List of crops grown in India in Hindi language: 1. चावल (Rice Oryza Sativa) 2. गेहूँ (Wheat Tritium Aestivum) 3. जौ (Barley Hordeum Vulgare) 4. मक्का अथवा कार्न (Maize or Corn Zea Mays) and a Few Others.

भारत में व्यापक भौगोलिक विविधता है । परिणामस्वरूप फसलें भी भिन्न प्रकार की उगाई जाती हैं प्रत्येक को सफल खेती के लिए अनुकूलतम भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है ।

भारत की कुछ प्रमुख फसलों को उगाने लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों तथा उनके वितरण का संक्षिप्त वर्णन निम्न में दिया है:

Crop # 1. चावल (Rice Oryza Sativa):

विश्व की अनाज की तीन बड़ी फसलों में से चावल एक महत्त्वपूर्ण फसल है । विश्व के लगभग 2.7 बिलियन लोगों का चावल मुख्य आहार है । अंटार्कटिका को छोडकर विश्व के सभी महाद्वीपों में चावल की खेती की जाती है । लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर चावल की खेती की जाती है ।

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चावल का प्रति वर्ष उत्पादन 573 मिलियन टन है और औसत 3.83 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है । भारत के कुल अनाज के उत्पादन में चावल की भागीदारी 40 प्रतिशत है । भारत के 65 प्रतिशत लोगों का चावल मुख्य आहार है ।

वर्ष 1950-51 में चावल का उत्पादन 20.6 मिलियन टन था जो वर्ष 2007-08 में चावल का उत्पादन बढ्‌कर 97.2 मिलियन टन हो गया । चावल के उत्पादन में इतनी अधिक वृद्धि नए बीजों के कारण संभव हो सका है ।

Crop # 2. गेहूँ (Wheat Tritium Aestivum):

गेहूँ, भारत की चावल के पश्चात दूसरी सबसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण अनाज की फसल है । गेहूँ के उत्पादन में भारत का विश्व में चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चात् तीसरा स्थान है । गेहूँ का अधिकतर इस्तेमाल रोटी बनाने के रूप में होता है तथा इससे पशुधन को चारा भी मिलता है ।

गेहूँ के क्षेत्र में हरित क्रांति (1964-65) के पश्चात् तीव्र गति से वृद्धि हुई है । वर्ष 1965-66 में गेहूँ का क्षेत्रफल 12.5 मिलियन हेक्टेयर था जो 2010-11 में बढ्‌कर 28 मिलियन हेक्टेयर हो गया था । स्वतंत्रता के पश्चात सिंचित गेहूँ का क्षेत्रफल तीव्रता से बड़ा है ।

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वर्ष 1965 में सिंचित गेहूँ का क्षेत्रफल 34% था, जो 1970 में बढ्‌कर 51% हो गया है और 2010-11 में 90% गेहूँ का क्षेत्रफल सिंचित है । विश्व में गेहूँ का कुल उत्पादन वर्ष 2010 में 606 मिलियन टन था जिसमें भारत की भागीदारी 12% थी ।

गेहूँ-उत्पादन के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ:

भारत में गेहूँ एक रबी मौसम (शीत ऋतु) की फसल है । केवल लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ भागों में गेहूँ गर्मी के महीनों में उगाया जाता है । गेहूँ की सफल खेती के लिए तापमान 15C से 25C के मध्य रहना चाहिए ।

फसल के पकने के लिए तापमान 25C अधिक रहना चाहिए, जिससे गेहूँ अनाज सरलतापूर्वक पक सके । फसल तैयार होने से पहले यदि तापमान 30C या इससे अधिक हो जाए तो गेहूँ का दाना सूख जाता है खोर फसल का उत्पादन घट जाता है ।

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गेहूँ की सफल खेती के लिए 50 से 75 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है । वर्षा के अभाव में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के साधन उपलब्ध होने चाहिए । भारत में गेहूँ की कृषि के क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा 12.5 सें॰ मी॰ से लेकर 100 से॰ मी॰ तक होती है, परंतु अधिकतर वर्षा-ऋतु में रिकार्ड की जाती है । वर्षा की अनिश्चितता के कारण गेहूँ की फसल की सिंचाई करना आवश्यक हो जाता है ।

