Read this article in Hindi to learn about the state government initiatives undertaken for women development in India.

नियोजन को लागू समय पं. जवाहर लाल नेहरू द्वारा यह कहा गया था कि भारत का वर्तमान समाज भले ही पुरुष प्रधान व पुरुष निर्मित विधानों द्वारा संचालित हो किन्तु इस देश का भविष्य पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर अधिक आधारित होगा ।

यह कथन ध्यान में रखते हुए महिलाओं के विकास व उत्थान हेतु प्रत्येक पंचवर्षीय योजना के तहत तथा समय-समय पर कुछ विशिष्ट योजनाओं के तहत् विभिन्न मंत्रालयों द्वारा प्रत्यक्षतः अथवा अप्रत्यक्षत: महिलाओं पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।

नियोजन काल से पूर्व दशकों की अपेक्षा पंचम पंचवर्षीय योजना के समय से महिला विकास पर विशेष ध्यान दिया गया एवं छठी पंचवर्षीय योजना में योजना के प्रारूप में पृथक अध्याय के रूप में महिला व बाल विकास अध्याय जोड़ा गया जबकि इससे पूर्व इसे समाज कल्याण के तहत् ही रखा जाता था ।

ADVERTISEMENTS:

महिला व बाल विकास को देश के विकास में पूर्व की अपेक्षा प्राथमिकता देते हुए इस उद्देश्य हेतु स्वतंत्र मंत्रालय भी स्थापित किया गया जिसका कार्य स्वतंत्र मंत्री के हाथों में होता था । आज के समय में करीब करीब 27 योजनाएं भारत सरकार द्वारा महिलाओं हेतु चलाई गई हैं । कुछ विशेष रूप से केवल महिलाओं के लिए हैं तो कुछ अन्य महिला व पुरुष दोनों पर आधारित हैं ।

इन योजनाओं का संचालन भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों ने किया है, जैसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कल्याण मंत्रालय, महिला व बाल विकास मंत्रालय इत्यादि ।  सातवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत महिलाओं पर आधारित विशिष्ट योजनाओं पर होने वाला व्यय कुल व्यय का 2.4 प्रतिशत है जबकि लिंग के आधार पर सामान्य योजनाओं में अलग से अनुमान उपलब्ध नहीं है ।

इन योजनाओं में प्रमुख रूप से तीन कार्यक्रमों पर अत्यधिक बल दिया गया जो निम्नलिखित हैं:

ADVERTISEMENTS:

(i) सियाड कार्य योजना (SIAD Work Plan):

यह कार्यक्रम गतिविधियों हेतु एक योजना है जिसका महिलाओं तथा बच्चों को होगा । महिलाओं हेतु निर्मित योजनाओं में इनकी सहभागिता हेतु उनकी क्षमता बनाना । विद्यमान सामाजिक व आर्थिक सेवाओं तक पहुँच में सुधार करना ।

पारस्परिक समर्थित सेवाओं के विकास को बढ़ाना । महिलाओं की सामाजिकता व आर्थिक कुशलताओं का विस्तार करना । महिलाओं व बच्चों के जीवन की गुणवत्ता कीं बढ़ाना आदि सियार्ड कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है ।

SIAD कार्यक्रम का मानना है कि उपागम का मानना है कि उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के क्रम में गतिविधियों में क्षेत्रीय विशिष्टता प्राप्त होगी । क्षेत्र की शक्ति व सीमाएं कार्य योजना के आधार पा निर्माण करेगी । सियाड समर्थित गतिविधियों हेतु एक योजना के रूप में है जिससे क्षेत्र की महिलाओं व बच्चों को विशेष लाभ की प्राप्ति होगी ।

ADVERTISEMENTS:

इसे एक विस्तृत ब्लॉक योजना के रूप में नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विकास कार्यों के समर्थन के रूप में देखा गया है, जिन्हें अनेक सरकारी कार्यक्रमों के तहत आधारभूत न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करने, रोजगार के सृजन तथा वैभिन्यकरण तथा आय सुजन के कार्यों हेतु अपने अधीन लिया है ।

इस विचार से प्रस्तावित कार्य योजना में महिलाओं हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से मानवीय संसाधन विकास पर विशिष्ट ध्यान दिया जाता है, जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को न्यूनतम साक्षरता तथा बेहतर जीवन-यापन हेतु शिक्षा की व्यवस्था की ।

इस प्रकार का प्रशिक्षण उन्हें स्वयं के प्रशिक्षण के आधार पर सरकार द्वारा संचालित व उसके अधीन उत्तरदायित्वों तथा महिलाओं व बच्चों हेतु स्वैच्छिक संस्था के कार्यक्रमों हेतु आवश्यक न्यूनतम दक्षताओं के रूप में अधिकांश महिलाओं को स्वयं प्रशिक्षित करने योग्य बनाएगा ।

