tissues तथा Pathogens के बीच एक विषैला अवरोध (Toxic Barrier) उत्पन्न करना ।

(2) परपोषी के पर्ण समूह, बीजों एवं जडों के विशेष स्थलों पर रोगजनक का उन्मूलन ।

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(3) इन रसायनों के उपयोग से लाभदायक होने के कारण कुछ हानिकारक अवस्थाएँ भी आती हैं ।

(4) Crop अच्छी तरह से उगती है ।

रसायनों का मृदा पर प्रभाव (Effects of Chemicals on Soil):

(1) मृदा की ऊपरी सतह से ये Chemical Absorb होते है ।

(2) इन रसायनों से मृदा का संघटक परिवर्तित हो जाते है ।

(3) मृदा के कुछ तत्व बढ़ते हैं या घट जाते है ।

(4) मृदा के संघटक के परिवर्तित होने से फसल की उन्नति पर प्रभाव पड़ता है ।

(5) मृदा में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्मजीवी मर जाते है ।

(6) मृदा की परतों से ये रसायन भू-गर्भीय जल में पहुँचकर पानी को विषाक्त बना देते हैं ।

(7) ये रसायन मृदा की उर्वरकता को प्रभावित करते है ।

मृदा की उर्वरकता पर रसायनों का प्रभाव (Chemical Effect on Soil Fertility):

रसायनों का उपयोग मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के लिए Pathogens को हटाने, Insects को Control करने तथा Weedicides को Control करने के लिए उपयोग में लाते है ।

इनके अधिक प्रयोग से Soil की Activity पर प्रभाव पड़ता है जिससे कुछ Useful Micro Organisms भी नष्ट हो जाते है और Soil का Texture भी बदलने लगता है और Soil में या तो Fertility कम हो जाती है या इतनी अधिक हो जाती है, जिससे फसलों पर प्रभाव पड़ता है ।

यह प्रभाव निम्न प्रकार के हो सकते हैं:

(1) मृदा पी. एच. (Soil pH):

Soil में अम्लता या क्षारता का प्रभाव इतना प्रत्यक्ष होता है कि ये विभिन्न रोग भी उत्पन्न कर देते है । भूमि पर Soil अभिक्रिया का प्रभाव मुख्य रूप से Pathogens Micro Organisms के विकास पर पड़ता है एक निश्चित pH Range को सहन करने की क्षमता सभी में होती है जिस पर सामान्य रूप से Plants उगते है ।

उदाहरण Streptomyces Scabies Bacteria से उत्पन्न आलू का सामान्य स्कैब Soil के pH मान 7.5 पर सबसे अधिक विनाशकारी होता है । इसके लिए नम, ठंडी तथा अम्लीय (Acidic) मृदा अनुकूल होती है । इसके विकास के लिए अनुकूलतम मृदा का pH मान 5.7 है । जब कि रोग की तीव्रता Soil के pH 5.7 से 6.2 के बीच पर घटने लगती है ।

(2) क्षारीय मृदा (Alkaline Soil):

Soil की Alkalinity का भी प्रभाव खेती पर पड़ता है । यदि Alkalinity कम हो जाती है, तो मटर की ग्लानि (Wilt of Pea, Take all Disease of Wheat) आदि उत्पन्न होने लगती है ।

यदि अधिक हो जाती है तो Scab of Potato Taxes Root Rot आदि रोग उत्पन्न होने लगते हैं ये Alkalinity Soil में विभिन्न प्रकार के Chemicals जो Spray या Pest Control, Insects Control आदि के लिए उपयोग किए जाते हैं जिनकी उपस्थिति से Soil की Fertility पर प्रभाव पड़ता है ।

ये Chemical Organic और Inorganic होते हैं जिनका अधिकतम या कम उपयोग से Soil की ऊपरी परत सबसे अधिक प्रभावित होती हैं ऊपरी परत से Substances Absorb होकर नीचे की परत तक जाकर अपना प्रभाव डालते है ।

(3) अम्लीय मृदा (Acidic Soil):

Chemicals के उपयोग से Soil की अम्लीयता बढ़ जाती है जिससे फसल पर प्रभाव पड़ता है । Soil की अम्लीयता से उसमें उत्पन्न होने वाले फसलों जैसे टमाटर की ग्लानि (Wilt of Tomato, Wild of Cotton, Club Root of Cabbage) आदि, जो अम्लीय मृदा होने के कारण ये रोग उत्पन्न होने लगते है ।

इसी प्रकार अम्लीयता कम होने पर भी Bacterial Wilt of Potato रोग उत्पन्न होता है । Soil में ये Chemical Soil में उपस्थित नमी व जल के साथ क्रिया करके दूसरे Component में बदल देते हैं जो विभिन्न प्रभाव डालते है, जो Fertility को Change करते है ।

(4) कार्बनिक पदार्थ का प्रभाव (Effect of Organic Matter):