गेहूँ के कुल क्षेत्रफल का पंजाब हरियाणा एवं राजस्थान में 97% भाग सिंचित है उत्तर प्रदेश में 97.5% गेहूँ सिंचाई के द्वारा उगाया जाता है, जबकि मध्य प्रदेश में सिंचित गेहूँ का प्रतिशत 78%, बिहार में 91% तथा कर्नाटक में 52% है ।

गेहूँ की खेती के लिए दोमट-जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है । गेहूँ बोने से पहले खेत की जुताई कई बार करनी पड़ती है ताकि मिट्टी बारीक और भुरभुरी हो जाए ।

गेहूँ की फसल को चार से छ: बार सींचने की आवश्यकता पड़ती है । नये बीजों को सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है । चिकनी मिट्टी की तुलना में रेतीली मिट्टी में उगाए जाने वाले गेहूँ को अधिक बार सींचना पड़ता है ।

उपयुक्त समय पर सिंचाई के साथ-साथ गेहूँ की फसल को पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है । अच्छे उत्पादन के लिए 80-150 किलो रासायनिक खाद प्रति हेक्टेयर लगाना चाहिए । रासायनिक खाद की मात्रा में नाइट्रोजन किलो तथा फॉस्फोरस 40 किलो प्रति हेक्टेयर लगाना चाहिए ।

गेहूँ का उत्पादन करने वाले देशों अवरोही क्रम में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, कनाडा, आस्ट्रेलिया, अर्जेटाइना, रूस, यूक्रेन, फ्रांस तथा तुर्की हैं । उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा बिहार, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान गेहूँ उगाने वाले राज्य है । कुल गेहूँ क्षेत्रफल का 90 प्रतिशत इन्हीं राज्यों में है । गेहूँ की मुख्य किस्मों (Verities) esa DBW 17, PBW17] PBW17] PBW 550] PDW 291] TL 2908 इत्यादि ।

Crop # 3. जौ (Barley Hordeum Vulgare):

चावल, गेहूँ तथा मक्के के पश्चात् जी एक महत्त्वपूर्ण अनाज की फसल है । इसका वार्षिक उत्पादन लगभग 1361 मिलियन टन है । भारत में यह रबी (शीत ऋतु) की खास फसल है । इसकी कृषि मुख्य रूप से पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश एवं बिहार में की जाती है । गेहूँ तुलना में जी में कठोर मौसम को सहन करने की शक्ति अधिक होती है ।

जौ, शीतोष्णकटिबंध की फसल है इसको कम तापमान तथा कम वर्षा की आवश्यकता होती है । कम उपजाऊ भूमि में भी इसकी अच्छी खेती की जा सकती है । वर्षा के अभाव में इसको दो या तीन बार सिंचाई की आवश्यकता होती है । जलमग्न भूमि जौ की फसल के लिए हानिकारक है ।

Crop # 4. मक्का अथवा कार्न (Maize or Corn Zea Mays):

मक्का विश्व के अधिकतर देशों में उगाया जाता है । लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर विश्व में इसकी खेती की जाती है तथा वार्षिक उत्पादन लगभग 9782 मिलियन टन है, जो विश्व के कुल अनाज उत्पादन का 37% है । इसकी खेती विश्व के 160 देशों में की जाती है । मक्के की खेती विश्व में साल भर की जाती है ।

मक्के का सबसे अधिक उत्पादन संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, ब्राजील, मैक्सिको रूस, रूमानिया तथा भारत हैं । मक्के का प्रति हेक्टेयर उत्पादन सबसे अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन संयुक्त राज्य अमेरिका में होता है ।

भारत में मक्के की खेती 8 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है । देश की खाद्य सामग्री में मक्के की भागीदारी लगभग 8 प्रतिशत है । भोजन के अतिरिक्त पशुओं के लिए चारा, तेल, प्रोटीन एल्कोहोल, औषधियों, अंगराग, वस्त्र उद्योग, कागज तथा गोंद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ।

मक्के की खेती के लिए अनुकूलतम तापमान 21C से 27C है, परंतु इसकी खेती 10C से 35C तक की जाती है । इसकी सफल खेती के लिए 50 से 75 से॰ मी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । यह उपजाऊ भूमि में उगाई जाती है इसके खेत में पानी नहीं रुकना चाहिए ।

