दुनिया भर में विकसित फसलों की सूची | Here is a list of crops grown around the world in Hindi language.

1. कृषित फसलें (Arable Crops):

कृषित फसलों को बोने से पहले खेत की जुताई की जाती है । चावल, गेंहू, चना, जौ, मक्का, बाजरा, गन्ना, कपास, आलू इत्यादि इस प्रकार की फसलें हैं ।

2. रविश अथवा पगडंडी फसलें (Alley Crops):

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पगडंडी अथवा रविश के किनारे जाने वाली फसलों में अदरक, हल्दी, चुकंदर, उरद इत्यादि को पोपलर अथवा यूकेलिप्टस अमलतास की पंक्तियों के बीच इन फसलों को उगाया जाता है ।

3. आवधिक फसल (Augmenting Crop):

जो फसलें मुख्य फसल के उत्पादन में वृद्धि करते हों आवर्धक फसलें कहलाती हैं । ऐसी फसलों में बरसीम, चीनी, बंदगोभी तथा सरसों सम्मिलित हैं ।

4. मार्ग/रास्ता फसलें (Avenue Crops):

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कुछ फसलें खेतों के मार्गों के किनारे लगाई जाती हैं इसलिए इनको मार्ग-फसलें कहा जाता है । इन फसलों में अरहर, ढैंचा तथा सीसल सम्मिलित हैं ।

5. किनारे की फसलें/रोधक फसलें (Border Crops/Barrier Crops):

जो फसलें मुख्य तथा अन्य फसलों को पशुओं तथा जंगली जानवरों से सुरक्षित रखती हों रोधक फसलें कहलाती हैं । ऐसी फसलों में काँटेदार तिलहन अथवा कुसुम तथा लघु मसूरिका सम्मिलित हैं ।

6. ब्रेक फसलें (Break Crops):

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यदि किसी फसल चक्र में एक ही फसल निरंतर हर साल उगाई जाती हो तो खेत की उर्वरकता कम हो जाती है । ऐसी दशा में किसी मौसम में दलहन की फसल उगाई जाती है जिससे मिट्टी की उत्पादकता बढ़ जाती है । सभी दलहनें ब्रेक फसलों के वर्ग में आती है ।

7. नकदी फसलें (Cash Crops):

जिन फसलों को बेचकर नकदी अर्जित की जाती हो नकदी फसलें कहलाती हैं । गन्ना, कपास, जूट तथा तंबाकू इस प्रकार की फसलें हैं । हरित क्रांति के पश्चात पंजाब तथा हरियाणा में गेहूँ तथा चावल भी नकदी फसल बन गई है ।

8. जायद फसल (Catch Crops):

दो प्रमुख फसलों के बीच के समय में यदि कोई छोटे समय में तैयार होने वाली फसल उगाई जाए तो उसे जायद फसल कहा जाता है । मूँग, प्याज, मूली, खरबूजे ककड़ी, खीरा इत्यादि इस प्रकार की फसलें हैं ।

9. निर्मल फसल (Clearing Crops):

मक्का आलू तथा सब्जियों को निर्मल फसल कहा जाती है ।

10. कोल फसल (Cole Crops):

खेत के खरपतवार को साफ करने के लिए जो फसलें उगाई जाएँ उनको कोल फसलें कहते हैं । मक्का, आलू, बंदगोभी तथा चुकंदर इसी प्रकार की फसलें हैं । इन फसलों की बार-बार नराई तथा गुडाई की जाती है जिससे खरपतवार समाप्त हो जाता है ।

11. समोच्च रेखा फसलें (Contour Crops):

जो फसलें समोच्च रेखाओं के अनुकूल उगाई जायें कस फसलें कहलाती है । मार्वल घास इस प्रकार की फसल है ।

12. व्यापारिक फसलें (Commercial Crops):

प्राकृतिक रबड़, चाय, काफी नारियल सुपारी इत्यादि व्यापारिक फसलों के वर्ग में आती हैं ।

13. संपूरक फसल (Complementary Crops):

जब किसी खेत में दो फसलें उगाई जाये और वह एक-दूसरे की उत्पादकता बढाती हो तो उनको संपूरक फसलें कहते हैं । ज्वार के साथ उरद अथवा लोबिया उगाया जाये तो उनको संपूरक फसल कहते हैं ।

14. प्रतिद्वंद्वी फसलें (Competitive Crops):

ऐसी फसलें जो एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हो तथा जिनको मिश्रित करके न बोया जा सकता हो; जैसे-मक्का और लौकी, कद्दू इत्यादि ।

15. सुरक्षा अथवा आवरण फसल (Cover Crops):

जो फसल से एथेनोल एवं मदिरा इत्यादि प्राप्त की जाती हो; जैसे-गन्ना, आलू, मक्का तथा टोपियको आदि ।

16. ऊर्जा फसल (Energy Crops):

जिन फसलों से एथानोल एवं मदिरा इत्यादि प्रान्त की जाती हो । जैसे-गन्ना, आलू, मक्का तथा टोपियको ।

17. उर्वरताहारी फसल (Exhaustive Crops):

जिन फसलों से उर्वरकता कम होती हो उसे उर्वरताहारी फसल कहते हैं, जैसे-चावल, गेंहू, जौ, मक्का इत्यादि ।

18. बदबूदार अथवा दुर्गधित फसल (Fouling Crops):

जिन फसलों में खरपतवार उगने की संभावना अधिक हो जैसे- बिखेर कर बोया जाने वाला चावल ।

19. घास/ले-फसलें:

ऐसी दो मिश्रित फसलें जिनमें से एक का इस्तेमाल चारे के लिए किया जाए; जैसे- सरसों तथा बरसीम संयोजन ।

20. मल्च-फसल (Mulch Crops):

जिन फसलों को मिट्टी में नमी बनाये रखने के लिए उगाया जाता हो जैसे मूँगफली तथा काऊपी ।

21. उपचारिका फसल (Nurse Crops):

जो फसलें दूसरी फसलों के लिए उपचारिकता प्रदान करें, जैसे-राई-मटर, ज्वार, काऊपी ।

22. दो पंक्ति फसल (Paired Row Crops):

जब दो फसलों को इस प्रकार की पंक्तियों में बोया जाए कि प्रत्येक तीसरी पंक्ति दूसरी फसल की हो, इस प्रकार की फसलें शुष्क कृषि में उगाई जाती हैं ।

23. पुनरुद्धार फसलें (Restorative Crops):

जो अच्छी उपज देने के साथ-साथ मृदा की उर्वरकता बढ़ाती हो जैसे-दलहनें ।

24. नदी तटीय फसलें (Riparian Crops):

नदी के तट को अपरदन से बचाने वाली फसलें, जैसे-पारा-घास तथा अन्य जलीय खरपतवार ।

25. स्किप फसलें (Skip Crops):

ऐसे फसलों में एक पंक्ति छोडकर फसल जाती है ।

26. दबा लेने वाली फसलें (Smother Crops):

जो फसल दूसरी फसल को दबा दे ऐसी फसल समोदर फसल कहलाती है, जैसे-सरसों, काऊपी ।

27. हरे चारे की फसलें (Soiling Crop):

बरसीम, रिजका चारे की फसलें ।

28. फंदा-फसल (Trap Crop):

जो फसलें कीटाणुओं को मारती हो जैसे कपास के खेत के चारों ओर भिंडी की फसल ।

29. ट्रक-फसल (Truck Crops):

भिंडी, पालक जैसी सब्जियाँ ।

30. वेयरहाऊस फसलें (Ware Crops):

जिन फसलों को भंडारों में रखा जाये जैसे प्याज आदि ।

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