रसायनों को एक प्राथमिक साधन माना जाता है । Soil में रसायन मृदा उर्वरता का एक महत्वपूर्ण नियामक माना जाता है । यह रसायन pH मान के समान ही पोषक तत्वों की उपलबधता को प्रभावित करते है । इन रसायनों का यदि विघटन नहीं होता है ।

तो अभिक्रिनियमित नहीं होती है जिससे विभिन्न प्रकार के पोषक उपलबध न होने से Human नहीं बनता है जिससे हानिकारक सूक्ष्मजीव उत्पन्न हो जाते है और लाभदायक सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देते है । इसके अतिरिक्त Chemicals में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से कभी-कभी कुछ Poisonous पदार्थ निकलते हैं जो पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते है ।

(5) ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइ ऑक्साइड की सांद्रता का प्रभाव (Effect of Oxygen and Carbon Dioxide Concentration):

वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइ ऑक्साइड का अनुपात भूमि पृष्ठ पर लगभग स्थिर होता है और कोई Function नहीं होता है Soil में ऑक्सीजन की मात्रा निम्न रहती है अर्थात् स्थिर रहती है परन्तु किन्हीं कारणों से ऑक्सीजन की कमी होती है तो सूक्ष्मजीवों व Plant की Growth पर प्रभाव पड़ता है परन्तु ऑक्सीजन के अतिरिक्त यदि कार्बन डाई ऑक्साइड की सांद्रता का अधिक प्रभाव पड़ता है ।

CO2 का Concentration, Chemicals के प्रयोग से प्रभावित होता है । Soil में 7% CO2 की सांद्रता तक वृद्धि करते रहते है । जबकि गेहूँ के लिए मृदा की सामान्य CO2 की सांद्रता 0.03% की होती यदि सांद्रता 1% या 1.5% होती है तो Germination कम हो जाता है अर्थात Soil में उच्च सांद्रता होने से पौधे दुर्बल होते है ।

यह Concentration Inorganic Chemicals, Pesticides, Insecticides आदि के उपयोग से यह CO2 Concentration में उतार-चढ़ाव से होता है जो की मृदा को प्रभावित करती चली जाती है ।

(6) खरपतवारनाशी, कीटनाशी, पेस्टीसाइड का प्रभाव (Effect of Weedicides, Insecticides, Pesticides):

Weedicides, Insecticides और Pesticides का उपयोग खरपतवार, कीटों और पेस्ट को नियंत्रण करने के उपयोग करते है । इनमें Organic और Inorganic Compounds होते हैं । ये Chemical Soil की परत पर जमते हैं और कई वर्षों तक जमने के बाद एक स्तर पर जमा होते है जो हानिकारक होते है जिससे Micro Organisms और Plants Growth और फसलों को प्रभावित करते है ।

इन Chemicals के प्रभाव से एक तरफ लाभदायक प्रभाव वहीं दूसरी तरफ हानिकारक प्रभाव डालते हैं क्योंकि कई प्रकार के रसायनों के जमा होने से विषैले प्रभाव उत्पन्न हो जाते है । ये विषैले प्रभाव Soil की Fertility को अनुपयुक्त बना देते है । इसलिए आजकल Biological नियंत्रण एवं जैविक खाद के उपयोग को मान्य किया जा रहा है ।

(7) धूमन का प्रभाव (Effect of Fumigation):

Soil में उपस्थित सूक्ष्मजीवों को Control करने के लिए Fumigation का प्रयोग किया जाता है । Fumigation में उपयोग आने वाले रसायन वाष्पशील होते है । इन्हें Fumigants कहा जाता है ।

इनमें D.D. Methy Bromide आदि आते है जो वाष्पित होकर वायुमंडल में चले जाते हैं परन्तु Soil में आर्द्रता होने के कारण उसके सम्पर्क में आने से इन गैसों के रूप में अपघटन होने लगता है जिससे Soil Particles में वितरित होकर लाभदायक कृमियों और सूक्ष्मजीवों को मार देते हैं, जो सूक्ष्मजीव मृदा को Fertile करते है वो इससे प्रभावित होकर मर जाते हैं और ये Fumigants के वाष्प दूसरे रसायनों के साथ मिल कर Soil को विषाक्त बना देते है ।

Soil में Organic पदार्थों के अपघटन से हुए भौतिक एवं रसायनिक परिवर्तन रोगजनक एवं परपोषी के ऊपर प्रभाव डालते है । Organic पदार्थों से Soil में उपस्थित Nematicide पदार्थ जैसे Butric acid आदि उत्पन्न होते है । जो Plants Parasites, Nematodes को नष्ट कर देते हैं ।

इसके अतिरिक्त इनके सूक्ष्मजीवी अपघटन के समय अनेक प्रकार के उत्पाद या Metabolites उत्पन्न होते हैं जिनमें से कुछ सीधे Nematodes एवं कवक Pathogens पर Toxic प्रभाव डालते हैं उदाहरण सरसों की पत्तियों के अपघटन के समय Inorganic Sulphur Compound निकलते हैं जो कवकों और सूत्रकृमियों पर Toxic प्रभाव डालते है । यह सभी मिलकर Soil की Fertility को भी प्रभावित करती है ।

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