Read this article in Hindi to learn about the discipline policies for civil servants.

किसी भी संगठन में कर्मचारियों के कार्यों को संगठन के लक्ष्यों के अनुरूप बनाए रखने के लिए अनुशासन की स्थापना की जाती है । अनुशासन संबंधी कार्यवाही नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के में है । यह एक प्रकार का नियंत्रण है जो अधिकारियों तथा अधीनस्थों दोनों के मध्य स्वस्थ संबंधों की आधारशिला रखता है ।

अनुशासनात्मक कार्यवाही के कारण (Due to Disciplinary Action):

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एल.डी.व्हाइट के अनुसार कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निम्नलिखित अवसर और कारण हो सकते हैं:

1. कर्तव्य पालन में प्रमाद या ध्यान न देना ।

2. कार्यकुशलता का न होना ।

3. कानूनों अथवा नियमों का उल्लंघन ।

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4. आज्ञा भंग ।

5. अभक्ति अर्थात् निष्ठा कर अभाव ।

6. अनैतिकता ।

7. ईमानदारी का अभाव ।

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8. घूसखोरी तथा भ्रष्टाचार ।

9. मत्तता (Intoxication) ।

अनुशासनात्मक कार्यवाही के रूप:

1. निन्दा ।

2. वार्षिक वेतन-वृद्धि अथवा पदोन्नति को रोकना ।

3. पदावनत करना ।

4. वेतन काट लेना ।

5. अनिवार्य सेवानिवृत्ति ।

6. सरकारी सेवा से विमुक्ति ।

7. सेवा से पदच्युत करना ।

एक अच्छी अनुशासन-व्यवस्था की विशेषताएँ:

एक अच्छी अनुशासन-व्यवस्था में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:

i. एक श्रेष्ठ अनुशासन-व्यवस्था का रूप निषेधात्मक बहुत कम होना चाहिए ।

ii. अनुशासन-व्यवस्था के संचालन का दायित्व बहुत कुछ उच्च अधिकारी पर रहता है ।

iii. इसे एक प्रकार से आवश्यक बुराई माना जा सकता है ।

iv. इसका लक्ष्य अधीनस्थों तथा अन्य सदस्यों के भावी व्यवहार को सुधारने का होना चाहिए ।

v. अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में यथासंभव गोपनीयता हो ।

लोक सेवा की आचार संहिता (Code of Conduct):

आचरण के नियम या संहिता (Code of Conduct) नियमों की यह व्यवस्था है जिसके आधार पर किसी सेवा के सदस्य के कार्य पर आचरण को क्या करना है या क्या नहीं करना है के सम्बन्ध में निर्देशित किया जाता है । उदाहरण के लिए- All India Service Conduct Rule (1968).

आचरण संहिता किसी संगठन के कर्मिकों के कार्य सम्बन्धी व्यवहार और प्राप्त अधिकार और दायित्वों की नियम आधारित वह व्यवस्था होती है जो उसे विधिसम्मत कार्य करने के लिए प्रेरित करती है, जबकि गलत कार्य करने से हतोत्साहित करती है ।

कार्यपालिका लोक सेवकों के आचरण नियम समय-समय पर तय करती है । इनका पालन करना उनके लिए अनिवार्य होता है अन्यथा उल्लंघनकर्ता पर आनुशासनिक कार्यवाही की जाती है ।

ऐसे महत्वपूर्ण केन्द्रीय आचरण नियम है:

1. अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1954

2. केन्द्रीय लोक सेवा (आचरण) नियम, 1955

3. रेलवे सेवा (आचरण) नियम, 1956

आचरण संहिता के उद्देश्य (Code of Conduct Code):

1. कार्य पर आचरण को नियमित करना,

2. अधिकारों के दुरूपयोग को रोकना,

3. जवाबदेहता और निष्पक्षता सूचित करना,

4. प्रशासन के भीतर (अधिकारियों व कार्मिक के बीच) और संगठन के बाहर (जनता के प्रति) आदर्श व्यवहार को सुनिश्चित करना है ।

आचरण संहिता का निर्माण (Creation Code of Conduct):

भारतीय प्रशासन में आचरण संहिता का निर्माण कार्यपालिका द्वारा किया जाता है, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में यह संविधान का हिस्सा है । संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रारूप इस सम्बन्ध में प्रकाशित किया गया जिसका प्रभाव भारत की आचरण संहिता में भी दिखाई देता है ।

लोकसेवक ड्राफ्ट बिल (Public Service Draft Bill):

लोक सेवाओं के संबंध में लोकसेवक ड्राफ्ट बिल एक आदर्श संहिता प्रस्तुत करता है ।

जिसके प्रावधान है:

(1) संवैधानिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता,

(2) गुड गर्वेनेन्स को लक्ष्य के रूप में लेना,

(3) राजनीतिक तटस्थता व निष्पक्षता का अनुपालन,

(4) मितव्ययता पूर्ण दृष्टिकोण एवं दक्षता संबंधी उच्च मानदण्डों का अनुपालन,

(5) सभी कार्मिकों के लिए श्रेष्ठ कार्य दशाओं का निर्माण,

(6) भारतीय संस्कृति के मूल्यों को अपने व्यवहार में सम्पूर्ण स्थान देना ।

इस संहिता के उल्लंघन पर अनुशासनिक कार्यवाही के अन्तर्गत जुर्माने की व्यवस्था भी अपेक्षित है । इसी तरह मंत्रियों और लोक सेवकों के अपनी सम्पत्ति का ब्योरा देना, प्रतिवर्ष उसकी स्थिति स्पष्ट करना, जनता से उपहार नहीं लेना, किसी भी सरकारी सम्मेलन में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से (रिश्तेदारी के माध्यम से) शामिल नहीं होना, इत्यादि प्रावधान प्रशासन में लागू किए गए है । विधायिका के लिए संसदीय आचरण की अपेक्षा की गयी है, जिसके तहत सार्वजनिक हित को प्राथमिकता, जनता से किसी भी कार्य के लिए पैसा स्वीकार नहीं करना इत्यादि प्रमुख है ।

आचरण संहिता की आवश्यकता (Code of Conduct Requirement):

लोक सेवकों को उनके विस्तृत अधिकार और दायित्वों के सही अनुपालन प्रेरित करने, श्रेष्ठ आचरण का उदाहरण पेश करने तथा राजनीतिक रूप से तटस्थ बनाये रखने के लिए भारत में आचरण संहिता जरूरी हो जाती है, क्योंकि इन मूल्यों के उल्लंघन की सम्भावनाएँ भारत में ज्यादा पायी गयी ।

कहा जा सकता है कि भारत में कोड ऑफ कन्डक्ट आचरण नियम पर ज्यादा आधारित है और व्यवहार में इसका पालन कम और उल्लंघन ज्यादा दिखाई देता है । इसका कारण समाज में नैतिक मूल्यों का अभाव है । अत: Code of Conduct को Code of Ethics बनाने के लिए हमें सर्वप्रथम समाज में आदर्श मूल्यों की स्थापना करनी होगी ।