उत्तरदायित्व पर अनुच्छेद | Paragraph on Responsibility in Hindi!

जिम्मेदारी से आशय अपने कर्तव्यों को पूरा करने की एक व्यक्ति की बाध्यता से है । जी.आर. टेरी कहते हैं- ”जिम्मेदारी एक व्यक्ति की उन नतीजों को हासिल करने की बाध्यता है जो उसके और उसके श्रेष्ठतर की हिस्सेदारी के जरिए निर्धारित होते हैं ।”

यह जवाबदेही से भिन्न है जिसका अर्थ निर्देशों के अनुसार काम को पूरा करने के संबंध में श्रेष्ठतर के प्रति उत्तरदायित्व । जिम्मेदारी दो प्रकार की होती है- संचालन जिम्मेदारी और अंतिम जिम्मेदारी । पहली जिम्मेदारी अधीनस्थों को सौंपी जा सकती है लेकिन दूसरी नहीं । फेयॉल के अनुसार, प्राधिकार और जिम्मेदारी अंतर्सम्बन्धित और समानुपातिक है ।

उनके शब्दों में- ”प्राधिकार को जिम्मेदारी से अलग नहीं समझा जा सकता, यानी, अनुशास्ति, इनाम या सजा-से अलग नहीं समझा जा सकता जो शक्ति के प्रयोग के साथ-साथ चलती है । जिम्मेदारी प्राधिकार का सहज फल है, यह इसका एक नैसर्गिक नतीजा और एक प्रतिमूर्ति है, और जहां कहीं भी प्राधिकार का प्रयोग होता है, जिम्मेदारी भी पैदा होती हैं ।”

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उसी प्रकार, अरविक ने कहा- ”किसी समूह या व्यक्ति को बिना आवश्यक प्राधिकार दिए, किसी भी प्रकार की गतिविधियों के लिए जबावदेह ठहराने पर वह जिम्मेदारी उद्घोषित तौर पर असंतोषजनक और अनुचित होगी । प्रवाहमय काम होने के लिए यह बेहद अहम है कि सभी स्तरों पर प्राधिकार और जिम्मेदारी सहावसानी और परस्पर समान है ।”

इसे ही उन्होंने ‘तदनुरुपता का सिद्धांत’ कहा । प्रशासनिक प्रक्रिया में, जिम्मेदारी तीन प्रकार की होती है, राजनीतिक, संस्थाबद्ध और पेशेवर । राजनीतिक जिम्मेदारी से आशय उस जिम्मेदारी से है जो कार्यकारिणी की विधायिका के प्रति होती है, जो स्वयं जनता के प्रति जिम्मेदार होती है ।

संस्थाबद्ध जिम्मेदारी से आशय उस जिम्मेदारी से है जो प्रशासनिक एजेंसी की जन कल्याण के प्रति होती है, यानी जनहित के प्रति प्रतिक्रियाशील होना । पेशेवर जिम्मेदारी से आशय उस जिम्मेदारी से है जो लोक सेवा की पेशेवर मानकों और नैतिकताओं और व्यवहार संबंधी नियमों के प्रति होती है । इसे नैतिक जिम्मेदारी के नाम से भी जाना जाता है ।