लोक नौकरियों की भर्ती: प्रक्रिया, तरीके और योग्यता | Read this article in Hindi to learn about:- 1. लोकसेवकों को  भर्ती करने का अर्थ (Recruitment of Civil Servants: Meaning) 2. लोकसेवकों को  भर्ती करने का प्रक्रिया (Process) 3. पद्धतियाँ (Methods) 4. कर्मचारियों की योग्यताएँ (Qualification of the Employees).

लोकसेवकों को  भर्ती करने का अर्थ (Recruitment of Civil Servants: Meaning):

सार्वजनिक कार्मिक प्रशासन का एक सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष भर्ती है । सरकारी तंत्र की कार्यकुशलता और सेवाओं की गुणवत्ता भर्ती तंत्र की मजबूती पर निर्भर है । ग्लेन स्टाल के अनुसार- ”भर्ती, सार्वजनिक कार्मिकों के संपूर्ण ढाँचे की आधारशिला है । जब तक भर्ती नीति का निर्माण ठीक से नहीं होता है तब तक पहले दर्जे के कर्मचारी तैयार करने की आशा बहुत कम है ।”

भर्ती का अर्थ है- लोक सेवाओं के खाली पदों को भरना । इसके नकारात्मक और सकारात्मक, दोनों अर्थ हो सकते हैं । नकारात्मक तौर पर इसका लक्ष्य उन लोगों को निकाल बाहर करना है जो सेवा के पदों के योग्य और उपयुक्त नहीं है ।

अत: नकारात्मक भर्ती के अभिप्राय निम्न है:

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a. राजनीतिक प्रभाव की समाप्ति,

b. पक्षपातवाद की रोकथाम,

c. अनुपयुक्त लोगों को बाहर रखना ।

सकारात्मक तौर पर भर्ती का लक्ष्य है- खाली पदों को सबसे योग्य तथा सबसे कार्यक्षम लोगों से भरना । अत: सकारात्मक भर्ती का उद्देश्य सबसे योग्य, सबसे प्रतिभाशील और अत्यंत कार्यक्षम कार्मिकों की आपूर्ति के संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करके उनकी आक्रामक खोज करना है ।

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योग्यता प्रणाली का विकास (Rise of Merit System):

भर्ती की योग्यता प्रणाली का विकास होने से पूर्व भर्ती की तीन प्रणालियों प्रचलित थीं- पद पुरस्कार प्रणाली (संयुक्त राज्य अमरीका), संरक्षण प्रणाली (ब्रिटेन) और पदों की बिक्री प्रणाली (फ्रांस) ।

योग्यता प्रणाली के अंतर्गत लोक सेवकों का चयन, पद पर उनका बना रहना और उनकी पदोन्नति उनके द्वारा प्रदर्शित उपयुक्तता पर आधारित होती है । दूसरे शब्दों में, इस प्रणाली में लोक सेवकों की भर्ती और सेवा-शर्तें उनकी योग्यता (शैक्षणिक, तकनीकी और व्यक्तिगत) ओर शारीरिक स्वास्थ्य से नियंत्रित होती हैं ।

उनकी परख और मूल्यांकन वस्तुगत तौर पर सुस्पष्ट मानदंडों आधार पर किया जाता है, अत: योग्यता प्रणाली कार्मिक प्रशासन के ऐसे सकारात्मक कार्यक्रमों पर जोर देती है । योग्यता प्रणाली के आधार पर भर्ती की वैज्ञानिक पद्धति को सबसे पहले चीन ने अपनाया था ।

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वहाँ प्रतियोगी परीक्षा के द्वारा भर्ती की पद्धति को ईसापूर्व दूसरी शताब्दी में ही लागू कर दिया गया था । प्राचीन चीन में इसे मंडारिन (Mandaran) प्रणाली कहा जाता था । मंडारिन एक चीनी शब्द है जिसका अर्थ है- उच्चपद पर आसीन व्यक्ति ।