मानव संसाधन हेतु प्रशिक्षण निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्यक्रमों के साथ समन्वित होगा:

a. औपचारिक विद्यालय प्रणाली में महिलाओं के पंजीकरण की दर तथा महिला शिक्षा में बढ़ोतरी करने हेतु कदम ।

b. एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाओं का प्रावधान ।

c. मानव निर्णयों में एक वाजिब दूरी के साथ मानव तथा पशुओं हेतु पर्याप्त जल आपूर्ति का प्रावधान ।

d. घरेलू आवश्यकताओं हेतु ईंधन तथा पशुओं के जीवन हेतु पयाप्त चारा प्रदान करने के लिए पारिस्थितिकी का सृजन ।

e. रोजगार तथा आय सृजनकारी अवसरों में बढ़ोत्तरी ।

(ii) कार्य योजना (Work Plan):

कार्य योजना में निम्नलिखित बिन्दु सम्मिलित हैं:

i. महिला प्रेरकों हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम ।

ii. विद्यालयों में महिला पंजीकरण में वृद्धि के कदम:

(अ) प्राथमिक विद्यालयों में महिला सहायकों की नियुक्ति के रूप में ।

(ब) एक ऊँट गाड़ी सेवा का परिचय ।

iii. अनौपचारिक रात्रि विद्यालयों हेतु एक कार्यक्रम विशेष रूप से उन बच्चों हेतु जो दिन में पशु चराते हैं ।

iv. एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाओं में निम्नवत् बिन्दु समाहित हैं:

(अ) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अतिरिक्त चिकित्सा अधिकारियों तथा एक चल स्वास्थ्य वाहन का प्रावधान ।

(ब) प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा तथा महिला स्वास्थ्य निर्देशकों का प्रशिक्षण ।

v. जल आपूर्ति द्वारा नियोजित कार्यक्रम में निम्नलिखित बातों का समावेश है:

(अ) परम्परागत जल निकार्यों का सुधार व संभाल करना ।

(ब) विद्यालयों हेतु ‘टोकज’ समुदाय की संरचना तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हेतु निर्णय ।

(स) विद्यालयों की जल आपूर्ति ‘पाइपलाइंस’ में बढ़ोतरी ।

vi. एक सामाजिक वानिकी कार्यक्रम ।

vii. आर्थिक गतिविधि क्षेत्र में प्राथमिकताएं ।

viii. चेतना विकास शिविर ।

(iii) महिला प्रेरकों के प्रशिक्षण हेतु कार्य योजना (Action Plan for Training of Female Motivators):

पंचम कक्षा के पाठ्यक्रम के समान कार्यात्मक साक्षरता व अंक ज्ञान में महिलाओं हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम पर प्रस्तावित SIAD कार्य योजना का मुख्य बल है । ताकि स्थानीय समुदाय में से गत्यात्मक महिला प्रेरकों (महिला विकास सचेतक MVS) की एक श्रेणी बन सके ।

यह योजना इस सिफ़ारिश पर आधारित है कि महिलाओं हेतु विकास कार्यक्रम चलाने के लिए महिला कार्यकर्ताओं का अभाव योजना क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण बाधा है इसलिए इससे प्रशिक्षित महिलाएं पहले से विद्यमान कुछ कार्यक्रमों में सम्मिलित होकर उत्तरदायित्व वहन करने की स्थिति में होंगी ।

उदाहरणार्थ वे एक बालवाड़ी या प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र चला सकती है या ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ता हो सकती हैं या खादी विकास केन्द्र चला सकती हैं या गृहस्थों के एक समूह से एक कृषि वानिकी कार्यक्रम का संगठन कर सकती है ।

इस कार्य योजना के तीन पहलू होंगे:

1. 4 से 6 सप्ताहों की अवधि की पूर्व प्राथमिक अवस्था ।

2. 6 माह ।

3. 2 से 5 वर्षों हेतु ।

बच्चों हेतु अनौपचारिक शैक्षिक केन्द्र:

अक्सर देखने को मिलता है कि विद्यालय सुविधा जिसमें दिन के घंटों में उपस्थिति मांगी जाती है बच्चों के उस विशाल समूह हेतु उपलब्ध कराना अत्यंत कठिन है जो अपने परिवार के लिए आर्थिक क्रियाओं के संपादन में सहयोग प्रदान करते हैं ।

विद्यमान विद्यालयों की दूसरी कमी उनके पाठ्यक्रम का ग्रामीण जीवन से संबंध न होना है । उन वैकल्पिक शिक्षण केन्द्रों की स्थापना करके इन दोषों का निवारण किया जा सकता है जो रात्रि के समय चलाये जाते हैं ।

