Here is a list of four important precision instruments in Hindi language.

1. माइक्रोमीटर (Micrometer):

माइक्रोमीटर एक प्रकार का सूक्ष्ममापी उपकरण है जिससे .001” या .01 मिमी. तक की सूक्ष्मता में माप ली जा सकती है ।

सिद्धांत:

माइक्रोमीटर स्कू थ्रेड की लीड और पिच के सिद्धांत पर बनाया गया है जो कि नट और बोल्ट की तरह कार्य करता है ।

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अल्पतमांक:

किसी भी माइक्रोमीटर के द्वारा जो न्यूनतम माप ली जाती है वह उसकी अल्पतमांक कहलाती है ।

मीट्रिक पद्धति में माइक्रोमीटर की स्लीव पर 1-1 मिमी. के 25 निशान बने होते हैं, इनको मेन डिवीजन कहते हैं । प्रत्येक मि.मी. को दो बराबर भागों में बांट दिया जाता है जिससे एक भाग का मान 1/2 मिमी. या. 5 मिमी. हो जाता है, इसे सब डिवीजन कहते हैं ।

स्पिंडल के ऊपर और स्लीव के अंदर 1/2 मि.मी. पिच वाली चूड़ियां बनी होती हैं । थिम्बल के बेवल ऐज को 50 बराबर भागों में बांटकर निशान बना दिए जाते हैं । थिम्बल का एक चक्कर अर्थात् 50 निशान घुमाने पर वह 1/2 मिमी. आगे बढेगा । इसलिए वह एक निशान में 1/2 × 1/50 × 1/100 मि.मी. या .01 मिमी. कवर करेगा । अतः मीट्रिक माइक्रोमीटर का अत्पतमांक .01 मिमी. होता है ।

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प्रकार:

मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के माइक्रोमीटर प्रयोग में लाए जाते हैं:

i. आउटसाइड माइक्रोमीटर:

इस माइक्रोमीटर का प्रयोग बहारी मापों मो मापने या चैक करने के लिए किया जाता है । इससे .001” या 0.01 मिमी. तक की शुद्धता में माप ली जा सकती है ।

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ii. इनसाइड माइक्रोमीटर:

अंदरूनी मापों को मापने के लिए इनसाइड माइक्रोमीटर का प्रयोग किया जाता है । इससे .001” या .01 मि.मी. की सूक्ष्मता में माप ली जा सकती है । इसका प्रयोग किसी होल, स्लॉट, बोर आदि की अंदरूनी मापों को मापने व चैक करने के लिए किया जाता है ।

iii. डेप्थ माइक्रोमीटर:

किसी ब्लाइंड होल, स्लॉट, स्टेप आदि की गहराई मापने और चैक करने के लिए डेप्थ माइक्रोमीटर का प्रयोग किया जाता है । इसको माइक्रोमीटर डेप्थ गेज भी कहते हैं । इससे .001” या .01 मि.मी. की सूक्ष्मता में रीडिंग ली जा सकती है ।

iv. डिजिट आउट साइड माइक्रोमीटर:

यह एक विशेष आधुनिक माइक्रोमीटर है जिसका प्रयोग मीट्रिक पद्धति में 0.001 मि.मी. की सूक्ष्मता में बाहरी मापों को मापने व चैक करने के लिए किया जाता है ।

बनावट:

इसकी बनावट, कार्य का सिद्धांत और ग्रेजुएशन आदि वर्नियर आउट साइड माइक्रोमीटर की तरह होती है । अन्तर केवल इतना होता है कि इसके फ्रेम पर एक डिजीटल काउंटर बना होता है । जिससे माइक्रोमीटर पर खोली गई रीडिंग की डिजीटल काउंटर द्वारा प्रत्यक्षतः पढा जा सकता है ।

रीडिंग:

इससे रीडिंग लेने की वैसी ही विधि अपनायी जाती है जैसा कि मीट्रिक वर्नियर आउट साइड माइक्रोमीटर में अपनाते हैं ।

लाभ:

डिजिट माइक्रोमीटर से बहुत लाभ होते हैं:

I. रीडिंग को अंकों में प्रत्यक्षतः पढ़ा जा सकता है ।

II. रीडिंग लेते समय भूल की सम्भावना नहीं रहती ।

III. समय की बचत होती है ।

v. काम्बी माइक्रोमीटर:

यह एक दिन विशेष आधुनिक माइक्रोमीटर है जिसका डिजाइन इस प्रकार बनाया गया है कि इस पर भी मीट्रिक और इंगलिश दोनों प्रकार की रीडिंग को एक साथ पढा जा सकता है ।

बनावट:

इसकी बनावट डिजिट आउट साइड माइक्रोमीटर की तरह होती है । ग्रेजुएशन के अनुसार मीट्रिक और इंगलिश कम्बीनेशन वाले प्रायः काम्बी माइक्रोमीटर प्रयोग में लाये जाते हैं ।

a. पहला कम्बीनेशन:

