ब्रिटिश मंत्रिमंडल और इसकी संरचना | British Cabinet and Its Structure | Hindi | Notes.

चूँकि ब्रिटिश संविधान सरकार की संसदीय प्रणाली प्रदान करता है, अत: मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यकारी सत्ता के तौर पर कार्य करता है । इसका गठन इसके प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री तथा उसके सबसे वरिष्ठ 20 मंत्रियों से होता है ।

इसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं:

1. प्रधानमंत्री, कोषागार का प्रथम लॉर्ड एवं लोकसेवा मंत्री,

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2. राजकोष का चांसलर,

3. राजमुद्रा का लॉर्ड,

4. चांसलर ऑफ दि डची ऑफ लंकास्टर,

5. परिषद का लॉर्ड प्रेसीडेंट,

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6. व्यापार बोर्ड का प्रेसीडेंट,

7. लॉर्ड चांसलर,

8. फर्स्ट लॉर्ड ऑफ एडमिरेलिटी (नौसेना),

9. पोस्टमास्टर जनरल,

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10. गृह, विदेश, प्रतिरक्षा, सामाजिक सेवाएँ, पर्यावरण, शिक्षा तथा विज्ञान के सचिव,

11. कृषि एवं मछली पालन, स्वास्थ्य, पेंशन, परिवहन एवं श्रम के मंत्री,

12. स्कॉटलैंड का राज्य सचिव,

13. वेल्स का राज्य सचिव ।

यहाँ पर उल्लेख किया जाना चाहिए कि महान्यायवादी, महान्यायाधिकर्त्ता (एटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल), लॉर्ड एडवोकेट और महावेतनाधिकारी ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं होते है ।

संवित परिषद  (Integrated Council):

मंत्रिमंडल और संवित परिषद (Privy Council) में घनिष्ठ संबंध है । अपने वर्तमान रूप में यह परिषद ब्रिटिश राजतंत्र की सलाहकार संस्था के रूप में पंद्रहवीं सदी में अस्तित्व में आई थी । समय के साथ इसके अधिकांश अधिकार इसकी आंतरिक समिति के रूप में मंत्रिमंडल को दे दिए गए । वर्तमान में इसके 330 सदस्य हैं और इसमें, अन्य सदस्यों के साथ-साथ मंत्रिमंडल (पूर्व और वर्तमान) के सभी मंत्री सम्मिलित हैं । उसकी अध्यक्षता परिषद के लॉर्ड प्रेसीडेंट द्वारा की जाती है ।

प्रधानमंत्रीय सरकार (Prime Minister Government):

भूतकाल में ब्रिटेन के संवैधानिक और राजनीतिक विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के बीच के सम्बंध को समकक्षों में से प्रथम (Primus Inter Pares First Among Equals) के रूप में विवेचित किया था । परंतु वर्तमान में मंत्रिमंडल की तुलना में प्रधानमंत्री की शक्ति स्थिति और उसके प्रभाव में भारी वृद्धि हुई है ।

ब्रिटेन की राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था में वह अब ‘प्रधान’ भूमिका अदा करने लगा है । इसलिए क्रॉसमैन, मेकिनटोश जैसे बाद के राजनीतिक विश्लेषकों ने ब्रिटिश मंत्रिमंडल सरकार का वर्णन ‘प्रधानमंत्रीय सरकार’ के रूप में किया है ।

छाया मंत्रिमंडल (Shadow Cabinet):

ब्रिटिश मंत्रीमंडलीय प्रणाली की यह अद्वितीय संस्था है । इसका गठन शासक मंत्रिमंडल को संतुलित करने और अपने सदस्यों को भविष्य में मंत्रिमंडल के लिए तैयार करने के उद्देश्य से विरोधी दल द्वारा किया जाता है ।

ब्रिटेन में विरोधी दल को सरकारी मान्यता प्राप्त होती है और सरकार के रूप में यह सुसंगठित होता है । अपने छाया मंत्रिमंडल के साथ यह ‘समांतर’ सरकार चलाता है । शासक मंत्रिमंडल के प्राय: प्रत्येक सदस्य पर छाया मंत्रिमंडल के तदानुसारी सदस्य द्वारा ‘निगरानी’ रखी जाती है । छाया मंत्रिमंडल के सदस्य उनको सौंपे गए विभागों के कार्यों को गहराई से जाँचते-परखते रहते हैं ।

