Read this article in Hindi to learn about the five main types of training provided to civil servants. The types are:- 1. अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण (Short Term and Long Term Training) 2. प्रवेशपूर्व तथा प्रवेश उपरांत प्रशिक्षण (Pre-Entry and Post Entry Training) 3. सेवा में प्रवेश पर प्रशिक्षण (Service Entry Training) and a Few Others.

1. अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण (Short Term and Long Term Training):

यह प्रशिक्षण की अवधि पर निर्भर करता है । शांतिकाल में दीर्घकालीन और आपातकाल में अल्पकालीन प्रशिक्षण दिए जाते हैं । अल्पकालीन प्रशिक्षण कुछ दिनों या सप्ताह का होता है जबकि दीर्घकालीन कई महीनों तक चलता है जिसका उद्देश्य हर विषय की जानकारी देना है ।

2. प्रवेशपूर्व तथा प्रवेश उपरांत प्रशिक्षण (Pre-Entry and Post Entry Training):

ऐसा प्रशिक्षण जो सेवा में प्रवेश के पूर्व दिया जाता है जिसका उद्देश्य भावी रोजगार के लिए प्रत्याशी को तैयार करना है, प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण कहलाता है जैसे, विश्वविद्यालय शिक्षा । अमेरिका में इसे व्यापक रूप से अपनाया गया है । अमेरिका में यह “इंटरर्नशीप” और “अप्रेन्टीस” प्रशिक्षण के रूप में प्रचलित है ।

भारत में सिर्फ राजस्थान एकमात्र राज्य है जहां लोक सेवा में प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण प्रचलित है । राजस्थान में 1960 से व्यवसायिक और सचिवालयीन सेवा में डिप्लोमा प्राप्त व्यक्तियों को सीधे ही “वरिष्ठ लिपिक” पद पर नियुक्ति दी जाती रही । यह कब प्रचलित नहीं है ।

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प्रवेशोत्तर प्रशिक्षण सेवा में स्थापित होने के बाद दिया जाता है, प्रवेश पश्चात प्रशिक्षण का प्रत्यक्ष संबंध कार्य से नहीं होकर कार्मिक से होता है अर्थात कार्मिक की सामान्य क्षमता का विस्तार करना । उदाहरणार्थ भारत में 1961 से कार्मिकों को अध्ययन-अवकाश दिये जा रहे है । इससे कार्मिक की सोच और क्षमता दोनों में सकारात्मक परिवर्तन होते है ।

3. सेवा में प्रवेश पर प्रशिक्षण (Service Entry Training):

सेवा में प्रवेश पर निम्नलिखित प्रशिक्षण दिया जाता है:

(क) अनुकूलन प्रशिक्षण (Orientation Training):

इसका उद्देश्य नए सदस्य को संगठन से परिचित कराना है । इससे उसे संगठन में अपना स्थान बनाने, काम के वातावरण का आदि बनने और अपने काम की मूल अवधारणाओं को जानने में मदद मिलती है । भारत में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद ग्रामीण विकास प्रशासन के क्षेत्र में कार्यरत लोकसेवकों के लिये अनुकूलन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है ।

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(ख) आगमन प्रशिक्षण (Induction Training):

अनुकूलन प्रशिक्षण की तरह यह भी एक प्रकार का प्रवेश पश्चात प्रशिक्षण है । लेकिन अनुकूलन प्रशिक्षण के विपरीत आगमन प्रशिक्षण विशेष कार्य पर केंद्रित होता है और इसमें काम की आधारभूत बातों, इसकी विषयवस्तु, लेखन, कार्यविधियों, नियमों और विनिमयों आदि को सीखने की प्रक्रिया को तेज करने के लिये औपचारिक शिक्षा दी जाती है । अत: यह अनुकूलन प्रशिक्षण से अधिक व्यापक प्रशिक्षण है ।

4. सेवाकालीन प्रशिक्षण (In Service Training):

