Read this article in Hindi to learn about the views of Wilson on public administration.

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लोक प्रशासन एक आधुनिक विषय के रूप में बुडंरी विल्सन के चिंतन का ही प्रारंभिक परिणाम माना जाता है । सर्वप्रथम विल्सन ने ही अपने समाज की राजनीतिक प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कमियों से उत्प्रेरित होकर प्रशासन के एक स्वतंत्र और स्वायत्त विज्ञान की आवश्यकता प्रतिपादित की थी ।

वे राजनीतिक-प्रशासनिक द्विभाजन के प्रारंभकर्ता थे और भावी प्रशासनिक विषय के एक फ्रेमवर्क को निर्धारित करनेवाले पहले प्रशासनिक चिंतक भी । यद्यपि उनके चिंतन में स्थिरता के साथ विचलन, दिशा के साथ विभ्रम और संकल्प के साथ हड़बड़ी दिखाई देती है ।

19 वीं शताब्दी औद्योगिकीकरण के तीव्र होने और उसके परिणामस्वरूप विभिन्न सामाजिक आर्थिक समस्याओं के गंभीर होने की साक्षी थी । ऐसे समय अमेरिका में राजनीतिक दुरावस्था के लिए प्रशासनिक अप्रभावशीलता को भी दोषी ठहराया गया ।

जहां निजी क्षेत्र में प्रबंधकीय कुशलता हेतु टेलर, मेटकाफ प्रयासरत थे, वही सरकारी क्षेत्र में बुडरी विल्सन थे जिन्होंने अव्यवस्था के कारणों को ढूंढने और उन्हें दूर करने के उपाय सोचे । वुडरो विल्सन (1856-1924) ने राजनीति विज्ञान में ”डॉक्ट्रेट” किया और उनका शोध ही ”कांग्रेसियल गर्वमेंट” के रूप में पहली पुस्तक बना । लेकिन उन्हें प्रसिद्धी मिली “Study of Administration” नामक लेख से जो राजनीतिक विज्ञान त्रैमासिक 1887 में प्रकाशित हुआ ।

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हेनरी निकोलस ने लोक प्रशासन के विषयगत विकास निम्नलिखित चरण बताये:

1. राजनीति-प्रशासन द्विभाजन

2. प्रशासन के सिद्धांत

3. लोक प्रशासन राजनीति शास्त्र के रूप में

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4. लोक प्रशासन प्रबंधन के रूप में

5. लोक प्रशासन, लोक प्रशासन के रूप में

उक्त आलेख में विल्सन ने तत्कालिन अव्यवस्था के लिए राजनीति को जिम्मेदार माना लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति को जिस प्रशासनिक Feedback की जरूरत पड़ती है वह भी अपर्याप्त और अप्रभावी थी, और इसका कारण प्रशासन के ऊपर स्वतंत्र बौद्धिक चिंतन का अभाव । विल्सन ने इसी आलेख में एक स्वतंत्र प्रशासनिक विषय की मांग की जो सरकारी क्षेत्र का अध्ययन करें ।

विल्सन ने इस विषय की आवश्यकता के निम्न आधार बतायें:

(i) प्रथम- राजनीति जिस नीति निर्माण से संबंधित है उससे भिन्न उसका क्रियान्वयन और उसकी अपेक्षाएं होती हैं ।

(ii) द्वितीय- राजनीति मूल्य आधारित होती है जबकि प्रशासन तथ्य और प्रक्रिया आधारित ।

(iii) तृतीय- अत: राजनीति के विपरीत प्रशासन एक व्यवस्था होती है।

(iv) चतुर्थ- अत: व्यवस्था के निश्चित सिद्धांत होने चाहिए । इस प्रशासन के द्विभाजन की नींव रखी ।

उनके अनुसार प्रशासन पर स्वतंत्र चिंतन के अभाव का परिणाम यह हुआ कि प्रशासन के संरचनात्मक और कार्यात्मक पक्षों का विश्लेषण नहीं हो पाया । प्रशासनिक संस्थाओं और उनके कार्य व्यवहार पर शोध और अनुसंधान नहीं हो पाये तथा प्रशासनिक कार्य कुशलता, मितव्यतिता आदि को सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं हो पाए ।