भारत के कुछ भागों में मक्का ग्रीष्मकाल की फसल है, जबकि दक्षिणी भारत में इसको शीत ऋतु के महीनों में भी बोया जाता है । उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर एवं पंजाब राज्य मक्का उत्पादन करने वाले मुख्य राज्य हैं ।

मक्के का सबसे अधिक उत्पादन आन्ध्र प्रदेश (21%), कर्नाटक (17%), राजस्थान (10%), महाराष्ट्र (9%) बिहार (8.5%), उत्तर प्रदेश (6%) तथा मध्य प्रदेश (5.5%) में किया जाता है ।

Crop # 5. ज्वार/जुवार (Millet):

लकड़ी के हल का आविष्कार होने से पहले ज्वार की खेती की जाने लगी थी ।

ज्वार दो प्रकार की होती हैं:

(i) बड़ी ज्वार तथा

(ii) लघु ज्वार ।

ज्वार का उपयोग भोजन, चारे, औषधियों तथा कागज बनाने के लिए किया जाता है, परंतु इसके क्षेत्रफल में कमी होती जा रही है । वर्ष 1960 में लगभग 18 मिलियन हेक्टेयर था जो वर्ष 2010 में घटकर केवल 8.5 मिलियन हेक्टेयर रह गया ।

ज्वार को ऊष्ण आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है । इसको 20C से 27C तापमान की आवश्यकता होती है तथा लगभग 25 से 75 सें॰ मी॰ जल की आवश्यकता होती है । काली मिट्टी से लेकर, जलोढ़, रेतीली और लेटेराइट मिट्टी में की जाती है । इसके खेत में पानी नहीं ठहरना चाहिए । भारत में ज्वार के उगाने वाले राज्यों में राजस्थान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा गुजरात हैं ।

Crop # 6. बाजरा (Bulrush Millet):

बाजरा भारत के बहुत-से भागों में बाजरा एक मुख्य आहार है । लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर पर बाजरे की खेती की जाती है और लगभग 75 मिलियन टन बाजरे का वार्षिक उत्पादन होता है ।

बाजरे की सफल खेती के लिए 25C से 30C तापमान तथा 30 से॰ मी॰ से 50 से॰ मी॰ की आवश्यकता होती है । बाजरा सूखे मौसम को सहन करने की सबसे अधिक क्षमता रखता है । इसकी जड़ों में पानी नहीं रुकना चाहिए । रेतीली मिट्टी में इसकी खेती अधिक सफल होती है ।

बाजरे के नये बीज विकसित किए गए हैं, जिनमें (Raj-171, ICMV-221, पूसा मिश्रित 334, पूसा 383 तथा समृद्धि) मुख्य किस्में हैं । बाजरे का औसत उत्पादन 650 किलो प्रति हेक्टेयर है । इसकी खेती के मुख्य प्रदेशों में राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश हैं ।

Crop # 7. दलहन (Pulses or Legumes):

प्रोटीन जीवन के लिए अनिवार्य है और प्रोटीन का मुख्य स्रोत दलहन हैं । दलहन से मिट्टी की उर्वरकता भी बढ़ती है । एक अनुमान के अनुसार दलहन की फसल से प्रति हेक्टेयर 40 किलो नाइट्रोजन की वृद्धि होती है ।

भारत में 23 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर दलहन की खेती की जाती है, जिससे लगभग 14-15 मिलियन टन दलहन का उत्पादन होता है । प्रमुख दलहनों में बंगाली चना, उरद, मसूर, मटर, अरहर, मोठ, लोबिया, गुआर, राजमा इत्यादि सम्मिलित हैं ।

दलहन की खेती के लिए 15C से 25C की आवश्यकता होती है । सामान्यतः दलहन की फसलों को कम वर्षा की आवश्यकता होती है । बहुत-सी दलहनों को दूसरी फसलों के साथ मिश्रित करके बोया जाता है, जैसे गेहूँ के साथ चना सरसों के साथ चना, ज्वार के साथ उरद या मूँग बाजरे के साथ गुआर इत्यादि ।

Crop # 8. अरहर/तूर (Pegion Pea-Cajanus Cajan):

अरहर भारत की देशज दलहन है । अरहर की फसल ऊष्णकटिबंध के देशों में उगाई जाती है । इसकी कृषि 30 उत्तर से 30 दक्षिण में की जाती है । अरहर प्रोटीन का एक साधन ही नहीं, यह भूमि को उपजाऊ बनाती है, इसकी लकड़ियाँ ईंधन के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं और इसकी पत्तियों से पशुओं को चारा भी मिलता है ।

