Read this article in Hindi to learn about the eight main types of unemployment. The types are:- 1. घर्षणात्मक बेरोजगारी (Frictional Unemployment) 2. मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) 3. चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) and a Few Others.

बेरोजगारी के मुख्य स्वरूप निम्नांकित हैं:

(1) घर्षणात्मक बेरोजगारी (Frictional Unemployment):

यह मुख्यतः श्रम की अगतिशीलता, कच्चे माल की अचानक या अस्थायी रूप से दिखायी देने वाली कमी, मशीनों की गड़बड़ी से काम बन्द होना, कार्य की मौसमी प्रकृति तथा रोजगार के अवसरों की अनभिज्ञता से उत्पन्न होती है ।

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(2) मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment):

यह प्राय: जलवायु में होने वाले परिवर्तनों या फैशन अथवा रुचि में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप एक उद्योग विशेष द्वारा अनुभव की जाती है ।

(3) चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment):

चक्रीय बेकारी का कारण है व्यापार चक्र में प्रतिसार की अवस्था का दिखाई देना ।

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(4) तकनीकी बेरोजगारी (Technical Unemployment):

यह उत्पादन की तकनीक में होने वाले परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है जब श्रम के बदले अधिक पूँजीगत संसाधनों का प्रयोग किया जाता है ।

(5) संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment):

यह तब उत्पन्न होती है जब व्यक्तियों की काफी अधिक संख्या इस कारण बेकार या अर्द्धरोजगार की दशा में होती है, क्योंकि उत्पादन के अन्य साधन इन्हें पूर्ण रूप से खपाने के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होते ।

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कम विकसित देशों में कृषि क्षेत्र के परम्परागत स्वरूप के कारण निम्न उत्पादकता की प्रवृत्ति दिखाई देती है । औद्योगिक क्षेत्र पूँजी व कौशल के अभाव से ग्रस्त रहता है । सेवा क्षेत्र का आकार न्यून होता है । अत: मजदूरी की प्रचलित दर से कम पर कार्य करने की बाध्यता होती है ।

(6) खुली बेकारी (Open Unemployment):

एक कम विकसित अर्थव्यवस्था में खुली बेकारी ऐसी स्थिति है जिसमें श्रम शक्ति का काफी बड़ा भाग ऐसे अवसरों की प्राप्ति नहीं कर पाता जिससे नियमित आय प्राप्त हो सके ।

(7) अर्द्धरोजगार (Unemployment):

अर्द्धरोजगार से अभिप्राय उस दशा से है जिसमें व्यक्ति अपनी योग्यता व क्षमता के अनुरूप कार्य प्राप्त नहीं कर सकता तथा साथ ही वह दशा भी जिसमें व्यक्ति को पूर्णकालिक रूप से कार्य नहीं मिल पाता ।

(8) ऐच्छिक व अनैच्छिक बेकारी (Voluntary and Involuntary Unemployment):

ऐच्छिक बेकारी वह दशा है जब मजदूरी की प्रचलित दर पर श्रमिक कार्य करने का इच्छुक न हो । सामान्यतः कार्यकारी जनसंख्या में वयस्क व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है । अवयस्क व वृद्ध तथा उत्पादक कार्यों के लिए अयोग्य व्यक्ति इसमें शामिल नहीं रहते ।

विकासशील देशों में यह प्रवृत्ति पाई जाती है कि कार्यकारी जनसंख्या का काफी अधिक भाग या तो रोजगार करना नहीं चाहता या मजदूरी की वर्तमान दरों से अधिक पर ही कार्य करना चाहता है । कीन्ज ने इन्हें स्वेच्छा से बेकार की संज्ञा दी ।

दूसरी अनैच्छिक बेकारी ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति मजदूरी की प्रचलित दरों से कम पर भी कार्य करने के लिए तत्पर होते हैं परन्तु वह रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते । यदि हम पूर्ण रोजगार की कल्पना करें तो अनैच्छिक बेकारी की दशा समाप्त हो जाएगी ।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि विकसित देशों में समर्थ माँग की कमी होने पर स्वैच्छिक बेकारी उत्पन्न होती है । विनियोग में वृद्धि कर इसे दूर किया जाना सम्भव है ।

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