Read this article in Hindi to learn about:- 1. राज्य-सचिवालय का अर्थ (Meaning of State Secretariat) 2. सचिवालय का संगठन (Secretariat Organization) 3. कार्यप्रणाली (Functioning) and Other Details.

राज्य-सचिवालय का अर्थ (Meaning of State Secretariat):

राज्यपाल राज्य का औपचारिक प्रधान होता है । इस कार्यकारी को सहायता देने के लिए स्टॉफ अभिकरण के रूप में सचिवालय होता है । राज्य प्रशासन का होने के कारण का प्रमुख कार्य नीति निर्माण और विधायी कार्यों में राज्य सरकार की सहायता करना है ।

सैद्धान्तिक रूप से यह सचिवों का कार्यालय है, जबकि व्यवहार में यह समस्त राज्य शासन का कार्यालय है, जहां राज्य शासन से संबंधित समस्त नीति निर्माण, प्रशासनिक निर्णय आदि कार्य सम्पन्न है । उल्लेखनीय है कि केन्द्र की भांति राज्य में मंत्रिमंडलीय सचिवालय, केन्द्रीय सचिवालय, प्रधान सचिवालय जैसी भिन्न संरचनाएं नहीं है, अपितु इन सबसे संबंधित स्टाफ कार्यों को ”राज्य सचिवालय” ही सम्पन्न करता है । सचिवालय विभिन्न मंत्रालयों/विभागों का ऐसा संगठन है जिसका राजनीतिक प्रमुख मंत्री और प्रशासनिक प्रमुख सचिव होता है ।

सचिवालय का संगठन (Secretariat Organization):

1. राज्य के शीर्ष पर मुख्य सचिव है जो सचिवालय के सम्पूर्ण प्रशासनिक संगठन पर नियन्त्रण रखता है । सचिव उसके निरन्तर सम्पर्क में बने रहते हैं ।

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2. सचिवालय अनेक प्रशासनिक विभागों (मंत्रालयों) में विभक्त होता है । विभागों का निर्माण राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से करता है ।

3. प्रत्येक विभाग का अपना एक प्रशासनिक संगठन होता है । विभाग के शीर्ष पर शासन सचिव होता है जो विभागाध्यक्ष होता है । इसे म.प्र. और छ.ग़. में प्रमुख सचिव (Principle Secretary) जबकि राजस्थान, उ.प्र., बिहार में शासन सचिव कहा जाता है । इसकी सहायतार्थ अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव, अवर सचिव होते हैं ।

4. सचिव के अधीन कुछ राज्यों में ‘अतिरिक्त सचिव’ तथा कहीं-कहीं पर ‘विशेष सचिव’ होते हैं, इसके नीचे ‘उप सचिव’ होते हैं । बड़े विभागों में एक से अधिक तथा छोटे विभागों में एक उपसचिव होता है । सचिवालय का सबसे छोटा अधिकारी अवर सचिव होता है ।

अवर सचिव को छोड़कर शेष सभी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य होते हैं । कभी-कभी राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ सदस्य को भी उप-सचिव बना दिया जाता है । इन सब की नियुक्ति पदोन्नति द्वारा ‘क्षेत्र’ (Field) से की जाती है ।

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5. सचिवालय में पुस्तकालय तथा रिकार्ड सेक्शन भी होता है ।

6. सचिव का मूल वेतन छठेवें वेतन आयोग ने अधिकतम 80 हजार रुपये तय किया हैं ।

7. प्रत्येक विभाग में अधीनस्थ कार्मिक संगठन होता है । एक विभाग अनेक अनुभागों में विभक्त होता है, जिसका प्रमुख अनुभाग अधिकारी होता है, जो लिपिक वर्ग से पदोन्नत होकर आता है । इसके अधीन वरिष्ठ लिपिक, सहायक लिपिक, टाइपिस्ट, चतुर्थ श्रेणी कार्मिक आदि होते हैं ।

8. ‘प्रशासनिक सुधार आयोग’ ने सुझाव दिया गया था कि सचिवों की संख्या 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए ।