अरहर की सफल खेती के लिए 20C से 30C तापमान की आवश्यकता होती है । वर्षा 40 से॰ मी॰ से 75 से॰ मी॰ पर्याप्त होती है । कोहरे एवं पाले का अरहर की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । इसको जलोढ उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है, परंतु इसके खेत में पानी नहीं ठहरना चाहिए ।

भारत में लगभग 3.75 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर अरहर की खेती की और कुल वार्षिक उत्पादन लगभग 3.1 मिलियन टन होता है । यह खेती विशेष रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ एवं बिहार में की जाती है । अरहर का औसत उत्पादन 1200 से 1500 किलो प्रति हेक्टेयर होता है ।

Crop # 9. मूँग (Green Gram or Vigan Radiate):

भारत में मूँग दाल की खेती प्राचीनकाल से की जाती रही है । इसका उपयोग भोजन अथवा आटे के रूप में किया जाता है । इससे गैस की बीमारी नहीं होती । ऊष्णकटिबंधीय जलवायु में उगने वाली मूँग की दाल नीचे तापमान को सहन नहीं कर पाती । इसको 25C से 35C तापमान की आवश्यकता होती है तथा 30 से 50 से॰ मी॰ वर्षा के क्षेत्रों में इसका अच्छा उत्पादन होता है । अच्छे जल अपवाह जलोढ़ मिट्टी में इसका उत्पादन अच्छा होता है । देश के विभिन्न भागों में तापमान के अनुसार इसको खरीफ, रबी अथवा जायद ऋतु में उगाया जाता है ।

Crop # 10. उरद (Black Gram):

भारत में उरद की खेती पुराने समय से की जाती रही है । लगभग 3.2 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जाती है तथा लगभग 1.33 मिलियन टन उत्पादन होता है । अधिकतर भागों में इसे खरीफ के मौसम में बोया जाता है । उरद की खेती 2000 मीटर से कम ऊँचाई पर की जाती है । तापमान 25C से 35C तथा वर्षा लगभग 50 से॰ मी॰ की आवश्यकता होती है ।

Crop # 11. मसूर (Lentil Lens Culinaris):

भारत में मसूर की खेती प्राचीनकाल से की जाती रही है । मसूर, भूमध्यसागरीय प्रदेशों का देशज है । भूमध्य सागरी प्रदेशों से इसकी खेती का भारत एवं चीन में प्रसारण हुआ । भारत के पर्वतीय भागों में इसकी खेती 3500 मीटर तक की जाती है । इसके लिए अनुकूलतम तापमान 25C से 35C माना जाता है ।

Crop # 12. राजमा (French Beans):

राजमा मैक्सिको एवं ग्वाटेमाला का देशज है । इसको रेतीली तथा दोमट मिट्टी में उगाया जाता है । 10C से 27C तापमान इसके लिए अनुकूल माना जाता है । यदि तापमान 30C से अधिक हो जाए तो उत्पादन घट जाता है । इस फसल को जुलाई के पहले हफ्ते में बोया जाता है । इसकी खेती मुख्यतः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तथा आंध्र प्रदेश में होती है ।

Crop # 13. तिलहन (Oilseeds):

तिलहन के उत्पादन में भारत विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है । संयुक्त राज्य अमेरिका चीन, ब्राजील तथा अर्जेटीना का तिलहन का क्षेत्रफल एवं उत्पादन भारत से अधिक है । भारत की भागीदारी, तिलहन के विश्व उत्पादन में 12-15 प्रतिशत है । भारत में मूँगफली, सरसों, तिरमिरा, सोयाबीन, सूरजमुखी, कुसुम, सनफ्लॉवर, कास्टर तथा अलसी । 

मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा उत्तर प्रदेश राज्य देश का 90 प्रतिशत तिलहन का उत्पादन करते हैं । विभिन्न तिलहनो में मूँगफली, सरसों, तिरमिरा तथा सोयाबीन मिलाकर 80% तिलहन का उत्पादन करते हैं ।

Crop # 14. मूँगफली (Groundnuts or Peanuts):