इन विद्यालयों हेतु अध्यापकों का चुनाव भी गांव में रहने वाले उन लोगों में से ही होगा जो सातवीं कक्षा के स्तर तक साक्षरता व आंकिक ज्ञान रखते हैं । किन्तु इस तरह की गतिविधियों में सम्मिलित होने के ज्ञान को उनकी आवश्यक योग्यता माना जाएगा ।

रात्रि विद्यालय के अध्यापकों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम को दो अवस्थाओं में चित्रित किया गया है । प्रथम अवस्था में औपचारिक शिक्षा की विधि तथा धारणा के उन्मुखीकरण की आवश्यकता होगी । दूसरी अवस्था में एक समय में 25 अध्यापिकाओं को प्रत्येक माह कार्यशालाओं में गहन शिक्षा की जरूरत होती है ।

एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य-सुरक्षा सेवाएं (Integrated Primary Health-Care Services):

प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा को जन-स्वास्थ्य की ओर चालित प्रथम तत्व के रूप में प्राथमिकता दी गई है ।

प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा में निम्नवत तथ्य समाहित है:

1. स्वास्थ्य शिक्षा- स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में यह प्रकरण उतनी ही सावधानी बरतेगा जितनी कि पहले प्रस्तावित महिला विकास सचेतकों के प्रशिक्षण में ।

2. मानव निर्णयों से एक वाजिब अंतर के साथ उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान ।

3. महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण द्वारा ग्राम-स्तर पर मौलिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक विकेन्द्रित प्रयत्न ।

(i) चल-स्वास्थ्य वाहन (Floating Health Vehicle):

जनसंख्या का घनत्व कम होना तथा छिन्न-भिन्न निर्णय के नमूने कुछ विशेष हैं जो क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने को उग्र बनाती हैं । सुगमता की समस्या भौतिक पर्यावरण का एक भाग है तथा इसे केवल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की गत्यात्मकता का सुनिश्चित करने के विशेष प्रावधान बनाकर इसका समाधान किया जा सकता है ।

(ii) प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा तथा महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण (Training to Primary Health Care and Women Health Workers):

सामाजिक अभिवृत्तियों मातृत्व व बाल स्वास्थ्य पोषण तथा परिवार नियोजन जैसे मामलों में महिला द्वारा महिला के संदेश देने के पक्ष में हैं । एक महिला ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ता (MGSK) इस तरह की स्थितियों में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करके तथा ग्रामीण महिला व राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली के मध्य एक सेतु के रूप में सेवा प्रदान कर एक बृहद भूमिका निभा सकती है ।

पंचायतों द्वारा स्वास्थ्य निर्देशिका योजना के अधीन अभी तक किसी भी महिला को नामित नहीं किया गया है । महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं का हल करने के क्रम में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं हेतु एक योजना प्रारम्भ करना आवश्यक है ।

यह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ग्रामीण स्वास्थ्य निर्देशिकाओं के प्रशिक्षण हेतु वर्तमान योजना की आगे बढ़ाएगी जो आज भी कार्य कर रही है । SIAD सलाहकार समिति द्वारा महिला ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ता को नामित किया जाएगा ।

उन महिलाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो पहले ही ‘धात्री’ के रूप में कार्य कर रही हैं तथा जिन्होंने महिला विकास सचेतकों के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया है । स्वास्थ्य निर्देशिकाओं के प्रशिक्षण क्षेत्र में कार्य करने पर अधिक जोर दिए जाने की आवश्यकता है ।

इसमें छोटी-छोटी बीमारियों के उपचार, प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था, संक्रामक रोगों की पहचान, रोग-उन्मूलन, मातृत्व व बाल स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य शिक्षा, पर्यावरणीय स्वास्थ्य तथा स्थानीय क्षत्र की विशेषताओं पर आधारित बीमारियों के उपचार आदि को शामिल किया जाना चाहिए । इस प्रशिक्षण में धात्रियों के प्रशिक्षण की भी संयुक्त रूप से व्यवस्था की जानी चाहिए ।

जल आपूर्ति (Water Supply):

नदिया, गांवों के तालाब तथा टैंक आदि वर्षा के जल को एकत्र करने की परम्परागत संस्थाओं में शामिल हैं ।

परम्परागत किन्तु उपलब्ध जल सौतें तथा पूरक रूप में विद्यमान जल-पूर्ति व्यवस्थाओं को दृढ़ करने के रूप में इसके तहत नियोजित कार्यक्रम का सुझाव है:

1. कच्ची नदियों को पक्की नदियों में बदलना ।

2. नदियों की सफाई तथा प्रभावित क्षेत्रों से सम्बद्ध कार्य ।

3. अनूसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (SC\ST) के विद्यालयों हेतु समुदाय-टैंकों का निर्माण तथा