आधुनिक काल में भर्ती की वैज्ञानिक पद्धति का विकास सर्वप्रथम प्रशा में हुआ था । वहाँ खुली प्रतियोगी परीक्षा के द्वारा भर्ती की पद्धति 18वीं सदी में स्थापित हो गई थी । प्रशा के बाद भर्ती के आधार के रूप में योग्यता पद्धति के सिद्धांत को 1853 में भारत ने अपनाया । ब्रिटेन ने इस पद्धति को 1857 में नॉर्थकोट-ट्रेवेल्यान रिपोर्ट (1854) की सिफारिश पर लागू किया था । अमरीका में योग्यता प्रणाली का प्रारंभ 1883 के पेंडलटन अधिनियम द्वारा किया गया था ।

लोकसेवकों को  भर्ती करने का प्रक्रिया (Recruitment of Civil Servants: Process):

भर्ती की प्रक्रिया के चरणों का क्रम निम्न है:

1. पदों की माँग (Job Requisition) अर्थात विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा अन्य प्रशासनिक एजेंसियों से उनकी कार्मिक जरूरतों का पता लगाना ।

2. शैक्षणिक, तकनीकी एवं व्यक्तिगत योग्यताओं और भर्ती नीति की अन्य शर्तों का निर्धारण ।

3. आवेदन का विवरण ।

4. विभिन्न प्रकार के जनसंपर्क माध्यमों के द्वारा खाली पदों तथा परीक्षाओं के विज्ञापन की घोषणा ।

5. आवेदन की जाँच-पड़ताल ।

6. प्रार्थियों की योग्यताओं और क्षमताओं का निर्धारण करने के लिए परीक्षाएँ (लिखित, मौखिक इत्यादि) संचालित करना ।

7. प्रमाणीकरण अर्थात भर्ती एजेंसी द्वारा नियोक्ता अधिकारी के विचारार्थ उपयुक्त प्रत्याशियों की सूची का प्रस्तुतीकरण । प्रमाणीकरण के दो तरीके हैं- प्रत्येक पद के एक नाम (जैसा कि आई.ए.एस. में होता है) और प्रत्येक पद के लिए तीन नाम, अर्थात तीन का नियम, (जैसा कि भारतीय विदेश सेवा में होता है) । यहाँ उल्लेखनीय है कि प्रमाणीकरण लोकसेवा आयोग का अंतिम कार्य है ।

8. चयन, अर्थात सरकार द्वारा उपयुक्त प्रत्याशियों में से चयन का कार्य ।

9. नियुक्ति अर्थात संबंधित प्रत्याशी को सरकार द्वारा नियुक्ति का औपचारिक पत्र जारी करना ।

10. परिवीक्षा (Probation) अर्थात चुने और नियुक्त किए गए प्रत्याशियों का सेवा में अस्थायी प्रवेश । परिवीक्षा काल में यदि प्रत्याशी का कार्य संतोषप्रद होता है, उसकी सेवा का ‘स्थायीकरण’ हो जाता है ।

11. स्थापन (Placement)- भर्ती हुए प्रत्याशी की सही काम पर नियुक्ति ।

12. अभिमुखन (Orientation) अर्थात प्रत्याशी को संगठन, काम के वातावरण और कार्य पद्धतियों के बारे में परिचित कराने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के द्वारा सेवा में प्रवेश ।

लोकसेवकों को  भर्ती करने का पद्धतियाँ (Recruitment of Civil Servants: Methods):

भर्तियाँ दो पद्धतियों से की जाती हैं- प्रत्यक्ष भर्ती और अप्रत्यक्ष भर्ती । प्रत्यक्ष या सीधी भर्ती का अर्थ है- लोकसेवा में खाली पदों को उन उपयुक्त और योग्य प्रत्याशियों से भरना जी खुले बाजार में उपलब्ध हैं ।

ये भर्ती एजेंसी, जैसे- भारत में संघ लोकसेवा आयोग या ब्रिटेन में लोकसेवा आयोग या संयुक्त राष्ट्रीय अमरीका में कार्मिक प्रबंधन कार्यालय द्वारा खुली प्रतियोगिता परीक्षाओं के द्वारा की जाती है । दूसरी ओर अप्रत्यक्ष भर्तियों का अर्थ है- खाली पदों को उन उपयुक्त और अनुभवी प्रत्याशियों से भरना जो पहले से ही सरकारी सेवा में हैं ।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भर्तियों को क्रमश: बाहर से भर्ती और भीतर से भर्ती भी कहा जाता है । सही अर्थों में भर्ती पहली पद्धति से ही होती है क्योंकि दूसरी पद्धति में भर्ती सिर्फ पदोन्नति है अर्थात पदोन्नति द्वारा भर्ती ।

