पदानुक्रम: लाभ और नुकसान | Read this article in Hindi to learn about:- 1. पदानुक्रम का अर्थ (Meaning of Hierarchy) 2. पदानुक्रम पर फेयॉल का गैंगप्लैंक (Fayol’s Gangplank on Hierarchy) 3. लाभ (Advantages) 4. हानियाँ (Disadvantages).

पदानुक्रम का अर्थ (Meaning of Hierarchy):

प्रशासन के एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त के रूप में पदानुक्रम पर वेबर, फेयॉल, गुलिक, अरविक, मूनी व रेली जैसे सभी क्लासिकीय चिंतकों ने जोर दिया है । फेयॉल ने इसे ‘स्केलीय प्रक्रिया’ कहा । मूनी ने कहा कि पदानुक्रम एक सार्वभौमिक परिघटना है ।

“उच्चनीचक्रम” या पदानुक्रम शब्द शाब्दिक अर्थ है- उच्चतर से निम्नतर । इसका आशय पिरामिड शैली में बने एक ऐसे संगठन से है जिसमें क्रमिक चरण ऊपर से नीचे की ओर एक-दूसरे जुड़े होते हैं ।

संगठन में स्केलीय श्रृंखला या स्केलीय प्रक्रिया का अर्थ है- कर्त्तव्यों को विभिन्न कार्यों के हिसाब के बजाय प्राधिकार उसके अनुसार निर्धारित उत्तरदायित्त्व के हिसाब से श्रेणीबद्ध करना ।

ADVERTISEMENTS:

परिभाषाएँ (Definitions):

एल.डी.व्हाइट- ”पदानुक्रम में संरचना के ऊपर से नीचे तक जिम्मेदारियों के तमाम स्तरों के जरिए श्रेष्ठ-अधीन संबंध को सार्वभौमिक रूप से लागू करना शामिल है ।”

मिलेट- ”पदानुक्रम एक प्रणाली है, जिसमें कई विभिन्न व्यक्तियों के प्रयासों को एक साथ जोड़ दिया जाता है ।”

अर्ल लाथम- ”पदानुक्रम एक आरोही पैमाने में ही हीनतर और उच्चतर चीजों की एक व्यवस्थित संरचना है ।”

ADVERTISEMENTS:

राबर्ट प्रेस्थस- “पदानुक्रम एक संगठन के शीर्ष से आधार की ओर जाने वाले एक अवरोही पैमाने से जुड़ी श्रेणीक्रम पदों की एक प्रणाली है ।”

कार्यात्मक सिद्धांत इकाइयों को पिरामिड रूप में संगठित करने के लिए जिन तीन सिद्धांतों का पालन किया जाता है, वे निम्न हैं:

(1) ‘उचित माध्यम’ का सिद्धांत अर्थात सभी निर्देशों और संदेशों को उचित माध्यमों से होकर गुजरना चाहिए । लेन-देन के काम में किसी भी बीच के स्तर को लाँघा नहीं जा सकता ।

(2) ‘तदनुरूपता का सिद्धांत’ अर्थात सभी स्तरों पर प्राधिकार और उत्तरदायित्व अनुरूपता समान और एक सीमा वाले होने चाहिए । यह माना जाता है कि ”उत्तरदायित्व के बिना प्राधिकार खतरनाक और प्राधिकार के बिना उत्तरदायित्व अर्थहीन है ।”

ADVERTISEMENTS:

(3) निर्देश में एकता का सिद्धांत यानी, अधीनस्थ को आदेश ठीक ऊपर के श्रेष्ठ से ही मिलने चाहिए ।

चित्र 2.1 प्रशासन के पदानुक्रम के सिद्धांत को दर्शाता है:

इस चित्र में A संगठन का मुखिया है । A के ठीक नीचे का अधीनस्थ B और उसके ठीक नीचे का अधीनस्थ C है । इस रेखा के सभी स्तरों यानी D,E,F और G के लिए भी सत्य है । इस प्रकार आदेश ऊपर से नीचे यानी, A से B, B से C और इसी तरह आगे जाता है ।

संचार नीचे से ऊपर, यानी G से F, F से E और इसी प्रकार ऊपर जाता है । दूसरी ओर A से Q तक के लिए भी यही सत्य है । G और Q के बीच संचार A के जरिए होता है, यानी यह G से A तक चढ़ता है और चरणबद्ध में A से Q तक उतरता है । इसे उचित माध्यम द्वारा संचार कहते हैं । पूरे संगठन को आपस में जोड़ने वाली प्राधिकार की रेखा (निर्देश की श्रृंखला या निर्देश की रेखा) को उपरोक्त चित्र में दर्शाया गया है ।

पदानुक्रम पर फेयॉल का गैंगप्लैंक (Fayol’s Gangplank on Hierarchy):