4. पाइप लाइंस का विद्यालयों तक विस्तार ।

पीने के पानी की एक सुविधाजनक स्थान पर उपलब्धि समाज के दो वर्गों- (1) अनुसूचित जाती तथा (2) विद्यालयों में बच्चों हेतु क्रान्तिक (निर्मायक) है ।

सामाजिक वानिकी (Social Forestry):

पर्यावरण की महत्ता, चारागाह, सूखे व रेगिस्तानी इलाकों के विकास पर जोर दिए जाने की जरूरत है । इस बात का प्रस्ताव है कि दो ब्लॉक में चार नर्सरी, व्यक्तिगत स्वामित्व के खेतों तक पर्यावरण कार्यक्रम उसी प्रकार फैलाने के विशिष्ट उद्देश्य के साथ विकसित किए जाएं, जिस प्रकार कि सार्वजनिक सम्पत्ति स्रोतों के विकास हेतु इस कार्य में पंचायत समिति तथा स्वैच्छिक संगठनों सहित गैर सरकारी स्थानीय संस्थाओं को शामिल किया गया है ।

सामाजिक वानिकी हेतु योजना के अन्तर्गत निम्नवत् चरण शामिल हैं:

1. कार्यान्वयन हेतु संस्था का चयन,

2. भूमि का आवंटन,

3. जल व विद्युत की उपलब्धि की निश्चितता,

4. नर्सरी का विकास,

5. स्थानीय सम्पर्क व संचार के माध्यम से, प्रशिक्षण हेतु प्रत्येक ब्लॉक में से 100 किसानों का चयन ।

6. उचित वृक्षों की पहचान एवं वृद्धि हेतु जनक पौधों का चयन,

7. किसानों के प्रशिक्षण (विशेषकर महिलाओं का) क्षेत्र में सफल पर्यावरण हेतु इसमें भ्रमण भी शामिल होगा ।

इस कार्यक्रम को DRDA तथा वन विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जाना संभव होगा ।

आर्थिक गतिविधियाँ (Economic Activities):

आर्थिक गतिविधि के क्षेत्र में पशुपालन, कताई तथा स्थानीय उद्योगों के विकास को महत्व दिया गया है । SIAD में इन क्षेत्रों हेतु विशिष्ट कार्य बिन्दु, पशुपालन विभाग, उद्योग तथा कृषि संबंधी विभागों मैं विस्तृत कार्यक्रमों की भांति प्रस्तावित नहीं किये गये हैं । यदि DWCRA कार्यक्रम का SIAD के साथ प्रारम्भ किया जाता तो SIAD के साथ इन सभी कार्यक्रमों को भी शामिल किया जा सकता ।

DWCRA की भांति किसी कार्यक्रम में निम्नलिखित आर्थिक कार्यविधियां हो सकती हैं:

1. प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण द्वारा नये ऊनी उत्पादन का निर्माण तथा उनकी प्रक्रिया,

2. पॉलीथीन के बैग तथा नमक हेतु लाइनदार पॉलीथीन के गनी बैग,

3. स्थानीय उत्पादों जैसे खैर, संगरी आदि की अधिक बाजारीय प्रतिफलों हेतु पैकिंग,

4. नये उत्पादन निर्माण हेतु चमड़े पर कढ़ाई,

5. दाल से बने उत्पादों का निर्माण जैसे पापड़ तथा सेव,

6. सिरका, आचार, मुरब्बा निर्माण तथा मसाला की प्रक्रिया ।

इनमें से कुछ गतिविधियों को प्रशिक्षण के SIAD कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि आर्थिक क्रियाओं के लिए उन क्षेत्रों में महिलाओं के समूह बनाये जा सके जहां खादी बोर्ड केन्द्र पहले से ही कार्यरत हैं । एक लोचपूर्ण कोष का प्रस्ताव सामान्य क्षेत्र तथा महिला विकास समिति के क्षेत्र विशेष में विशेषकर आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु किया गया है ।

सघन चेतना-विकास शिविर (Intensive Consciousness Development Camp):

ग्रामीण क्षेत्रों में शिविरों के द्वारा स्थानीय समुदाय के साथ संचार के साधन प्रदान किए जाते हैं तथा ऐसा प्रारूप तैयार करते हैं कि समस्याओं का समाधान तुरन्त ही किया जा सके । एक पंचायत समिति द्वारा हर साल दो शिविरों का आयोजन किया जा सकता है ।

जिला प्रौढ़ शिक्षा संघ द्वारा 10,000 रु. प्रति शिविर (ट्रांसपोर्ट) यातायात हेतु, स्रोत-व्यक्ति के आतिथ्य हेतु तथा विशेष आगत प्रदान करने हेतु श्रम-गतिशीलता संबंधी मीटिंग पर व्यय करने का प्रावधान है ।