संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन  पर निबंध । Essay on The United Nations in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. संयुक्त राष्ट्र का घोषणा-पत्र एवं उद्देश्य ।

3. संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धान्त ।

ADVERTISEMENTS:

4. संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रक्रिया, सदस्यता एवं शर्तें ।

5. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग ।

6. संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट उपकरण या संस्थाएं ।

7. अन्य प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ।

ADVERTISEMENTS:

8. भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ ।

9. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

द्वितीय विश्वयुद्ध की विनाशलीला से यह बात स्पष्ट हो गयी कि यदि ऐसे ही युद्ध होते रहे, तो सम्पूर्ण मानव-जाति का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा । अत: ऐसी संस्था की स्थापना की जाये, जो मानव-जाति को युद्ध के खतरे से बचा सके, जो अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व्यवस्था स्थापित कर सके, शान्ति विरोधी तत्त्वों को दण्डित कर सके ।

अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सुरक्षा एवं विकास के उद्देश्यों पर आधारित संयुक्त राष्ट्र प्रभुत्वसम्पन्न राष्ट्रों के एक सँघ के रूप में 24 अक्टूबर सन 1945 को एक संगठन की स्थापना हुई, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ कहा गया ।

ADVERTISEMENTS:

अत: संयुक्त राष्ट्र संघ प्रभुसत्ता सम्पन्न ऐसे राष्ट्रों की एक ऐसी संस्था है, जो अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति, सुरक्षा के साथ-साथ मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है ।

अस्तित्व में आने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऐसे महत्त्वपूर्ण प्रयास किये, जो एक व्यापक एवं स्थायी प्रभाव है । हल्की नीली पृष्ठभूमि पर श्वेत रंग से चिडित संयुक्त राष्ट्र का ध्वज है, जो जैतून की दो वक्राकर शाखाओं के मध्य विश्व का मानचित्र समेटे हुए है । अंग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, अरबी, स्पेनिश तथा रूसी इसकी आधिकारिक (मान्यता प्राप्त) भाषाएं हैं । संयुक्त राष्ट्र संघ में कुल लोग कार्यरत हैं । यह न्यूयार्क में स्थापित है ।

2. संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा-पत्र एवं उद्देश्य:

संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा-पत्र यह सुनिश्चित करता है:

1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा बनाये रखना ।

2. राष्ट्रों के बीच उनके सम्मान, अधिकार और आत्मनिर्णय के आधार पर मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों तथा सहयोग का विकास करना ।

3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षिक समस्याओं को सुलझाने के लिए तथा मानवीय अधिकारों तथा उनकी मौलिक स्वाधीनता के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर कार्य करना तथा सहयोग प्राप्त करना । इन समान उद्देश्यों की सिद्धि के लिए उन सभी राज्यों की सहायता का केन्द्र बनना । संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य उद्देश्यों में निम्नलिखित प्रमुख हैं ।

1. मानव जाति की सन्तति को युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा को स्थायी रूप प्रदान करना और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु शान्ति विरोधी तत्त्वों को दण्डित करना ।

2. गरीबी, बीमारी और निरक्षरता को विश्व-भर से हटाना । पर्यावरणीय विनाश को रोकना और जनसामान्य को अधिकार दिलाने तथा स्वतन्त्रता के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करना ।

3. समान अधिकार तथा आत्मनिर्णय के सिद्धान्त को मान्यता देते हुए इन सिद्धान्तों के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों के मध्य सम्बन्धों एवं सहयोग में वृद्धि करने के लिए उचित उपाय करना ।

4. विश्व की आर्थिक, सामाजिक और सांकृतिक आदि मानवीय समस्याओं के समाधान हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना ।

5. निशस्त्रीकरण की नीति अपनाकर शान्तिपूर्ण उपायों द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना ।

6. इन सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हुए विभिन्न राष्ट्रों के कार्यो में समन्वयवादी केन्द्र के रूप में कार्य करना ।

3. संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धान्त:

संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा-पत्र इस प्रकार है-संघ के सभी राष्ट्र घोषणा-पत्र में वर्णित अपने कर्तव्यों और दायित्वों का ईमानदारी व निष्ठा से पालन करेंगे । सभी सदस्य राष्ट्र, किसी राज्य की अखण्डता तथा राजनैतिक स्वतन्त्रता के विरुद्ध धमकी अथवा शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे ।

अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का हल शान्तिपूर्ण ढंग से करेंगे । संघ के सभी कार्यो में सहायता करेंगे । जिसके विरुद्ध संघ कार्रवाई कर रहा है, उसकी सहायता नहीं करेंगे । संघ किसी सदस्य राष्ट्र के आन्तरिक विषयों में हस्तक्षेप नहीं करेगा । असदस्यीय राष्ट्रों को भी सहायता प्रदान करेगा ।

4. संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रक्रिया, सदस्यता एवं शर्ते:

संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान सदस्य देशों की संख्या 189 है । इसके घोषणा-पत्र के अनुसार इसकी सदस्यता का द्वार उन सभी शान्तिपूर्ण राष्ट्रों के लिए खुला रहेगा, जो संघ की जिम्मेदारियों को स्वीकार करते

हों । नये सदस्यों को अन्तिम रूप से प्रवेश सुरक्षा परिषद की अनुशंसा और महासभा के दो तिहाई अनुमोदन से मिलता है ।

घोषणा-पत्र के सिद्धान्तों का लगातार उल्लंघन करने वाले सदस्य राष्ट्रों को दो तिहाई बहुमत से महासभा सुरक्षा परिषद् की सिफारिश से निष्कासित कर सकती है । संयुक्त राष्ट्र संघ का संविदा पत्र ही इसका मौलिक संविधान है । इसमें कुल 19 अध्याय, 3 अनुच्छेद हैं । महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रशासनिक अधिकारी होता है ।

5. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग:

(क) महासभा:  व्यवस्थापिका सभा को महासभा कहते हैं । इसमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्रों के अधिकतम 5 प्रतिनिधि हो सकते हैं । प्रत्येक सदस्य राष्ट्र एक ही वोट दे सकता है । शान्ति, निस्त्रीकरण, आर्थिक विकास, परमाणु शक्ति का शान्ति में उपयोग, सामाजिक विकास, मानवीय अधिकार इसके क्षेत्र हैं ।

इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है, किन्तु सुरक्षा परिषद् द्वारा इसकी आपात बैठक बुलाई जा सकती है । एक वर्ष के लिए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा 10 अस्थायी सदस्य चयनित होते हैं । महासभा प्रत्येक सदस्य राष्ट्र की सहायता से बजट पारित करती है । मुख्य मुद्दे सुरक्षा परिषद् के दो तिहाई मत से और शेष सामान्य से स्वीकृत किये जाते हैं ।

(ख) सुरक्षा परिषद:  कार्यपालिका ही सुरक्षा परिषद कहलाती है । अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस इसके 6 स्थायी सदस्य हैं । 10 अस्थायी सदस्यों को 2 वर्षो के लिए सदस्य राष्ट्र चुनते हैं, जिनमें अफ्रीकी, एशियाई 5 सदस्य, लेटिन अमेरिका के 2. पश्चिम यूरोप व अन्य के 2 तथा पूर्वी यूरोप का 1 सदस्य ।

महत्त्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लेने हेतु 9 वोटों की आवश्यकता है, बशर्ते कि 5 स्थायी सदस्यों में से किसी का निषेधात्मक वोट बीटी न हो । सुरक्षा परिषद में वीटो-सुरक्षा परिषद के प्रत्येक स्थायी सदस्य को वीटो प्राप्त है । इसका प्रयोग किसी भी स्थायी सदस्य द्वारा करने पर प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होता । अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम से प्रत्येक सदस्य एक-एक माह के लिए अध्यक्षता करता है ।

सुरक्षा परिषद के महत्वपूर्ण कार्य:  सुरक्षा परिषद ने 1950 में उत्तरी कोरिया के विरुद्ध सैनिक कार्रवई का निर्णय लिया था । में इजराइल को अरब क्षेत्र से वापस करना । 1971 में भारत व पाकिस्तान का युद्ध

विराम । 1990 में इराक विरुद्ध सैनिक कार्रवाई का निर्णय । 2000 में अफगानिस्तान पर ऑपरेशन ईन्हयूरिन फ्रीडम चलाने का निर्णय । 2003 में ईराक पर सैनिक कार्रवाई का निर्णय ।

(ग) आर्थिक, सामाजिक परिषद:  इसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करना है । यह बाल कल्याण, नारी अधिकार. उच्च जीवन स्तर, जाति, धर्म, भाषा के भेदभाव के बिना मानव अधिकार की दिशा में कार्य करती है । इसमें 67 देश हैं, जो महासभा के द्वारा 3 वर्षो के लिए चुने जाते हैं ।