प्रत्यक्ष भर्ती की अच्छाइयों इस प्रकार हैं:

1. लोकसेवा में प्रवेश के लिए यह सभी योग्य व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करती है ।

2. यह भर्ती के क्षेत्र को व्यापक बनाती है क्योंकि आपूर्ति का स्रोत काफी विशाल होता है ।

3. यह विश्वविद्यालयों से सक्षम और योग्य लोगों को लोकसेवा में आकर्षित करती है ।

4. यह सरकारी सेवा में नए विचारों, नए दृष्टिकोण तथा प्रगतिशील समझ के नौजवानों को लाती है ।

5. यह लोक सेवाओं में ठहराव को रोकती है । निरंतर नौजवानों को शामिल करते रहने से ये सेवाएँ समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति, प्रशासन एवं तकनीकी परिस्थिति में हो रहे परिवर्तनों के अनुरूप बनी रहती है ।

6. यह तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में भर्ती के लिए उपयुक्त है क्योंकि इन क्षेत्रों में नवीनतम जानकारी की आवश्यकता होती है ।

7. यह पहले से सेवायोजित लोगों को प्रेरित करती है कि उच्चतर पदों को प्राप्त करने के लिए ये अपने ज्ञान को अद्यतन करते रहें ।

प्रत्यक्ष भर्ती पद्धति की बुराइयाँ इस प्रकार है:

1. इस के द्वारा उन लोगों की भर्ती होती है जिनको प्रशासन का कोई अनुभव नहीं होता है ।

2. इसके लिए लंबा और सघन प्रशिक्षण आवश्यक हो जाता है, जो महँगा होता है ।

3. यह कर्मचारियों की पहल को कम करता है क्योंकि उच्चतर पदों को नई भर्ती के लिए खोल दिया जाता है ।

4. इससे वरिष्ठ और अनुभवी कर्मचारियों में ईर्ष्या और जलन पैदा होती है क्योंकि वे युवा और अनुभवहीन लोगों के अधीन रख दिए जाते हैं ।

5. यह उन कर्मचारियों को हतोत्साहित करती हैं जिनकी पदोन्नति नहीं होती है और इससे अकुशलता बढ़ती है ।

6. पहले से सेवायोजित लोग अनेक कारणों से बाहरी लोगों के साथ खुली प्रतियोगी परीक्षाओं में मुकाबला नहीं कर सकते हैं ।

7. इससे भर्ती एजेंसियों पर बोझ बढ़ता है जिनको लाखों प्रार्थियों से निपटना होता है । प्रत्यक्ष भर्ती की अच्छाइयों को अप्रत्यक्ष भर्ती की बुराइयों के तौर पर और इसी प्रकार प्रत्यक्ष भर्ती की बुराइयों को अप्रत्यक्ष भर्ती की अच्छाइयों के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है ।

लोकसेवकों में  भर्ती होने वाले कर्मचारियों की योग्यताएँ (Recruitment of Civil Servants: Qualification of the Employees):

लोक सेवकों के लिए दो प्रकार की योग्यताओं की आवश्यकता होती है:

a. सामान्य योग्यताएँ और

b. विशेष योग्यताएं ।

a. सामान्य योग्यताएँ:

सभी लोक सेवकों पर लागू होने वाली ये योग्यताएँ निम्नलिखित हैं:

1. नागरिकता या नागरिकता की स्थिति:

देश के सार्वजनिक पदों पर केवल देश के नागरिक ही नियुक्त किए जा सकते हैं । अगर किसी विदेशी की सेवा अपरिहार्य हो जाती है, तो उसकी नियुक्ति केवल थोड़े समय के लिए की जाती है, परंतु भारत के सार्वजनिक पद नेपाली नागरिकों के लिए भी खुले हैं ।

2. आवास या अधिवास:

आवासीय योग्यता का उद्देश्य लोक सेवाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाना है । यह योग्यता सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमरीका में निर्धारित की गई थी और अब भी जारी है ।

