Read this article in Hindi to learn about:- 1. निदेशालय का अर्थ (Meaning of Directorates) 2. निदेशालय का प्रमुख (Heads of Directorates) 3. कार्य (Functions).

निदेशालय का अर्थ (Meaning of Directorates):

राज्य स्तर पर सरकार के तीन घटक हैं- मंत्री, सचिव और कार्यकारी प्रमुख । मंत्री और सचिव को मिलाकर सचिवालय का गठन हुआ है । कार्यकारी प्रमुख के कार्यालय को निदेशालय का नाम दिया गया है । निदेशालय राज्य सचिवालय के अधीन कार्य करते हैं ।

सचिवालय स्टाफ एजेंसी है, जबकि निदेशालय लाइन एजेंसी, अर्थात सचिवालय नीति निर्धारण कार्य से संबद्ध है और नीति कार्यान्वयन से । इस प्रकार, निदेशालय राज्य सरकारों के कार्यकारी अंग हैं । निदेशालयों को कार्यकारी विभाग हैं जो सचिवालय के विभागों से बिल्कुल अलग हैं । कुछ मामलों को छोड़ दें तो सचिवालय के प्रत्येक विभाग का समेलित कार्यकारी विभाग है ।

निदेशालय का प्रमुख (Heads of Directorates):

निदेशालयों के नियम कानून सचिवालय से भिन्न होते हैं । इनकी सांगठनिक सत्ताएँ अलग-अलग होती हैं । निदेशालय का प्रधान एक निदेशक होता है जिसकी सहायतार्थ अपर निदेशक संयुक्त निदेशक उपनिदेशक और सहायक निदेशक होते हैं । इसके अतिरिक्त निदेशालय के प्रधान को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे- आयुक्त, महानिदेशक, महानिरीक्षक, रजिस्ट्रार, नियंत्रक, मुख्य अभियंता, मुख्य संरक्षक आदि ।

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नीचे की सारणी में निदेशालयों के नामों तथा उनके प्रधानों के पदनामों का उल्लेख किया जा रहा है:

निदेशालय का कार्य (Functions of Directorates):

निदेशालय प्रमुख के कार्य इस प्रकार हैं:

(i) मंत्रियों को तकनीकी सलाह देना ।

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(ii) विभाग का बजट तैयार करना ।

(iii) अधीनस्थ अधिकारियोंपर नियमानुसार अनुशासनिक शक्तियों का प्रयोग करना ।

(iv) पदोन्नति और अनुशासनिक कार्यवाही के संदर्भ में राज्य लोकसेवा आयोग को सलाह देना ।

(v) विभाग के जिला स्तरीय स्टाफ द्वारा कार्यान्वित कार्य का निरीक्षण करना ।

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(vi) अनुदान का आबंटन करना और बजट को पुनर्विनियोजित करना ।

(vii) निर्धारित सीमा और अनुमोदित नियमों के तहत सभी तरह की नियुक्तियाँ नियमितीकरण तैनाती स्थानांतरण और पदोन्नतियाँ करना ।

(viii) विभागीय अधिकारियों के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करना ।

(ix) विभाग की कार्यकुशलता में सुधार लाने के लिए विभागीय अनुसंधान और प्रयोगात्मक कार्यक्रम चलाना ।

(x) अधिकारियों को सम्मेलनों (अंतर्विभागीय या केंद्र सरकार के सम्मेलनों को छोड़कर) में भाग लेने की अनुमति प्रदान करना ।

राज्य स्तरीय समितियां:

कुछ राज्य सरकारों द्वारा गठित प्रशासनिक सुधार समितियां ने सचिवालय और निदेशालयों के बीच सम्बन्ध पर निम्नलिखित सिफारिशें पेश की हैं ।

1. राजस्थान प्रशासनिक सुधार समिति (1962-63), आन्ध्र प्रशासनिक सुधार समिति (1964-65), पंजाब प्रशासनिक सुधार आयोग (1964-66) और केरल प्रशासनिक पुनर्गठन एवं आर्थिक समिति (1965-67) ने कार्यकारी विभागों के प्रमुखों को पदेन सचिवालयी दर्जा प्रदान करने की सिफारिश की थी ताकि सचिवालय और गैर सचिवालय संगठनों के बीच की खाई को पाटा जा सके ।

2. आन्ध्र प्रदेश प्रशासनिक सुधार समिति (1960) और मध्य प्रदेश प्रशासनिक सुधार आयोग (1970-72) ने निदेशालयों को सचिवालय के साथ विलय करने की सिफारिश की थी । दूसरे शब्दों में एक नीति निर्माण निकाय के रूप में सचिवालय तथा एक नीति क्रियान्वयन निकाय के रूप में निदेशालय के बीच के अन्तर को समाप्त किया जाना चाहिए ।