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9. मुख्यमंत्री सचिवालय राज्य सचिवालय का ही भाग होता है ।

सचिवालय की कार्यप्रणाली (Functioning of the Secretariat):

i. सचिवालय के विभिन्न स्तरों के पदाधिकारी पद की महत्ता के अनुसार कार्य करते हैं ।

ii. शासन सचिव अपने अधीनस्थ स्टॉफ पर नियंत्रण रखता है । उप-सचिव, सचिव की सहायता करता है और समय-समय पर सचिव द्वारा सौंपे गये कार्य को सम्पन्न करता है ।

iii. अनुभाग अधिकारी अधीनस्थ लिपिकों को प्रक्रिया संबंधी निर्देश देता है और बताता है कि फाइलीकरण कैसे किया जाए, जैसे प्रत्येक पृष्ठ पर नम्बर डालना, नोटशीट पर टीप लिखना इत्यादि । वस्तुत: अनुभाग में कार्य के ”कैसे” के संबंध में उल्लेख किया जाता है, ”क्या” के सम्बन्ध में नहीं ।

अनुभाग अधिकारी यह व्यवस्था करता है कि अनुभाग में आने वाले सभी कागज पत्रों पर उचित कार्यवाही की जाये । अनुभाग अधीक्षक की देख-रेख में ही कार्यालय-प्रक्रिया के अनुशीलन का प्रबन्ध किया जाता है ।

iv. सचिवालय की कार्य प्रक्रिया ‘सेक्रेटरियल मेनुअल’ में वर्णित होती है ।

v. किसी भी राज्य सचिवालय में अपनायी गयी फाइल-व्यवस्था अत्यन्त सरल होती है ।

सचिव एवं विभागाध्यक्ष (Secretary and Head of the Department):

सचिव ‘स्टाफ अभिकरण’ का प्रमुख होता है तथा विभागाध्यक्ष ‘लाइन अभिकरण’ का प्रमुख होता है । विभागाध्यक्ष अपने विभाग का सर्वोच्च अधिकारी होता है और विभाग से संबंधित सचिव द्वारा अपने मंत्री की ओर से उसे आदेश, अनुदेश और निर्देश प्रदान किये जाते हैं । प्रशासनिक सुधार आयोग का सुझाव था कि प्रमुख विभागाध्यक्षों का वेतन स्तर सचिवों से अधिक नहीं तो कम से कम बराबर अवश्य रखा जाना चाहिए ।

सचिवालय के कार्य (Function of Secretariat):

राज्य सचिवालय में ही राज्य शासन से संबंधित सभी कार्यों की रूपरेखा तय की जाती है और उन पर संबंधित मंत्री, या फिर मंत्रिपरिषद निर्णय लेते है । राज्य के प्रशासनिक शीर्ष पर स्थित सचिवालय से ही राज्य की समस्त दिशाओं में आदेश, निर्णय प्रवाहित होते हैं और क्षेत्रों तक पहुँचते हैं ।

सचिवालय को राज्य की शासन व्यवस्था पर नियन्त्रण, निर्देशन और पर्यवेक्षण की शक्ति प्राप्त है । वह मुख्यमंत्री, मंत्रिमण्डल, मंत्री, विधानसभा, केन्द्र-राज्य सम्बन्ध, कार्मिक प्रशासन, वित्तीय प्रशासन आदि सभी से संबंधित राज्य शासन-प्रशासन के कार्यों को सम्पन्न करता है ।

i. नीति निर्माण (Policy Making):

मंत्रालय से संबंधित नीतियों के निर्माण में सचिवालय ही मंत्री को सहायता करते हैं । वे नीति परिवर्तन के लिए भी मंत्री को परामर्श देते हैं । मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य के लिए जो नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं, उनके लिए आवश्यक तथ्य, आंकड़े, परामर्श भी सचिवालय देता है ।

ii. नीति क्रियान्वयन (Policy Implications):

सचिवालय नीति क्रियान्वयन में भी मंत्री की मदद करते है । सचिव के माध्यम से ही मंत्री निदेशालयों, कार्यपालक एजेंसियों द्वारा संपादित नीति क्रियान्वयन पर नजर रखते हैं ।

iii. नियोजन संबंधी कार्य (Employment Work):