भारत में इस योग्यता को सार्वजनिक रोजगार (आवास की शर्त के रूप में) अधिनियम, 1957 द्वारा राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर खत्म कर दिया गया था । परंतु आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में आज भी कुछ विशेष सार्वजनिक पदों पर केवल स्थानीय निवासियों (मुल्कियों) की ही भर्ती की जा सकती है ।

3. लिंग:

अभी हाल तक सरकारी सेवाओं पर पुरुषों का एकाधिकार था और प्रशासनिक कार्यों के लिए महिलाओं को अनुपयुक्त समझा जाता था, लेकिन अधिकांश देशों में सरकारी सेवाओं में भर्ती के लिए लिंग आधारित योग्यता को समाप्त कर दिया गया है ।

भारत के सभी सार्वजनिक पद महिलाओं की भर्ती के लिए खोल दिए गए हैं । भारतीय संविधान की धारा 10 कहती है, राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति के मामलों में सभी नागरिकों को समान अवसर मिलेंगे ।

4. आयु:

आयु संबंधी योग्यता के संबंध में दो भिन्न-भिन्न परिपाटियाँ हैं । भारत और ब्रिटेन की लोक सेवाओं में 18 से 28 वर्ष के युवाओं को भर्ती किया जाता है । इसके विपरीत संयुक्त राज्य अमरीका में यह आयु सीमा 18 से 45 वर्ष तक है ।

b. विशेष योग्यताएँ:

जो योग्यताएँ सभी लोक सेवकों पर लागू नहीं होती हैं वे इस प्रकार हैं:

1. शैक्षणिक योग्यताएं:

शैक्षणिक योग्यताओं के संबंध में दो भिन्न-भिन्न परिपाटियों है । लोक सेवाओं में प्रवेश के लिए भारत और ब्रिटेन में निश्चित शैक्षणिक योग्यताएं तय की गयी है । इनके विपरीत संयुक्त राज्य अमेरिका में कोई शैक्षणिक योग्यता तय नहीं है । यहां प्रतियोगी परीक्षा में सफल होकर कोई भी व्यक्ति लोक सेवा में प्रवेश कर सकता है ।

2. अनुभव:

अमरीका में अनुभव महत्त्वपूर्ण और अपेक्षित है । लेकिन भारत और ब्रिटेन में यह केवल वांछनीय योग्यता है विशेष रूप से तकनीकी सेवा के मामले में ।

3. तकनीकी ज्ञान:

यह योग्यता सभी देशों में इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, सांख्यकीविदों, अर्थशास्त्रियों, विधि विशेषज्ञों तथा लेखाकारों जैसे तकनीकी पदों को भरने के लिए आवश्यक है ।

4. वैयक्तिक योग्यताएँ:

इसमें ईमानदारी, कार्यकारी क्षमता, ऊर्जा, वफादारी, व्यवहार कुशलता, चतुरता, गोपनीयता जैसी योग्यताएँ आती हैं ।

योग्यताओं का निर्धारण (Determining Qualifications):

कर्मचारियों की योग्यताओं को निर्धारण या उनकी परख के लिए निम्नलिखित उपायों का प्रयोग किया जाता है:

नियुक्ति प्राधिकारी का निजी मूल्यांकन:

कर्मचारियों की योग्यताओं के निर्धारण का यह सबसे पुराना तरीका है । इसमें प्रत्याशियों की योग्यताओं को जानने का काम खुद नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा किया जाता है । इसे ‘लगाओ और निकालो’ पद्धति भी कहते हैं, परंतु यह पद्धति अत्यंत स्वेच्छाचारी और प्रकृति में आत्मनिष्ठ है ।

योग्यताओं का मूल्यांकन, अनुभव और इतिहास:

इस पद्धति का उपयोग वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और तकनीकी पदों को भरने के लिए किया जाता है । इसमें विशेषज्ञों के एक बोर्ड के द्वारा प्रत्याशियों की योग्यताओं, अनुभव और पिछली सेवा के रिकॉर्ड का मूल्यांकन किया जाता है । बोर्ड प्रत्याशियों का चुनाव उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने तथा उनका साक्षात्कार करने के बाद करता है ।

लिखित परीक्षा:

प्रत्याशियों की योग्यता का निर्धारण या उनकी योग्यता तथा उपयुक्ता को परखने का यह सबसे प्रचलित उपाय है । लिखित परीक्षा संक्षिप्त उत्तरों के रूप में (अर्थात वस्तुनिष्ठ प्रकार से) अथवा निबंध के रूप में (अर्थात मुक्त उत्तर प्रकार से) ली जा सकती है ।