इस प्रकार विल्सन स्वतंत्र प्रशासनिक विज्ञान का उद्देश्य प्रशासनिक कार्य कुशलता और मितव्यतिता घोषित करते है, चूंकि इसके लिए वे सिद्धांत आधारित प्रशासनिक विज्ञान के विकास पर बल देते हैं । अत: वे शास्त्रीय श्रेणी के विचारक हो जाते है, क्योंकि उन्होंने भी लोक और निजी जैसी भिन्न प्रशासनिक व्यवस्था को खारिज किया । (ब्रुशियर का मत)

विल्सन लोक प्रशासन को लोक नीतियों और विधियों को विस्तृत और क्रमबद्ध रूप में लागू करनेवाली प्रक्रिया कहते हैं । और इस प्रकार से नीति निर्माण के क्षेत्र को लोक प्रशासन से बाहर कर देते हैं । लेकिन वे नीति क्रियान्वयन को अधिक जटिल और महत्वपूर्ण मानते हैं, इसीलिए कहते है, ”संविधान बनाना आसान है लेकिन चलाना मुश्किल है ।” उनके अनुसार राजनीतिक प्रश्न प्रशासनिक प्रश्न नहीं होते अर्थात् प्रशासन की विषय वस्तु राजनीतिक विज्ञान से भिन्न और विशिष्ट होती है । और इस प्रकार से विल्सन को उचित लोकप्रशासन के जनक की संज्ञा ड्वाइड वाल्डो ने 1950 में दी ।

लेकिन लोक प्रशासन का यह जनक राजनीति प्रशासन के अन्तर की सीमाओं की पहचान करने में विफल रहा । वे लोक प्रशासन के विषय की पहचान तो करते है लेकिन विषय वस्तु निर्धारित नहीं कर पाते । उनके वक्तव्यों में राजनीति और प्रशासन के महत्वपूर्ण अंतर्सम्बंध भी ध्वनित होते है ।

जैसे उनका मानना था कि राजनीति को एक प्रभावी प्रशासन ही नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण परामर्श दे सकता है । इसी प्रकार नौकरशाहों की नियुक्ति, पदमुक्ति स्थानांतरण आदि जनप्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए । अत: विल्सन लूट प्रथा से जहां उससे मुक्त देखना चाहते हैं वही उसके दूसरे स्वरूप को स्वीकार भी करते हैं ।

ऐसे विरोधाभास विल्सन के समय की उपज है न कि उनके भ्रम की । वस्तुत: विल्सन ने योग्यता आधारित नौकरशाही का समर्थन करके संरक्षक नौकरशाही को लोकप्रशासन से बाहर कर दिया । ऐसी नौकरशाही के लिए उन्होंने अपेक्षित प्रशिक्षण प्रणाली के विकास पर भी बल दिया ।

उन्होंने ही तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक प्रशासन की शुरूआत की । क्योंकि वे एक देश के प्रशासन को दूसरे देश में स्थापित करने में अनेक बाधाएं महसूस करते थे । इस प्रकार विल्सन भले ही संपूर्ण प्रशासनिक दर्शन नहीं दे पाया लेकिन प्रशासनिक दर्शन की संपूर्ण प्राप्ति के लिए इसके द्वारा भावी विचारकों के लिए उन्होंने खोले है । उन्होंने राजनीति प्रशासन के मध्य एक धुंधलें विभाजन की रेखा को ढूंढ निकाला जिससे प्रशासनिक चिंतन से एक नयी दिशा मिली जो अब तक कैमरल वादियों में अपना स्वतंत्र अस्तित्व तिरोहित किये हुआ था ।

अतः वुडरो विल्सन के योगदान की समीक्षा करते हुए हम कह सकते हैं कि राजनीतिक प्राणी के रूप में प्रशासनिक जरूरतों को देखनेवाला भविष्यदृष्टा, सामाजिक प्राणी के रूप में सामाजिक अपेक्षाओं की पूर्ति हेतु प्रशासनिक कार्यकुशलता का प्रतिपादक और अंततः भावी प्रशासनिक इमारत की दृढ़ नींव रखने वाला एक शिल्पी है ।