व्यापार के प्रवाह की गति बढ़ाने और मामलों के निपटारों में देरी से बचाने के लिए हेनरी फेयॉल ने एक वैकल्पिक रास्ते का सुझाव दिया जिसे गैंगप्लैंक कहते हैं । इसे उन्होंने निम्न रूप से दर्शाया- F को P से संपर्क करने के लिए प्राधिकार की रेखा (स्केलीय श्रृंखला) पर चलते हुए E-D-C-B-A-L-M-N-O से होकर जाना और फिर वापस आना होता है ।

दूसरी ओर FP का एक गैंगप्लैंक के रूप में इस्तेमाल करके F से P तक जाना कहीं ज्यादा सरल और तेज होगा, बशर्ते कि यह प्रक्रिया उच्च अधिकारियों E व O को मान्य हो । इस प्रकार गैंगप्लैंक की अवधारणा दो समान स्तरों के कर्मचारियों के बीच संचार यानी एक समस्त संचार व्यवस्था स्थापित करने की बात करती है । यह एक क्षैतिज संचार प्रणाली है । फेयॉल जोर देकर कहते हैं- ”अनावश्यक रूप से प्राधिकार की रेखा से भटकना एक भूल है मगर उससे भी बड़ी भूल है तब भी उससे चिपके रहना जबकि यह कामों के लिए नुकसानदायक है ।”

इसी तरह, लिंडल अरविक टिप्पणी करते हैं- ”हर संगठन की अपनी एक स्केलीय श्रृंखला होनी चाहिए, ठीक उसी प्रकार जैसे हर घर में निकास नाली होती है लेकिन इस जरिए को संचार के एकमात्र माध्यम के रूप में बार-बार प्रयोग करना गैर जरूरी है, ठीक उसी तरह जैसे निकास नाली में अपना वक्त काटना गैर जरूरी है ।”

पदानुक्रमिक संगठन में मौजूद स्वाभाविक कमियों के कारण क्रिस आर्गिरिस जैसे आधुनिक प्रशासनिक चिंतकों ने मैट्रिक्स संगठन (जिसे पंखा सदृश संगठन के नाम से भी जाना जाता है) का सुझाव दिया है । यह संगठन श्रेष्ठ अधीन संबंधों से मुक्त होता है ।

पदानुक्रम के लाभ (Advantages of Hierarchy):

पदानुक्रम सिद्धांत के लाभ हैं:

(1) यह संगठन में एकीकरण और संबद्धता के औजार के रूप में काम करता है ।

(2) यह संचार के एक माध्यम के रूप में कार्य करता है ।

(3) यह सभी स्तरों पर जिम्मेदारियाँ निर्धारित करने में सहायता करता है ।

(4) यह प्रक्रिया के निष्ठापूर्वक निर्वाह को सुनिश्चित कर सही प्रवाह को छिन्न-भिन्न होने से रोकता है ।

(5) यह उच्च स्तरों पर काम की भीड़ नहीं लगने देता ।

(6) यह निर्णय-निर्माण के विकेंद्रीकरण में मदद करता है ।

(7) यह प्राधिकार के अधिकरण में सहायता करता है ।

(8) यह फाइलों के आने-जाने की प्रक्रिया को सरल बनाता है ।

(9) यह लक्ष्य की एकता की सुव्यवस्था को बढ़ावा देता है ।

(10) यह संगठन में अनुशासन एवं व्यवस्था को बढ़ावा देता है ।

पॉल एच. एपलबी के अनुसार- पदानुक्रम “वह माध्यम है जिससे संसाधनों को बाँटा जाता है, कर्मचारियों का चयन और नियुक्ति की जाती है, कार्यों को चालू, उनकी समीक्षा और उनमें सुधार किया जाता है ।”

पदानुक्रम के हानियाँ (Disadvantages of Hierarchy):

पदानुक्रम के सिद्धांत की हानियाँ हैं:

(1) यह लालफीताशाही के कारण कामों के पूरा किए जाने में बेहद विलंब करा देता है ।

(2) यह निम्न स्तर के कर्मचारियों की पहल और उत्साह को मार देता है जिसका नतीजा अनिर्णय और अकुशलता के रूप में सामने आता है ।

(3) यह संगठन के सदस्यों के बीच गतिमान मानव संबंध बनाने के लिए अनुकूल नहीं होता, क्योंकि यह प्रशासन को बेहद बेलोच बना देता है ।

(4) यह संगठन को लंबा (अतिविस्तारित) बना देता है । परिणामत: ऊपर के कर्मचारी नीचे के स्तरों के कर्मचारियों से संपर्क खो बैठते हैं ।

(5) यह निम्न अर्थों में विभिन्न स्तरों पर भिन्नताओं के चलते श्रेष्ठ अधीनस्थ संबंधों को जन्म देता है:

a. प्राधिकार और विशेषाधिकारों का वितरण,

b. जिम्मेदारियों की प्रकृति,

c. वेतन स्तर,

d. कर्मचारियों की योग्यताएँ और गुण ।