इसमें स्लीव और थिम्बल पर मीट्रिक वर्नियर आउटसाइड माइक्रोमीटर के समान ग्रेजुएशन बनी हांती है जिससे स्लीव और थिम्बल की रीडिंग मीट्रिक पद्धति में पढ़ी जाती है परन्तु इसके फ्रेम पर लगे डिजीटल काउंटर पर रीडिंग इंगलिश पद्धति में प्रदर्शित होती है । इस प्रकार इससे मिमी. में 0.001 मिमी. और इंचों में 0.001′ की परिशुद्धता में माप ली जा सकती है ।

रीडिंग:

कम्बीनेशन के अनुसार काम्बी माइक्रोमीटर को स्लीव पर 6.213 मि.मी. रीडिंग है और डिजीटल काउंटर पर 0.245‘ रीडिंग प्रदर्शित होती है तो इसे निम्नलिखित प्रकार से पढ़ेंगे:

स्लीव पर रीडिंग = 6.000 मि.मी.

थिम्बल पर रीडिंग = 0.210 मिमी.

वर्नियर पर रीडिंग = 0.003 मि.मी.

कुल रीडिंग = 6.213 मिमी.

डिजीटल काउंटर पर रीडिंग = 0.245”

नोट:

इंगलिश और मीट्रिक रीडिंग्स की सुनिश्चितता ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित तालिका के अनुसार मिलान कर लेना चाहिए:

b. दूसरा कम्बीनेशन:

दूसरे कम्बीनेशन के अनुसार स्लीव और थिम्बल पर इंगलिश वर्नियर आउट साइड माइक्रोमीटर के समान ग्रेजुएशन बनी होती है । जिससे स्लीव और थिम्बल की रीडिंग इंचों में पड़ी जाती है परन्तु इसेक फ्रेम पर बने डिजीटल काउंटर पर रीडिंग मीट्रिक में प्रदर्शित होती है । इस प्रकार इससे इंचों में 0.0001′ और मि.मी. में 0. 01 मि.मी. की परिशुद्धता में माप ली जा सकती है ।

रीडिंग:

दूसरे कम्बीनेशन के अनुसार काम्बी माइक्रोमीटर की स्लीव पर 0.03356” रीडिंग है और डिजीटल काउंटर पर 8.52 मि.मी. रीडिंग प्रदर्शित होती है तो इसे निम्नलिखित प्रकार से पढ़ेंगे:

स्लीव पर रीडिंग – 0.3250”

थिम्बल पर रीडिंग – 0.0100”

वर्नियर पर रीडिंग – 0.0006”

कुल रीडिंग = 0.3356”

डिजीटल काउंटर पर रीडिंग = 8.52 मि.मी.

नोट:

मीट्रिक और इंग्लिश रीडिंग्स की सुनिश्चिता ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित तालिका के अनुसार मिलान कर लेना चाहिए:

कुछ अन्य माइक्रोमीटर्स:

a. ट्यूब माइक्रोमीटर:

यह एक स्पेशल डिजाइन किया हुआ माइक्रोमीटर है, जिसका प्रयोग पाइपों, ट्‌यूबों और ऐसे ही आकार के अन्य पार्ट्स की थिकनैस मापने के लिए किया जाता है ।

b. फ्लेंज माइक्रोमीटर:

यह आउटसाइड माइक्रोमीटर जैसा होता है अंतर केवल इतना होता है कि इसके स्पिंडल और एन्विल पर फ्लेंज लगे होते हैं । इसका प्रयोग गियर के दांते की कार्डल थिकनैस मापने के लिए किया जाता है । इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग इंजन के फिन्स और जॉब की कॉलर थिकनैस मापने के लिए भी किया जाता है ।

c. इंटरचेंजेबल एन्विल के साथ आउटसाइड माइक्रोमीटर:

यह एक एक्सटर्नल माइक्रोमीटर है जिसके साथ बदलने वाली एन्विल्स का सेट आता है । विभिन्न एन्विल्स को बदलकर इस माइक्रोमीटर की रेंज को बढाया जा सकता है ।

d. ‘कीवे’ डेप्थ माइक्रोमीटर:

यह डेप्थ माइक्रोमीटर जैसा होता है परंतु अंतर केवल इतना होता है कि इसके फ्रेम पर 1200 की तिरछी बटिंग सरफेस होती है । सिलण्ड्रिकल शाफ्ट पर ‘कीवे’ की गहराई मापते समय सिलण्ड्रिकल सरफेस पर ये बटिंग सरफेस बैठ जाती हैं ।