मूँगफली ब्राजील का देशज है । मूँगफली में 44% से 50% तेल होता है । मूँगफली खाने का तेल (वनस्पति घी) तैयार किया जाता है । इसके अतिरिक्त साबुन, कॉस्मेटिक्स, स्टेरीन तथा विशेष प्रकार के लवण प्राप्त किए जाते हैं ।

मूँगफली की खेती 45C उत्तर से 35C दक्षिण तक की जाती है तथा सागर स्तर से 1000 मीटर ऊँचाई तक की जा सकती है । इसका 20C से 30C तापमान तथा 50 से॰मी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । पाला पड़ने से मूँगफली नष्ट हो जाती है । कठोर सर्दी का भी पैदावार पर खराब असर पड़ता है । इसके खेत में पानी ठहरना नहीं चाहिए । रेतीली तथा दोमट में इसकी पैदावार अधिक होती है ।

मूँगफली को खरीफ या रबी के मौसम में उगाया जाता है । तमिलनाडु इत्यादि में मूँगफली नवंबर या दिसंबर में बोई जाती है । गुजरात, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश में मूँगफली खरीफ के मौसम में बोई जाती है ।

विश्व में मूँगफली 22 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है तथा औसत वार्षिक उत्पादन 48 मिलियन टन होता है । मूँगफली का सबसे अधिक उत्पादन अवरोही क्रम में चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेटीना, ब्राजील इंडोनेशिया, अर्जेटाइना, सूडान, सेनेगल तथा म्यांमार में होता है ।

भारत में गुजरात आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक मूँगफली उत्पादन करने वाले मुख्य राज्य हैं । इनके अतिरिक्त राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा तथा उत्तर प्रदेश में भी मूँगफली का उत्पादन किया जाता है । मूँगफली एक वार्षिक फसल है । इससे मिट्टी की उर्वरकता बढती है । इसमें श्रम की अधिक आवश्यकता होती है ।

Crop # 15. सरसों तथा तोड़िया (Mustard and Rapeseed):

सरसों एवं तोडिया महत्त्वपूर्ण तिलहन हैं जिनकी भारत की कुल तिलहन की पैदावार में 20 से 25% तक की भागीदारी है । सरसों एवं तोड़िया शीतोष्ण कटिबंध की फसलें है । भारत में इसकी अधिकतर खेती सर्दी के मौसम में की जाती है । इसकी सफल खेती के लिए 20C से 25C तापमान तथा 20 से 40 से॰मी॰ वर्षा की आवश्यकता होती है । इसकी फसल 75 से 90 दिन में तैयार हो जाती है ।

सरसों का उत्पादन 800 से 1500 किलो प्रति हेक्टेयर होता है जो सिंचित क्षेत्रों में 2000 किलो प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है । राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरयिाणा, मध्य प्रदेश तथा गुजरात, सरसों, एवं तोड़िया के मुख्य उत्पादक राज्य हैं ।

Crop # 16. गन्ना (Sugarcane):

गन्ना, बाँस के परिवार से संबंध रखता है । गुड एवं चीनी का यह मुख्य स्रोत है । इससे एल्कोहोल भी तैयार किया जाता है । इसकी खोई से कागज बनाया जाता है । गन्ने के ऊपरी हरे भाग को पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ।

भारत में लगभग 95 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है । उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक उत्पादन करने वाला राज्य है । गन्ना वैसे तो खरीफ की फसल है, परंतु यह रबी (शीत ऋतु) में खेत में बनी रहती है, इसलिए इसको खरीफ तथा रबी की फसल कहा जाता है ।

गन्ने की अच्छी फसल के लिए 20C से 30C तापमान की आवश्यकता होती है तथा लगभग 100 से॰मी॰ वर्षा । यदि वर्षा कम होती हो तो सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध होने चाहिए । गन्ने की फसल को छ: बार से लेकर दस बार तक सींचा जाता है ।

गन्ने के उत्पादन में ब्राजील का प्रथम स्थान है, भारत का दूसरा, चीन का तीसरा तथा पाकिस्तान का चौथा स्थान है । इनके अतिरिक्त गन्ना उत्पादन करने वाले प्रमुख देशों में थाइलैंड, मैक्सिको, क्यूबा तथा कोलंबिया का नाम मुख्य है । प्रति हेक्टेयर उत्पादन सबसे अधिक क्यूबा में है, जबकि ब्राजील सबसे अधिक चीनी का निर्यात करता है ।