भारत और ब्रिटेन में अधिकतर परीक्षाएं निबंध के रूप में ली जाती हैं जबकि संयुक्त राज्य अमरीका में अधिकतर परीक्षाएं छोटे उत्तरों के रूप में ।

लिखित परीक्षा के विभिन्न रूप निम्न हैं:

(i) बौद्धिक क्षमता परीक्षाएँ:

इनका प्रयोग प्रत्याशी की सामान्य बौद्धिक क्षमता और बौद्धिक संस्कृति के परीक्षण के लिए किया जाता है । मस्तिष्क की विशेषताओं के परीक्षण के लिए संयुक्त राज्य अमरीका में कुछ युक्तियाँ विकसित की गई हैं ।

जो इस प्रकार हैं:

(a) सामान्य बुद्धि परीक्षा- बिनेट और सिमोन द्वारा आविष्कृत,

(b) इकाई विशेषता परीक्षा- एल.एल. थर्रान द्वारा आविष्कृत,

(c) सामाजिक बुद्धि परीक्षा- थर्स्टोन एवं सहयोगियों द्वारा आविष्कृत,

(d) प्रशासनिक क्षमता परीक्षा- इसको गोटसकॉल्ड टैस्ट भी कहते है । थर्स्टोन द्वारा आविष्कृत,

(e) यांत्रिक बुद्धि परीक्षा का प्रयोग लिपिकों और टंककों जैसे कुशल और अकुशल पदों के लिए किया जाता है ।

(ii) अभियोग्तात्मक परीक्षाएँ:

प्रत्याशियों के काम से संबंधित उनकी अभियोग्यता को भाँपने ओर परखने के लिए परीक्षाओं की कई पद्धतियों का विकास किया गया है । संयुक्त राज्य अमरीका में इनका प्रयोग लिपिकीय पदों तथा ब्रिटेन में प्रतिरक्षा सेवाओं के पदों को भरने के लिए किया जाता है ।

(iii) उपलब्धि परीक्षाएँ:

इन शैक्षणिक योग्यताओं का निर्धारण भर्ती परीक्षाओं में प्रतियोगिता के लिए किया गया है । उदाहरण के लिए भारत की लोक सेवाओं परीक्षाओं में प्रवेश के लिए उपलब्धि परीक्षा स्नातक उपाधि है ।

(iv) व्यक्तित्व परीक्षा:

प्रत्याशियों के व्यक्ति को जाँचने-परखने के लिए पश्चिमी देशों में कई प्रकार की लिखित परीक्षाओं को गढ़ा गया है ।

मौखिक परीक्षा (साक्षात्कार):

इसका प्रयोग प्रार्थियों के व्यक्तिगत गुण-दोषों को परखने के लिए किया जाता है । इसका लक्ष्य लोकसेवा में कैरियर के लिए प्रार्थी की व्यक्तिगत उपयुक्तता को परखना है । साक्षात्कार के उपाय का प्रयोग सर्वप्रथम इंग्लैंड ने किया था । बाद में यह दूसरे देशों में अपनया गया ।

लोकसेवा भर्ती में पाँच प्रकार के साक्षात्कारों का प्रयोग किया जाता है:

(a) चयन बोर्ड कार्यविधि- चयन की यह अपने आप में एक स्वाधीन पद्धति है और इसलिए यह लिखित परीक्षा की सहायक नहीं है ।

(b) मौखिक/वाचनिक परीक्षा (Viva-Voice Test)- इसका प्रयोग किसी विषय पर प्रत्याशी की पकड़ को समझने के लिए लिखित परीक्षा के पूरक के रूप में किया जाता है ।

(c) व्यक्तित्व परीक्षण- इसका प्रयोग जहाँ लिखित परीक्षा के पूरक के रूप में किया जाता है, वहीं प्रत्याशी की व्यक्तिगत विशेषताओं अर्थात संपूर्ण व्यक्तित्व को परखने के लिए भी किया जाता है जो लिखित परीक्षा के द्वारा नहीं हो सकता है ।