पहले से ही सेवा में लगे व्यक्तियों को इस योग्य बनाने के लिये कि उनकी कार्यकुशलता बढ़ सके या वे नवीन कार्यकुशलता बढ़ सके या वे नवीन कार्य से परिचित हो सके सेवाकालीन प्रशिक्षण दिया जाता है । निर्देशक ट्रेनिंग को टॉरपीडो ने आवश्यक माना । पुनरावलोकन प्रशिक्षण (Review Training) जिसमें नए कार्मिक को उसके पद से परिचित कराया जाता है और नवीनीकरण प्रशिक्षण (ओरिएन्टेशन ट्रेनिंग) में कार्मिकों को नवीनतम कार्यविधियों से परिचित कराया जाता है । ये सभी सेवाकालीन प्रशिक्षण के विभिन्न रूप है ।

सेवा कालीन प्रशिक्षण में निम्नलिखित कार्यक्रम शामिल किये जाते है:

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(क) चक्रीय प्रशिक्षण (Circular Training):

भारत में प्रांतीय लोक सेवाओं के अधिकारियों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है । इसके तहत प्रशिक्षु अधिकारी को संगठन के विभिन्न विभागों में बार-बार भिन्न काम करना होते हैं । वह विभिन्न उच्चाधिकारियों के पास बैठकर उनके कार्यों को देखता और सिखता है । इससे जिले के विभिन्न विभागों के कार्यों से वह अवगत हो जाता है । समय के साथ-साथ उसे अधिक चुनौती पूर्ण दायित्व सौंपे जाते हैं ।

(ख) पुनश्चर्या प्रशिक्षण (Refresher Training):

इसका उद्देश्य सेवारत कार्मिकों को नवीन ज्ञान आदि से परिचित कराना और कार्य पर उत्साह को बनाये रखना होता हैं । आए.ए.एस. अधिकारियों को 6 वर्ष 10 वर्ष आदि सेवाकाल के पश्चात् यह प्रशिक्षण दिया जाता है । 1985 से उन्हें एक सप्ताह के ”रिफ्रेशर कोर्स” में भाग लेना भी अनिवार्य कर दिया है ।

(ग) पुन: प्रशिक्षण (Re-Training):

इसका उद्देश्य कार्मिक को पुराने कार्य विशेष की अधिक गहन जानकारी देना होता है या कोई नए कार्य विशेष (विशेषज्ञ आधारित) से अवगत कराना होता है । अर्थात् इसके द्वारा कार्मिक को या तो नया कार्यभार सौंपा जाता है या पुराने कार्य से संबंधित नयी जिम्मेदारी सौंपी जाती है ।

5. अन्य प्रकार (Others Types of Training):

(i) विभागीय प्रशिक्षण और केन्द्रीय प्रशिक्षण (Departmental and Central Training):

विभाग द्वारा अपने कार्मिकों के लिये आयोजित प्रशिक्षण विभागीय प्रशिक्षण है जैसे राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में आई.पी.एस. का प्रशिक्षण । यह प्रशिक्षण वरिष्ट अधिकारी प्रदान करते हैं । केंद्रीय प्रशिक्षण वस्तुत: विभिन्न विभागों के कार्मिकों का सामूहिक प्रशिक्षण है जैसाकि राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में आधारभूत प्रशिक्षण के रूप में दिया जाता है ।

(ii) कौशल और आधारभूत प्रशिक्षण (Skill and Basic Training):

कौशल प्रशिक्षण का उद्देश्य कार्मिकों को कार्य तकनीकों, सिद्धांतों, नियमों से अवगत कराना है जैसे आई.पी.एस. लेखा अधिकारियों को प्रशिक्षण । आधारभूत या पृष्ठभूमि प्रशिक्षण का उद्देश्य कार्य के राजनीतिक आर्थिक सामाजिक प्रशासनिक आदि विविध पहलुओं की जानकारी देना है ताकि कार्मिकों का दृष्टिकोण व्यापक बन सके । आई.ए.एस. को यह विशेष तौर पर दिया जाता है ।