(घ) प्रन्यास परिषद:  इसमें 14 सदस्यीय राष्ट्र में साथ शासन संभाल रहे 7 राष्ट्र होते हैं तथा 7 उत्तरदायित्व विहीन राष्ट्र होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य राष्ट्र हैं ।

(ड.) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय:  इसमें 15 न्यायाधीश 9 वर्ष की अवधि के लिए महासभा व सुरक्षा परिषद के द्वारा चुने जाते हैं । यह न्यायालय सदस्य राष्ट्रों के मध्य विवादों का निबटारा करता है । इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैण्ड) में है ।

(च) सचिवालय:  संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिदिन के कार्यो का सम्पादन सचिवालय करता है । इसका सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी महासचिव कहलाता है, जिसकी नियुक्ति सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा होती है ।

इसमें लगभग 10,000 कर्मचारी महासचिव द्वारा निर्देशित होते हैं । इनकी नियुक्ति 5 वर्ष के लिए होती है । सघ के कार्यो का वार्षिक तथा पूरक प्रतिवेदन महासभा में महासचिव प्रस्तुत करता है । इसका प्रधान कार्यालय न्यूयार्क में है । वर्तमान में इसके महासचिव कोफी अन्नान है ।

6. संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट उपकरण:

आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उच्च जीवन स्तर, पूर्ण रोजगार आदि के उद्देश्य से संघ के विशिष्ट उपकरण निम्नलिखित हैं:

1. यूनेस्को-संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन की स्थापना 1946 में हुई, जिसका मुख्यालय पेरिस में है, जो शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रों में मध्य सहयोग को प्रोत्साहित करती है ।

2. इ॰ए॰ओ॰ खाद्य एवं कृषि संगठन- 16 अक्तूबर, 1945 को स्थापित इस संगठन की स्थापना का उद्देश्य विश्व में व्याप्त निर्धनता, कुपोषण और भूखमरी के विरुद्ध संधर्ष करना है । वैज्ञानिक रूप से कृषि का विस्तार करना । इसका प्रधान कार्यालय रोम में है ।

3. आई॰एल॰ओ॰ अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय के लिए प्रयास करना और श्रमिकों की दशा में सुधार लाना है । इसकी स्थापना 1946 में हुई । इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में है ।

4. डबल्यू॰एच॰ओ॰ विश्व स्वास्थ्य संगठन-इसकी स्थापना 1948 को हुई । इसका प्रमुख उद्देश्य सभी लोगों के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है । तत्सम्बन्धी प्रशिक्षण एवं प्रचार करना । इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में है ।

5. आई॰टी॰यू॰ अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ-तार, टेलीफोन, रेडियो की सेवाओं का उत्तरोत्तर प्रसार एवं विकास तथा उसे सस्ते दर पर उपलव्य कराना । इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में है ।

6. अन्तर्राष्ट्रीय नागरिक उडुयन संगठन-अन्तर्राष्ट्रीय वायु परिवहन से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से 4 अप्रैल 1947 को स्थापित यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय उडुयन विधियों और समझौते का प्रारूप भी तैयार करता है । इसका प्रधान कार्यालय कनाडा में है ।

7. विश्व मौसम विज्ञान संघ- 1951 में स्थापित इस संघ की स्थापना का उद्देश्य मौसम विज्ञान सम्बन्धी कार्यों एव निरीक्षण को बढ़ावा देना, संसार के विभिन्न देशों को ऋतु विज्ञान सम्बन्धी सूचनाएं देना है । इसका कार्यालय जेनेवा में है ।

8. यूनीसेफ अन्तर्राष्ट्रीय बाल संकट- 1946 में स्थापित यूनीसेफ सभी बच्चों को बिना उनकी जाति या धर्म का भेदभाव किये स्वास्थ, शिक्षा, पोषण के क्षेत्र में विशेषत: अविकसित देशों के बच्चों के लिए कार्य करती

है । इसका प्रधान कार्यालय न्यूयार्क में है ।

9. अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन-1948 में गठित इस संगठन का उद्देश्य विभिन्न सरकारों द्वारा जलपोतों को ले जाने से सम्बन्धित निर्धारित नियमों पर विचार कर परामर्श देना है । इसका प्रधान कार्यालय लंदन में

है ।

10. अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु अभिकरण-1997 में स्थापित इस अभिकरण का उद्देश्य शान्ति, सुरक्षा, निर्माण एवं रचनात्मक दि. में कार्य करने हेतु परामर्श एवं प्राविधिक सहायता देना है । इसका प्रधान कार्यालय वियना में है ।