(d) छँटाई साक्षात्कार- इसका प्रयोग अनुपयुक्त प्रत्याशियों को लिखित परीक्षा में बैठने से रोकने के लिए किया जाता है ।

(e) सामूहिक मौखिक पद्धति- यह सामूहिक परिचर्चा है जिसका आविष्कार अमरीकियों ने किया है ।

निष्पादन परीक्षा:

इस पद्धति में प्रत्याशियों से उनकी अपनी क्षमताओं और कुशलताओं, को प्रदर्शित करने की माँग की जाती है और इसके लिए उनको काम दिया जाता है । इसका उपयोग टाइपिस्टों, स्टेनोग्राफरों, मैकेनिकों, इलैक्ट्रीशियनों, कम्प्यूटर ऑपरेटरों तथा ड्राइवरों जैसे कौशल युक्त पेशों तथा कार्मिकों की भर्ती के लिए किया जाता है ।

शारीरिक परीक्षा:

इसका प्रयोग निर्दिष्ट कार्य के लिए प्रत्याशियों की शारीरिक उपयुक्तता को जाँचने के लिए किया जाता है । अंतिम तौर पर चुने जाने से पूर्व प्रत्येक प्रत्याशी को अपनी चिकित्सकीय जाँच करानी पड़ती है । यह परीक्षा सेना और पुलिस सेवाओं में भर्ती के लिए अनिवार्य है ।

भर्ती की प्रणालियां:

लोक सेवा में भर्ती की चार प्रणालियाँ हैं ।

जिन्हें नीचे विश्लेषित किया गया है:

I. कैडेट प्रणाली:

इस प्रणाली में भर्ती युवावस्था, सामान्यत: 16 और 20 वर्षा के बीच, के दौरान की जाती है । इसके बाद सामान्य शिक्षा के साथ-साथ पद दायित्व से जुड़े विशेषीकृत कौशल के सम्बन्ध में दीर्घकालिक संस्थात्मक प्रशिक्षण दिया जाता है । यह प्रणाली प्रशा और सोवियत रूस में प्रचलित थी किन्तु अब इस प्रणाली को कई देशों में मुख्यत: रक्षा सेवाओं में भर्ती के लिए अपनाया जाता है ।

II. सामान्य मानसिक योग्यता प्रणाली:

इस प्रणाली के अन्तर्गत सरकार व्यापक शैक्षिक योग्यता एवं मानसिक योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों की भर्ती करती है । इसमें कला एवं मूलभूत विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद युवाओं की भर्ती पर बल दिया जाता है । इसमें सामान्यत: आयु सीमा 21 से 26 वर्ष होती है ।

यह लोक सेवा में आजीविका शुरू करने के विचार पर आधारित प्रणाली है । भारत तथा कई अन्य यूरोपीय देशों जैसे कि इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि में इसी प्रणाली को अपनाया गया है ।

III. विशेषज्ञता आधारित प्रणाली:

इस प्रणाली के अन्तर्गत सरकार विभिन्न कार्य दायित्वों के अनुरूप तकनीकी ज्ञान और अनुभव रखने वाले व्यक्तियों की भर्ती करती है । इसमें भर्ती की आयु-सीमा अपेक्षाकृत लम्बी होती है और सामान्यत: 18 से 45 वर्षों के बीच होती है ।

यह प्रणाली लोक सेवाओं में रोजगार के विचार पर आधारित नहीं है । यह सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं के बीच एक गतिशीलता को दर्शाती है । यह प्रणाली संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाड़ा में प्रचलित है ।

IV. पार्श्विक प्रवेश प्रणाली:

इस प्रणाली में वरिष्ठ लोकसेवा पदों पर भर्ती के लिए उस सेवा से पृथक पृष्ठभूमि के लोगों में से एक सुनिश्चित प्रतिशत लोगों की भर्ती की जाती है । यह प्रतिस्पर्धी चयन के द्वारा किया जाता है और इसमें मूल सेवा के अधिकारियों को प्राप्त प्रोन्नति अवसर प्रभावित नहीं होते हैं ।

इस प्रकार यह प्रणाली विशेषज्ञता प्रणाली के समान उद्देश्य रखती है । फिर भी इस प्रणाली को उन देशों द्वारा अपनाया जा सकता है जिनमें मानसिक योग्यता प्रणाली प्रचलित है ।