संसदीय बहसों में वे मंत्रिमंडल के सदस्यों का सामना करते हैं । सरकार बदलने की स्थिति में ‘छाया मंत्रिमंडल’ वैकल्पिक मंत्रिमंडल का काम करता है । इसी कारण से आइवर जेनिंग्स ने विरोधी दल के नेता को ‘वैकल्पिक’ प्रधानमंत्री कहा है । उसको एक मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है और उसे सरकार द्वारा वेतन दिया जाता है ।

ब्रिटिश मंत्रिमंडल का सचिवालय (Secretariat of the British Cabinet):

1916 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज ने मंत्रिमंडलीय सचिवालय की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य था, युद्ध मंत्रिमंडल के काम को व्यवस्थित करना तथा इंपीरियल डिफेंस कमेटी की सहायता करना ।

उन्होंने इंपीरियल डिफेंस कमेटी के सचिव, सर मौरिस हैंकी को स्थानांतरित करके मंत्रिमंडल का प्रथम सचिव बना दिया । बाद में, ब्रिटेन में सरकारी तंत्र पर हाल्डेन कमेटी की रिपोर्ट (1918) की सिफारिश पर ब्रिटिश कैबिनेट ने युद्ध सचिवालय को स्थायी रूप से बनाए रखने का निर्णय किया ।

समय के साथ-साथ मंत्रिमंडल सचिवालय का आकार, उसकी शक्ति तथा महत्व में बढ़ोतरी होती गयी । वास्तव में मंत्रिमंडल कार्यालय के रूप में एक अधिक बड़ी इकाई का गठन करने के लिए उसमें कुछ और इकाईयाँ जोड़ दी गईं ।

वर्तमान में मंत्रिमंडल कार्यालय के निम्नलिखित संघटक हैं:

1. मंत्रिमंडल सचिवालय,

2. केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (दूसरे विश्व युद्ध के दौरान गठित),

3. ऐतिहासिक अनुभाग,

4. सरकार का प्रमुख विज्ञान अधिकारी (1986),

5. कार्य कुशलता इकाई,

6. लोकसेवा मंत्री कार्यालय (1987) ।

यहाँ उल्लेखनीय है कि 1970 से 1983 तक केंद्रीय नीति समीक्षा स्टाफ (Central Policy Review Staff) मंत्रिमंडल कार्यालय का घटक रहा था ।

मंत्रिमंडल सचिवालय के कार्य हैं:

1. मंत्रिमंडल और इसकी समितियों के कार्यकलापों के लिए आवश्यक ज्ञापन तथा अन्य दस्तावेजों को संचालित करना ।

2. मंत्रिमंडल और इसकी समितियों की बैठकों के लिए कार्यसूची संकलित करना ।

3. मंत्रिमंडल और इसकी समितियों की बैठकों के सम्मन जारी करना ।

4. मंत्रिमंडल और उसकी समितियों के निष्कर्षों को लिपिबद्ध करना और संचारित करना ।

5. मंत्रिमंडल समितियों की रिपोर्ट तैयार करना ।

6. मंत्रिमंडल के कागजात और निष्कर्षों का रखरखाव करना ।

मंत्रिमंडल कार्यालय प्रधानमंत्री के अधीन काम करता है । इसका प्रमुख मंत्रिमंडल सचिव होता है जोकि गृह लोकसेवा का भी प्रमुख होता है । यह ब्रिटिश सरकार का ‘नाड़ी केंद्र’ है और सरकार की मुख्य समन्वयकारी एजेंसी है । यह मंत्रिमंडल तथा इसकी समितियों के लिए कर्मचारी एजेंसी का भी काम करती है ।

यह विभागों द्वारा मंत्रिमंडलीय निर्णयों के क्रियान्वयन निगरानी रखती है । मंत्रिमंडल की सामूहिक तौर पर सहायता करने के लिए मंत्रिमंडल कार्यालय के साथ-साथ एक प्रधानमंत्री कार्यालय भी होता है जिसका काम सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को उसके दायित्वों को पूरा करने में सहायता प्रदान करना है । इसके चार अंग होते हैं- निजी कार्यालय, राजनीतिक कार्यालय, प्रेस कार्यालय और नीति इकाई । निजी कार्यालय का प्रमुख प्रधानमंत्री का मुख्य निजी सचिव होता है ।