Read this article in Hindi to learn about the allowances given to civil servants.

कार्मिक को वेतन के अतिरिक्त अन्य भत्ते जैसे महंगाई भत्ता, आवास-भत्ता आदि भी दिये जाते है । ये भले ही वेतन के भाग नहीं होते है अपितु वेतन के अलावा अन्य सुविधाओं के रूप में होते है ।

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प्रमुख भत्ते इस प्रकार हैं:

1. मंहगाई भत्ता (Execution):

कीमत और निर्वाह व्यय में बढ़ोतरी होने पर ही मंहगाई भत्ता दिया जाता है । यह मूल वेतन के निश्चित प्रतिशत के रूप में दिया जाता है अर्थात् जिसका मूल वेतन जितना अधिक होता है, उसे उतनी अधिक राशि इस भत्ते की मिलती है । लेकिन प्रतिशत के रूप में यह सबके लिए एक समान है । भारत में इसका संबंध थोक मूल्य सूचकांक से है और प्राय: जनवरी जुलाई में दिया जाता है । राज्य सरकारें भी इसी अनुरूप मंहगाई भत्ता देती है लेकिन उन्हें कब देगी इस बारे में अनिश्चितताएं रहती है ।

2. मकान भाड़ा भत्ता (House Rent Allowance):

उन कार्मिकों को जिन्हें सरकारी आवास उपलब्ध नहीं है, मकान भाड़ा भत्ता दिया जाता है । यह भी मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में दिया जाता है । इसकी दर नगर की श्रेणी के अनुसार कम अधिक होती है ।

3. नगर प्रतिपूर्ति भत्ता (Town Reimbursement Allowance):

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यह भत्ता मात्र बड़े नगरों के कार्मिकों को दिया जाता है जहां गांव की तुलना में जीवन निर्वाह अधिक खर्चीला होता है । यह भी वेतन के प्रतिशत के रूप में दिया जाता है ।

4. यात्रा भत्ता (Travel Allowance):

यह सरकारी कार्य के लिए की गयी यात्रा में आने वाले खर्चा को पूरा करने हेतु दिया जाता है । इसके लिए कर्मचारियों के वेतन के आधार पर उनको छह प्रवर्गो (श्रेणियों) में बांटा गया है । कार्मिक की श्रेणी के अनुसार और शहर के स्तर के अनुसार यह अलग-अलग होता है ।

यात्रा के लिए किराया, विश्राम खर्च और खाने का खर्च भी दिया जाता है । रहने, खाने और रूकने के लिए जो भत्ता होता है उसे दैनिक भत्ता कहते है । कुछ संगठनों में दैनिक भत्ते को “Per Diem” भी कहते हैं । सामान्यतया दोनों के लिये एक ही ”फार्म” प्रयुक्त होता है जिसे “TA-DA” फार्म कहते हैं ।

5. वाहन भत्ता (Conveyance Allowance):

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यह उस कर्मचारी को दिया जाता है जिसे बार-बार या अपने मुख्यालय से छोटी दूरी के लिए यात्रा करना होती है लेकिन जिसके लिए वह यात्रा भत्ते का दावा नहीं कर सकता ।

6. अवकाश यात्रा भत्ता (Leave Travel Allowance):

जो सरकारी कर्मचारी एक वर्ष का सेवाकाल पूरा कर लेता है वह अवकाश यात्रा भत्ते का पात्र हो जाता है । यह उसको तथा उसके परिवार वालों को 2 वर्ष में एक बार अपने गृहनगर जाने के लिए मिलता है । कार्मिक चाहे तो गृहनगर की यात्रा के बदले 4 वर्ष में 1 बार भारत भ्रमण के लिए भी इसका उपयोग कर सकता है । यह केंद्रीय कार्मिकों को प्राप्त है । राज्य सरकारें वित्तीय परेशानी की आड़ में इसे देना टालती रही है ।

7. चिकित्सा भत्ता (Medical Allowance):

कार्मिक को अपने और परिवार के किसी भी सदस्य की चिकित्सा के लिए होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति इस भत्ते द्वारा होती है । लेकिन प्रथम तो परिवार में पति-पत्नी, बच्चे और माता-पिता के अलावा अन्य शामिल नहीं है, दूसरा यह कि यह मात्र सरकारी अस्पतालों में या सरकार द्वारा इस हेतु अधिकृत कुछ निजी संस्थानों में उपचार पर ही देय होता है । बाजार से खरीदी गयी दवाओं और बाजार में कराए गए चिकित्सा परीक्षणों के खर्च देय नहीं होते है ।

8. शिक्षा भत्ता (Education Allowance):

इसके अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों को निम्नलिखित आर्थिक सहायता प्राप्त होती है:

(i) बाल शिक्षा भत्ता

(ii) अन्य शिक्षण शुल्कों की प्रतिपूर्ति, और

(iii) छात्रावास आर्थिक सहायता

प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के लिए बाल भत्ते की दर 50 रू प्रति बच्चा है । पांचवे वेतन आयोग ने 100 रू की सिफारिश की थी ।

9. वर्दी खरीदने हेतु भत्ता (Allowance for Purchase of Uniform):

पुलिस, चपरासी जैसे कुछ कर्मचारियों को सरकारी काम पर विशेष वस्त्र पहनने होते है । इसके लिए उनको विशेष वर्दी भत्ता दिया जाता है ।

10. अन्य भत्ते (Other Allowances):

अन्य विशेष भत्ते भी प्रचलित है, जैसे:

(i) पर्वतीय विशषे क्षेत्र भत्ता ।

(ii) ठण्डे क्षेत्रों के लिए विशिष्ट भत्ता मिलता है ।

(iii) परियोजना क्षेत्रों में ”परियोजना भत्ता” मिलता है ।

(iv) गंभीर रोगों पर कार्य करने वाले कार्मिकों को जोखिम भत्ता दिया जाता है ।

(v) नर्सिंग, पुलिस आदि सेवाओं में “मैस भत्ता” दिया जाता है ।

(vi) उच्चाधिकारियों के पास कार्यरत कार्मिकों को भी कुछ विशेष भत्ते मिलते है ।

(vii) कुछ सेवाओं में ”यात्रा रियायत” भी मिलती है ।

(viii) निर्धारित डयूटी अवधि से अधिक समय तक कार्य करने पर ”समयोपरि भत्ता” (Overtime) देने का प्रावधान है ।