राज्य की योजना निर्माण हेतु मंत्रिपरिषद उत्तरदायी है । लेकिन अनुभवी, योग्य और सूचनाओं से सम्पन्न सचिवालय ही मंत्रिपरिषद की ओर से राज्य के विकास हेतु योजना का मसौदा तैयार करता है । राज्य योजना मण्डल द्वारा तैयार योजना सचिवालय के माध्यम से निर्मित होकर केन्द्रीय योजना से अनुमोदित होती है ।

iv. मंत्रिमण्डल संबंधी कार्य (Cabinet Work):

सचिवालय मंत्रिमण्डल से संबंधित समस्त कार्यों को सम्पन्न करता है ।

जैसे:

a. मंत्रिमण्डल की बैठकों की व्यवस्था करना उसकी कार्यवाही का एजेण्डा तैयार करना और लिए गए निर्णयों को नोट कर, संबंधित मंत्रालयों को भेजना । इस हेतु वह मुख्य सचिव की सहायता करता है ।

b. मंत्रिमण्डल को व्यवस्थापन अर्थात् विधेयक निर्माण में मदद करना ।

c. राज्यपाल के अभिभाषण को मंत्रिमण्डल की तरफ से वही तैयार करता है ।

d. विधानसभा के सत्र को आहूत करने, सत्रावसान करने या उसे भंग करने संबंधी प्रस्तावों को मंत्रिमण्डल के निर्देशन में तैयार करना ।

e. मंत्रिमण्डलीय समितियों को सचिवीय सहायता देना ।

v. वित्तीय कार्य (Financial Work):

राज्य सचिवालय में ही प्रदेश की वित्तीय नीति की रूपरेखा निर्धारित होती है । मंत्रिमण्डल की तरफ से बजट का निर्माण ”वित्त मंत्रालय” करता है, जिसे सभी विभाग आवश्यक सहयोग, परामर्श, प्रस्ताव देते हैं । सचिवालय के सभी विभागों के बजट को एकीकृत कर वित्त विभाग राज्य का बजट बनाता है ।

vi. समन्वय संबंधी कार्य (Coordination Work):

सचिवालय राज्य के सभी प्रशासनिक विभागों, अधिकारियों, क्षेत्रीय अभिकरणों के मध्य समन्वय सुनिश्चित करने वाली सर्वोच्च इकाई है जो मुख्य सचिव के नेतृत्व में अंजाम देती है ।

vii. कार्मिक प्रशासन (Personnel Administration):

राज्य सचिवालय राज्य की कार्मिक नीतियों को तय करता है । वही विभिन्न लोक सेवकों की भर्ती, पदोन्नति, वेतन, आचार संहिता, सेवा शर्तें आदि को तय करता है ।

viii. केन्द्र-राज्य संबंध (Centrally):

राज्य सचिवालय केन्द्र के निरन्तर सम्पर्क में रहता है ताकि आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान होता रहे, केन्द्रीय का अनुपालन हो सके । वह वित्त आयोग, आयोग, निर्वाचन आयोग के भी सम्पर्क में रहता है ।

ix. प्रशासकीय नेतृत्व (Administrative Leadership):

मुख्य सचिव के नेतृत्व में राज्य सचिवालय ही समस्त राज्य के प्रशासन तन्त्र को नेतृत्व प्रदान करता है ।

x. नियन्त्रण (Control):

सचिवालय क्षेत्रीय इकाईयों के कार्यों का समय-समय पर मूल्यांकन कर उन पर नियन्त्रण रखता है । अधिकारी क्षेत्र में है, निरीक्षण करते हैं, प्रतिवेदन बुलाते है और ”क्षेत्र” को पटरी पर रखने का प्रयास करते हैं ।

xi. राष्ट्रपति शासन के समय सचिवालय की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है ।

xii. सचिवालय सूचना केन्द्र के रूप में भी कार्य करता है और राज्य की सांख्यिकीय नीति को तय करता है ।

xiii. राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने में भी सचिवालय का मुख्य योगदान रहता है ।