Read this article in Hindi to learn about Mc Gregor’s theory of human relations.

संगठन में मानवीय व्यवहार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान रहता है । मानव संस्था होने के नाते यह स्वाभाविक है कि संगठन मनोवैज्ञानिक एवं मानवीय धारणाओं से प्रभावित हो ।

आधुनिक विचारक, संगठन तथा मानवीय व्यवहार के पारस्परिक संबंधों पर विशेष बल देते हैं । समाज मनौवैज्ञानिक अथवा मानवतावादी दृष्टिकोण के अनुसार संगठन व्यक्तियों का ऐसा समूह है जिससे व्यक्ति परस्पर इस प्रकार संबंधित रहते हैं कि प्रत्येक का व्यवहार सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग प्रदान करना है जब कुछ व्यक्ति दीर्घकाल तक मिलकर कार्य करते हैं तो उसमें भावनात्मक, और वैयक्तिक संबंध विकसित हो जाते हैं जो औपचारिक संबंधों से भिन्न होते हैं अथवा उनके विपरीत भी हो सकते हैं ।

वास्तविक व्यवहार में संगठन कदाचित ही इस प्रकार से व्यवहार करता है क्योंकि किसी भी संगठनकर्ता को मानवीय तत्व इच्छानुकूल प्राप्त नहीं हो पाता । वह व्यक्तियों का व्यवहार उनकी आदतों और योग्यताओं को संगठन की अवश्यकतानुसार नहीं बदल सकता । वह तो केवल उपलब्ध मानव तत्व का अधिकाधिक प्रयोग कर सकता है ।

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मानव संबंधी धारणा (Human Perception):

मानवतावादी अवधारकों, मनुष्यों, मानवीय अभिप्रेरणाओं और अनौपचारिक सामूहिक कार्य-संचालन पर बहुत अधिक बल देती है । मानव-संबंधी विचाराधारा पर मत व्यक्त करते हुए- एल॰डी॰ ह्वाइट ने लिखा है कि, ”यह विचारधारा कार्य संबंधों का समूह है जो दीर्घकाल तक एक साथ कार्य करने के कारण व्यक्तियों में पारस्परिक अंतःसंबंधों के कारण विकसित हो जाते हैं ।”

संगठन के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखने वालों का मत है कि संगठन का औपचारिक रूप उसकी वास्तविक प्रकृति को स्पष्ट नहीं कर सकता । संगठन में अनौपचारिक रूप से जो संबंध स्थापित होता है तथा जो व्यवहार होते हैं उनके द्वारा संगठन के रूप में क्रांतिकारी प्रभाव पड़ता है ।

अतः इन विचारकों का मत है कि संगठन की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन करने तथा उसका समाधान करने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति की बहुमुखी प्रवृत्ति को अच्छी तरह समझ लिया जाए ।

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मानव-संबंध के विचारकों ने बताया कि संगठन के कार्य और बनावट को कर्मचारियों की सामाजिक आवश्यकताओं से संबद्ध रखना चाहिए । इस प्रकार यदि कर्मचारी प्रसन्न रहेंगे तो संगठन इनका पूरा सहयोग प्राप्त कर सकेगा, कार्यकुशलता को भी बढ़ा सकेगा ।

गार्डनर के अनुसार – ”मानव संबंध का दृष्टिकोण यह प्रतिपादित करता है कि मजदूरों में यह भावना होनी चाहिए कि कंपनी के लक्ष्यों में उनके कार्य का महत्व है ।”

इसका तात्पर्य यह है कि कंपनी के लक्ष्य ऐसे होने चाहिए जो प्रबंध के लक्ष्यों में विश्वास प्रेरित कर सके और मजदूरों में यह विश्वास जागृत कर सके कि इन लक्ष्यों के लिए कार्य करने में प्रत्येक को उचित पुरस्कार और संतोष प्राप्त होगा । अभिप्रेरणा प्रबंध का यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है ।

उच्च अभिप्रेरणा प्राप्त व्यक्ति जो अधिक चुस्त और निष्ठा से काम करते हैं, वे संख्यात्मक और गुणात्मक दोनों ही ढंग से उद्योग के लिए अधिक उत्पादन करते हैं । रेन्सिस लिकर्ट ने अभिप्रेरणा को ‘प्रबंध का हृदय’ कहा है । इसका निष्कर्ष है कि मानव-संबंध की विचारधारा संगठन के लक्ष्य एवं मजदूरों की आवश्यकताओं के बीच पूर्ण संतुलन स्थापित करना चाहती है ।

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मैकग्रेगर का सिद्धांत (Mc Gregor’s Principle):

मानव संबंध को नवीन रूप देने तथा आगे बढ़ाने का श्रेय मैकग्रेगर को जाता है । वह मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर थे उन्होंने एक पुस्तक ‘The Human Light of The Enterprise’ प्रकाशित की । इनकी रचना के द्वारा मानव संबंधों को नई दिशा मिली । इनकी विचारधारा को अनेक संगठनों द्वारा स्वीकार किया गया ।

अभिप्रेरणा क्या है? मानव शक्ति के व्यवहार को निर्देशित करने तथा उसका सहयोग प्राप्त करने की कला को ‘अभिप्रेरणा’ कहते है । किसी भी औद्योगिक एवं प्रशासनिक या अन्य प्रतिष्ठानों की सफलता में अभिप्रेरणा व्यवस्था का अत्यधिक महत्व होता है । उत्पादन के विभिन्न साधनों में केवल मनुष्य ही वह सजीव और सक्रिय साधन है जो अन्य निष्क्रिय साधनों को गति प्रदान करता है ।

मनुष्य कोई मशीन नहीं है जिससे बटन दबाते ही कार्य ले लिया जाए । प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों और श्रमिकों की अपनी मान्यताएं, विचारधाराएं, इच्छाएँ और आकांक्षाएं होती है । उसमें कार्य के प्रति रुचि उत्पन्न करके विकास के लिए इच्छाएं जागत करके ही उससे काम लिया जा सकता है । दबावकारी उपाय या बाध्यताएं अधिक सफल नहीं होती ।

जूसियस एवं श्लेडर- ”अभिप्रेरणा किसी व्यक्ति को इच्छित कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने की क्रिया है ।” कार्मिक प्रबंध आरंभ से अंत तक उपक्रम के कर्मचारियों से व्यवहार करता है और दूसरे लोगों के प्रयासों से अपने कार्यों को निष्पादित करता है तथा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है ।

इस दृष्टि से, कर्मचारी अभिप्रेरणा और प्रेरणाओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती है, व्यक्तियों से सही रूप में कार्य कराना इस बात पर निर्भर है कि वे मानसिक दृष्टि से कार्य करने के लिए तैयार हैं या नहीं ।