इसका प्रयोग सिलण्ड्रिकल शाफ्ट पर ‘कीवे’ की गहराई मापते समय सिलण्ड्रिकल जॉब की परिधि पर ये बटिंग सरफेस बैठ जाती हैं । इसका प्रयोग सिलण्ड्रिकल शाप के ‘कीवे’ की गहराई मापने के लिए किया जाता है ।

e. बाल माइक्रोमीटर:

यह आउटसाइड माइक्रोमीटर जैसा होता है । अंतर केवल इतना होता है कि इसके स्पिंडल और एन्विल के मेजरिंग फेसों पर अर्धगोलाकार बाल्स फिट रहते हैं । इसका प्रयोग गोले की माप लेने के लिए किया जाता है ।

f. स्टिक माइक्रोमीटर:

यह एक स्पेशल डिजाइन किया हुआ माइक्रोमीटर है जिसका प्रयोग लंबे इनटर्नल साइजों को मापने के लिये किया जाता है । इसमें 150 मिमी. या 300 मिमी. की माइक्रोमीटर यूनिट होती है जिसके साथ गोल किए हुए टर्मिनल फेसिस होते हैं तथा अधिकतम आवश्यक लंबाई मापने के लिए सिरीज में एक्टेशन राडें आती हैं ।

g. रोलिंग मिल माइक्रोमीटर:

यह एक विशेष डिजाइन किया हुआ माइक्रोमीटर है जो कि आउटसाइड माइक्रोमीटर जैसा होता है । परन्तु अंतर इतना होता है कि इसका फ्रेम अधिक गहराई वाला होता है । इसका प्रयोग रेंजों से गहराई में शीटों की थिकनैस की माप के लिए किया जाता है ।

h. थ्री प्वाइंट इंटर्नल माइक्रोमीटर:

अंदरूनी व्यास को परिशुद्धता में मापने के लिए इस माइक्रोमीटर के तीन प्वाइंट होते है इसका अधिकतर प्रयोग अंदरूनी व्यास, गहरे सुराख का व्यास, ब्लाइंड होल का सिरा, इंटर्नल रिसेस आदि को मापने के लिए किया जाता है । इसकी शुन्य त्रुटि को एक मास्टर गेज के द्वारा चैक किया जा सकता है ।

सावधानियां:

I. माप लेने से पहले माइक्रोमीटर की शुन्य त्रुटि अवश्य चैक कर लेनी चाहिए ।

II. माइक्रोमीटर को अन्य कटिंग टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए ।

III. यदि जॉब गति में हो तो माइक्रोमीटर का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

IV. माप लेते समय रैचेट स्टॉप का प्रयोग करना चाहिए ।

V. यदि इसे प्रयोग न किया जा रहा हो तो इसे इसके बॉक्स में रखना चाहिए ।

2. वर्नियर कैलिपर (Vernier Caliper):

वर्नियर कैलिपर एक प्रकार का सूक्ष्ममापी उपकरण है जिससे .001” या .02 मिमी. की सूक्ष्मता में माप ली जा सकती है । इसका प्रयोग बाहरी, अंदरूनी, गहराई और स्टेप की मापों को मापने व चैक करने के लिए किया जाता है ।

मेटीरियल:

वर्नियर कैलिपर प्रायः निकल क्रोमियम स्टील के बनाए जाते हैं ।

साइज:

मीट्रिक पद्धति में वर्नियर कैलिपर प्रायः 150 मिमी. और 300 मिमी. तक साइज के पाए जाते हैं और इंगलिश पद्धति में 6” और 24” तक साइज के पाए जाते हैं ।

सिद्धांत:

वर्नियर कैलिपर दो अनुरूप स्केलों के अल्पतमांक के अंतर के आधार पर बनाया जाता है । इसमें एक मेन स्केल और दूसरा वर्नियर स्केल होता है । मेन स्केल के एक खाने और वर्नियर स्केल के एक खाने के मान का अंतर लेकर अल्पतमांक निकाला जाता है ।

3. डायल कैलिपर (Dial Caliper):

यह एक प्रकार का आधुनिक केलिपर है जिसका प्रयोग 0.001” या 0.01 मिमी. की परिशुद्धता में माप लेने या चैकिंग करने के लिए किया जाता है । इसके द्वारा बाहरी, अन्दरूनी और गहराई की मापों को आसानी से मापा या चैक किया जा सकता है ।

बनावट:

इसकी बनावट साधारण वर्नियर केलिपर जैसी होती है जिस पर वर्नियर स्केल के स्थान प एक डायल लगा होता है । इस डायल से रीडिंग को प्रत्यक्षतः पड़ा जा सकता है । मुवेबल जॉ को मूवमेंट एक थम्ब रोलर के द्वारा दिया जाता है ।

सिद्धांत:

