Read this article in Hindi to learn about how to control pests of maize.

(1) तना बेधक (Stem Borer):

इस कीट का वैज्ञानिक नाम काइलो पार्टेलस है । यह लेपिडोप्टेरा गण के पायरिलिडी कुल का कीट है ।

पहचान:

वयस्क पतंगा हल्का पीलापन लिए हुए भूरे रंग का होता है । इसके पंखों की चौड़ाई 2.5 से.मी. होती है तथा इसके अगले पंख तिनके के रंग के होते हैं जिनके अंत में बाहर की ओर दो पंक्तियों में काले बिन्दु पाये जाते हैं इस कीट के नर के पिछले पंखों का रंग कुछ धुंएदार होता है और मादा में सफेद होता है । मादा के उदर के पीछे की तरफ अन्तिम भाग में एक बालों का गुच्छा होता है और वह थोड़ा-सा चौड़ा होता है, परन्तु नर में यह थोड़ा-सा नुकीला होता है ।

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क्षति:

इस कीट की लार्वा प्रारम्भ में पत्ती को खुरच-खुरच कर खाती है और बाद में इस प्रकार के छेद कर देती है कि यदि पत्ती को देखा जाए तो उस में सूई से किये गये छेद दिखाई पड़ते हैं । इसके बाद लार्वा तने में छेद करके भीतर प्रवेश करती है और उसे खाती है ।

यदि इस कीट का आक्रमण अंकुरण के तुरन्त बाद ही पौध अवस्था में हो जाता है तो उस समय ऊपर की पत्तियाँ सूख जाती हैं और अन्त में पौधा सूख जाता है । इस दशा में मृत केन्द्र का निर्माण हो जाता है । यदि पौधा बड़ा हो गया तो वह कमजोर हो जाता है तथा तेज हवा चलने पर टूट कर गिर जाता है ।

जीवन-चक्र:

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मादा कीट पत्तियों पर गोल-गोल, चपटे तथा पीले रंग के अण्डे गुच्छों में देती है । प्रत्येक गुच्छे में कम से कम 20 अण्डे पाए जाते हैं । एक मादा अपने जीवन काल में 300 तक अण्डे देती है । इन अण्डे का ऊष्मायन काल 3 दिनों का होता है ।

अण्डे से निकला लार्वा दो-तीन सप्ताह में पूर्ण विकसित हो जाती है । लार्वा 6 बार निर्मोचन करती है । इसका जीवन-चक्र 5-7 सप्ताह में पूरा हो जाता है तथा एक वर्ष में पाँच पीढ़ियाँ पायी जाती हैं ।

समन्वित प्रबन्धन उपाय:

1. फसल की कटाई के बाद खेत में पड़ी मक्का की सूखी पत्तियों व अन्य अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिये । मई माह में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिये ।

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2. कीट ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिये ।

3. मक्का की तना बेधक से प्रतिरोधी किस्में जैसे गंगा 4, 5, 7, 9 गंगा सफेद -2 दक्कन- 103 कंचन, कुन्दन का उपयोग करें ।

4. बुवाई के 15-20 दिन के अन्दर फोरेट 10 प्रतिशत या कार्बोफ्यूरानन 3 प्रतिशत कण 7-10 प्रति पौधे के हिसाब से कूड में डालें ।

5. एण्डोसल्फॉन 35 ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें तथा आवश्यकतानुसार इसे दोहरावें ।

6. कुछ परजीवी इस कीट के अण्डों को नष्ट कर देते हैं जैसे ट्राइकोग्रामा चिलोनिस, इसे 1.5 लाख प्रति हैक्टेयर की दर से प्रति सप्ताह छ: बार खेतों में छोड़ें ।

7. परजीवी कीट इसकी लार्वा को खाते हैं जैसे ब्लेफेरीपोड़ा, माइकोब्रेमान किलाइडी तथा ज्यैन्थो-पिम्पाला इनका सदैव संरक्षण व संवर्धन करना चाहिये ।

(2) गुलाबी तना बेधक (Pink Stem Corer):

इस कीट का वैज्ञानिक नाम सिसेमिया इनफरेन्स है । यह लैपिडोप्टेरा गण के पाइरेलिडी कुल का कीट है ।

पहचान:

इस कीट का शलय (पतंगा) तिनके के रंग का होता है जिस पर भूरे चिह्न होते हैं । अगले पंख के मध्य भाग में एक काली भूरी धारी पंख के किनारे की ओर बढ़ती हुई दिखाई देती है । यह धारी अन्त में छोटे काले धब्बों के रूप में समाप्त हो जाती है । इसके पिछले पंख सफेद रंग के होते हैं । यह 14-17 मि.मी. लम्बा होता है पंख विस्तार 33 मि.मी. होता है ।

क्षति:

इस कीट का लार्वा अण्डे से बाहर निकलकर भूमि के पास पर्णच्छद में छेदकर तने में प्रवेश करके उसे खाता है । जिस स्थान से यह लार्वा प्रवेश करता है वहाँ इस लार्वा का मल एकत्रित हो जाता है । तने में प्रवेश करके ये पिथ को खाती है जिसके फलस्वरूप पौधे पीले पड़ जाते हैं एवं पौधे की बढ़वार रुक जाती है ।

जीवन-चक्र:

मादा कीट पौधे के तने और पर्णच्छद के बीच के हिस्से में 30 से 100 तक समूह में अण्डे देती है । अण्डे गोलाकार हल्के पीले, हरे रंग के होते हैं । अण्डे से 6-7 दिनों में लार्वा निकल आता है लारवा काल ग्रीष्म ऋतु में 4-9 दिनों का व सर्दी में 9-25 दिनों का होता है । प्यूपा या तो तने में अथवा पर्णच्छद में बनता है । लार्वा 5 बार निर्मोचन करता है । प्यूपावस्था 10 दिनों का होता है । इस कीट की वर्ष में 4-6 पीढ़ियाँ पायी जाती हैं ।

समन्वित प्रबन्धन उपाय:

1. इस कीट की लारवा व घूमा शीतकाल में तने या फसल अवशेषों में रहते हैं अतः फसल कटते ही इन्हें नष्ट कर देना चाहिये ।

2. खेत के आस पास या खेत में बचे पौधों को जला देना चाहिये ।

3. खेत के आसपास कांसा आदि के पौधों को भी नष्ट कर देना चाहिये ।

4. इसके नियंत्रण के लिये मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करना चाहिये ।

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