11. विश्व डाक संघ-1974 में स्थापित इस संघ का उद्देश्य सदस्य देशों में डाक सम्बन्धी सुविधाओं का विस्तार, डाक की दरों का निर्धारण, डाक से सम्बन्धित कठिनाइयों का निवारण करना है । इसका प्रधान कार्यालय बर्न में है ।

12. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त-1951 में स्थापित इस आयोग का कार्य शरणार्थियों की रक्षा, स्वदेश वापसी, पुनर्वास तथा रोजगार को प्रारम्भ करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक तथा अन्य प्रकार की सुविधाएं प्रदान करना है । इसका प्रधान कार्यालय जेनेवा में है ।

13. विश्व बैंक इअन्तर्राष्ट्रीय पुननिर्माण एव विकास बैंक अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण तथा कम विकसित देशों के विकास के लिए रचनात्मक कार्य हेतु उधार देना तथा उन्हें तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना है । इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है ।

14. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-1945 में स्थापित इस कोष का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सन्तुलित विकास, इसमें सहयोग, विनिमय दरों में सुधार लाना, भुगतानों की व्यवस्था, असन्तुलन की मात्रा को ठीक कर अर्थव्यवस्था विकसित करते हुए स्पेशल ड्राइंग राइट्‌स के तहत सामयिक ऋण देना है ।

15. संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन-1967 में स्थापित इस संगठन का उद्देश्य आर्थिक एव औद्योगिक विकास में समन्वय है । इसका प्रधान कार्यालय वियना में है । इसके अतिरिक्त जनसंख्या नियन्त्रण हेतु राष्ट्रकोष, विश्व व्यापार संगठन, विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन है ।

7. अन्य प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय संगठन:

ये कुछ ऐसे संगठन हैं, जो विश्वशान्ति, सहयोग एवं विकास कार्यो से जुड़े हुए हैं । इनमें अरब लीग, ओपेक, दक्षेस (सार्क) राष्ट्रमण्डल (कॉमनवेल्थ), निगुट आन्दोलन (नाम) रेडक्रास, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, आसियान, इण्टरपोल, जी॰आई॰एस॰ जी 15, जी 77, नाटो, एशियाई बैंक, केरेबियन कम्यूनिटी एण्ड कॉमन मार्केट, अन्तर्राष्ट्रीय हवाई यातायात, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्‌स, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अरब पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कण्ट्रीस, यूरोपीय संघ, यूरेटम, इसरो, फ्रेंच समुदाय, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कान्क्रेंस, एपेक आदि हैं ।

8. भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ:

भारत ने सदा ही संघ द्वारा की गयी सैन्य कार्रवइयों में अपना समर्थन जताया है । कोरिया के युद्ध में घायलों के उपचार हेतु भारतीय चिकित्सकों का दल भेजा गया था । गाजा में संघ के आपातकालीन सैन्य दल के लिए भारत ने अपनी दो टुकड़ी भेजी थी । साइप्रस राष्ट्र की सेना में प्रथम दो भारतीय थे । कांगो में की गयी सैन्य कार्रवाई में भारत ने सहयोग किया था ।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शान्ति एवं सद्‌भावनापूर्ण निःशस्त्रीकरण के कार्यो में सदैव सहमति जतायी है । वह सुरक्षा परिषद् का 6 बार सदस्य रहा । प्रन्यास परिषद का 12 वर्ष, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् का 20 वर्ष सदस्य रहा है । संघ ने भी हमारे राष्ट्रीय विकास के कार्यक्रमों के साथ-साथ शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक, विज्ञान, कृषि, स्वास्थ, पंचवर्षीय परियोजनाओं में अवश्यकतानुसार हर सम्भव सहायता दी है ।

9. उपसंहार:

यह सत्य है कि शान्ति, सदभावना तथा मानव जाति के विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी सशक्त भूमिका निभायी है, किन्तु पिछले कुछ वर्षो से इसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिक्यसा लग रहा है । जब से स्थायी सदस्य अमेरिका ने अफगानिस्तान के बाद ईराक पर सैन्य कार्रवाई की है, विश्व के समस्त जनमत को ताक पर रखकर निःशस्त्रीकरण की धज्जियां उड़ायी हैं, यह निन्दनीय है ।

किन्तु फिर भी विश्व की इस महानतम संस्था पर निष्पक्षता, न्याय, सिद्धान्त व उद्देश्यानुसार खरा उतरने का विश्वास टल भारत में पंचायती राज व्यवस्था है ।

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