इसका सिद्धांत रैक और पीनियन पर आधारित है । इसके बीम पर लम्बाई में एक रैक लगा होता है जिसके साथ डायल का पीनियन मैश कर दिया जाता है । इस प्रकार जब मुवेबल जॉ को चलाया जाता है तो डायल पर लगी सूई हलचल करती है और डायल पर रीडिंग को प्रदर्शित करती है ।

4. डिजीट डायल कैलिपर (Digit Dial Caliper):

यह एक प्रकार का आधुनिक केलिपर है जिसकी बनावट व प्रयोग डायल केलिपर की तरह ही होती है । अन्तर केवल इतना है कि इसमें एक डिजीटल काउंटर बना होता है । रीडिंग लेते समय दशमलव के पहले अर्थात् पूरे मिमी. की रीडिंग डिजीटल काउंटर पर आ जाती है तथा दशमलव के बाद की रीडिंग को डायल पर देखा जाता है ।

मेजरिंग दोष:

वर्क पीस की माप लेते समय कुछ मेजरिंग दोष आ सकते हैं जो कि माप लेने वाले व्यक्ति की कौशलता या मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट की त्रुटि के कारण होते हैं ।

मुख्य दोष:

प्रायः निम्नलिखित दोष आते हैं:

I. क्रमबद्ध दोष:

मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट के कारण जो दोष उत्पन्न होते है उन्हें क्रमबद्ध दोष कहते हैं ।

इनको निम्नलिखित में विभाजित किया जा सकता है:

(क) परिचित दोष:

जैसे माइक्रोमीटर में शुन्य त्रुटि होना । इसमें रीडिंग को पढ़कर उसे ठीक किया जा सकता हैं ।

(ख) अपरिचित दोष:

जैसे मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट्‌स में फ्रिक्तान के कारण त्रुटि अर्थात मेजरिंग डिवाइस का परिशुद्ध न होना ।

II. रेंडम या आकस्मिक दोष:

यह त्रुटि बाहरी कडीशनों के कारण होती हैं जैसे तापमान में अतर, वायु की आर्द्रता, धूल और कम्पन इत्यादि । देखने में त्रुटि व थकावट भी इस त्रुटि का कारण हो सकती है ।

III. ज्यॉमितीय त्रुटि:

यह त्रुटि तब उत्पन्न होती है जब कार्य ड़ाइंग के अनुसार सिद्धांतिक रूप में नहीं होता ।

यह त्रुटि निम्नलिखित प्रकार की होती है:

(i) मैक्रो:

ज्यामितीय त्रुटि जिसमें सिलण्ड्रिकल जॉब टेपर में होता है या पूर्णतया गोलाई में नहीं होता । इस त्रुटि को थी प्याइट मेजरमेंट के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है ।

(ii) माइक्रो:

ज्यामितीय त्रुटि सरफेस रफनैस के कारण उत्पन्न होती है जिसमें माप लेने वाले इंस्ट्रूमेंट का टिप प्रोफाइल में गिर जाता है और गलत रिडिंग देता है ।

IV. संपर्क दोष:

यह त्रुटि मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट केमाप लेने वाले टिप्स और वर्कपीस के बीच अशुद्धियों के कारण उत्पन्न होती है । इसलिए इंस्ट्रूमेंट को साफ रखना अति आवश्यक है ।

V. इंस्ट्रूमेंट दोष:

यह त्रुटि प्रायः वर्नियर केलिपर के मूवेबल जी और बीम के बीच प्ले तथा माइक्रोमीटर में बैकलैश के कारण होती हैं ।

VI. निरीक्षण दोष:

यह पैरेलेक्स त्रुटि है जो कि डायल इंडिकेटर वाले इंस्ट्रूमेंट और स्केलों की रीडिंग के संबंध में उत्पन्न होती हैं । वास्तव में यह त्रुटि प्याइंटर को स्केल से निश्चित दूरी पर होने पर निर्भर करती है । यदि प्याइंटर को बिलकुल सीधा देखने के बजाए थोडा सा हट कर देखेंगे तो रीडिंग थोडी कम या अधिक हो सकती ।

VII. तापमान दोष:

यह त्रुटि तापमान में बदलाव के कारण उत्पन्न होती है । इसलिए माप लेने के लिए 20०c तापमान रखा जाता है ।

VIII. समानान्तर दोष:

यह त्रुटि तब उत्पन्न होती है जब वर्कपीस की माप लेने वाली सरफेसें परस्पर समानान्तर नहीं होती हैं । फ्लैट सरफेस पर गोलाकार मेजरिंग टिप्स का प्रयोग करके यह त्रुटि दूर की जा सकती है ।

IX. कोसाइन दोष:

यह त्रुटि तब उत्पन्न होती है जब मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट का प्लंजर या लीवर माप लेने वाले वर्कपीस के साथ समानान्तर में नहीं होता है ।