गन्ने का क्षेत्रफल विश्व में सबसे अधिक भारत में हैं । गन्ने की खेती मुख्यतः आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में की जाती है । गन्ने का प्रति हेक्टेयर उत्पादन आंध्र प्रदेश तथा महाराष्ट्र में 110 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि अन्य राज्यों में इसका उत्पादन 42 टन से 90 टन प्रति हेक्टेयर है ।

Crop # 17. चुकंदर (Sugarbeet, Beta Vulgaries):

चुकंदर भी चीनी का एक महत्वपूर्ण फसल है । विश्व की चीनी के कुल उत्पादन का 22 प्रतिशत चीनी चुकंदर से आती है । इससे इथानोल का उत्पादन भी होता है जिसका परिवहन में ईंधन के तौर पर किया जाता है ।

चुकंदर के उत्पादन करने वाले देशों में जर्मनी, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, चिली, अर्जेटीना, मिस्र, मॉस्को, चीन, ईरान, जापान, सीरिया तथा पाकिस्तान में की जाती है ।

चुकंदर शीतोष्ण कटिबंध की फसल है । इसके उत्पादन के लिए 15C से 21C तापमान की आवश्यकता होती है । यदि तापमान 30C से अधिक हो जाए तो चुकंदर के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । चुकंदर की फसल खेत में छ: से सात महीने तक रहती है । भारत में इसकी फसल अक्टूबर में बोई जाती है तथा अप्रैल के महीने में काटी जाती है ।

चुकंदर एक कोमल फसल है जिसमें बहुत जल्दी बीमारी लग जाती है । इसकी खेती उपजाऊ भूमि में की जाती है । चिकनी मिट्टी तथा जलमग्न भूमि इसके लिए अनुकूल नहीं है । इसके फसल चक्र में दलहन, मक्का आदि को सम्मिलित किया जा सकता है ।

चुकंदर को पंक्तियों में बोया जाता है । पंक्तियों की दूरी एक-दूसरे से 50 सेमी॰ की होती है । यदि वर्षा पर्याप्त मात्रा में नहीं हो तो फसल को 7 से 10 बार तक सींचने की आवश्यकता होती है । ऊष्णकटिबंध में लगभग दस बार फसल को सींचा जाता है ।

Crop # 18. कपास (Cotton Gossypium Spp):

कपास को ‘सफेद सोना’ भी कहते हैं । किसी देश के आर्थिक विकास में कपास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । कपास की खेती विश्व के साठ देशों में की जाती है । कपास का उत्पादन करने वाले मुख्य देशों में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ब्राजील, पाकिस्तान, उजबेकिस्तान, मिस्र, तुर्की इत्यादि हैं ।

विश्व के कुल उत्पादन में भारत की भागीदारी 19% है । भारत में कपास एक नकदी फसल है । वस्त्र उद्योग में 65 प्रतिशत का कच्चा माल कपास से आता है । कपास सबट्रोपिकल कटिबंध की फसल है । इसके लिए न्यूनतम तापमान 15C है । इसके लिए 18C से लेकर 27C तापमान अनुकूलतम होता है । लगभग 180 दिन तक पाला नहीं पड़ना चाहिए ।

कपास भारत के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग महीनों में बोई जाती है । उत्तम प्रकार की कपास शुष्क, मरुस्थल तथा आर्द्र मरुस्थली प्रदेशों में उगाई जाती है जहाँ सिंचाई का प्रावधान हो ।

बी॰ टी॰ कपास भारत में (B.T. Cotton in India):

भारत में कपास के नए बीज बी॰ टी॰ कपास का उपयोग 2002 में आरंभ किया गया था । इस प्रकार की कपास का सबसे अधिक क्षेत्रफल महाराष्ट्र में 3.15 मिलियन हेक्टेयर (42%) है । इसके अतिरिक्त गुजरात आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा में बी॰ टी॰ कपास की खेती की जाती है ।

बी॰ टी॰ कपास में बीमारी बहुत जल्द लग जाती है । इसको जल की भी अधिक आवश्यकता होती है । इसकी बीमारियों में मीली तथा मायरड बग की मुख्य भूमिका है । भारत कपास के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है । उत्तम प्रकार की कपास का मिस्र इत्यादि से आयात किया जाता है ।

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