Read this article in Hindi to learn about the eleven types of legs seen in insects. The types are:- 1. चलने वाले (Ambulatoral or Walking Type Legs) 2. दौड़ने वाली (Cursorial or Running Type) 3. पकड़ने तथा चढ़ने वाली (Scansorial or Clinging Type) and a Few Others.
1. चलने वाले (Ambulatoral or Walking Type Legs):
इस प्रकार की टांगें साधारण आकृति वाली रूपान्तरण विहीन होती है जो चलने एवं सामान्यतः दौड़ने के काम आती है । इनमें काक्सा छोटा एवं ट्रोकेटर एक अथवा दो खंडीय, फीमर चपटा, टिबिया लम्बी और रोमयुक्त होती है । टार्सस चार अथवा पाँच खंडीय होता है । प्रिटार्सस में दो नख होते हैं ।
उदाहरण – कॉकरोच ।
2. दौड़ने वाली (Cursorial or Running Type):
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ये रचना में चलने वाली टांगों के समान ही होती हैं । इनमें टारसस अधिक लम्बा होता है एवं जमीन को छूता हुआ चलता है जिससे दौड़ते समय कीट फिसलने से बचा रहता है । इस प्रकार की टांगें अधिक लम्बी होती हैं ।
उदाहरण – चींटी, इयरविग ।
3. पकड़ने तथा चढ़ने वाली (Scansorial or Clinging Type):
इस प्रकार की टांगों में टार्सस एक खंडीय होता है जिस पर केवल एक मोटा, मुड़ा हुआ नख होता है इस नख की सहायता से कीट अपने पोषी के बालों को पकड़े रहता है ।
उदाहरण – हेड लाऊस ।
4. कूदने वाली (Saltatorial or Jumping Type):
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कुछ कीटों में टांगें कूदने के लिए रूपान्तरित होती हैं । इन कीटों में पिछली जोड़ी टागों की फीमर मोटी तथा शक्तिशाली होती हैं जिसके अंदर मजबूत माँसपेशियां होती हैं । इनमें टिबिया भी लम्बी तथा मजबूत होती हैं । इनमें टार्सस तीन खंडीय होता है, प्रिटार्सस पर एक जोड़ी नख पाये जाते हैं ।
उदाहरण – टिड्डा, झिंगुर ।
5. आवाज करने वाली (Stridulatorial or Sound Producing Type):
ये बनावट में लगभग कूदने वाली टाँगों के समान होती हैं मगर इनमें फीमर की अंदर की सतह के पिछले किनारे लम्बवत उभारों के मध्य खूंटियों की कतार पायी जाती है जो फाइल्स कहलाती है । इन फाइल्स को पंखों की उपरी सतह या अंदर के द्वितीय अथवा तृतीय खण्डों से रगड़ने पर ध्वनि उत्पन्न होती है ।
उदाहरण – नर झिंगुर, नर टिड्डा ।
6. खोदने वाली (Fossorial or Digging Type):
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ये टांगें मिट्टी खोदने के लिये रूपान्तरित होती हैं । ये छोटी व आकार में मोटी, अत्यधिक शक्तिशाली होती हैं जिनके सिरे पर कड़े दांतों के समान रचना होती है । इनका कॉक्सा छोटा एवं चौड़ा, ट्रोकेन्टर मोटा तथा मजबूत एवं फीमर अत्यधिक शक्तिशाली होती है । टिबिया का अग्र सिरा खुरपी के समान चौड़ा होता है जिस पर चार सख्त अगुलिकाओं जैसे प्रवर्ध होते हैं ।
उदाहरण – मोल क्रिकेट ।
7. तैरने वाली (Natatorial or Swimming Type):
इस प्रकार की टांगे जलीय जीवन व्यतीत करने वाले कीटों में पायी जाती हैं । ये टांगे फैलकर पतवार के समान चपटी हो जाती है । इसमें काक्सा एवं ट्रोकेंटर छोटे तथा फीमर, टिबिया व टार्सस के प्रथम चार खण्ड चौड़े व चपटे होते हैं । टार्सस का आाखरी खण्ड नुकीला होता है टार्सस के पांचों खण्डों पर पाये जाने वाले घने बाल कीट को तैरने में मदद करती हैं ।
उदाहरण – जाईन्ट वाटर बग ।
8. शिकार पकड़ने वाली (Raptorial or Grasping Type):
इस प्रकार की टांगें लम्बी, आगे की ओर फैलने वाली, कांटेदार व शक्तिशाली होती हैं, इनका काक्सा लम्बा व ट्रोकेंटर छोटा होता है । फीमर तथा टिबिया बड़ी व मजबूत होती है । फीमर तथा टीबिया पर स्थित कांटे शिकार को जकड़कर मारने में सहायक होते हैं ।
उदाहरण – प्रेईग मेटिस, ड्रेगन फ्लाई ।
9. पराग एकत्रित करने वाली (Foragial or Pollen Collecting Type):
इस प्रकार की टांगें श्रमिक मधुमक्खियों में पायी जाती है ये पश्च वक्ष की टांगों का रूपान्तरण है । काक्सा, ट्रोकेंटर और फीमर सामान्य होते हैं और घने बालों से ढके रहते हैं । टिबिया चौड़ी व चपटी होती है । इस पर विशेष प्रकार के बाल होते हैं जो पराग थैली की रचना करते हैं ।
इसमें टार्सस पाँच खंडीय होते हैं तथा प्रथम खण्ड काफी बड़ा होता है । इसके अंदर वाली सतह पर बारीक काटे की कतार पाई जाती है जो कि पराग ब्रश के रूप में कार्य करके पराग थैली में पराग एकत्रित करने का कार्य करती है । टार्सस के प्रथम खण्ड के आधार पर स्थित आरिकल नामक प्लेटनुमा अंग पराग थैली में भरे पराग को दबाने का कार्य करता है ।
उदाहरण – श्रमिक मधुमक्खी ।
10. चिपकने वाली (Climbing and Sticking Type):
इस प्रकार की टांगें घरेलू मक्खी में पायी जाती हैं । इसमें प्रिटार्सस ही प्रमुखतः परिवर्तित होता है । प्रिटार्सस में एक जोड़ी नख के अलावा एक जोड़ी पल्वीलस नामक गद्दियाँ होती है जिन पर घने खोखले बाल होते हैं । इन गद्दियों से एक प्रकार का चिपचिपा द्रव निकलता है । इस द्रव के कारण मक्खी चिकनी सतह पर भी चल सकती है ।
उदाहरण – घरेलू मक्खी ।
11. चूसक टांगें (Sucking Type Legs):
कुछ कीटों में काक्सा व ट्रोकेन्टर अति छोटे होते हैं तथा फीमर मोटी एवं छोटी टिबिया चपटी होती है । टार्सस पाँच खंडीय होता है जिस पर रोमों का झुण्ड होता है । टार्सस के प्रथम तीन खण्ड एक फूली हुई रचना बनाते हैं । जिस पर दो चूषक पम्प होते हैं । यह पम्प पानी के बहाव के विपरीत घास पर चिपके रहने में मदद करते हैं ।
उदाहरण – नर डायस्टिकस ।