Read this article in Hindi to learn about how to control diseases and pests of fenugreek (methi).

फसलों पर कीटों का प्रकोप कम होता है । परन्तु कभी-कभी एफिड जैसिड, पत्ती भक्षक लटें, सफेद मक्खी, क्षीण, फली छेदक एवं दीमक आदि का आक्रमण पाया जाता है ।

मोयला (एफिड):

इसे चेंपा भी कहते हैं । मौसम में अधिक नमी व आकाश में बादल रहने पर इसका प्रकोप होता है । यह कीट पौधों के कोमल भाग से रस चूसकर हानि पहुँचाता है जिससे दाने कम गुणवता के व निम्न बनते हैं । इनके आक्रमण से बचाने के तिए एण्डोसल्फान 35 ई.सी. या मेलाथियान 50 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए ।

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बीमारियाँ एवं उनका नियंत्रण:

छाछया:

इस रोग में पौधों की पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देने लगता है तथा धीरे-धीरे पूरे पौधों पर फैल जाता है । इस रोग की रोकथाम हेतु फसल पर गंधक का चूर्ण 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से या केराथेन या किटाजिन एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए ।

तुलासिता (डाउनी मिल्ड्यू):

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इस रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं व नीचे की सतह पर फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है । इस अवस्था में पत्तियाँ झड़ जाती है । इसके नियन्त्रण के लिए मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिये । 15 दिन में छिड़काव दोहराना चाहिए ।

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